प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुरू से ही वीआईपी कल्चर के विरोधी रहे हैं। प्रधानमंत्री सिर्फ वीआईपी कल्चर को खत्म करने की बात ही करते हैं, बल्कि पालन भी करते हैं। उसकी झलक एक बार देखने को मिली। प्रधानमंत्री मोदी ने रूस में एक कार्यक्रम के दौरान एक बार फिर सादगी की मिसाल पेश की। गुरुवार को व्लादीवोस्तोक में एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ उनकी फोटो सेशन होनी थी। फोटो सेशन के लिए अधिकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी के बैठने के लिए अलग से विशेष सोफे का इंतजाम किया था, जबकि भारतीय सीईओ के लिए कुर्सी की व्यवस्था की गई थी। प्रधानमंत्री की नजर जैसे ही इस पर पड़ी कि अन्य लोगों के लिए कुर्सी और उनके लिए सोफे की व्यवस्था की गई है, उन्होंने तुरंत अधिकारियों से इसे हटाने के लिए कहा और अपने लिए भी सबकी तरह कुर्सी लगाने को कहा। उन्होंने आयोजकों से कहा कि वो उनमें से ही हैं, वो खड़े रहना या फिर सबके लिए जैसी व्यवस्था है, उसी में रहना पसंद करेंगे। इसके बाद मोदी भी सामान्य कुर्सी पर ही बैठे।
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यह कोई पहला मौका नहीं है, इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार वीआईपी कल्चर की विदाई के लिए कई फैसले कर चुके हैं। एक नजर डालते हैं वीआईपी कल्चर को खत्म करने के लिए उठाए गए कदमों पर
प्रधानमंत्री मोदी के लिए नहीं रोका गया ट्रैफिक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देश से वीआईपी कल्चर को पूरी तरह खत्म करने में लगी है। प्रधानमंत्री मोदी ने साबित कर दिया है कि उनका ‘Every Person is Important’ का मंत्र सिर्फ कहने के लिए नहीं है, बल्कि वह खुद इस मंत्र का पालन भी करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ निर्देश दिया है कि उनके काफिले के लिए सामान्य ट्रैफिक को डिस्टर्ब नहीं किया जाए। पिछले साल ही उनका काफिला सरदार पटेल मार्ग से सामान्य ट्रैफिक के बीच गुजरता रहा। दरअसल प्रधानमंत्री असम में होने वाले ग्लोबल इंवेस्टमेंट समिट का उद्घाटन करने के लिए गुवाहाटी जा रहे थे। इस दौरान जब उनका काफिला लोक कल्याण मार्ग से सरदार पटेल मार्ग होकर गुजरा तो ट्रैफिक को रोका नहीं गया। आमतौर पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का काफिला गुजरने पर ट्रैफिक को रोक दिया जाता है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी नहीं चाहते कि उनके कारण आम जनता को कोई परेशानी हो।
Delhi: Prime Minister Narendra Modi’s convoy seen at Sardar Patel Marg, earlier today, no traffic disruption as convoy passes through. pic.twitter.com/yj8hFtjxOd
— ANI (@ANI) February 3, 2018
नॉर्मल ट्रैफिक से गुजर कर एयरपोर्ट पहुंचे पीएम
प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की आगवानी के लिए भी वीवीआईपी कल्चर को दरकिनार कर सामान्य ट्रैफिक में लोककल्याण मार्ग से लेकर दिल्ली एयरपोर्ट कर का सफर तय किया था। प्रधानमंत्री आवास लोक कल्याण मार्ग से लेकर एयरपोर्ट तक पीएम का काफिला आम लोगों की गाड़ियों के बीच से ही गुजरता रहा। कहीं भी पीएम मोदी के लिए सामान्य ट्रैफिक को नहीं रोका गया और न ही कोई बदलाव किया गया।
राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति की गाड़ियों पर भी लगेगी नंबर प्लेट
वीवीआईपी की गाड़ियों पर लालबत्ती के इस्तेमाल पर रोक लगाने के बाद अब इन गाड़ियों में नंबर प्लेट लगाना भी अनिवार्य किया जा रहा है। केंद्र सरकार चाहती है कि अब आम नागरिक की तरह ही राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, राज्यपाल और अन्य संवैधानिक अधिकारी भी अपने वाहनों पर नंबर प्लेट लगाएं। फिलहाल इन विशेष लोगों की गाड़ियों पर केवल भारत का राज्य चिन्ह बना होता है, नंबर नहीं लिखा होता। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी की बात ही अलग है, पीएम मोदी की गाड़ी पर नंबर प्लेट पहले से ही लगी हुई है।
