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The Kashmir Files : रूह को कंपा देने वाले सच्चाई पर स्वार्थ की राजनीति, असम में सांसद ने की फिल्म बैन करने की मांग, सपा ने बताया अधूरी फिल्म

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एक ओर फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने लोगों के दिल को छू लिया है। वे फिल्म की सच्चाई, कहानी, अदाकारी और निर्देशन की तारीफें करके नहीं अघा रहे हैं। बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो इस फिल्म के जरिये पहली बार यह जान पा रहे हैं कि कश्मीर पंडितों के साथ किस तरह रूह कंपा देने वाले अत्याचार हुए। लोग यकीन नहीं कर पा रहे कि 32 साल पहले कश्मीरी पंडितों को इतनी भीषण त्रासदी से गुजरना पड़ा। फिल्म को लोगों का इतना प्यार मिल रहा है कि वह कमाई में भी सौ करोड़ का आंकड़ा छूने जा रही है। ऐसे में कुछ स्वार्थ की राजनीति करने वाले लोग भी हैं, जिन्हें फिल्म की प्रशंसा नहीं सुहा रही है। असम के एक सांसद ने तो फिल्म को बैन करने तक की मांग कर डाली है। वहीं समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसे अधूरी फिल्म बता दिया है।

कश्मीरी पंडितों के साथ अत्याचारों को कहानी सेक्युलर-लिबरल बिरादरी को बर्दाश्त नहीं
इस फिल्म में भी कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचारों को एक कहानी के जरिये बयान किया गया है, लेकिन वे सत्य घटनाओं पर आधारित हैं और इसी कारण कथित सेक्युलर-लिबरल समूह बिलबिलाया हुआ है। उसने फिल्म के साथ-साथ उसके निर्देशक विवेक अग्निहोत्री पर हमला बोल दिया है। ये लोग यह नहीं बताते कि कैसे कश्मीरी पंडितों को सरेआम मारा गया, उनके शव नहीं उठाने दिए गए और उनकी महिलाओं से दुष्कर्म किए गए। वे यह भी नहीं बताते कि घाटी में ऐसे फरमान जारी होते थे कि कश्मीरी पंडित अपनी महिलाओं को छोड़कर घाटी छोड़ दें, नहीं तो मारे जाएंगे। कश्मीर फाइल्स यही सब बयान करती है और यही सेक्युलर-लिबरल बिरादरी को बर्दाश्त नहीं। इस बिरादरी में राजनीति, बालीवुड से लेकर मीडिया के लोग भी हैं।

असम के सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा, फिल्म पर तत्काल प्रतिबंध लगाएं
असम के धुबरी से सांसद बदरुद्दीन अजमल ने असम और केंद्र सरकार से मांग की है कि वे द कश्मीर फाइल्स फिल्म पर प्रतिबंध लगा दें। द कश्मीर फाइल्स कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के पलायन और दर्द की दास्तान को बयां करने वाली फिल्म है। इस फिल्म को लेकर देश भर में हंगामा मचा हुआ है। असम के धुबरी से सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा, मैंने इस फिल्म को नहीं देखी है. लेकिन केंद्र सरकार और असम सरकार को इस फिल्म को बैन कर देनी चाहिए, क्योंकि इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा। अजमल ने कहा, आज की स्थिति वैसी नहीं है जैसी उस वक्त थी। बदरुद्दीन अजमल एआईयूडीएफ के अध्यक्ष हैं। असम के मुस्लिम बहुल इलाके में वर्चस्व है। 2005 में बदरूद्दीन अजमल ने जमीयत उल हिंद में रहते हुए ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानि एआईयूडीएफ नाम से अलग राजनीतिक पार्टी बनाई।

सपा नेता स्वामी प्रसाद ने द कश्मीर फाइल्स को बताया अधूरी फिल्म
समाजवादी पार्टी के स्वामी प्रसाद मौर्य द कश्मीर फाइल्स पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ”फिल्म द कश्मीर फाइल्स में केवल कश्मीरी पंडितों का उत्पीड़न दिखाया गया है। जबकि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कश्मीरी मुसलमानों, पंडितों और सरदारों को बुरी तरह समान रूप से उजाड़ा व प्रताड़ित किया गया था। यह अधूरी फिल्म है और आधा-अधूरा सच ही दिखाया गया है। इस अधूरी फिल्म दिखाने से आपसी सौहार्द और भाईचारा खत्म होगा।” इससे पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने द कश्मीर फाइल्स को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि यदि कश्मीर फाइल्स फिल्म बनी है तो लखीमपुर फाइल्स भी बननी चाहिए।

