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कमलेश तिवारी की हत्या पर जश्न मनाने वाले पत्रकार अली सोहराब ने किया तालिबान का बचाव, काबुल एयरपोर्ट पर हो रहे कत्लेआम को भी किया जस्टिफाई

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भारत में तालिबान की पैरवी करने वाले प्रवक्ताओं की कमी नहीं है। इनमें सांसद, धार्मिक नेता, शायर से लेकर पत्रकार तक शामिल है। ये लोग तालिबानियों को स्वतंत्रता सेनानी बताने में भी संकोच नहीं कर रहे हैं, जो अपने ही देश के बेकसूर मुस्लिमों का कत्लेआम कर रहे हैं। इनके कत्लेआम को वाजिब ठहराने के लिए ऐसी दलीलें दे रहे हैं, जो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में रहने वाले किसी नागरिक से अपक्षा नहीं की जाती है।    

तालिबान के भारतीय प्रवक्ता के रूप में पत्रकार अली सोहराब सामने आया है। हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या पर जश्न मनाने वाले सोहराब ने अब ट्विटर पर तालिबान का पक्ष रखने के लिए मोर्चा संभाल लिया है। सोहराब ने ट्विटर पर तालिबान लड़ाकों द्वारा बेकसूर अफगानियों की हत्या का बचाव करते हुए दलील दिया कि काबुल की आबादी लगभग 45 लाख है, काबुल एयरपोर्ट पर भागने वालों की संख्या हजार से ज्यादा नहीं थी। तालिबान उन लोगों की हत्या कर रहा है, जिन्होंने कभी अमेरिकी सेना का साथ दिया था। उनके जुर्म माफी लायक नहीं है।

सोहराब ने ट्वीट में मक्का का एक उदाहरण देते हुए कहा कि मक्का फ़तह के वक्त भी आम माफी के बाद भी कुछ लोगों को माफ़ी नहीं दी गई और उन्हे क़त्ल किया गया, क्योंकि उनके जुर्म ही ना क़ाबिल-ए-माफी थे और ऐसे कई लोग मक्का छोड़कर फरार भी हो गए थे, क्योंकि वो जानते थें की उनके जुर्म ही ना क़ाबिल-ए-माफी है।

गौरतलब है कि हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले, समाज में घृणा फैलाने और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करने के आरोप में अली सोहराब को यूपी पुलिस ने नवंबर 2019 में गिरफ्तार किया था। अली सोहराब ट्विटर पर काकवाणी के नाम से जाना जाता है। ट्विटर बॉयो में अली सोहराब खुद को एक डरा हुआ पत्रकार बताता है। सोहराब पर आरोप था कि उसने भड़काऊ ट्वीट कर दंगा फैलाने की कोशिश की थी। कमलेश तिवारी की हत्या के बाद अली सोहराब ने खुशी जाहिर करते हुए एक ट्वीट किया था, जिसमें सोहराब ने लिखा था, ‘दिवाली की अग्रिम बधाई एवं शुभकामनाएं’। साथ में #कमलेश_तिवारी हैशटैग भी डाला था।

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