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अखिलेश यादव के समाजवाद में अब राष्ट्रवाद का तड़का, हर घर तिरंगा अभियान से जुड़कर देशभक्त पार्टी की छवि बनाने की कोशिश, लेकिन बिगड़े बोल को कैसे वापस लेंगे

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मुस्लिम तुष्टिकरण में अंधी हो चुकी समाजवादी पार्टी (सपा) का हिन्दू विरोधी चेहरा कोई नई बात नहीं है। इस पार्टी में आलम यह है कि अगर कोई कार्यकर्ता और नेता हिन्दू और हिन्दुओं के पक्ष में कुछ बोल दे तो उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। अभी ज्यादा नहीं बीते हैं जब पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर बीजेपी से निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर आई। इस दौरान समाज के हर तबके से नुपुर को समर्थन मिला। सपा के एक नेता अंकुर यादव ने भी नूपुर शर्मा के पक्ष में बयान दिया और इससे अखिलेश यादव नाराज हो गए और उसे पार्टी से ही बाहर कर दिया। मुस्लिम तुष्टीकरण अखिलेश यादव के लिए कितना भारी पड़ रहा है यह बात उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणाम से साफ जाहिर है। इसी साल संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अखिलेश यादव की स्थिति खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली हो गई है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि लेफ्ट लिबरल गैंग के पत्रकारों ने तो एक तरह से अखिलेश को विधानसभा चुनाव जिता ही दिया था। मीडिया के एक वर्ग में इस तरह की खबरों से अखिलेश भी उत्साहित थे और उन्होंने चुनाव जीता हुआ ही मान लिया था। यानी एक बार से फिर से मुख्यमंत्री की दावेदारी ठोकने के लिए कमर कस रहे थे। लेकिन चाहे लेफ्ट लिबरल गैंग के पत्रकार हों या अखिलेश के चुनावी रणनीतिकार धरातल पर पीएम मोदी के विकास एजेंडे को समझ नहीं पाए और अपनी गणना में मात खा गए। भाजपा के हिंदुत्व और विकास के एजेंडे से मात खाए अखिलेश अब अपने समाजवाद को राष्ट्रवाद की चाशनी में लपेटकर जनता को परोसना चाहते हैं। यही वजह है कि पीएम मोदी के हर घर तिरंगा अभियान को सपोर्ट करने का मन बना लिया है और सपा की छवि देशभक्त पार्टी रूप में करने की कोशिश हो रही है। इतना नहीं अब वे अपनी हिंदू छवि पेश करने के लिए पूजा पाठ भी कर रहे हैं और मंदिर भी जा रहे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि आने वाले दिनों में इन उपायों से अखिलेश को कितना फायदा मिलता है क्योंकि लोगों को तो हिंदू धर्म से लेकर अन्य मुद्दों पर उनके बिगड़े बोल भी याद हैं।

सपा के समाजवाद में राष्ट्रवाद का तड़का

अखिलेश यादव अब अपनी रणनीति बदल रहे हैं। सपा अपने समाजवाद में राष्ट्रवाद का तड़का लगाने जा रही है। वह खुद को बड़ी देशभक्त पार्टी के तौर पर पेश करेगी। भाजपा से हर मुद्दे पर मात खा रही सपा को समझ में नहीं आ रहा है कि वह लोगों से कनेक्ट करने के लिए अब कौन सी रणनीति अपनाए। आखिरकार उसने भाजपा के मुद्दों को भुनाने का ही मन बना लिया है। पार्टी ने अब तय किया है कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में हर घर तिरंगा अभियान में सपा खुद बढ़चढ़ कर शामिल होगी। इसके जरिए वह खुद को बड़ी देशभक्त पार्टी के तौर पर पेश करेगी। मोदी सरकार देश भर में हर घर तिरंगा अभियान जोर शोर से चला रही है। अब सपा ने अपने कार्यकर्ता से अपने अपने घरों में सम्मान के साथ तिरंगा फहराने की अपील की है। विपक्षी दलों में सपा पहली पार्टी है जो इस मुहिम में खुल कर समर्थन में आई है जबकि बाकी विपक्षी दलों ने इस पर अभी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। सपा ने बकायदा निर्देश जारी किए हैं कि सभी कार्यकर्ता 9 से 15 अगस्त तक अपने घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहरा दें। पार्टी का कहना है कि भारत छोड़ो आंदोलन में समाजवादियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था।

