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CAA और NRC पर गुमराह करने से बाज नहीं आ रहे केजरीवाल

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह देश को बार-बार समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि सीएए से किसी को डरने की जरूरत नहीं है। इससे किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। बीजेपी सीएए को लेकर जनसंपर्क अभियान भी चला रही है। लेकिन अल्पसंख्यक वोट बैंक पर गिद्ध दृष्टि गड़ाए नेता लोगों को गुमराह करने से बाज नहीं आ रहे हैं। शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल टाउन हॉल कार्यक्रम में ABP न्यूज़ से खास बातचीत की और लोगों से संवाद किया। इस दौरान उन्होंने सीएए और एनआरसी को अजीब और गैर-जरूरी कानून बताते हुए कहा कि यह लोगों को सिर्फ परेशान करने के लिए है। केजरीवाल ने सीएए और एनआरसी को लेकर कई झूठ बोला। 

पहला झूठ : तीन देशों से जो आएंगे उन्हें नागरिकता दी जाएगी

केजरीवाल ने कहा कि ये कानून कहता है कि तीन देशों से जो आएंगे उन्हें नागरिकता दी जाएगी। जबकि सीएए या नागरिकता संशोधन कानून में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत आ चुके हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों पर लागू होगा।  

दूसरा झूठ : सब लोगों को नागरिकता साबित करना होगा

केजरीवाल ने गृहमंत्री अमित शाह पर तंज कसते हुए कहा, “एनआरसी कहता है कि सब लोगों को नागरिकता साबित करना होगा। आप क्रोनोलॉजी समझने की कोशिश कीजिए। सभी को कहा जाएगा कि नागरिकता साबित करें। आप कहेंगे कि आधार-पैन है तो वह कहेंगे यह काफी नहीं है, इसको नहीं मानते हैं।” जबकि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह इस मामले में स्पष्ट कर चुके हैं कि एनआरसी को लेकर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है। अभी तक कोई नियम और प्रक्रियाएं तय नहीं की गई हैं। 

तीसरा झूठ : हिन्दू-मुसलमानों से देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा

केजरीवाल ने आगे कहा, ”आपको कहा जाएगा कि सरकार द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र दिखाएं। आपको कहा जाएगा कि आप अपना और अपने माता-पिता का दस्तावेज दिखाएं। अगर आपने दिखा दिया तो आपको नागरिकता मिल जाएगी, चाहे आप हिंदू हों या मुसलमान हों। अगर आप अपना और माता पिता का दस्तावेज नहीं दिखा पाए तो अगर आप मुसलमान हैं तो आपको भारत छोड़ना होगा और अगर हिंदूं हैं तो आपसे पूछा जाएगा कि आप पाकिस्तान से आएं हैं तो आप अगर हां कहते हैं तो आपको नागरिकता मिल जाएगी। अगर आप कहेंगे कि हम पाकिस्तान से नहीं आए हैं तो आपको भी नागरिकता नहीं मिलेगी। आपको देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा। यह गलतफहमी है कि सिर्फ मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा। इसमें जिन हिंदूओं के पास कागज नहीं हैं उन्हें भी देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा।” इस मामले में भी मोदी सरकार ने स्पष्ट किया है कि सीएए किसी की नागरिकता छीनता नहीं बल्कि नागरिकता देता है। इसका भारतीय नागरिकों से किसी भी तरह से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय नागरिकों को संविधान में जो मूल अधिकार मिले हैं, उस पर कोई खतरा नहीं है।

चौथा झूठ : सीएए को एनआरसी के लिए ही लाया गया है

अरविंद केजरीवाल ने कहा,  “सीएए को एनआरसी के लिए ही लाया गया है। देश को इस तरह के कानून की जरूरत नहीं है। महंगाई बढ़ी हुई है। अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब है। बेरोजगारी काफी बढ़ी हुई है। प्रधानमंत्री से थोड़ा रह गया, वह कह देते कि एनआरसी नहीं आएगा।” इस मामले में पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने कई मंचों पर स्पष्ट तौर पर बता चुके हैं कि सीएए और एनआरसी दोनों अलग-अलग है। सीएए का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है।

