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राहुल गांधी को एक और झटका, अब ममता की टीएमसी ने कांग्रेस को बताया थकी हुई पार्टी

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सांसद बेटे राहुल गांधी के उम्मीदों को एक और झटका लगा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) एक तरह से उनके सपनों पर पानी फेरने में लगी हुई है। टीएमसी सुप्रीमो ने हाल ही राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा था कि कोई व्यक्ति कुछ ना करे और सिर्फ विदेश में ही रहे तो काम कैसे चलेगा? अब पार्टी मुख पत्र ‘जागो बांग्ला’ ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा है। जागो बांग्ला में कांग्रेस पार्टी के बारे में कहा गया है कि उसकी स्थिति किसी युद्ध में थके हुए की तरह हो गई है। मुखपत्र में कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा गया है कि यह पार्टी युद्ध लड़कर अब थक गई है और मुख्य विपक्षी पार्टी होने के नाते इसे जो कुछ भी संसद में करना चाहिए वो कर पाने में यह सक्षम नहीं है। इसी वजह से वो बिखर रही है और आंतरिक कलह से जूझ रही है।

पीके ने भी माना नरेन्द्र मोदी की ताकत का अंदाजा नहीं लगा पा रहे कांग्रेस नेता
इसके पहले हाल ही में कांग्रेस के करीबी चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने कहा कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ताकत का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। पीके ने कहा कि इस मामले में राहुल गांधी के साथ दिक्कत है। शायद उन्हें लगता है कि बस कुछ समय में लोग नरेन्द्र मोदी को सत्ता से हटा देंगे लेकिन ऐसा नहीं होगा। जब तक आप मोदी की ताकत का अंदाजा नहीं लगा लेते, आप उन्हें हराने के लिए कभी भी काउंटर नहीं कर पाएंगे। ज्यादातर लोग उनकी ताकत को समझने में समय नहीं लगा रहे हैं। जब तक आप यह ना समझ जाएं कि ऐसी कौन सी चीज है जो उन्हें लोकप्रिय बना रही है तब तक आप उनको काउंटर नहीं कर पाएंगे। गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि बीजेपी आने वाले दशकों तक भारतीय राजनीति में मजबूत ताकत बनी रहेगी। जिस तरह से 40 साल पहले तक कांग्रेस सत्ता का केंद्र रही, उसी तरह बीजेपी सत्ता के केंद्र में बनी रहेगी। न्यूज18 की खबर के अनुसार इस जाल में बिल्कुल मत फंसिए कि लोग मोदी से नाराज हैं और उन्हें सत्ता से बाहर कर देंगे। आज कांग्रेस का समर्थन काफी कम हो गया है। पार्टी का 65 प्रतिशत जनाधार बिखर गया है।

राहुल गांधी नहीं बन पाएंगे प्रधानमंत्री, जानिए क्यों?
प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद राहुल गांधी के नेतृत्व पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। अब मतदाता वंशवाद की राजनीति को खारिज कर विकासवाद की राजनीति को तरजीह दे रहे हैं। राहुल गांधी जिस विपक्षी एकता के नाम पर बीजेपी को चुनौती देने की बात करते हैं, उसी के नेता कांग्रेस को कोई भाव नहीं देते। ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, शरद पवार, चंद्रबाबू नायडू, चंद्रशेखर राव जैसे दिग्गज नेता विपक्ष के नेता के रूप में राहुल की भूमिका को पूरी तरह से नकार चुके हैं। क्षेत्रीय दलों के इन नेताओं के रूख से साफ है कि राहुल गांधी फेल हो चुके हैं। शरद पवार, ममता बनर्जी, सीताराम येचुरी, नवीन पटनायक, चंद्रशेखर राव सरीखे नेता दशकों से राजनीति में हैं, इनकी अपने-अपने राज्यों में जनता पर पकड़ भी है, लेकिन एक दूसरे के तहत काम करने को कोई राजी नहीं है।

ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने राहुल गांधी को बताया फेल
अगले आम चुनाव के लिए विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में लगी कांग्रेस को टीएमसी की ओर से साफ कहा गया है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी का विकल्प नहीं बन सकते। टीएमसी ने साफ कहा है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी का वैकल्पिक चेहरा बनने में विफल रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने अपने मुखपत्र जागो बंगला के संपादकीय में ये बात कही है। टीएमसी के सीनियर लीडर सुदीप बंद्योपाध्याय ने भी कहा कि मैं काफी लंबे समय से राहुल गांधी को देख रहा हूं उन्होंने अभी तक खुद को मोदी के विकल्प के तौर पर विकसित नहीं किया है। टीएमसी का मानना है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी को हरा नहीं सकते। इतना ही नहीं बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद टीएमसी ने इस बात पर जोर दिया था कि 2024 चुनाव में कांग्रेस अगुवा नहीं, साथ लड़ने वाला योद्धा है।

इसके पहले 2019 चुनाव से पहले अमेरिकी मैगजीन टाइम ने एक लेख में राहुल गांधी को ऐसा औसत आदमी बताया, जिसे सिखाया नहीं जा सकता। लेखक आतिश तासीर ने राहुल के लिए लिखा- Unteachable Mediocrity और कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के विकल्‍प नहीं बन सकते। जनसत्ता के अनुसार परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए आतिश ने लिखा कि कांग्रेस पार्टी वंशवाद के सिद्धांत के अलावा कुछ नहीं दे सकती। जैसा कि उसने ने नेहरू-गांधी परिवार के एक और सदस्‍य को राजनीति में उतार कर किया। आर्टिकल में लिखा गया कि हो सकता है मौजूदा सरकार फिर से राहुल गांधी के नेतृत्व वाले विपक्ष से जीत जाए, जो कि एक Unteachable Mediocrity (जिसे सिखाया न जा सके) और नेहरू के वंशज हैं।

महागठबंधन हुआ तार-तार
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को पीएम पद का प्रत्याशी बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं, हर मंच और मौके पर उन्हें देश के अगले पीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ जिन सहयोगी दलों के बूते कांग्रेस राहुल को पीएम बनाने का सपना देख रही है, उन्हीं दलों के नेता दो टूक कह दे रहे हैं कि प्रधानमंत्री का चयन तो चुनाव परिणाम के बाद ही किया जाएगा। यानि राहुल के लिए विपक्ष की सहमति से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनना दूर की कौड़ी नजर आ रहा है।

ममता को भी राहुल स्वीकार नहीं
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री विपक्षी गठबंधन की बड़ी नेता हैं और उन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। ममता बनर्जी का रुख राहुल गांधी को लेकर किसी से छिपा नहीं है। ममता साफ कर चुकी हैं कि वो राहुल की अगुवाई को कतई स्वीकार नहीं कर सकती हैं। यानि ममता की चली तो राहुल का प्रधानमंत्री बनने का सपना कभी पूरा नहीं होगा। ममता बनर्जी ने यह भी कहा है कि वह अभी बच्चे हैं।

मायावती टटोल रही हैं अपनी संभावनाएं
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती का रुख भी बेहद कड़ा दिखाई दे रहा है। मायावती खुद को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर देख रही हैं, जाहिर है ऐसे में वह किसी दूसरे के नाम पर राजी कैसे हो सकती हैं। बहुजन समाज पार्टी के एक नेता ने साफ कहा कि राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सकते। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा वक्त की मांग है कि मायावती प्रधानमंत्री बनें।

समाजवादी पार्टी ने कहा चुनाव बाद तय हो पीएम का नाम
समाजवादी पार्टी भी साफ कह चुकी है कि उसे राहुल गांधी की पीएम पद की उम्मीदवारी पर आपत्ति है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कह चुके हैं कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समय-समय पर स्पष्ट किया है कि विपक्ष की तरफ से पीएम कैंडिडेट कौन होगा, इसका फैसला चुनाव के नतीजों के बाद लिया जाएगा।

मुलायम सिंह को भी राहुल नामंजूर
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर नहीं देखते हैं और राहुल गांधी को अपना नेता किसी भी तरह से नहीं मानते हैं।

