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मोदी सरकार लगाएगी प्रदूषण पर लगाम, 62 शहरों में लगेंगे 2,636 चार्जिंग स्टेशन

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देश भर में प्रदूषण की समस्या बेहद गंभीर हो चुकी है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। इसी दिशा में काम करते हुए मोदी सरकार वह हर संभव प्रयास कर रही है जिससे प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सके।

मोदी सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की दिशा में फेम-2 योजना के अन्तर्गत देश के 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 62 शहरों में 2,636 चार्जिंग स्टेशन लगाने की मंजूरी दी है। इन चार्जिंग स्टेशन्स में से 1,633 फास्ट चार्जिंग और 1,003 स्लो चार्जिंग स्टेशन्स होंगे। इसके साथ ही सरकार चुनिंदा शहरों में 14,000 भी लगाएगी, जिनके लिए जमीन निर्धारित होने पर चरणबद्ध तरीके से मंजूरी पत्र दिया जाएगा।

क्या है फेम-2 योजना?

साल 2015 के अप्रैल में FAME यानी फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल, नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन (NEMM) के तहत इस योजना को शुरू किया गया था। FAME योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देना और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक आवश्यक चार्जिंग और बुनियादी ढांचे को स्थापित करना है।

इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं और खरीदारों को मिलेगा बढ़ावा

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मोदी सरकार के इस कदम से इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं और खरीदारों को बढ़ावा मिलेगा। इन चार्जिंग स्टेशन के बनने के बाद चुनिंदा शहरों में 4×4 km के दायरे में एक चार्जिंग स्टेशन की मौजूदगी हो सकेगी।

प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक फेम इंडिया स्कीम के दूसरे फेज के तहत डिपार्टमेंट ऑफ हेवी इंडस्ट्रीज ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) मांगा था, ताकि इन शहरों में चार्जिंग स्टेशन लगाया जा सके।

मोदी सरकार पर्यावरण को लेकर बेहद गंभीर है और पर्यावरण सुधार की दिशा में कई कदम उठा रही है। आइए मोदी सरकार के कुछ ऐसे ही फैसलों के बारे में जानते हैं जिनसे पर्यावरण की समस्या हल करने में सहायता मिलेगी-

प्रदूषण कम होने में पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान का योगदान, UNICEF ने लगाई मोहर

साल 2019 5 जून, को जारी UNICEF के एक अध्ययन में दावा किया गया कि प्रधानमंत्री मोदी की महत्वपूर्ण योजना ‘स्वच्छ भारत मिशन’ ने कई गांवों में भूजल प्रदूषण को कम किया है। इसके साथ ही विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फॉउंडेशन’ की रिपोर्ट में भी प्रधानमंत्री मोदी की स्वच्छ भारत अभियान की प्रशंसा की गई।

यूनिसेफ का अध्ययन तीन राज्यों – बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की ग्राउंड रिपोर्ट पर आधारित था। खुले में शौच से मुक्त गांव और खुले में शौच वाले गांवों के भूजल का नमूना लिया गया। जब नमूने का परीक्षण किया गया, तो पाया गया कि खुले में शौच से मुक्त गांवों की तुलना में non-ODF गांवों के भूजल के दूषित होने की संभावना 11.25 गुना अधिक थी।

डब्ल्यूएचओ ने की स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ की। ‘स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)’ के स्वास्थ्य लाभों पर अपने अध्ययन में डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इस कार्यक्रम से तीन लाख से अधिक लोगों की जिंदगियां बच सकती हैं। डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञ रिचर्ड जॉनस्टन ने कहा कि अनुमान है कि ‘स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)’ से 2014 और अक्तूबर, 2019 के बीच तीन लाख से अधिक लोगों को मौत के मुंह में जाने से बचा लिया जाएगा। रिचर्ड ने कहा कि 2014 में स्वच्छ भारत मिशन शुरू होने से पहले स्वच्छता नहीं होने से हर साल डायरिया के 19.9 करोड़ मामले सामने आते थे, ये धीरे-धीरे घट रहे हैं। अध्ययन में पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता सेवाओं, व्यक्तिगत स्वच्छता में सुधार का सबूत मिला जिसका सकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव रहा।

इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर आयकर में छूट

मोदी सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास कर रही है। इसके लिए आम बजट 2019-20 में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर ब्याज के भुगतान के एवज में आयकर में 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त छूट का प्रावधान भी किया है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों के कुछ कल-पुर्जों पर सीमा शुल्क में भी छूट दी गई है।

पर्यावरण सुधार के लिए उठाया बड़ा कदम

मोदी सरकार, देश में प्रदूषण की बढ़ती समस्या को लेकर काफी गंभीर है, जिसके लिए सरकार कई विशेष प्रोजेक्ट शुरू करने पर फोकस किया। इस दिशा में मोदी सरकार ने पेड़-पौधों की गिरती संख्या की समस्या से निजात पाने के लिए सीएएमपीए को 47,436 करोड़ रुपए की धन राशि दी है।

दिल्ली से गुजरात तक ‘ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया’

ग्लोबल वार्मिंग के भयानक रूप को ही देखते हुए मोदी सरकार ने अपने एक बड़े फैसले के तहत हरित क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली से गुजरात तक 1400 किलोमीटर लंबी ग्रीन वॉल बनाने का फैसला किया है।

क्या है ‘ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया’

मोदी सरकार, अफ्रीका में सेनेगल से जिबूती तक बनी हरित पट्टी की तरह ही दिल्ली से गुजरात तक ‘ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया’ बनाना चाहती है। इस ग्रीन वॉल की लंबाई 1400 किलोमीटर होगी, जबकि इसकी चौड़ाई 5 किलोमीटर चौड़ी होगी। सरकार का यह विचार अभी अपने शुरुआती दौर में है, लेकिन कई मंत्रालयों के अधिकारी इसे लेकर खासे उत्साहित हैं। यदि इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलती है तो यह भारत में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए भविष्य में भी एक मिसाल की तरह होगा।

ग्रीन वॉल से होगा ये लाभ

इस ग्रीन वॉल का निर्माण गुजरात के पोरबंदर से लेकर हरियाणा के पानीपत तक इसका किया जाएगा, जिससे लगातार घट रहे वन क्षेत्रों में भी बढ़त होगी। इसके साथ ही गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में फैली अरावली की पहाड़ियों पर घटते जंगलों के संकट को भी दूर किया जा पाएगा।

2030 का है लक्ष्य

अफ्रीका की ‘ग्रेट ग्रीन वॉल’ करीब एक दशक से बन रही है, जिसमें कई देशों की भागीदारी होने और कार्यप्रणाली के चलते अभी ये पूरी नहीं बन पाई है। वहीं मोदी सरकार ‘ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया’ को 2030 तक प्राथमिकता से पूरा करना चाहती है। इस प्रोजेक्ट के जरिए दो करोड़ 60 लाख हेक्टेयर भूमि को प्रदूषण से आजाद कराने का लक्ष्य है। 

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