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नागरिकता कानून पर हिंसा के पीछे विपक्षी नेताओं की बयानबाजी ?

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नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कुछ असामाजिक तत्व हिंसा फैलाने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ज्यादातर जानकारों का मानना है कि इस हिंसा के लिए विपक्ष के नेताओं की बयानबाजी जिम्मेदार है। संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने के बाद के घटनाक्रमों से इसकी पुष्टि भी होती है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं के बयान पर गौर करें, तो साफ पता चलता है कि इन पार्टियों ने अपनी सियासी रोटी सेंकने के लिए आग भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

विपक्षी नेताओं ने दिए भड़काऊ बयान !

काफी समय से देश की हालत बहुत गंभीर हो गई है। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने घरों से बाहर निकलें और आंदोलन करें।

-सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष 

डरो मत, आपके साथ कांग्रेस पार्टी खड़ी है। 

-राहुल गांधी, पूर्व अध्यक्ष, कांग्रेस

आज सीएबी आया है न, कल क्या करेंगें ये लोग कि मस्जिदों से अजान नहीं होगी।

-अमानतुल्लाह खान, विधायक, आप

कोई मुसलमान आपसे नहीं डरता है।

-कपिल सिब्बल, कांग्रेस नेता

पीएम मोदी ने की शांति बनाए रखने की अपील 

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे हिंसक प्रदर्शन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर शांति और हिंसक प्रदर्शन नही करने की अपील की है। उन्होंने लिखा कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जो हिंसक प्रदर्शन हो रहा है वह निंदनीय है। बहस, चर्चा और असंतोष लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन सार्वजनिक प्रॉपर्टी को नुकसाना पहुंचाना और आम जीवन को प्रभावित करना लोकतंत्र का हिस्सा नहीं है। ये वक्त शांति बरतने और एकता दिखाने का है। मैं सभी से अपील करता हूं कि ऐसे वक्त में किसी भी तरह की अफवाह और झूठ से बचें।

पीएम ने ट्वीट कर लिखा कि नागरिकता संशोधन एक्ट, 2019 संसद के दोनों सदनों के द्वारा पास किया गया है। बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों और सांसदों ने इस बिल का समर्थन किया है। ये एक्ट भारत की पुरानी संस्कृति जो कि भाईचारा सिखाती है, उसका संदेश देती है। 

 

नागरिकता संशोधन कानून क्या है ?

नागरिक संशोधन एक्ट के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और आस-पास के देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इस बिल में मुस्लिम धर्म के लोगों को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि वे वहां धार्मिक रूप से उत्पीड़ित नहीं हैं।

नागरिकता संशोधन कानून से जुड़ी अहम बातें- 

– नागरिकता संशोधन कानून के तहत पड़ोसी देशों के धार्मिक रूप से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को आसानी से भारत की नागरिकता मिल पाएगी। नागरिकता हासिल करने के लिए उन्हें यहां कम से कम 5 साल बिताने होंगे। पहले नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम 11 साल बिताने का पैमाना तय था।

– पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यक जैसे हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के वो लोग जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया था, वे सभी भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे।

-ओसीआई कार्ड धारक यदि नियमों का उल्लंघन करते हैं तो केंद्र के पास उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार होगा।

 

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