आरजेडी ने कहा विपक्ष के कई नेताओं में पीएम बनने की क्षमता
कांग्रेस पार्टी के सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल ने भी खुलेमन से राहुल गांधी को विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की पेशकश को स्वीकार नहीं किया। तेजस्वी यादव इशारा कर चुके हैं कि विपक्ष में कई ऐसे नेता हैं, जो प्रधानमंत्री पद की दावेदारी कर सकते हैं। राहुल की दावेदारी के बारे पूछने पर तेजस्वी यादव कह चुके हैं कि राहुल गांधी के साथ-साथ ममता बनर्जी, शरद पवार, मायावती, ये सभी नेता प्रधानमंत्री बनने की योग्यता रखते हैं। मतलब साफ है कि आरजेडी भी पूरी तरह से राहुल गांधी के साथ नहीं है।

शरद पवार ने दिखाया आईना
जब बाजार में तुअर दाल बिकने आती है तो हर दाना कहता है हम तुमसे भारी… लेकिन कीमत का पता तो बिकने पर ही चलता है।” साफ है राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने यह बयान देकर जाहिर कर दिया है कि राहुल के पीएम बनने वाले बयान को वे गंभीरता से नहीं लेते। उन्होंने संकेत में ही सही, राहुल के पीएम पद की दावेदारी को भी खत्म कर दिया।

देखिए राहुल काल में किस तरह कांग्रेस मुक्त हो रहा है भारत
सवाल उठता है कि वंशवाद की राजनीति से राहुल कब तक करियर बचाए रखेंगे। लगातार मिल रही हार से साफ है कि जिस राहुल गांधी के भरोसे पार्टी देश में फिर से पैर जमाने की कोशिश कर रही है वह बेहद कमजोर है और उनके नेतृत्व में पार्टी कांग्रेस मुक्त भारत की ओर अग्रसर है।

आइए एक नजर डालते हैं राहुल काल में कैसे सिकुड़ता चला गया कांग्रेस का जनाधार-  

2019: 52 सीटों पर सिमट गई कांग्रेस
मतदाताओं का कांग्रेस से विश्वास उठ चला रहा है। कांग्रेस लोकसभा में नेता विपक्ष बनने लायक पार्टी भी नहीं बची है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ 52 सीटों पर संतोष करना पड़ा। आज पार्टी की हालत ये हो गई है कि पुराने नेता भी किनारा करने लगे हैं। लगातार मिल रही हार के बाद अब तो पार्टी की अस्मिता पर सवाल उठने लगा है।

2018: हार से नए साल का स्वागत
साल 2018 भी कांग्रेस के लिए शुभ साबित नहीं हुआ। नए साल में पूर्वोत्तर में भी पार्टी को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। पार्टी का अस्तित्व बचाने के लिए राहुल गांधी ने पूर्वोत्तर में ताबड़तोड़ कई रैलियां की, लेकिन यहां कामयाब नहीं हो सके। त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में पार्टी को काफी नुकसान उठाना पड़ा। 

2017 में सात में से छह राज्यों में शिकस्त
वर्ष 2017 में सात राज्यों में हुए चुनाव के नतीजों ने भी राहुल गांधी की पोल खोल दी। यूपी, उत्तराखंड, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को भारी हार मिली। पंजाब में जीत कैप्टन अमरिंदर सिंह की विश्वसनीयता और मेहनत की हुई। गोवा और मणिपुर में कांग्रेस सरकार बनाने में नाकाम रही। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की चमत्कारिक जीत और कांग्रेस की अब तक की सबसे करारी हार के रूप में हमारे सामने है। सवा सौ साल से भी किसी पुरानी पार्टी के लिए इससे बड़े शर्म की बात और क्या हो सकती है कि देश के उस प्रदेश में जहां कभी उसका सबसे बड़ा जनाधार रहा हो, वहीं पर, उसे 403 में से सिर्फ 7 सीटें मिलती हों। दूसरी ओर इन चुनावों में भी राहुल के मुकाबले अखिलेश एक युवा नेता के तौर पर जनता के सामने उभरकर आए। अखिलेश में लोगों ने राहुल के मुकाबले अधिक उम्मीद देखी जबकि राहुल अपने भाषण की शैली आज भी पुराने ढर्रे की अपनाए हुए हैं। न तो उनके भाषण में कोई तीखापन है और नही वे जनता को कोई विजन ही दे पाए हैं।

