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गहलोत सरकार के खिलाफ नहीं थम रही अंतर्कलह, भरत सिंह के बाद अब पायलट गुट के विधायक सरकार और ब्यूरोक्रेसी से नाराज, बसपा से कांग्रेस आए छह विधायकों का भी अल्टीमेटम

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली-दरबार जाकर आलाकमान की मिजाजपुर्सी में लगे हैं और इधर सरकार में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है। कांग्रेसियों की अंतर्कलह एक बार फिर देखने को मिल रही है। कांग्रेस विधायक भरत सिंह के अपनी ही सरकार के खान मंत्री को सबसे बड़ा खनन माफिया बताने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि पायलट गुट के विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ आ गए। इस बीच बसपा से कांग्रेस में आकर गहलोत सरकार के तारणहार बने छह विधायकों के निशाने पर भी सरकार के मंत्री आ गए हैं। आरोप है कि कांग्रेस सरकार के मंत्री जब अपने ही विधायकों की नहीं सुन रहे हैं तो जनता के विकास कार्यों में कितनी दिलचस्पी ले रहे होंगे, इसका आसानी से अहसास हो जाता है।

राहुल के बाद सीएम गहलोत अब सोनिया के साथ दिल्ली में बिजी, राज्य के हाल बदहाल
नेशनल हेराल्ड केस में ईडी इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष से पूछताछ कर रही हैं। इससे पहले ईडी राहुल गांधी से कई घंटे की पूछताछ कर चुकी है। ईडी की दोनों सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री गहलोत दिल्ली में डेरा डाले रहे। हालांकि कांग्रेसियों के विरोध प्रदर्शन से ईडी पर कोई दबाव या प्रभाव नहीं पड़ा और पूछताछ बदस्तूर जारी रही। राज्य को संभालने के बजाए मुख्यमंत्री के दिल्ली में बिजी होने का दुष्प्रभाव यहां कई मायनों में देखने को मिल रहा है। वो दिल्ली में ईडी को कोसने में लगे हैं और इधर राजस्थान सरकार पर बीजेपी ने आरोप लगाया है कि उसने आस्था स्थलों से अवैध खनन रोकने, विरोध प्रदर्शन को सही तरह से हैंडिल करने के बजाए एक साधु की बलि ले ली।खनिज मंत्री भाया को सबसे बड़ा खनन माफिया बताया, कोई कार्रवाई नहीं
विपक्ष ही नहीं सरकार और ब्यूरोक्रेसी की लापरवाह कार्यशैली को लेकर लेकर कांग्रेस विधायक तक अपनी सरकार के खिलाफ आ गए हैं। कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर सूबे के खनिज मंत्री प्रमोद जैन भाया पर निशाना साधा। यही नहीं उन्होंने भरतपुर की घटना पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खरी-खरी सुनाई है। उन्होंने पत्र में लिखा, ‘प्रदेश का सबसे बड़ा खनन माफिया तो खनिज मंत्री हैं। अगर खनन माफिया पर नियंत्रण करना चाहते हैं तो तत्काल उन्हें बर्खास्त करें।’ उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्थान में खनिज मंत्री के क्षेत्र बारां में अवैध खनन के भ्रष्टाचार की नदी बहती है। उनका कहना है कि सरकार, माफिया और पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के गठजोड़ और लेन-देन के बिना अवैध खनन संभव नहीं है। अपने ही विधायक के इतने गंभीर आरोपों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

अपनी सरकार की नौकरशाही के खिलाफ पायलट गुट के विधायक जनसुनवाई में पहुंचे
अभी भरत सिंह का मामला सरगर्म ही है कि पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट समर्थक चाकसू विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने अपनी सरकार को घेर लिया। सोलंकी का आरोप है कि सरकार का कोई अंकुश न होने से नौकरशाही बिल्कुल ढीठ हो गई है। प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है और मौका मिलते ही भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाती है। हालात यह है कि विधायक सोलंकी को जनसुनवाई में पुलिस की शिकायत लेकर जाना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि जयपुर पुलिस इतनी गिर गई है कि उसने चोरी का बकरा तक 2 हजार रुपए में किसी और को बेच दिया। राजस्थान कांग्रेस मुख्यालय में मंत्रियों की जनसुनवाई में उन्होंने खेल मंत्री अशोक चांदना को बाकायदा सबूत के तौर पर वीडियो रिकॉर्डिंग भी दिए।