राष्ट्रवाद के पैरोकार की छवि बनाने में जुटे अखिलेश

वर्ष 2024 में होने वाले चुनाव के मद्देनजर अखिलेश यादव अब सपा को राष्ट्रवादी पार्टी बनाने की जुगत में लग गए हैं। वह पार्टी को राष्ट्रवाद के बड़े पैरोकार के तौर पर पेश करना चाहते हैं। सपा ने अगस्त क्रांति दिवस के मौके पर शुरू करने जा रही पदयात्रा का नाम देश बचाओ- देश बनाओ रखा है। इसमें भी तिरंगा झंडा अभियान पर सबसे ज्यादा यात्रा फोकस रहेगा। इसके जरिए समाजवादी खुद को राष्ट्रवाद व देशभक्त पार्टी की छवि पेश करना चाहती है।

सपा के एजेंडे पर राष्ट्रवाद के साथ साफ्ट हिंदुत्व

राष्ट्रवाद के साथ ही साफ्ट हिंदुत्व का मुद्दा भी सपा अपना रही है। कृष्ण मंदिर, हनुमान भक्त व परशुराम मुद्दों पर अखिलेश ने अपनी हिंदुत्व की छवि सुधारने की भरसक कोशिश की। अभी हाल में अखिलेश की शिवजी की पूजा व रुद्राभिषेक करते हुए फोटो भी वायरल हुई थी। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद तिलमिलाई सपा अब साफ्ट हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर आगे बढ़ना चाहती है और यही संदेश जनता को देना चाहती है। लेकिन जनता उनके राष्ट्रवाद और साफ्ट हिंदुत्व को कितना स्वीकार करेगी यह आने वाला समय ही बताएगा।

आतंकवाद को समर्थन के आरोपों से कैसे पार पाएगी सपा

हिंदुत्व व राष्ट्रवाद के बीच सपा पर मुस्लिम तुष्टिकरण और आतंकवाद को समर्थन देने के आरोप लगते रहे हैं। उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार के समय आतंकी गतिविधियों व दंगों में शामिल होने वालों पर दर्ज मुकदमे वापस ले लिए गए। यही नहीं ऐसे लोगों का पिछले शासन में खास ख्याल रखा गया।

यहां पेश है अखिलेश के बिगड़े बोल और समाजवादी पार्टी की कुछ पिछली घटनाएंः

अंकुर को बिना कारण बताये पार्टी से निकाला

नूपुर शर्मा को एक हिन्दू बहन मानकर समर्थन देने की बात अखिलेश यादव को नागवार गुजरी। उनके निर्देश पर सपा छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह देव ने अंकुर को सपा से निकालने का फरमान जारी कर दिया। जिसमें लिखा गया, “जिला बागपत के ग्राम शंकरनगर निवासी श्री अंकुर यादव को पार्टी में उनके पद से मुक्त कर दिया गया है।” इसमें अंकुर के खिलाफ कार्रवाई का कारण नहीं बताया गया। अंकुर ने खुद निलंबन पत्र साझा करते हुए ट्वीट किया,”पद से दूर रहें। आपको धन्यवाद।”

हिन्दुओं के पक्ष में बोलने पर रुबीना खानम पर गिरी गाज

ये पहली बार नहीं है, जब अखिलेश यादव ने किसी हिंदू या हिंदुओं का साथ देने की बात पर पार्टी के किसी नेता को निकाल बाहर किया हो। कुछ दिन पहले उन्होंने सपा की महिला मुस्लिम नेता रुबीना खानम को पार्टी से निकाल दिया था। रुबीना ने इतना कहा था कि अगर ये बात साबित हो जाती है कि ज्ञानवापी मस्जिद को मंदिर को तोड़कर बनाया गया, तो हमारे कौम को वो जमीन हिंदुओं को दे देनी चाहिए। इससे पहले हिजाब और लाउड स्पीकर को लेकर रुबीना खानम ने भड़काऊ बयान दिया था, तब अखिलेश यादव ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।

