रामनवमी के पावन अवसर पर निकली शोभायात्राओं पर आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में पथराव, हिंसा, आगजनी की घटनाएं और ट्वीटर पर #Muslimarea ट्रेंड पर है !! क्या इन दोनों में कुछ साम्यता है ? क्या वाकई हिंदुस्तान में मुस्लिम एरिया जैसा कोई क्षेत्र होना चाहिए ? क्या यह भारत में अल्पसंख्यक कहे जाने वाले मुस्लिमों की अतिवादिता नहीं है कि उन्हें रामनवमी की शोभायात्रा की पावन स्वरलहरियां नहीं सुहा रही हैं ? और क्या कम्युनल और कम्युनिस्ट सोच का झण्डा उठाकर #मुस्लिम_एरिया की पैरवी करने वालों को पता भी है कि इसकी परिभाषा क्या है और यदि भारत में एरियावाद लागू होता है तो अल्पसंख्यकों की कितनी दुर्दशा होगी ??
हिंदू मंदिरों से जुलूस या भ्रमण निकालने पर रोक के लिए कोर्ट में याचिका
‘मुस्लिम एरिया’ की परिभाषा समझने के लिए मद्रास हाइकोर्ट का एक ऐतिहासिक निर्णय जान लेना काफी होगा। तमिलनाडु के पेरंबलुर जिले का वी कलाथुर मुस्लिम बहुल इलाका है, जहां पर हिंदू अल्पसंख्यक हैं। यहां का बहुसंख्यक समुदाय हिंदू मंदिरों से जुलूस या भ्रमण निकालने का 2012 से विरोध करता रहा है। इसी को लेकर मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इन इस्लामी कट्टरपंथियों ने हिंदू त्योहारों को ‘पाप’ करार दे रखा था। इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट के जस्टिस एन किरुबकर्ण और पी वेलमुरुगन की 2 सदस्यीय पीठ ने अपना फैसला सुनाया। बेंच ने धार्मिक असहिष्णुता को देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के लिए खतरनाक बताया।
मद्रास हाई कोर्ट का फैसला : जुलूस-शोभायात्रा को रोकना गलत, यह धार्मिक असहिष्णुता
मद्रास हाई कोर्ट ने अपने फैसले के दौरान टिप्पणी की, “केवल इसलिए कि एक धार्मिक समूह विशेष इलाके में हावी है, इसलिए दूसरे धार्मिक समुदाय को त्योहारों को मनाने या उस एरिया की सड़कों पर जुलूस निकालने से नहीं रोका जा सकता है। अगर धार्मिक असहिष्णुता की अनुमति दी जाती है, तो यह एक धर्मनिरपेक्ष देश के लिए अच्छा नहीं है। किसी भी धार्मिक समूह द्वारा किसी भी रूप में असहिष्णुता पर रोक लगाई जानी चाहिए।” इस मामले में, एक विशेष धार्मिक समूह की असहिष्णुता उन त्योहारों पर आपत्ति जताते हुए दिखाई जा रही है, जो दशकों से एक साथ आयोजित किए जा रहे हैं।
मुस्लिम बहुल इलाके के आधार पर रोक लगाने की मांग ही गलत : हाई कोर्ट
अदालत ने आगे कहा, “गलियों और सड़कों से निकलने वाले जुलूस को सिर्फ इसलिए प्रतिबंधित करने की मांग की गई, क्योंकि इलाका मुस्लिम बहुल है यहाँ कोई भी हिंदू त्योहार या जुलूस नहीं निकाला जा सकता है।” इस मामले में जजों ने एक साथ दोहराया कि इलाके में एक धार्मिक समूह का वर्चस्व होने के कारण दूसरे धार्मिक समूहों और जुलूसों को इलाके से नहीं हटा सकते। न्यायालय ने तर्क दिया कि अगर इस तरह के मामलों को स्वीकार किया गया, तो कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय देश के ज्यादातर हिस्सों में अपने त्योहारों को मना ही नहीं पाएगा। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह के विरोध से धार्मिक लड़ाई झगड़े बढ़ेंगे, दंगे भड़केंगे, जिसमें जानें जाएँगी और जानमाल का भारी नुकसान झेलना पड़ेगा।
https://t.co/d4QEgnp41x just like you get rights to namaj in any area of hinduSthan.same hindus have rights to celebrate festivals where they want .
Constitution of Hindustan given same rights to both religion bhai . respect each other— Jayesh Thakkar | IntradayGeeks⚡️ (@intradaygeeks) April 11, 2022
हिंदुस्तान में मुस्लिम क्षेत्र की कल्पना करना ही गलत है
मद्रास हाई कोर्ट के फैसले से #Muslimarea को ट्वीटर पर ट्रेंड करने वालों को इतना तो समझ में आ ही गया होगा कि हिंदुस्तान में मुस्लिम क्षेत्र की कल्पना करना ही गलत है और ऐसे समुदाय की अधिकता वाले क्षेत्रों से हिंदू त्योहारों जैसे रामनवमी आदि की शोभायात्राओं पर रोक लगाने की मांग तो सर्वथा अनुचित ही नहीं, अपितु पाप है। यही वजह है कि ट्वीटर पर मुस्लिम एरिया को ट्रेंड करने वाले खूब ट्रोल हो रहे हैं।
What is Muslim area? Can Hindu claim that so and so is Hindu area where Muslim assembly or azaan on loudspeakers should be banned?
