Home नरेंद्र मोदी विशेष योग दिवस विशेष: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 10 प्रेरक कोट्स

योग दिवस विशेष: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 10 प्रेरक कोट्स

SHARE

पिछले कुछ वर्षों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी योग के रूप में दुनिया से एक ऐसी विधा अपनाने की अपील करते आ रहे हैं जिसे अपनाने के फायदे वो अपने निजी जीवन में देख चुके हैं। प्रधानमंत्री की सक्रियता आज लोगों के लिए एक प्रेरणा है जिसमें योग की एक बड़ी भूमिका है। वे कहते हैं योग फिटनेस ही नहीं, वेलनेस की भी गारंटी है। योग पर उनके ऐसे कई संदेश रहे हैं जो प्रेरक कोट्स का रूप ले चुके हैं। आइए एक नजर डालते हैं ऐसे ही 10 कोट्स पर:

1. हर कोई चाहता है तनावमुक्त जीवन हो, पीड़ामुक्त जीवन हो, बीमारी से मुक्त जीवन हो, प्रसन्न जीवन हो, इन सबको अगर किसी एक मार्ग से पाया जा सकता है, तो वो मार्ग है योग का। एक संपूर्ण जीवन को संतुलित रूप में कैसे जीया जा सकता है, तन से, मन से, विचारों से, आचारों से स्वस्थता की अंतर्यात्रा कैसे चले वो अगर अनुभव करना है, तो योग के माध्यम से अनुभव हो सकता है।

2. आज जीवन शैली के कारण, कार्य की शैली के कारण, आपाधापी के कारण, बढ़ती हुई जिम्मेदारियों के कारण तनाव से मुक्त जीवन जीना मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में हमें हमारी दिनचर्या में, हमारे जीवन में, हमारे कार्यकलाप में उन चीजों को लाना बहुत आवश्यक है जो हमें तनाव भरी अवस्था में भी तनाव से मुक्त रहने का रास्ता दिखाए, ताकत दे और वो संभव है योग के नित्य अभ्यास से।

3. हम योग के मास्‍टर बनें या न बनें, हम योग में achiever बनें या न बनें, लेकिन हम योग के अभ्‍यासु बन सकते हैं। और जिस समय पहली बार योग करते हैं, तो पता चलता है कि हमारे शरीर के कितने महत्‍वपूर्ण अंग हैं, जिसकी तरफ हमारा कभी ध्‍यान नहीं गया, कितने बेकार होते गए हैं। और जब योग शुरू करते हैं तो शरीर के अनेक अंग जो सुषुप्‍त अवस्‍था में पड़े हैं, उनकी जागृति को हम खुद अनुभव कर सकते हैं। उसके लिए कोई बड़ी दिव्‍य चेतना की आवश्‍यकता नहीं होती।

4. एकमात्र नमक से जीवन नहीं चलता है, लेकिन जीवन में नमक न होने से जीवन नहीं चलता है। जैसा जीवन में नमक का स्‍थान है, वैसा ही योग का स्‍थान भी हम बना सकते हैं। कोई बहुत चौबीसों घंटे योग करने की जरूरत नहीं है। 50 मिनट, 60 मिनट, और मैंने पहले भी कहा है कि zero cost से Health assurance की ताकत योग के अंदर है।

5. योग को अमीर-गरीब का भेद नहीं है। विद्वान-अनपढ़ का भेद नहीं है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी, अमीर से अमीर व्यक्ति भी योग आसानी से कर सकता है। किसी चीज की जरूरत नहीं है। एक हाथ फैलाने के लिए कहीं जगह मिल जाए, वो अपना योग कर सकता है और अपने तन-मन को तंदुरुस्त रख सकता है।

6. योग बीमारी से ही मुक्ति का मार्ग नहीं है। ये सिर्फ fitness की नहीं, ये wellness की गारंटी है। अगर जीवन को एक Holistic development की ओर ले जाना है, ये उसका उत्तम मार्ग है।

7. योग आज इतने बड़े पैमाने पर जन सामान्य का आंदोलन बना है और मैं समझता हूं कि ये हमारे पूर्वजों ने, हमें जो विरासत दी है, इस विरासत की ताकत क्या है? इस विरासत की पहचान क्या है? इसका परिचय करवाते हैं।

8. योग ‘मैं’ से ‘हम’ की यात्रा है। ये यात्रा व्यक्ति से समस्ती तक है। ‘मैं’ से ‘हम’ तक की यह अनुभूति, अहम से वयम तक का यह भाव-विस्तार, यही तो योग है।

9. इस शताब्दी में हम अनुभव कर रहे हैं, योग ने पूरे विश्व को जोड़ दिया है। जैसे योग शरीर, मन, बुद्धि आत्मा को जोड़ता है वैसे आज योग विश्व को भी जोड़ रहा है।

10. योग में संपूर्ण मानवता को एकबद्ध करने की शक्ति है। योग ज्ञान, कर्म और भक्ति का एक अद्भुत तालमेल है।

Leave a Reply