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लता जी ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की मधुर प्रस्तुति की तरह थीं- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार शाम 25 अप्रैल को मुंबई में मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी को प्रथम लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत रत्न लता मंगेशकर की स्मृति में स्थापित किया गया यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष सिर्फ एक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण में अनुकरणीय योगदान के लिए दिया जाएगा।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुझे संगीत जैसे गहन विषय की बहुत जानकारी तो नहीं है, लेकिन सांस्कृतिक बोध से यह महसूस होता है कि संगीत एक ‘साधना’ भी है और एक भावना भी। उन्होंने कहा, “जो अव्यक्त को व्यक्त कर दे, वो शब्द है। जो व्यक्त में ऊर्जा और चेतना का संचार कर दे, वो ‘नाद’ है। जो चेतन में भावों और भावनाओं को भरकर सृष्टि और संवेदनशीलता की पराकाष्ठा तक ले जाए, वो ‘संगीत’ है। संगीत आपको वीररस और मातृत्व स्नेह की अनुभूति करवा सकता है। यह राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यबोध के शिखर पर पहुंचा सकता है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “लता जी ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की मधुर प्रस्तुति की तरह थीं। उन्होंने 30 से अधिक भाषाओं में हजारों गाने गाए। चाहे वह हिंदी हो, मराठी, संस्कृत या दूसरी भारतीय भाषाएं हो, उनका स्वर हर भाषा में एक जैसा घुला हुआ था।” श्री मोदी ने आगे कहा, “संस्कृति से आस्था तक, पूर्व से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक, लता जी के सुरों ने पूरे देश को एक करने का कार्य किया। वैश्विक स्तर पर भी, वह भारत की सांस्कृतिक राजदूत थीं।” प्रधानमंत्री ने कहा, “ वह हर राज्य, हर क्षेत्र के लोगों के मन में बसी हुई हैं। उन्होंने दिखाया कि कैसे भारतीयता के साथ संगीत अमर हो सकता है।”

उन्होंने कहा, “हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमने संगीत के इस सामर्थ्य और शक्ति को लता दीदी के रूप में साक्षात देखा है।” श्री मोदी ने कहा, “मेरे लिए, लता दीदी ‘सुर साम्राज्ञी’ होने के साथ-साथ मेरी बड़ी बहन भी थीं। पीढ़ियों को प्रेम और भावनाओं का उपहार देने वाली लता दीदी से अपनी बहन जैसा प्यार पाने से बड़ा सौभाग्य और क्या होगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि वे आमतौर पर पुरस्कार लेते हुए बहुत सहज नहीं महसूस करते, लेकिन जब मंगेशकर परिवार लता दीदी जैसी बड़ी बहन का नाम लेता है और उनके नाम पर पुरस्कार देता है, तो यह उनके स्नेह और प्यार का प्रतीक बन जाता है। उन्होंने कहा, “मेरे लिए इसे ना कहना संभव नहीं है। मैं यह पुरस्कार सभी देशवासियों को समर्पित करता हूं। जिस तरह लता दीदी लोगों की थीं, वैसे ही उनके नाम पर मुझे दिया गया यह पुरस्कार भी लोगों का है।” प्रधानमंत्री ने कई व्यक्तिगत किस्से सुनाए और सांस्कृतिक जगत में लता दीदी के असीम योगदान के बारे में विस्तार से बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, “लता जी की जीवन यात्रा ऐसे समय में पूरी हुई जब हमारा देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने आजादी से पहले भारत को आवाज दी थी और देश की इन 75 वर्षों की यात्रा भी उनकी आवाज के साथ जुड़ी रही।”

प्रधानमंत्री ने मंगेशकर परिवार की राष्ट्रभक्ति के गुण के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा, “संगीत के साथ-साथ राष्ट्रभक्ति की जो चेतना लता दीदी के भीतर थी, उसका स्रोत उनके पिताजी ही थे।” श्री मोदी ने वह घटना सुनाई जब आजादी की लड़ाई के दौरान शिमला में ब्रिटिश वायसराय के एक कार्यक्रम में दीनानाथ जी ने वीर सावरकर का लिखा एक गीत गाया था। यह गीत वीर सावरकर ने ब्रिटिश शासन को चुनौती देते हुए लिखा था। प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभक्ति की यह भावना अपने परिवार को दीनानाथ जी ने विरासत में दी थी। लता जी ने संगीत को अपनी पूजा बना लिया लेकिन देशभक्ति और राष्ट्र सेवा को भी उनके गीतों से प्रेरणा मिली।

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