Then why this one way secularism? https://t.co/v295iBHJNb
— Shashi Kumar (@iShashiShekhar) April 11, 2022
सोशल प्लेटफार्म पर लोगों का कहना है कि यह मुस्लिम क्षेत्र क्या है? क्या हिंदू यह दावा कर सकता है कि ऐसा हिंदू क्षेत्र है, जहां मुस्लिम सभा या लाउडस्पीकर पर अज़ान पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए? फिर यह एकतरफा धर्मनिरपेक्षता क्यों?
You are not reliable as a journalist. If a temple can open its premise for breaking the Ramadan fast and that is cheered, why can’t a Ramnavami procession be taken through Muslim areas? Why should it become a justifiable act for stone pelting? https://t.co/jenIjK9nb3
— Sudhanshu S Singh (@sssingh21) April 11, 2022
कैसे कोई एक वर्ग आपत्ति कर दूसरे वर्ग के अधिकारों को प्रभावित कर सकता है ?
पिछले दिनों ‘धार्मिक अधिकार’ से जुड़े मामले पर मद्रास हाईकोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक था। यह सबकी नज़रों में इसलिए आया क्योंकि एक इलाके में रहने वाला बहुसंख्यक मुस्लिम समाज लोगों की धार्मिक आजादी और वहां के रीति रिवाज तय करना चाह रहा था। इसलिए कि उसके धर्म में दूसरे वर्ग की मान्यताओं को लेकर पाबंदी है। जब संविधान में हर नागरिक को मूलभूत अधिकार मिले हुए हैं (जिसमें पूजा-पाठ और धार्मिक जलसे-उत्सव मनाना शामिल है) फिर कैसे एक वर्ग आपत्ति पर दूसरे वर्ग के अधिकारों को प्रभावित कर सकता है ?
Peaceful activities in#Muslim #MuslimArea https://t.co/8pNRXF0f9F
— Amitava Bandyopadhyay (@AmitavaBandyo10) April 11, 2022
ट्वीटर पर एक यूजर ने लिखा है कि मुसलमान यह उम्मीद करेंगे कि हिंदू उनके लिए, उनकी नमाज के लिए मंदिर के दरवाजे खोलेंगे…अपने पड़ोस में दिन में 5 बार जोर से अज़ान सुनने के बाद भी खामोश रहेंगे….लेकिन एक दिन अपने क्षेत्र में हिंदुओं द्वारा किसी धार्मिक सभा में जाना या मस्जिद के पास डीजे बजाना मुस्लिमों के लिए सख्त मना है। क्या यही धर्मनिरपेक्षता है ??
मुस्लिमों की घातक सोच की परिणति रामनवमी पर छह राज्यों में देखने को मिली
मुस्लिमों की यही सोच हिंदू नव संवत्सर के मौके पर राजस्थान के करौली में उजागर हो चुकी है। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भगवा रैली पर किस तरह पथराव कर दर्जनों लोगों को घायल किया और घरों-दुकानों में आग लगा दी। इसी घातक सोच की खतरनाक परिणति अब रामनवमी की शोभा यात्रा के दौरान देश के छह राज्यों में देखने को मिली। गुजरात, झारखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में शोभा यात्रा पर एक समुदाय विशेष के उपद्रवियों ने पथराव किया। इससे हिंसा भड़क उठी। गुजरात में एक की मौत हो गई। गुजरात के साबरकांठा, आणंद और द्वारका में उपद्रवियों ने भारी बवाल किया। साबरकांठा में रामनवमी पर विश्व हिंदू परिषद (एबीवीपी) की शोभा यात्रा पर हमला हुआ। कई गाड़ियों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। आणंद जिले में शोभा यात्रा के दौरान पथराव के बाद हिंसा भड़क गई। इसमें एक शख्स की मौत हो गई। द्वारका में भी उपद्रवियों ने शोभायात्राओं को निशाना बनाया। हंगामा करने को लेकर पुलिस ने 15 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। ऐसा ही अन्य राज्यों में भी हुआ।
इनसे एक दिन का DJ भी बर्दाश्त नहीं
हम 365 दिन, दिन में 5 बार इनका लाउड्स्पीकर झेले?? pic.twitter.com/HqNx8vE8kT— (っ◔◡◔)っ Pankaj ? (@coffee1by2) April 11, 2022
हम तो ऐसे ही रैली निकालेंगे रास्ता जो होगा उसी से जायेगें है चाहिए मस्जिद हो चाहिए कुछ और ?जय श्री राम?? pic.twitter.com/ywqiUmKIqg
— Pradeep Gour (@Pradeep74383980) April 11, 2022