सपा में हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़ करने की पूरी छूट

समाजवादी पार्टी में हिन्दू धर्म और हिन्दुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ करने की पूरी छूट है। पार्टी के नेता मुस्लिमों को खुश करने के लिए देवी-देवताओं का खुलकर अपमान करते हैं। लेकिन पार्टी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती है। सपा के एमएलसी और पेशे से शिक्षक लाल बिहारी यादव ने शिव लिंग पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। लेकिन समाजवादी पार्टी ने उनके खिलाफ कर्रवाई न कर साबित कर दिया है कि वो हिन्दू विरोधी है।

जिन्ना महान, हिन्दू संत ‘चिल्लमजीवी’

सपा प्रमुख अखिलेश यादव 31 अक्टूबर, 2021 को अपनी विजय रथ यात्रा लेकर हरदोई में थे। इस दिन लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती थी। सपा अध्यक्ष ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए सरदार पटेल को याद किया लेकिन बखान भारत विभाजन के मुख्य सूत्रधार और पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना का कर बैठे। अखिलेश ने भारत की आजादी में जिन्ना की भूमिका को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए उन्हें महात्मा गांधी और सरदार पटेल के बराबर का महापुरुष बता डाला। इसके बाद 17 नवंबर, 2021 को यूपी के गाजीपुर में अखिलेश यादव ने संतों को ‘चिल्लमजीवी’ और ‘एक रंग वाले’ कहकर संबोधित किया। इस विवादित बयान को लेकर देश के संतों ने अपनी नाराजगी जतायी।

हिजाब को अखिलेश यादव का मौन समर्थन

कर्नाटक से शुरू हुए हिजाब विवाद को लेकर उत्तर प्रदेश सहित पांच चुनावी राज्यों में भी सियासत तेज हो गई है। समर्थन और विरोध में पार्टियां अपना-अपना पक्ष रख रही हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने हिजाब के मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। उन्होंने चुनावी रैलियों और ट्विटर पर इस विवाद से बचने की कोशिश की है। जब एटा में हिजाब विवाद को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि संविधान हमें आजादी देता है। हरेक को आजादी है कि क्या पहनना है, क्या खाना है, क्या बोलना है, किस तरीके से रहना है, पाबंदियां कोई नहीं लगा सकता। इस तरह अखिलेश ने सीधा जवाब न देकर हिजाब को अपना मौन समर्थन दिया।

हताश अखिलेश यादव के बिगड़े बोल

सोमवार (13 दिसंबर, 2021) को इटावा के सैफई में अखिलेश यादव से प्रधानमंत्री मोदी के वाराणसी दौरे और वहां एक महीने के कार्यक्रम को लेकर सवाल किया गया था। इसके जवाब में उन्होंने जो तंज कसा, वो उनके अंदर की कुंठा और हताशा को बयां कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘बहुत अच्छी बात है, एक महीना नहीं, दो महीने, तीन महीने रहें, अच्छी बात है। वह जगह रहने वाली है। आखिरी समय पर बनारस में ही रहा जाता है।’

अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने किया भगवान कृष्ण का अपमान

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने सोशल मीडिया पर एक गाना रिलीज किया है। इस गाने में भगवान कृष्ण का अपमान किया गया है। गाने में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को कृष्ण का अवतार बताया गया है। उन्हें मुरलीधारी कृष्ण के नाम से संबोधित किया गया है। समाजवादी पार्टी की ओर से जारी वीडियो में 2.36 से 2.54 के बीच गाने के बोल हैं ”मुरलीधारी कृष्ण बदलकर वेश आ रहे हैं, अखिलेश आ रहे हैं, अखिलेश आ रहे हैं।” इस गाने को फेसबुक पर समाजवादी पार्टी के आधिकारी पेज से साझा किया गया है। इस गाने को सपा नेता राजकुमार भाटी ने लिखा है।

अखिलेश यादव ने मां गंगा और करोड़ों हिन्दुओं का किया अपमान

जौनपुर में अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गंगा में डुबकी लगाने पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अकेले ही गंगा में स्नान करते नजर आए। मुख्यमंत्री योगी जानते हैं कि गंगा साफ़ नहीं हो सकती। इसलिए उन्होंने डुबकी नहीं लगाई है। अखिलेश ने कहा कि इससे बड़ी त्रासदी क्या होगी जो करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी गंगा को साफ नहीं किया जा सका। अब लोगों को बरगलाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी गंगा स्नान की रस्म निभा रहे हैं।

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