सांप्रदायिक तनाव फैलने का सिर्फ हौव्वा खड़ा करना चाह रहे हैं फिल्म के विरोधी 
दरअसल, आज जो लोग कश्मीर फाइल्स के खिलाफ खड़े हैं, वे ‘हैदर’ को लेकर न केवल यह कह रहे थे कि फिल्मकार को ‘असुविधाजनक सच’ दिखाने की छूट मिलनी चाहिए, बल्कि यह भी सुझाव दे रहे थे कि जिसे फिल्म पसंद न हो, वह न देखे। ‘हैदर’ को पांच पुरस्कार मिले। विशाल भारद्वाज ने जब उन्हें कश्मीरी पंडितों को समर्पित करने की घोषणा की तो वे सन्न रह गए, क्योंकि इस फिल्म में तो उनके बारे में कुछ था ही नहीं। कश्मीर फाइल्स से खफा लोगों का तर्क यह है कि इससे लोगों की भावनाएं भड़क सकती हैं और नफरत फैल सकती है। सांप्रदायिक तनाव हो सकता है। क्या होलोकास्ट पर बनी ‘शिंडलर्स लिस्ट’ समेत अन्य तमाम फिल्मों से ऐसा हुआ? क्या कंबोडिया, रवांडा और अन्य अनेक देशों में हुए नरसंहारों पर बनी फिल्मों से ऐसा हुआ?

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने जयश्रीराम के नारों के बीच देखी फिल्म

जैसलमेर में भाजयुमो ने लोगों को निशुल्क दिखाई फिल्म
‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को बीजेपी शासित राज्यों में लगातार टैक्स फ्री किये जाने के बाद राजस्थान में भी इसकी मांग जोर पकड़ती जा रही है। जैसलमेर में भाजयुमो ने आज इस फिल्म के लिये पूरा शो बुक कर लिया और लोगों को इसे फ्री दिखाने का कदम उठाया है। द कश्मीर फाइल्स फिल्म को देखने के लिये बीजेपी कार्यकर्ता और अन्य लोग रैली के रूप में टॉकिज पहुंचे। जैसलमेर बीजेपी के जिलाध्यक्ष चन्द्रप्रकाश शारदा ने बताया कि भाजयुमो द कश्मीर फाइल्स फिल्म निःशुल्क दिखाएगा। इसके लिये जैसलमेर शहर के एकमात्र थियेटर में मंगलवार को दोपहर 12:30 बजे के पूरे शो को बुक किया गया। फिल्म देखने के लिये दो-तीन कार्यकर्ताओं के नंबर सार्वजनिक किये गये थे। उनके जरिये फिल्म देखने वालों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया गया था। दूसरी ओर सिनेमाघरों में इस फिल्म को देखने के बाद दर्शक जय श्रीराम के नारे लगा रहे हैं। जयपुर और आगरा के सिनेमाघर में भी दर्शकों ने ऐसे ही नारे लगाए और कश्मीरी पंडितों को इंसाफ की मांग की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विवेक अग्निहोत्री की जिस फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की तारीफ की थी और फिल्म को सच को सामने लाने की बेहतरीन कोशिश बताया था, अब उस फिल्म को चारों ओर से सराहना मिल रही है। जम्‍मू-कश्‍मीर में कश्मीरी पंडितों के विस्थापन और जिहादियों की ओर से उन पर हुए अत्याचारों पर बनी फिल्म The Kashmir Files देश में जबरदस्त धूम मचा रही है। उनकी ये फिल्म दर्शकों के दिल को तो छू ही रही है, साथ ही राज्य सरकारों द्वारा भी इसे सराहा जा रहा है। इस बीच केरल और राजस्थान में इस फिल्म को लेकर कांग्रेस नेताओं ने अपनी ही पार्टी को सांसत में डाल दिया है। महाराष्ट्र में बीजेपी नेता रामकदम ने महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दे दी कि अगर ‘द कश्मीर फाइल्स’ टैक्स फ्री नहीं किया तो बीजेपी आंदोलन करेगी।