पांचवां झूठ : सीएए की ज़रूरत नहीं, विदेश से करीब 2 करोड़ लोग आ सकते हैं

केजरीवाल ने कहा, ”सीएए और एनआरसी की ज़रूरत नहीं, क्योंकि पहले से ही हमारे देश में करोड़ों बेरोजगार है। विदेश से करीब 2 करोड़ लोग आ सकते हैं। उन्हें कहां से सरकार नौकरी देगी। कहां से उन्हें सुविधाएं दी जाएगी।” इस मामले में केजरीवाल ने पूरी तरह झूठ बोला है। जब सीएए के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक आ चुके लोगों को नागरिकता मिलेगी, इसमें आने वाले नए लोगों के लिए कोई प्रावधान नहीं है, तो विदेशों से आने वाले 2 करोड़ लोगों को कैसे नागरिकता मिल सकती है। 

छठा झूठ : पाकिस्तान से हिन्दू बताकर जासूस भेजा जाएगा 

केजरीवाल ने कहा कि अगर पाकिस्तान से हिन्दू बताकर जासूस भेज दिया गया तो आप क्या करेंगे ? केजरीवाल के इस सवाल से स्पष्ट होता है कि उन्हें पाकिस्तान में उत्पीड़न से परेशान भारत आए लोगों की पीड़ा की परवाह नहीं है। उन्हें तो बस अपने वोट बैंक की चिंता है। केजरीवाल पीड़ित हिन्दुओं को जासूस बताकर उनकी संवेदना से खेलने से बाज नहीं आए।  

यह कोई पहली बार नहीं है कि अरविन्द केजरीवाल अपनी नाकामी और गलती छिपाने के लिए दूसरे को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। देखिए कब-कब बोला झूठ

मुफ्त बिजली के नाम पर दिल्लीवासियों से बोला झूठ!

केजरीवाल इन दिनों कहते घूम रहे हैं कि उनकी सरकार ने दिल्ली वालों को 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त में देने के फैसला किया है और इससे लाखों लोगों को फायदा हो रहा है। लेकिन सच्चाई ये है कि केजरीवाल सरकार ने सिर्फ चुनावों को देखते हुए 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त करने का फैसला किया है। बाकायदा सरकार की तरफ से जारी शासनादेश में इसका जिक्र है कि ये फैसला सिर्फ 31 मार्च, 2020 तक ही लागू होगा।

वायु प्रदूषण को लेकर केजरीवाल के झूठे दावे

प्रदूषण को लेकर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल ने झूठ बोला। एक तरफ दिल्ली की जनता का प्रदूषित हवा में दम फूल रहा था और दूसरी तरफ केजरीवाल बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर दावा कर रहे थे कि दिल्ली में 25 प्रतिशत प्रदूषण कम हो गया है।

प्रदूषण को लेकर केजरीवाल की राजनीति की वजह से ही दिल्ली में हवा सबसे खराब स्तर तक पहुंच गई है। दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। लेकिन केजरीवाल ने अपनी तरफ से कोई प्रयास करने के बजाए पूरा ठीकरा पंजाब, हरियाणा और केंद्र की सरकारों पर फोड़ने की कोशिश की।

सरकार के मुख्य सचिव से मारपीट का मामला
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 19 फरवरी, 2018 की आधी रात को अपने मुख्यमंत्री निवास पर बैठक के बहाने बुलाया। फिर दो विधायकों द्वारा मुख्य सचिव के साथ मारपीट करा दिया। मामला उजागर होने पर केजरीवाल झूठ पर झूठ बोलते रहे जबकि उनके सलाहकार ने स्वीकार कर लिया था कि केजरीवाल के सामने मारपीट हुई। इस मामले को लेकर 20 फरवरी, 2018 को अंशु प्रकाश ने कई अन्य आईएएस अफसरों के साथ उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात करके इसकी जानकारी दी थी। अंशु प्रकाश की शिकायत पर सिविल लाइंस थाना पुलिस ने आप विधायक अमानतुल्ला खां और प्रकाश जरवाल सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। बाद में, केजरीवाल एंड कंपनी ने दलित का एंगल देते हुए मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के खिलाफ संगम विहार थाने में शिकायत दर्ज कराई जिसमें विधायकों का आरोप है कि मुख्य सचिव ने उन्हें जातिसूचक अपशब्द कहे। 

