Home नरेंद्र मोदी विशेष PM Modi फिर बने संकटमोचक, अब यमन में हैती विद्रोहियों की कैद...

PM Modi फिर बने संकटमोचक, अब यमन में हैती विद्रोहियों की कैद से छुड़ाए गए भारतीय नागरिक बोले-पीएम मोदी की वजह से हो पाई स्वदेश वापसी

SHARE

प्रधानमंत्री मोदी का दिल इतना बड़ा है कि जब उन्हें पता चलता है कि दुनिया के किसी भी कौने में कोई भारतीय फंसा है तो वो उसका निकालने के लिए संकटमोचक की भूमिका में आ जाते हैं। ऐसा एक नहीं कई बार, कई देशों में फंसे भारतीयों के साथ हो चुका है कि उनकी उम्मीदों का आखिरी सहारा पीएम मोदी बने। कोरोना काल से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध तक हजारों भारतीयों की सकुशल स्वदेश वापसी हुई है। ताजा उदाहरण भारतीय नाविकों को छुड़ाकर भारत लाने का है। यमन में हैती विद्रोहियों के कब्जे से छुड़ाए गए भारतीय नाविकों ने देश लौटने के बाद पीएम मोदी का शुक्रिया किया है। इन्होंने कहा है कि हालांकि कैद में वे मौत के काफी करीब थे, लेकिन उन्हें पीएम मोदी पर भरोसा था कि वे कैसे भी उनको सुरक्षित भारत ले आएंगे।

हम साढ़े तीन माह से कैद थे, पीएम मोदी के प्रयासों से हो सकी स्वदेश वापसी
भारतीय नाविकों को 2 जनवरी को लाल सागर में हैती विद्रोहियों ने संयुक्त अरब अमीरात के एक व्यापारी पोत रवाबी पर कब्जा करने के दौरान बंधक बना लिया था। भारतीयों के अलावा जहाज पर कई विदेशी भी मौजूद थे। विदेश मंत्रालय ने बताया कि इन नाविकों को हैती विद्रोहियों के कब्जे से छुड़वाया गया है। ये नागरिक ओमान की राजधानी मस्कट से भारत पहुंचे, जहां उन्हें ओमान की रॉयल एयर फोर्स की मदद से लाया गया था। विद्रोहियों के कब्जे से छुड़ाए गए मोहम्मद मुनव्वर समीर शेख ने कहा है कि हम लोग वहां पर पिछले तीन साढ़े तीन महीनों से फंसे हुए थे। भारत सरकार, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय दूतावास ने हमें छुड़वा लिया।

इंडियन जानकर विद्रोहियों ने किया अच्छा बर्ताव, भारत ने अन्य देश के नाविकों को भी बचाया
शेख ने बताया कि भारत सरकार ने भारतीय नविकों के अलावा चार अन्य देश के नाविकों जिसमें यूके के तीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस, म्यांमार और इथियोपिया के एक-एक नाविक को भी सुरक्षित बचा लिया है। बचाए गए लखनऊ के मोहम्मद जशीम खान ने कहा कि भारत सरकार ने उन्हें बचाने के लिए पूरा जोर लगा दिया। हम सरकार का शुक्रिया अदा करते हैं, जिसकी वजह से हम जीवित हैं। जशीम खान ने बताया कि यमन में हालत बद से बदतर हो गए थे, विद्रोही हमारे जहाज और कार्गो को कैप्चर करना चाहते थे। जब उन्हें पता चला कि हम भारतीय हैं तो उन लोगों ने हमारे साथ अच्छा बर्ताव किया। उन्होंने कहा कि विदेश जाने वाले प्रत्येक भारतीय नागरिक को किसी चीज से डरना नहीं चाहिए, उन्हें अपनी सरकार पर भरोसा करना चाहिए। बचाए गए लोगों में तीसरे नाविक वीरा वेंकट सुवा साई गिरीश ने कहा कि वे पीएम मोदी के प्रयासों के कारण वे अपने घर लौट सके।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी उठाया था, यमन सरकार को दिया धन्यवाद
वहीं भारत सरकार ने भी यमन सरकार का शुक्रिया अदा किया। भारत सरकार ने कहा कि भारतीय नाविकों को लेकर जिन्होंने फिक्र दिखाई उन सभी का शुक्रिया। भारत सरकार ने नाविकों को बचाए जाने में सहयोग करने के लिए सभी सहयोगी पक्षों खासकर यमन की सरकार को धन्यवाद दिया। विदेश मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार पिछले तीन महीने से ज्यादा समय से सरकार नाविकों को बचाने का प्रयास कर रही थी। नाविकों की सुरक्षित निकासी के लिए हम कई लोगों के संपर्क में थे। हमने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी उठाया था।