2015-16 में मिली जबरदस्त हार
2015 में महागठबंधन के चलते बिहार में जीत मिली, लेकिन दिल्ली में तो सूपड़ा साफ हो गया। यहां पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। 2016 में असम के साथ केरल और पश्चिम बंगाल में हार का मुंह देखना पड़ा। पुडुचेरी में सरकार जरूर बनी। इस स्थिति में अब साफ तौर पर देखने को मिल रहा है कि कांग्रेस पार्टी कोमा में चली गई है। दरअसल कांग्रेस ने सिर्फ बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के विरोध को ही सबसे बड़ा काम मान लिया है। इस कारण देश की जनता के मन में कांग्रेस के प्रति नकारात्मक भाव पैदा हो गया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी कांग्रेस ने कोई खास सबक नहीं सीखा। उल्टे राहुल गांधी अपने फटे कुर्ते के प्रदर्शन की बचकानी हरकतें करते रहें, लेकिन उन्हें कोई रोकने तो दूर, टोकनेवाला भी नहीं मिला।

2014 में 44 सीटों पर सिमट गई
दरअसल कांग्रेस के लिए यह विश्लेषण का दौर है, लेकिन वह वंशवाद और परिवारवाद के चक्कर में इस विश्लेषण की ओर जाना ही नहीं चाहती है। पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की भूमिका सीमित कर दी गई है और युवा नेतृत्व के नाम पर राहुल को थोप दिया गया है। 2014 में पार्टी की किरकिरी हर किसी को याद है। जब 44 सीटों पर जीत मिलने के साथ ही पार्टी प्रमुख विपक्षी दल तक नहीं बन पाई। इसी तरह महाराष्ट्र व हरियाणा से सत्ता गंवा दी। यही स्थिति झारखंड और जम्मू-कश्मीर में रही जहां करारी हार मिलने से पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। पिछले पंद्रह सालों से लगातार कोशिशें करने के बावजूद राहुल गांधी देश के राजनैतिक परिदृश्य में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने और जगह बना पाने में असफल रहे हैं।

2012 में कांग्रेस की जबरदस्त हार
कांग्रेस की हालत खराब होती जा रही है। लगातार होती हार पर हार राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता और राजनीतिक समझ पर सवालिया निशान खड़े कर रही हैं। दरअसल वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस मजबूत बनकर उभरी तो यूपी से 21 सांसदों के जीतने का श्रेय राहुल गांधी को दिया गया। 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी खुले शब्दों में कहा कि वे राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करने को तैयार हैं, लेकिन राहुल को नेतृत्व दिये जाने की बात ही चली कि पार्टी के बुरे दिन शुरू हो गए। 2012 में यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी के खाते में महज 28 सीटें आई। वहीं पंजाब में अकाली-भाजपा का गठबंधन होने से वहां दोबारा सरकार बन गई। ठीकरा कैप्टन अमरिंदर सिंह पर फोड़ा गया। दूसरी ओर गोवा भी हाथ से निकल गया। हालांकि हिमाचल और उत्तराखंड में जैसे-तैसे कांग्रेस की सरकार बन तो गई, लेकिन वह भी हिचकोले खाती रही। इसी साल गुजरात में भी हार मिली और त्रिपुरा, नगालैंड, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की करारी हार हुई।

देश के बारे में नहीं जानते राहुल गांधी

हाल ही में नेहरू-गांधी परिवार के काफी करीबी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कुंवर नटवर सिंह ने राहुल गांधी की राजनीतिक समझ पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उनमें पार्टी को एकजुट रखने की सामर्थ्य नहीं हैं। आखिर क्यों-

एनसीसी के बारे में नहीं जानते
24 मार्च, 2018 को कर्नाटक के मैसूर में महारानी आर्ट्स-कॉमर्स कॉलेज की छात्राओं से रूबरू होने के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश की दूसरी रक्षा पंक्ति एनसीसी के बारे में कहा कि उन्हें राष्ट्रीय कैडेट कोर के बारे में नहीं पता है।

