कहावत है सांच को आंच नहीं…देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसी लीक पर चलते हुए गुजरात में साल 2002 में हुए दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली SIT रिपोर्ट के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। ये याचिका गुजरात दंगे में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सासंद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की ओर से दाखिल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने SIT की जांच रिपोर्ट को सही ठहराया है। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की पीठ ने 9 दिसंबर, 2021 को फैसला सुरक्षित रखा था। इसमें दंगों के मामलों की जांच कर रहे SIT की ओर से दायर क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी गई थी, जिसमें 64 लोगों को क्लीन चिट दी गई।
BREAKING The #SupremeCourt while dismissing the plea challenging clean chit to @narendramodi in Gujarat Riot case has observed that the proceedings have been pursued for last 16 years to keep the pot boiling, OBVIOUSLY FOR ULTERIOR DESIGN.
— LawBeat (@LawBeatInd) June 24, 2022
पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया ने 2018 में दायर की थी याचिका
गुजरात में 2002 में हुए दंगों के मामले में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को एसआईटी की क्लीन चिट को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी ने यह अर्जी 2018 में दाखिल की थी। दोषमुक्त व्यक्तियों में से एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे, जो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री थे। जाफरी के पति की गुलबर्गा सोसाइटी में दंगों के दौरान मृत्यु हो गई थी। उन्होंने दंगों के पीछे की बड़ी साजिश होने का दावा किया और 2006 में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी।
निचली अदालत ने भी क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के मामलों की निगरानी के दौरान 2011 में एसआईटी को आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था। फरवरी 2012 में एसआईटी ने शिकायत पर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने निचली अदालत में अर्जी देकर क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी, जिसे खारिज कर दिया गया। क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ एक अपील गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष भी लाई गई, जिसने 5 अक्टूबर 2017 को इसे ठुकरा दिया। इसके बाद याचिकाकर्ताओें ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने किया। राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किया।
The #SupremeCourt has observed that “On such false claim, the structure of larger criminal conspiracy at the highest level has been erected. The same stands collapsed like a house of cards, aftermath thorough investigation by the SIT.”
— LawBeat (@LawBeatInd) June 24, 2022
गुजरात में दंगों के दौरान मारे गए 1000 से अधिक लोग
गोधरा ट्रेन जलाने की घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 लोगों के मारे जाने के एक दिन बाद दंगे भड़क उठे थे। दंगों के दौरान 1000 से अधिक लोग मारे गए। एहसान जाफरी अहमदाबाद की गुलबर्गा सोसाइटी में 28 फरवरी, 2002 को ट्रेन जलने की घटना के एक दिन बाद मारे गए 69 लोगों में से एक थे। अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी में एहसान जाफरी के घर पर भीड़ ने हमला किया और उनकी हत्या हो गई। इस दंगे में कथित रूप से 69 लोग मारे गए, लेकिन 39 लोगों के शव मिले। बाकी 30 शव नहीं मिले, जिन्हें सात साल बाद कानूनी परिभाषा के तहत मृत मान लिया गया था। हिंसा के बाद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसी दौरान हिंसा की जांच के लिए एक विशेष जांच दल बनाया गया। करीब 10 साल की जांच के बाद 08 फरवरी 2012 को SIT ने नरेंद्र मोदी और बाकी लोगों को क्लीन चिट देते हुए एक स्पेशल कोर्ट में मामला बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की थी।
SIT की क्लोजर रिपोर्ट के बाद जाकिया जाफरी 2014 में हाईकोर्ट पहुंची
वहीं एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट के बाद जाकिया जाफरी ने साल 2014 में हाईकोर्ट का रूख किया। हालांकि साल 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने जाकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी थी। तब हाई कोर्ट ने कहा कि दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी और इसमें किसी बड़ी साजिश के आरोप को कोर्ट ने रद्द कर दिया था। गुजरात हाईकोर्ट ने जाकिया से कहा है कि वो चाहें तो सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती हैं। जकिया ने 5 अक्टूबर, 2017 के गुजरात हाईकोर्ट के इस फैसले को खारिज करने की अपील सुप्रीम कोर्ट में की।