एलजी पर झूठा आरोप
इसके पहले अपनी गलती छिपाने के झूठ का सहारा लेने वाले केजरीवाल का एक और झूठ उस समय पकड़ा गया, जब केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के फाइलों को मंजूरी नहीं देते हैं जिससे दिल्ली सरकार का काम बाधित होता है। इस पर पलटवार उपराज्यपाल ने एक डाटा जारी करते हुए किया। उपराज्यपाल के डाटा से केजरीवाल सरकार के झूठ का एक बार फिर पर्दाफाश हुआ।

केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल के कार्यों को लेकर 89 पेज की रिपोर्ट पेश किया। जिसमें उपराज्यपाल पर फाइलों को मंजूरी नहीं देने को लेकर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कुछ प्रस्तावों का जिक्र किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उपराज्यपाल अनिल बैजल ने भी दिल्ली सरकार पर पलटवार करते हुए एलजी कार्यालय के कामों को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया। उन्होंने बताया कि जब से इस सरकार का गठन हुआ, तब से 10 हजार फाइल आए उसमें से 97 प्रतिशत फाइल को ज्यों का त्यों बिना कोई संशोधन के स्वीकृति दी गई। जिन फाइलों को कानून सम्मत नहीं पाया गया और जो नियम विरुद्ध थे, उसमें संशोधन करने की टिप्पणी देकर लौटाया गया। 

बुलेट ट्रेन किराये को लेकर पकड़ा गया था झूठ 
आईआईटी से इंजीनियर और पूर्व राजस्व अधिकार रहे विवादित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुलेआम झूठ बोलने में माहिर हैं। बुलेट ट्रेन को लेकर वह मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के बारे में लोगों को झूठी जानकारी दे रहे थे। वह लोगों को बता रहे थे कि मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का किराया 75 हजार रुपये होगा जबकि यह 1800 से 3000 रुपये के बीच ही होगा। आप भी देखिए केजरीवाल के झूठ का वीडियो 

ईवीएम पर केजरीवाल के झूठ का पर्दाफाश
मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव में प्रत्याशी रहे श्रीकांत सिरसाट का दावा था कि उसे खुद का भी वोट नहीं मिला था। इस दावे के साथ उसने ईवीएम पर संदेह जताया था। श्रीकांत के दावे को आम आदमी पार्टी ने खूब उछाला। आप नेता इसे एक सुनहरा मौका समझ भुनाने में लगे थे लेकिन चुनाव आयोग ने जब पड़ताल की तो पता चला कि उसे जीरो नहीं 44 वोट मिले थे। इसके बाद श्रीकांत ने चुनाव आयोग से माफी मांग ली लेकिन आम आदमी पार्टी अब तक इस मुद्दे पर चुप है।

इसके पहले सबूतों का पिटारा रखने का दावा करने वाले अरविन्द केजरीवाल ने अपने विरोधी नेताओं पर तरह-तरह के आरोप लगाए और जब एक के बाद एक मानहानि का केस कोर्ट में पहुंचने लगा तो माफीनामा लिखने लगे। 

अरुण जेटली से कोर्ट में माफीनामा
करीब एक दर्जन से ज्यादा मानहानि के मामलों का सामना कर रहे आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ आप नेता आशुतोष, संजय सिंह और राघव ने भी अरुण जेटली से माफी मांगी। सीएम केजरीवाल के साथ आशुतोष, संजय सिंह और राघव ने एक संयुक्त माफीनामा पटियाला हाउस कोर्ट में सौंपा। केजरीवाल ने पहले भी अरुण जेटली से माफी मांगी थी, लेकिन तब उन्होंने कहा था कि जबतक आप के सभी नेता माफी नहीं मांगते, केस वापस नहीं होगा। केजरीवाल ने अरुण जेटली पर डीडीसीए की अध्यक्षता के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। केजरीवाल के आरोप लगाने के बाद जेटली ने उनपर और उनके सहयोगी नेताओं पर 10 करोड़ रुपये मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था।