देश की सीमा के बारे में नहीं जानते
24 मार्च, 2018 को कर्नाटक के महारानी आर्ट्स-कॉलेज में ही जब राहुल गांधी ने डोकलाम विवाद को छात्राओं को समझाने की कोशिश की तो उनकी ‘अज्ञानता’ जगजाहिर हो गई। उन्होंने ऐसा समझाया कि विद्यार्थी समझ ही नहीं पाए कि वो कहना क्या चाह रहे हैं। 

डेटा लीक के बारे में नहीं जानते
26 मार्च, 2018 को कांग्रेस पार्टी ने आम लोगों की जानकारी डेटा लीक कर विदेशों में पहुंचा दिया। इस गलती के बाद पार्टी ने अपना ऐप ‘WITH INC’ प्ले स्टोर से डिलीट कर दिया, लेकिन राहुल इससे अनजान बने रहे और एक जवाब तक नहीं दिया, क्योंकि इससे डेटा लीक होती थी।

विश्वेश्वरैया का उच्चारण नहीं जानते
24 मार्च, 2018 को कर्नाटक की एक सभा में राहुल गांधी ने टीपू सुल्तान, महाराजा कृष्णराज वोडेयार और विश्व प्रसिद्ध इंजीनियर एम विश्वेश्वरैया का जिक्र किया लेकिन वे सही उच्चारण नहीं कर पाए और बार-बार विश्वसरैया कहा।

देश की एकता भी नहीं जानते
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मार्च, 2018 में कर्नाटक के अलग झंडे को मंजूरी दे दी, लेकिन राहुल चुप रहे। इस मुद्दे पर माडिया ने प्रतिक्रिया जाननी चाही तो वे अनजान बने रहे।

किसानों के बारे में नहीं जानते
राहुल गांधी अक्सर किसानों की बातें करते हैं, लेकिन 01 अक्टूबर, 2016 को यूपी के फिरोजाबाद में रैली में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनेगी तो वे आलू की फैक्ट्री लगवाएंगे।

लोकसभा में सीटों की संख्या नहीं जानते
वर्ष 2017 में अमेरिका में India at 70: Reflections on the Path Forward टॉपिक पर बर्कले यूनिवर्सिटी में बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने लोकसभा की सीटों की संख्या गलत बताई। लोकसभा में कुल 545 सदस्य होते हैं लेकिन राहुल ने 546 कहा। 

स्टीव जॉब्स के बारे में नहीं जानते
19 जनवरी, 2016 को राहुल गांधी मुंबई के नरसी मोंजी मैनेजमेंट कॉलेज में छात्रों को सलाह दी और कहा – उन्‍हें एक दिन इस देश का शासन चलाना है। कई संस्‍थाओं को चलाना है, उन्‍हें माइक्रोसॉफ्ट के स्‍टीव जॉब्‍स की तरह बनना होगा। गौरतलब है कि स्टीव जॉब्स एप्पल के संस्थापक थे। 

विभाजन के बारे में नहीं जानते
16 अप्रैल, 2007 को एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा, “एक बार मेरा परिवार कुछ करने का फ़ैसला कर ले तो उससे पीछे नहीं हटता। चाहे यह भारत की आजादी हो, पाकिस्तान का बंटवारा या फिर भारत को 21वीं सदी में ले जाने की बात हो।

महाभारत का कालखंड नहीं जानते
20 मार्च, 2018 को कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने राहुल गांधी के नाम से एक ट्वीट किया जिसमें महाभारत को 1000 साल पहले की घटना बता दिया।  

धर्म के बारे में नहीं जानते
राहुल गांधी कई बार अपने आपको हिंदू कहते हैं और धर्म के बारे में भी बातें करते हैं। लेकिन मार्च, 2018 को उन्होंने शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक को पानी और दूध मिलाना कह दिया।

पूजा-पाठ की मुद्रा नहीं जानते
वर्ष 2017 में राहुल गांधी काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए गए थे, लेकिन जैसे ही पुजारी के साथ बैठे, उन्होंने नमाज़ की मुद्रा बना ली|

आंतरिक सुरक्षा के बारे में नहीं जानते
24 अक्टूबर, 2013 को इंदौर में एक सभा में राहुल ने कहा कि आईएसआई मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ित युवकों को बरगलाने की कोशिश कर रही है, जबकि खुद उनकी सरकार के गृह मंत्रालय ने ऐसी खबर होने से इनकार कर दिया।