पुलिस इतनी गिरी कि चोरी का बकरा बेचने लगी, दूसरी ओर हर तरह के अपराध बढ़े
कांग्रेस विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा- जब से पुलिस कमिश्नरेट बना है, चोरियों सहित हर तरह के अपराध बढ़े हैं। मेरी मांग है कि ग्रामीण थानों को वापस कमिश्नरेट से बाहर करें, ताकि उन पर एसडीएम की निगरानी हो। कोटखावदा और चाकसू क्षेत्र में नाकारा-निकम्मे पुलिसवालों को लगा रखा है। सोलंकी ने कहा कि तेज और ईमानदार पुलिसवालों को लगाइए ताकि अपराध पर कंट्रोल हो। अभी तो पुलिस को बजरी और भूमाफियाओं से मिलीभगत में फुरसत नहीं है। विधानसभा तक मांग उठा चुका, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ।

संकटमोचक बने छह विधायकों के भी विरोधी स्वर, मंत्रियों का रवैया ठीक नहीं
राजस्थान की कांग्रेस सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा हैं। पायलट खेमे के समर्थक विधायकों और मंत्रियों की बयानबाजी अपनी ही सरकार के खिलाफ अक्सर सामने आती रहती है। इस बीच, सरकार पर आए संकट के दौरान समर्थन करने वाले बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायकों में भी अब नाराजगी दिखने लगी है और उन्होंने कांग्रेस से अलग होने की धमकी भी दे दी है। उनका कहना है उनसे किए वादे पूरे नहीं हुए और सरकार के मंत्रियों का रवैया हमारे प्रति ठीक नहीं है। साथी विधायक लाखन हो, वाजिब हो, संदीप हो लगभग सबको लग रहा है कि पहले जो उम्मीद थी और कमिटमेंट थे, वे जिस किसी कारण से पूरे नहीं हो पाए तो अविश्वास और बढ़ गया है।

मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति ने हिन्दुओं में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी
राजस्थान में दर्जी कन्हैया लाल हत्याकांड, अजमेर के चिश्ती दरगाह के खादिमों के जहरीले बोल और सांप्रदायिक दंगों ने माहौल को खराब कर दिया है। राज्य की अशोक गहलोत सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति ने हिन्दुओं में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। इसे देखकर कांग्रेस नेताओं और अशोक गहलोत सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों को अपने भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए विधायक और सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कांग्रेस से अलग होने की धमकी दी है।सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने ही बगावत का झंडा उठाया
राज्य में राजनीतिक हवा का बदलता रुख देखकर गहलोत सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों को वादे और सरकार का रवैया नजर आने लगा है। समर्थन देने वाले छह विधायक अब वादे पूरे नहीं करने और मंत्रियों का रवैया ठीक नहीं होने का आरोप लगा रहे हैं। बगावत का झंडा उठाने वाले सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कहा कि सभी लोग मुझसे आकर कहते हैं कि वादे पूरे नहीं किए गए। कई मंत्री काम नहीं करते हैं, जिसे लेकर भी हमारे साथियों में अविश्वास बढ़ रहा है। यदि वादे पूरे नहीं हुए तो हमारे साथी अलग होने पर भी विचार कर सकते हैं।

राजस्थान की कांग्रेस सरकार में हलचल: मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने साथी विधायकों के साथ अलग रास्ता अपनाने की चेतावनी दी; कहा- उनसे किए वादे पूरे नहीं हुए #Rajasthan @ashokgehlot51 https://t.co/SE1x4r4tv9

— Dainik Bhaskar (@DainikBhaskar) July 26, 2022

नाराज विधायकों ने कहा कि हमसे कहा था कि दिल्ली में सोनिया गांधी, राहुल गांधी से बातचीत करवा देंगे, लेकिन अभी तक हमारी बात नहीं करवाई है। अगर हमसे किए वादे पूरे नहीं ​किए तो हमें सोचना पड़ेगा। गुढ़ा ने कहा ​कि अभी तो मुझे खुद को ही पता नहीं है कि मेरा कमिटमेंट क्या है? मुझे क्या फैसला लेना पड़ेगा। सा​थियों के साथ बैठेंगे, बात करेंगे। अभी चर्चा ठीक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अगले विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने की संभावना भी कम हो गई है।

विधायक राजेंद्र सिंह समेत छह एमएलए ने बचाई थी सरकार, गहलोत ने बनाया था मंत्री 
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की बगावत के समय विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा बसपा के उन 6 बागी विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने कांग्रेस में शामिल होकर गहलोत सरकार को स्थिरता दी थी। इसी के बाद विधायकों की संख्या बढ़कर 106 हो गई। 2020 के राजनीतिक संकट के दौरान भी उन्होंने गहलोत सरकार का साथ दिया। हालांकि राजेंद्र गुढ़ा को जहां सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया है, वहीं लाखन मीणा, दीपचंद्र खैरिया और जोगिंदर अवाना को बोर्ड- निगमों में एडजस्ट किया गया। लेकिन संदीप यादव और वाजिब अली सरकार में भागीदारी नहीं मिलने से नाराज हैं।

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