बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को मोदी सरकार ने 2019-2020 का इकोनॉमिक सर्वे यानी आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण लोकसभा में पेश किया। इकोनॉमिक सर्वे में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ 6 से 6.5 फीसदी रहने का भरोसा जताया गया है। फिलहाल वित्त वर्ष 2019-20 के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 5 फीसदी है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि इकोनॉमिक सर्वे 130 करोड़ देशवासियों के लिए वेल्थ क्रियेशन पर फोकस करता है।
The #EconomicSurvey 2019-20 focuses on wealth-creation for 130 crore Indians. It outlines a multi-faceted strategy to achieve a $5 trillion economy through enterprise, exports, ease of doing business and more. Do read! https://t.co/CZHNOcO7GV
— Narendra Modi (@narendramodi) January 31, 2020
आर्थिक सर्वेक्षण में देश में व्यवसाय करने को आसान बनाने के लिए और सुधार करने का आह्वान किया गया है। वहीं नया कारोबार शुरू करने, संपत्ति पंजीकरण, कर भुगतान और अनुबंधों के प्रवर्तन को सुगम करने के लिए उपायों की जरूरत बताई गई है। इसके चालू वित्त वर्ष (2019-2020) में आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान, आर्थिक वृद्धि को तेज करने के लिए चालू वित्त वर्ष के राजकोषीय घाटा लक्ष्य में ढील देनी पड़ सकती है ।
इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आएगी। इसके बाद वित्त वर्ष 2021 में इसके मजबूत स्थिति में पहुंचाने का अनुमान जताया गया है। सर्वे में कहा गया है कि जीडीपी ग्रोथ घटने का सबसे बड़ा कारण मांग और निवेश में कमी रही। इसके कारण सरकार पर आर्थिक सुधारों में तेजी लाने का दबाव बना। उम्मीद है कि सरकार बजट 2020 में व्यक्तिगत करदाताओं को आयकर में राहत की घोषणा कर सकती है। साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश बढ़ाने वाली घोषणाएं कर सकती है।
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक देश में रोजगार सृजन को लेकर अच्छे दिन आने वाले हैं। सरकार का अनुमान है कि अगले पांच साल में चार करोड़ अच्छी सैलरी वाली नौकरियां मिलेंगी और इनकी संख्या 2030 तक बढ़कर आठ करोड़ तक हो जाएंगी। आर्थिक सवेर्क्षण 2019-20 के अनुसार, 2025 तक देश में अच्छे वेतन वाली चार करोड़ नौकरियां पैदा होंगी और 2030 तक इनकी संख्या आठ करोड़ हो जाएगी।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत के पास श्रम आधारित निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चीन के समान अभूतपूर्व अवसर है। भारत में ‘एसेम्बल इन इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ के कार्यक्रमों से दुनिया के निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी 2025 तक 3.5 फीसदी हो जाएगी, जोकि आगले चलकर 2030 तक छह तक हो जाएगी।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2025 तक भारत को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए जरूरी मूल्य संवर्धन में नेटवर्क उत्पादों के नियार्त में एक तिहाई की वृद्धि होगी। आर्थिक सर्वेक्षण में भारत को चीन जैसी रणनीति अपनाने का सुझाव दिया गया है, जिसके तहत श्रम आधारित क्षेत्रों में खासतौर से नेटवर्क उत्पादों के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विशेषज्ञता हासिल करने की आवश्यकता है। साथ ही, नेटवर्क उत्पादों के बड़े स्तर पर एसेम्बलिंग की गतिविधियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई गई है।
इसके अलावा, अमीर देशों के बाजार में निर्यात को बढ़ावा देने और नियार्त नीति को अनुकूल बनाने का भी सुझाव दिया गया है। आर्थिक समीक्षा में भारत की ओर से किए गए व्यापार समझौतों का कुल व्यापार संतुलन पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किया गया है।