गरीबों की पीड़ा के बारे में नहीं जानते
6 अगस्त 2013 को इलाहबाद के एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने गरीबी को महज एक मानसिक स्थिति बताया।

देश के युवाओं के बारे में नहीं जानते
11 अक्टूबर 2012 को चंडीगढ़ के एक विश्वविद्यालय में राहुल ने पंजाब के युवाओं के बारे में कहा कि यहां 10 में से सात युवा नशे की गिरफ्त में हैं।

भीख और काम में अंतर नहीं जानते
14 नवंबर 2011 को उत्तर प्रदेश के फूलपुर में चुनावी सभा में उन्होंने यूपी के युवाओं को महाराष्ट्र जाकर भीख मांगने वाला बता दिया।

सच और झूठ में अंतर नहीं जानते
वर्ष 2013 में भट्टा परसौल के किसानों को पीएम से मिलाने ले गए तो दावा किया कि इस गांव में राख के 74 ढेर मिले हैं, जिनमें मानव अवशेष हैं।

मार्शल और एयर मार्शल में अंतर नहीं जानते
16 सितंबर, 2017 को एयर फोर्स मार्शल अर्जन सिंह का का निधन हो गया था। राहुल गांधी ने ट्वीट पर उनको एयर मार्शल लिख दिया था। बता दें कि भारतीय एयरफोर्स में मार्शल मतलब फाइव स्टार का ऑफिसर और एयर मार्शल मतलब चार स्टार की रैंक होती है। 

भारत बड़ा या यूएस, नहीं जानते
राहुल गांधी के भाषण से पता ही नहीं चला कि वे किसे बड़ा बताना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात यूनाइटेड किंगडम से बड़ा है और अगर यूरोप और यूएस को साथ रख दें तो भारत उससे भी बड़ा है।

इस्केप वेलोसिटी के बारे में नहीं जानते
दिल्ली के विज्ञान भवन में नौ अक्टूबर, 2013 को दलित अधिकार सम्मेलन में दलितों के उत्थान पर राहुल गाँधी ने कहा कि दलितों को ऊपर उठने के लिए धरती से कई गुना ज्यादा बृहस्पति ग्रह की ‘इस्केप वेलोसिटी’ जैसी ताकत की जरूरत है।

गाय और महिलाओं में फर्क नहीं जानते
गुजरात में 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान एक रैली के राहुल गांधी ने कहा – अगर गुजरात को किसी ने खड़ा किया है। गुजरात को अगर किसी ने दूध दिया है, तो यहां की महिलाओं ने दिया है।

दिन और रात में फर्क नहीं जानते
राहुल गांधी को जब उपाध्यक्ष बनाया गया तो उन्होंने अपने भाषण में कहा, आज सुबह जब मैं रात को सोकर उठा, यानि उन्हें पता ही नहीं चला कि वे दिन की बात कर रहे हैं या रात की।

भारत की ताकत नहीं जानते
चार अप्रैल, 2013 को दिल्ली में सीआईआई के कार्यक्रम में राहुल ने कहा कि -चीन बड़ा है, ताकतवर है। दिखता है, बड़े-बड़े ढांचे हैं और लोग हमें हाथी कहते हैं, ड्रैगन के सामने तुलना करने के लिए, लेकिन हम हाथी नहीं हैं हम मधुमक्खी का छत्ता हैं। 

भ्रष्टाचार और बलात्कार में अंतर नहीं जानते
मध्य प्रदेश के शहडोल में रैली के दौरान राहुल गांधी भीड़ से पूछते हैं कि आपको क्या लगता है, महिलाओं को क्या लगता है? इज्जत थी आपकी? भ्रष्टाचार किया…बलात्कार…सॉरी बलात्कार किया।

कांग्रेस पार्टी के कानून नहीं जानते
कांग्रेस के एक कार्यक्रम में राहुल ने कहा- कांग्रेस में एक भी नियम-कानून नहीं चलता। एक भी नियम-कानून इस पार्टी में नहीं है। हर दो मिनट में नए नियम बनाते हैं, पुराने दबा दिए जाते हैं। किसी को नहीं मालूम कि कांग्रेस पार्टी के नियम क्या हैं।

 

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