देश के कई राज्यों में टैक्स फ्री हुई फिल्म, कमाई सौ करोड़ के करीब
 फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को राज्य सरकारें भी बढ़ावा दे रही हैं। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गोवा, त्रिपुरा समेत कई राज्यों ने फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग कश्मीर के सच से रू-ब-रू हो सकें। फिल्म लोगों को इतनी पसंद आ रही है कि इसकी कमाई सौ करोड़ के करीब पहुंच चुकी है। दूसरी ओर केरल कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों पर कटाक्ष भरे ट्वीट करके पार्टी को कशमकश में डाला है, वहीं राजस्थान में कांग्रेस विधायक ने कहा है कि अन्य आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों की तरह इस फिल्म को राजस्थान में टैक्स फ्री क्यों नहीं किया जा रहा है ? कश्मीरी पंडितों को जबरन कश्मीर से निकाले जाने, महिलाओं के साथ अत्याचार और जनसंहार का सच दिखाने वाली यह फिल्म देशभर के सिनेमाघरों में छाई हुई है और लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। केरल कांग्रेस के ट्वीट का अनुपम जवाब, मुझे उन पर दया आती है
केरल कांग्रेस के ट्वीट का जवाब दते हुए इस फिल्म में शानदार अभिनय करने वाले दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि केरल कांग्रेस ने जो कहा है वह महत्वपूर्ण नहीं है। खेर ने आगे कहा कि उन्हें बोलने दें। मुझे उन पर दया आती है। इस फिल्म से जिस तरह का प्यार पैदा हुआ है, जिस तरह के लोग इस फिल्म को देखने जा रहे हैं, वह अपने आपमें अभिभूत करने वाला है। बता दें कि केरल कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा था कि ‘कश्मिरी पंडितों के बारे में तथ्य: वह आतंकी ही थे जिन्होंने पंडितों को निशाना बनाया। पिछले 17 सालों (1990-2007) में हुए आतंकी हमलों में 399 पंडित मारे गए है। इसी अवधि में आतंकवादियों की ओर से मारे गए मुसलमानों की संख्या 15,000 है।’ केरल कांग्रेस के कश्मीरी पंडितों पर पर इस कटाक्ष भरे ट्वीट ने पार्टी को सांसत में डाल दिया है। पहले केरल कांग्रेस ने फिल्म को लेकर एक विवादित ट्वीट किया, हालांकि पार्टी ने बाद में ट्वीट को डिलीट कर दिया।

गहलोत सरकार को काग्रेस विधायक भंवरलाल ने ही घेरा
‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को लेकर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पशोपेश में फंस गई है। देशभर में जहां कई राज्य सरकारें इस फिल्म को टैक्स फ्री कर रही हैं, वहीं राजस्थान में वरिष्ठ कांग्रेसी विधायक पंडित भंवरलाल शर्मा ने भी यह मांग कर डाली है। उन्होंने कहा जिस तरह से कश्मीर में पंडितों के साथ अत्याचार होता आया है उसे ही इस फिल्म में दिखाया गया है। कांग्रेस विधायक ने कहा कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर ये मांग करेंगे कि इसे राज्य में टैक्स फ्री करें। राजस्थान सरकार ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को टैक्स फ्री करने से इनकार के बजाय अपनी सफाई दी है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप खाचरियावास ने तर्क दिया है कि फिल्म को बिना देखे कोई फैसला नहीं कर सकते हैं।बीजेपी की मांग, राजस्थान में भी टैक्स फ्री हो फिल्म
बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ का तर्क है कि घाटी में हिंसा के शिकार होकर पलायन कर आए कश्मीरी पंडित राजस्थान में भी रहते हैं. उनके दर्द पर मरहम के लगाने के लिए इस फिल्म को टैक्स फ्री किया जाना जाहिए ताकि जनता हकीकत जान सके। बीजेपी शासित राज्य लगातार टैक्स फ्री कर रहे हैं। ताकि लोग सच्चाई जान सकें। क्षेत्रीय दलों की सरकार अपने फायदे नुकसान देखकर इस बारे में तय करेंगी। कांग्रेस में कुछ इकाइयों के विरोध और नेताओं के बयान के बावजूद उसकी लाइन अभी तक साफ नहीं है। कांग्रेस की इतनी बड़ी लीडरशिप इस बारे में कोई स्पष्ट निर्णय नहीं कर पा रही है। हाइकमान द्वारा रुख साफ न करने से पसोपेश की स्थिति है।

 

 

 

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