नितिन गडकरी से लिखित में मांगी माफी
इसके पहले केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से माफी मांगते हुए कोर्ट केस खत्म करने की गुजारिश की। केजरीवाल ने नितिन गडकरी को एक पत्र लिखकर उनके खिलाफ लगाए गए असत्यापित आरोपों के लिए खेद व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ‘मेरी आपसे कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं है। मैं इसके लिए खेद जताता हूं। इस मामले को पीछे छोड़ते हुए कोर्ट केस को खत्म करें।’ केजरीवाल के माफीनामे के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मानहानि केस वापस लेने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी दायर की।

कपिल सिब्बल से भी मांगी माफी
आम आदमी पार्टी नेता अरविन्द केजरीवाल ने वर्ष 2013 में प्रेस कांफ्रेंस करके अमित सिब्बल (कपिल सिब्बल का बेटा) पर ‘निजी लाभ के लिए शक्तियों के दुरुपयोग’ का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि वह ऐसे समय में एक दूरसंचार कंपनी की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए, जब उनके पिता कपिल सिब्बल केंद्रीय संचार मंत्री थे। केजरीवाल ने भाजपा नेता नितिन गडकरी के बाद कपिल सिब्बल और उनके बेटे अमित सिब्बल से भी अपने बयान के लिए खेद प्रकट किया।

अकाली नेता बिक्रम मजीठिया पर लगाए आरोपों से लिया यू-टर्न 
पंजाब चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने चुनावी रैलियों में अकाली दल के महासचिव और प्रदेश के तत्कालीन मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग्स माफिया होने का आरोप लगाए। यह आरोप अलग-अलग जगहों पर विवादित मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बार-बार दोहराते रहे। इन आरोपों से दुखी होकर बिक्रम मजीठिया ने मानहानि का केस अमृतसर कोर्ट में किया। अब जब अरविन्द केजरीवाल को लगने लगा कि उनके आरोपों में कोई दम नहीं है और झूठे आरोप लगाने के मामले में जेल हो जाएगी तो आदतन अरविन्द केजरीवाल ने यू-टर्न मारा और लिखित में माफी मांगकर मुकदमा वापस लेने का अनुरोध किया है।

राजनीति में न आने की बात पर मारा यू-टर्न 
अन्ना आंदोलन के दौरान कहा करते थे- राजनीति करने नहीं आया हूं, मुझे संसद नहीं जाना, पीएम-सीएम नहीं बनना, मैं भ्रष्टाचार मिटाने निकला हूं। लेकिन यू टर्न लेते हुए 26 नवंबर, 2012 को केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन कर लिया। और अब दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। 

अन्ना की बात मानने पर किया यू-टर्न
अरविन्द केजरीवाल कहा करते थे कि जो अन्ना कहेंगे वही कहूंगा। पर अन्ना ने जब राजनीतिक दल बनाने पर हामी भरने से इनकार कर दिया तो ‘जनता की राय’ के बहाने नयी पार्टी बना डाली। अपने गुरु को अकेला छोड़ दिया। उनकी बातें ही इसका सबूत हैं-

कांग्रेस से समर्थन न लेने पर मारा यू-टर्न
केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि सरकार बनाने के लिए वो कांग्रेस को ना समर्थन देंगे ना कांग्रेस से समर्थन लेंगे। लेकिन सत्ता के लोभ में यू-टर्न ले लिया। कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में पहली बार सरकार बनायी और मुख्यमंत्री बन बैठे। 31 जनवरी 2015 को एक ट्वीट किया, जो उनके डर को दिखाता है और यह भी बताता है कि सत्ता के लिए वह हर काम करने के लिए तैयार है। इस ट्वीट को उन्होंने दस मिनट अपने एकाउंट से हटा दिया था।

सरकारी सुविधाएं न लेने पर मारा यू-टर्न
केजरीवाल कहा करते थे कि वो सरकारी बंगला, गाड़ी और लालबत्ती नहीं लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर न सिर्फ खुद के लिए बल्कि अपने तमाम मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के लिए भी सरकारी एश-ओ-आराम हासिल किए।


जनलोकपाल देने के वादे पर मारा यू-टर्न
सरकार में आने के बाद 15 दिन में जनलोकपाल लाने का वादा किया, पर वो वादा भी अधूरा रहा। बहानेबाजी करते हुए 14 जनवरी, 2014 को ज़िम्मेदारी से भाग निकले, सरकार ही छोड़ दी।

 

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