पाकिस्तान में ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर हुए हमले के मामले में perform india ने 4 जनवरी, 2020 को बारह बजकर पांच मिनट पर एक स्टोरी प्रकाशित की, जिसमें इस घटना को लेकर कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओंं की खामोशी पर सवाल उठाया गया। Perform india ने मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी से सीधा सवाल पूछा कि भारत में दंगाइयों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को लेकर अनाप-शनाप प्रतिक्रिया में कभी देरी नहीं करने वाले आखिर इस घटना को लेकर मौन क्यों हैं ?
Perform india के इस सवाल ने कांग्रेस नेताओं को काफी परेशान किया, इसका असर भी शीघ्र देखने को मिला। जब स्टोरी के प्रकाशित होने के एक घंटे के बाद एक बजकर बत्तीस मिनट पर राहुल गांधी ने ट्वीट कर ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर हुए हमले की निंदा की और रटे-रटाये भाइचारा के पुराने संदेश को फिर दोहराया। राहुल ने ट्वीट किया कि ननकाना साहिब पर हमला निंदनीय है और इसकी खुल कर भर्त्सना करनी चाहिए। धर्मान्धता खतरनाक है और यह बहुत पुराना जहर है जिसकी कोई सीमा नहीं होती। प्रेम, परस्पर सम्मान और समझ ही इस जहर को खत्म करती है।
The attack on Nankana Sahab is reprehensible & must be condemned unequivocally .
Bigotry is a dangerous, age old poison that knows no borders.
Love + Mutual Respect + Understanding is its only known antidote.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 4, 2020
राहुल गांधी के इस ट्वीट में एक बात गौर करने लायक है। राहुल गांधी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी सरकार के खिलाफ एक शब्द भी नहीं लिखा। ना ही पाकिस्तान सरकार से अल्पसंख्यक सिख समुदाय की सुरक्षा की मांग की। इससे साबित होता है कि उन्हें पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों की कोई चिंता नहीं है। वह पाकिस्तान और उसकी सरकार से किस तरह मिले हुए हैं। यह बीजेपी के उस दावे को और मजबूत करता है, जिसमें कहा जाता है कि कांग्रेस पार्टी देश में पाकिस्तान की भाषा बोलती है और उसका एजेंडा लागू करती है।
राहुल गांधी के ट्वीट की टाइमिंग भी हैरान करने वाली है। ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर हमला 3 जनवरी, 2020 को हुई। शाम पांच बजकर पैतालीस मिनट पर ट्विटर पर बीबीसी के पत्रकार रविंद्र सिंह रॉबिन ने इस घटना का वीडियो डाला। इसके बाद इस घटना की जानकारी पूरे विश्व में फैल गई। मोदी सरकार ने इस घटना की निंदा करने और इसके खिलाफ प्रतिक्रिया देने में कोई देरी नहीं की। घटना के 4 घंटे के भीतर यानी रात 9 बजे ही मोदी सरकार ने ट्वीट कर इस घटना पर अपना आधिकारिक विरोध दर्ज करा दिया। लेकिन राहुल गांधी की प्रतिक्रिया आने में करीब 20 घंटे लग गए।
#BREAKING : Hundreds of angry Muslim residents of #NankanaSahib pelted stones on #GurdwaraNankanaSahib on Friday. They have surrounded the Gurdwara . The mob was lead by the family of Mohammad Hassan the boy who allegedly abducted and converted sikh girl #JagjitKaur . pic.twitter.com/L5A7ggKcD9
— Ravinder Singh Robin ਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ راویندرسنگھ روبن (@rsrobin1) January 3, 2020
इस घटना पर राहुल गांधी की प्रतिक्रिया से जाहिर होता है कि अल्पसंख्यकों खासकर सिख समुदाय के प्रति उनमें आज भी नफरत और जहर भरा हुआ है, जिसका प्रदर्शन वे 1984 में सिख विरोधी दंगे में कर चुके हैं। 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों में केवल दिल्ली में ही 2733 लोगों की जान गई थी वहीं कुल 3325 लोग इसमें अपनी जान गंवा चुके थे। उनकी नफरत का ही नतीजा है कि वह दंगे में शामिल कांग्रेस के नेताओं को बचाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते रहे। जब मई 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी तो सिखों को इंसाफ दिलाने की प्रक्रिया शुरू हुई और फरवरी 2015 में एसआईटी का गठन किया गया। मोदी सरकार ने दंगा में शामिल कई लोगों को सजा भी दिलाई। इससे साबित होता है कि राहुल गांधी और उनके परिवार का अल्पसंख्यकों के प्रति हमदर्दी बस दिखावा है।
कांग्रेस के इस दिखावे पर अकाली दल की नेता और कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कांग्रेस पर हमला बोला। ननकाना साहिब में हुई पत्थरबाजी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न एक वास्तविकता है।
Cong leader @RahulGandhi’s refusal to condemn stoning of #GurdwaraNankanaSahib & threat to the very existence of holy shrine reveals his anti-Sikh face. Rahul working overtime to mislead ppl on #CAA but has no time to take on Pak & expose atrocities it’s committing against Sikhs. pic.twitter.com/8Hu2iVM9m4
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) January 4, 2020