राजभवन की जगह गेस्टहाउस में ठहरे प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने 19 दिसंबर को लक्षद्वीप, तमिलनाडु और केरल के चक्रवाती तूफान ‘ओखी’ से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और तूफान से प्रभावित लोगों, मछुआरों तथा किसानों से मुलाकात की। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी केरल में थरकाड के सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरे। यहां के लिए यह ऐसा पहला अवसर था कि कोई प्रधानमंत्री आधिकारिक यात्रा पर होते हुए भी किसी गेस्ट हाउस में ठहरा हो। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह ने हमेशा राज भवन या किसी बहुत बड़े होटल में रहने को ही प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरने से यहां के कर्मचारी काफी उत्साहित और गौरवांवित अनुभव कर रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां की व्यवस्थाओं पर संतोष व्यक्त किया और कर्मचारियों के साथ फोटो भी खिंचवाया। यह उन सभी के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव था।
पीएम मोदी की कथनी और करनी में फर्क नहीं है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यही वो अलग शैली है, जो उन्हें दूसरे नेताओं से बिल्कुल अलग पहचान देती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने इसी सहज व्यवहार से 14 नवंबर, 2017 को लोगों को अचंभित कर दिया। गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान वे आम मतदाताओं के साथ मतदान के लिए लाइन में खड़े रहे और फिर काफी देर प्रतीक्षा के बाद अपनी बारी आने पर ही वोट डाले। पीएम मोदी चाहते तो वो बिना किसी प्रतीक्षा के जाकर वोट डाल सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। पीएम मोदी का ये सौम्य व्यक्तित्व देखकर वहां मौजूद मतदान और सुरक्षा अधिकारी भी हैरान रह गए। साथ ही साथ प्रधानमंत्री के साथ जो लोग उस समय मतदान केंद्र के अंदर थे, वे तो मोदी जी की झलक पाकर ही गदगद हो रहे थे। आम मतदाताओं में एक गर्व का भाव भी था कि देश का सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री आज उन लोगों के साथ मतदान के लिए इंतजार कर रहे हैं।
Ahmedabad: PM Modi stands in queue at booth number 115 in Sabarmati’s Ranip locality to cast his vote. BJP’s sitting MLA Arvind Patel is up against Congress’ Jitubhai Patel from Sabarmati seat. #GujaratElection2017 pic.twitter.com/XDEbQrxWP8
— ANI (@ANI) December 14, 2017
संस्कारों के भी धनी हैं प्रधानमंत्री मोदी
मोदी जी की एक झलक पाने के लिए लोग उतावले हो रहे थे। उसी दौरान पीएम मोदी की नजर अपने बड़े भाई सोम मोदी पर पड़ गई, जो वोट डालने के लिए वहां पहुंचे हुए थे। मोदी जी ने तुरंत गाड़ी से उतरकर उनके पास पहुंचकर पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। इस दौरान वे कुछ दूर पैदल भी चले। लोग मोबाइल फोन में उनकी तस्वीर कैद करते जा रहे थे और साथ ही साथ मोदी-मोदी के नारे लगाते जा रहे थे। लोग छतों पर चढ़कर पीएम मोदी को देखने के लिए उतावले हो रहे थे।
राष्ट्रपति चुनाव में भी लाइन में लगकर डाला था वोट
इससे पहले राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी ने संसद भवन में मौजूद चुनाव अधिकारियों और सांसदों को अचरज में डाल दिया था। वे मतदान शुरू होने से न केवल 10 मिनट पहले ही मतदान स्थल पर पहुंच गए, बल्कि वोटिंग के लिए लाइन में लग गए। प्रधानमंत्री को इस तरह से वोटिंग के लिए कतार में लगा देख मतदान अधिकारी बहुत हैरान हो गए। इस दौरान उन्होंने माहौल को हल्क करने के लिए कहा, कि समय की पाबंदी उनकी आदत में है और स्कूल भी वे समय से पहले ही पहुंच जाया करते थे।
काफिला रोक एंबुलेंस को दिया रास्ता
वीआईपी कल्चर खत्म करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी गंभीर है। उन्होंने एसपीजी सुरक्षा घेरे में होने के बावजूद अपना काफिला रोक एक एंबुलेंस को रास्ता दिया था। प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के गांधीनगर में अफ्रीकी विकास बैंक की बैठक से वापस लौट रहे थे। उन्हें एक दूसरे कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन कार्यक्रम में तय समय से देर हो जाने के बाद भी जब उन्हें पता चला कि उनके काफिले के कारण एक एंबुलेंस रुका हुआ है तो उन्होंने सुरक्षाकर्मियों से अपने काफिले को किनारे करने को कहा और एंबुलेंस को आगे जाने का रास्ता दिया।
‘एवरी पर्सन इज इंपौर्टेंट’ की सोच
दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि भारत का हर नागरिक वीआईपी है, इसीलिए कुछ गिने-चुने लोगों को खास सुविधाएं भोगने का अधिकार नहीं है। उन्होंने 30 अप्रैल, 2017 को मन की बात में प्रधानमंत्री ने एक नए शब्द ‘EPI’ का सृजन कर साफ कर दिया कि न्यू इंडिया में वीआईपी कल्चर की कोई जगह नहीं होगी। यहां ‘EVERY PERSON IS IMPOROTANT’ है। दरअसल वे चाहते हैं कि देश का हर नागरिक स्वयं को सिस्टम से जुड़ा हुआ अनुभव करे।
लाल बत्ती की परंपरा खत्म की
