देश में तेज रफ्तार से जारी कोरोना टीकाकरण के कारण अब तक 204.34 करोड़ से अधिक कुल 2,04,34,03,676 टीके लगाए जा चुके हैं। 12 से 14 आयु वर्ग के 3,90,36,788 से ज्यादा बच्चों को पहली खुराक दी जा चुकी है। 15 से 18 वर्ष आयु वर्ग के 6,11,99,410 किशोरों को पहली खुराक और 5,10,70,760 किशोरों को दूसरी खुराक भी दी जा चुकी है।
पिछले 24 घंटे में कोरोना के 16,464 नए मामले सामने आए हैं। टीकाकरण के कारण देश में सक्रिय मामले 1,43,989 पर हैं। सक्रिय मामले अब कुल मामलों के 0.33 प्रतिशत हैं। पिछले 24 घंटों में 16,112 रोगियों के ठीक होने के साथ ही स्वस्थ होने वाले मरीजों की कुल संख्या बढ़कर 4,33,65,890 हो गई है। इससे देश में स्वस्थ होने की दर 98.48 प्रतिशत पर है।
पिछले 24 घंटों में देश भर में कुल 2,73,888 कोरोना जांच की गई हैं। देश में अब तक 87.54 करोड़ से अधिक जांच की गई हैं। देश में साप्ताहिक पुष्टि वाले मामलों की दर 4.80 प्रतिशत है और दैनिक रूप से पुष्टि वाले मामलों की दर भी 6.01 प्रतिशत है।
केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अब तक टीके की 195.63 करोड़ से अधिक खुराकें उपलब्ध कराई हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास अब भी टीके की 7.23 करोड़ से अधिक खुराकें उपलब्ध है, जिन्हें लगाया जाना शेष है।
देश में आधे से ज्यादा कोरोना के नए मामले सिर्फ केरल, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु से आ रहे हैं। पिछले 24 घंटों में केरल में 1,639, महाराष्ट्र में 1,849, पश्चिम बंगाल में 1,011 और तमिलनाडु में 1,467 नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही केरल में कोरोना मृतकों की संख्या 70,474 और पश्चिम बंगाल में 21,366 पर पहुंच गई है। राज्य सरकार की लापरवाही के कारण इन राज्यों में कोरोना के मामले कम नहीं हो पा रहे हैं।
केरल ने तो कोरोना मौत के मामले को दबाने की भी कोशिश की। अदालत की सख्ती के बाद केरल ने बैकलॉग जोड़ने शुरू किए। इससे कोरोना से मौत के मामले अचानक काफी बढ़ गए। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 21 अक्तूबर, 2021 से लेकर 11 नवंबर, 2021 के बीच 21 दिनों में सरकारी डेटा में दिखाई गई 7,838 मौतों में सिर्फ 1,257 ताजा मामले थे। इनमें से 6,581 मौतें पहले के थे। लेफ्ट सरकार इसी तरह आंकड़े को कम दिखाकर केरल मॉडल पर पक्षकारों से वाहवाही प्राप्त कर अपने पक्ष में माहौल बनाती थी।
कोरोना मामले में आगे होने के बाद भी यहां की वामपंथी सरकार ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए बकरीद पर प्रतिबंधों में छूट दे दी थी। इससे राज्य में एक बार फिर कोरोना विस्फोट हो गया। तथाकथित सेकुलर, लिबरल पक्षकारों के बल पर केरल मॉडल को लेकर वाहवाही लूटने वाली वामपंथी सरकार कोरोना प्रबंधन में पूरी तरह से फेल साबित हुई है।
इन आंकड़ों से साफ है कि प्रोपगेंडा और लेफ्ट मीडिया के बल पर दुनिया भर में केरल मॉडल का बखान करने वाली केरल सरकार की पोल खुल गई है। बकरीद पर प्रतिबंधों में छूट को लेकर 20 जुलाई, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ये डरावना है कि ऐसे हालात होने को बावजूद पाबंदियों में इस तरह छूट दी गई। कोरोना के इस हालात में रियायत देना सॉरी स्टेट ऑफ अफेयर है।
Supreme Court says if there is any spread of the COVID19 infection due to the lockdown relaxations by the Kerala government owing to Bakrid, any person can bring it to the notice of the court which will then take appropriate action.
— ANI (@ANI) July 20, 2021
इस सबके बावजूद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन कोरोना को लेकर कितने गंभीर हैं, इसका नजारा पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी के साथ छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में देखने को मिला।
सीएम पी विजयन बैठक के दौरान चाय पीते और कुछ खाते दिखाई दिए। ऐसा लग रहा था कि वे सिर्फ बैठक में शामिल होने की औपचारिकता निभा रहे थे। उनकी हरकत से साफ लग रहा था कि बैठक में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। देखिए वीडियो-
इतना सब होने के बाद भी लेफ्ट के करीबी पक्षकार केरल के सीएम का पक्ष ले रहे हैं और केरल मॉडल की प्रशंसा करने में जुटे हुए हैं। इसे क्या कहिएगा
This thing made me believe that Conscience has fallen and hypocrisy has crossed all the heights.pic.twitter.com/XQBMbe0bM0
— Varun Puri (@varunpuri1984) July 29, 2021
Kya bolein @abhisar_sharma ko.. reply me batayein.. pic.twitter.com/SoBroUiUbj
— Maithun (@Being_Humor) July 29, 2021