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भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का WHO ने भी माना लोहा, ग्लोबल सेंटर स्थापित करने पर प्रधानमंत्री मोदी ने जताई खुशी

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पारंपरिक चिकित्सा के लिए ग्लोबल सेंटर की स्थापना के लिए भारत सरकार के साथ समझौता किया है। गुजरात के जामनगर में यह केंद्र स्थापित होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना को लेकर खुशी व्यक्त की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह केंद्र धरती को स्वस्थ बनाने और वैश्विक हित में हमारी समृद्ध पारम्परिक विधियों के दोहन बनाने में अपना योगदान करेगा। आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ ने केंद्र के लिए एक मेजबान देश समझौता किया। आयुष मंत्रालय के ट्वीट का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत अपने यहां अत्याधुनिक डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना को लेकर खासा सम्मानित महसूस कर रहा है। यह केंद्र एक स्वस्थ ग्रह के निर्माण और वैश्वित हित के लिए हमारी समृद्ध पारंपरिक विधियों के दोहन की दिशा में योगदान करेगा।”

इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ के संदेश पर जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत की पारम्परिक औषधियां और स्वास्थ्य विधियां विश्व स्तर पर काफी लोकप्रिय हैं। यह डब्ल्यूएचओ केंद्र हमारे समाज में खुशहाली फैलाने की दिशा में एक लंबा सफर तय करेगा।”

समझौते को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुक्रवार को ट्वीट कर बताया कि डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार ने आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से पारंपरिक दवाओं की क्षमता को अधिकतम स्तर तक करने के लिए डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की है।

इससे पहले आयुष मंत्रालय ने ट्वीट किया था कि गुजरात के जामनगर में भारत में पारंपरिक चिकित्सा के लिए डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर की स्थापना को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसका अंतरिम कार्यालय गुजरात में द इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद में स्थित है।

ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रैडिशनल मेडिसिन की स्थापना से संबंधित समझौते पर स्विट्जरलैंड के जिनेवा में भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में 5वें आयुर्वेद दिवस पर 13 नवंबर, 2020 को इसकी घोषणा की थी। इस केंद्र के लिए भारत सरकार ने 250 मिलियन डॉलर की सहायता की है।

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