प्रधानमंत्री मोदी स्वयं को प्रधानसेवक मानते हैं। इसी के तहत वो देश में वीआईपी कल्चर खत्म करने के लिए हर तरह के प्रयास में लगे हैं। इसी सोच के मुताबिक उन्होंने 01 मई, 2017 से कुछ इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक को लाल बत्ती के उपयोग के अधिकार को खत्म कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले दिन से ही साबित किया है कि उनकी सरकार वीआईपी या पूंजीपतियों के लिए नहीं, देश की आम जनता के लिए सोचती है। पिछले कई दशकों से लालबत्ती रसूख और वीआईपी कल्चर का प्रतीक बनी हुई थी।
सरकारी बंगलों में रहने की मनमानी खत्म
17 मई, 2017 को मोदी सरकार ने सरकारी आवास (अनाधिकृत कब्जा विरोधी) अधिनियम, 1971 में बदलाव को मंजूरी दे दी। इसके बाद तय हो गया कि पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद, मुख्यमंत्री या को अधिकारी किसी भी सूरत में निर्धारित समय-सीमा से अधिक समय तक अपने सरकारी बंगले में नहीं रह सकते। इस फैसले के बाद खुद को वीआईपी मानकर सरकारी बंगलों पर मनमाने समय तक कब्जा बनाए रखने की परंपरा भी खत्म हो गई। अब किसी ने इसका उल्लंघन किया तो उनका बोरिया-बिस्तर समेट कर बंगले से बाहर कर दिया जाएगा।
मंत्रियों के गैर-जरूरी होटल निवास पर लगाम
प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों के सामने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की अपनी नीति से कोई समझौता नहीं करेंगे। यानी किसी भी स्तर पर वीआईपी कल्चर को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 20 अगस्त को पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों को चेताया कि उन्हें 5 सितारा होटलों में ठहरने से बचना चाहिए। दरअसल वे कुछ मंत्रियों के फाइव स्टार होटल में ठहरने की आदत के कारण नाखुश थे। उन्होंने साफ कर दिया कि मंत्रियों को अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान सरकारी व्यवस्थाओं का ही लाभ उठाना चाहिए।
पीएसयू की गाड़ियों का उपयोग न करने की हिदायत
20 अगस्त, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिपरिषद के सहयोगियों से साफ कहा कि कहा कि वे अपने मंत्रालयों के अधीन आने वाले पीएसयू की गाड़ियों का इस्तेमाल न करें। उन्होंने सहयोगियों को चेतावनी भी दी कि अगर कोई मंत्री या उनके परिजन ऐसा करते हुए पाए जाते हैं तो वह कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। मंत्रियों को उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि वे यह भी सुनिश्चित करें कि उनके स्टाफ भी पीएसयू से मिलने वाली सुविधाओं का निजी इस्तेमाल न करें।
रेलवे बोर्ड का वीआईपी प्रोटोकॉल खत्म
प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर रेलवे बोर्ड की ओर से 1981 में जारी एक सर्कुलर के कुछ निर्देशों को भी समाप्त कर दिया गया है। इस सर्कुलर के तहत महाप्रबंधकों के लिए आवश्यक था कि वे रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और बोर्ड के दूसरे सदस्यों की यात्राओं के दौरान उनके आगमन और प्रस्थान वाली जगह पर मौजूद रहें, लेकिन रेल मंत्रालय के एक आदेश के अनुसार रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और बोर्ड के अन्य सदस्यों की यात्राओं के दौरान हवाईअड्डों और रेलवे स्टेशनों पर अपनाए जाने वाले प्रोटोकॉल के निर्देशों को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया। यही नहीं अब रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी रेलवे के ट्रैकमैन को अपने घरेलू कर्मचारी के तौर पर भी काम नहीं करा सकेंगे। गौरतलब है कि मोदी सरकार के फैसले से पहले लगभग 30 हजार ट्रैकमैन रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के घरों पर सेवाएं दे रहे थे। यही नहीं रेलवे के 50 मंडल प्रबंधकों को भी एक्जिक्यूटिव श्रेणी की जगह स्लीपर और थर्ड एसी में सफर करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही गुलदस्ता और बाकी उपहार लेने की भी मनाही कर दी गई है।
जनता की सरकार है मोदी सरकार
प्रधानमंत्री मोदी ने पहले दिन से ही साबित किया है कि उनकी सरकार वीआईपी या पूंजीपतियों के लिए नहीं, देश की जनता के लिए सोचती है। साढ़े तीन साल में उन्होंने जो भी कदम उठाए हैं, उसका लक्ष्य सभी सवा सौ करोड़ देशवासी रहे हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास’ ये एक नारा नहीं है, ये पीएम मोदी के गवर्नेंस की आत्मा है। वो जानते हैं कि देश की जनता ने उनपर जो भरोसा किया है, उसकी भावनाओं के अनुसार काम करना उनकी जिम्मेदारी है।