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इतिहास गवाह है अखंड भारत का…अगले डेढ़ दशक में ही फिर से अखंड बनेगा भारतवर्ष, सर संघचालक भागवत बोले- जो इसके रास्ते में आएगा मिट जाएगा

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भारतवर्ष ऋषियों, मुनियों, गुरुओं का देश माना जाता है। भारतवर्ष यानि आर्यव्रत संसार का प्राचीनतम देश है। यही पहला देश है, जो विश्वगुरु कहलाया। अखंड भारत समय-समय पर खंडित होता रहा। पाकिस्तान, बंगलादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत, श्रीलंका, म्यांमार, अफगानिस्तान, ईरान, तजाकिस्तान, बर्मा, इंडोनेशिया, ब्लूचिस्तान भारतवर्ष के ही अभिन्न अंग रहे हैं। यहां तक कि मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, दक्षिणी वियतनाम, कंबोडिया आदि भी अखंड भारत के हिस्से थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है। 15 साल में भारत फिर से अखंड भारत बनेगा। यह सब हम अपनी आंखों से देखेंगे।

हम एक साथ मिलकर इस कार्य को गति से करें तो एक दशक में ही अखंड भारत
उन्होंने कहा कि वैसे तो संतों की ओर से ज्योतिष के अनुसार 20 से 25 साल में भारत फिर से अखंड भारत होगा ही। यदि हम सब मिलकर इस कार्य की गति बढ़ाएंगे तो 10 से 15 साल में अखंड भारत बन जाएगा। आरएसएस प्रमुख कनखल के पूर्णानंद आश्रम में ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर श्री 1008 स्वामी दिव्यानंद गिरि की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा और श्री गुरुत्रय मंदिर का लोकार्पण करने के लिए पहुंचे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत लगातार प्रगति पथ पर आगे बढ़ रहा है। इसके रास्ते में जो आएंगे वह मिट जाएंगे।

भागवत बोले- हम अहिंसा की ही बात करेंगे, मगर हाथों में डंडा लेकर
मोहन भागवत ने कहा कि हम अहिंसा की ही बात करेंगे, पर यह बात हाथों में डंडा लेकर कहेंगे। हमारे में मन में कोई द्वेष, शत्रुता भाव नहीं है, लेकिन दुनिया शक्ति को ही मानती है तो हम क्या करें। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जिस प्रकार भगवान कृष्ण की अंगुली से गोवर्द्धन पर्वत उठ गया था, पर गोपालों ने सोचा कि उनकी लकड़ियों के बल पर गोवर्द्धन पर्वत रुका हुआ है। जब भगवान कृष्ण ने अंगुली हटाई तो पर्वत झुकने लगा। तब गोपालों को पता चला कि पर्वत तो भगवान श्रीकृष्ण की अंगुली से रुका हुआ है। ऐसे ही लकड़ियां तो हम सब लगाएंगे, पर संतगणों के रूप में इस महान कार्य के लिए अंगुली लगेगी तो स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद के सपनों का अखंड भारत बनाने में जल्द सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और भारत समान शब्द हैं।

आज देश में राष्ट्रीयता गंगा की तरह कल-कल कर बह रही है
मोहन भागवत ने कहा कि हमारी राष्ट्रीयता गंगा के प्रवाह की तरह कल-कलकर बह रही है। जब तक राष्ट्र है तब तक धर्म है। धर्म के प्रयास के उत्थान के लिए प्रयास होगा तो भारत का उत्थान होगा। एक हजार साल तक भारत में सनातन धर्म को समाप्त करने के प्रयास लगातार किये गये, मगर वह मिट गये, पर हम और सनातन धर्म आज भी वहीं है।

भारत में आकर दुष्ट प्रवृत्ति के लोग या तो ठीक हो जाते हैं या मिट जाते हैं
भागवत ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां आकर दुनिया के हर प्रकार के व्यक्ति की दुष्ट प्रवृत्ति समाप्त हो जाती है। वह भारत में आकर या तो ठीक हो जाता है या फिर मिट जाता है। भागवत ने कहा कि जो तथाकथित लोग सनातन धर्म का विरोध करते हैं, उनका भी उसमें सहयोग है। यदि वह विरोध न करते तो हिंदू जागता नहीं। कार्यक्रम में महामंडलेश्वर स्वामी गिरिधर, स्वामी विशोकानंद भारती, स्वामी विवेकानंद, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव रविंद्रपुरी, महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद सहित अन्य मौजूद थे।

अखंड भारत में शामिल थे आज के कई देश, इतिहास इनका मूक साक्षी
नेपाल देवघर के नाम से जाना जाता है और अखंड भारत का भाग था। माता सीता का जन्म मिथिला नेपाल में हुआ था। भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल की लुबिनी में हुआ था। अखंड भारत में तिब्बत का नाम त्रिविष्टय था। त्रिविष्टिय में रिशिका और तुषाण नामक राज्य हुआ करते थे। तिब्बत में पहले हिंदू धर्म बाद में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार हुआ। भूटान भौगोलिक रूप से भारत से जुड़ा हुआ है। भूटान में वैदिक एवं बौद्ध धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं। ब्लूचिस्तान भारत की सोलाह स्टेटस में से एक था। यह गंधार स्टेट का भाग रहा है। म्यांमार (ब्रह्मदेश) और श्रीलंका वैदिक एवं बौद्ध धार्मिक परम्पराओं को मानने वाले हैं। ये दोनों देश भारत के अभिन्न अंग थे। अफगानिस्तान का विस्तविक नाम उपगणस्थान था। इसका निर्माण कंधार और कम्बोज के कुछ भागों को मिला कर हुआ था। अखंड भारत के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, शिवसेना आदि कार्य कर रहे हैं। संघ के विचारक एवं पूर्व सरकार्यवाह हो.बे. शेषाद्रि ने अखंड भारत की बात कही है। संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने कहा है कि अखंड भारत ही सम्पूर्ण स्वतंत्रता ला सकता है।

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