प्रधानमंत्री मोदी देश के 130 करोड़ लोगों की उम्मीद और भरोसे का प्रतीक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के 130 करोड़ लोगों की उम्मीद और भरोसे का प्रतीक बने हुए हैं। लोगों के भरोसे को बनाए रखने के लिए प्रधानमंत्री मोदी दिन-रात लगातार काम करते रहते हैं। कितना भी कठिन काम हो, कोई भी मसला हो, प्रधानमंत्री मोदी मदद के लिए हाथ बढ़ा देते हैं। यमन से पहले पीएम मोदी ने यूक्रेन में फंसे छात्रों की स्वदेश वापसी के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन गंगा की कमान खुद अपने हाथ में ले ली थी। यूक्रेन संकट पर प्रधानमंत्री ने एक और उच्च स्तरीय बैठक की। दो घंटे से ज्यादा समय तक चली इस उच्च स्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें सुरक्षित निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।यमन संकट के दौरान पहले भी विश्व ने माना भारत का लोहा 
जुलाई 2015 में यमन गृहयुद्ध की चपेट में था और सुलगते यमन में पांच हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे। बम गोलों और गोलियों के बीच हिंसाग्रस्त देश से भारतीयों को सुरक्षित निकालना मुश्किल लग रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुशल नेतृत्व और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के सम्यक प्रबंधन और अगुआई ने कमाल कर दिया। भारतीय नौसेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय के बेहतर समन्वय से भारत के करीब पांच हजार नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया वहीं 25 देशों के 232 नागरिकों की भी जान बचाने में भारत को कामयाबी मिली। इस सफलता ने विश्वमंच पर भारत का लोहा मानने के लिए सबको मजबूर कर दिया।

बैठक में फैसला किया गया कि चार केंद्रीय मंत्री यूक्रेन के सीमावर्ती पड़ोसी देशों में जाकर यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित लाने में मदद करेंगे। इन मंत्रियों में हरदीप सिंह पुरी, ज्‍योर्तिादित्‍य सिंधिया, जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह और किरण रिजिजू शामिल हैं। ये सभी केंद्रीय मंत्री विशेष दूत के रूप में वहां जाएंगे। ये चारों मंत्री वहां की स्थिति के हिसाब से तत्काल फैसला लेकर भारतीय छात्रों की दिक्कतों को तुरंत दूर कर सकेंगे। प्रधानमंत्री ‘ऑपरेशन गंगा’ अभियान की लगातार मॉनिटिरंग कर रहे हैं। इस संकट के दौरान रूस से राष्ट्रपति पुतिन से बात करने वाले प्रधानमंत्री मोदी पहले विश्व नेता हैं। उन्होंने पुतिन के सामने भारतीय छात्रों की सुरक्षित निकासी का मुद्दा उठाया और अब वापसी पर भारतीय झंडे तिरंगे को देखकर रूसी सेना के जवान उन्हें सुरक्षित निकलने में मदद कर रहे हैं।

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ फोन पर बातचीत में भी प्रधानमंत्री ने भारतीयों छात्रों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों के कारण ही पोलैंड भारतीय छात्रों को बिना वीजा आने की अनुमति दे रहा है। प्रधानमंत्री के निर्देश पर विदेश मंत्री एस जयशंकर यूक्रेन के सभी सीमावर्ती देशों के साथ संपर्क में लगातार बने हुए हैं। उनकी कोशिश संकटग्रस्त देश में भी भारतीय छात्रों को हर संभव सुविधा मुहैया कराने की है।

यूक्रेन से 20 हजार ज्यादा छात्रों की हो चुकी है वापसी
भारतीय छात्रों की निकासी के लिए चलाई जा रही ‘ऑपरेशन गंगा’ अभियान के तहत अब तक 20 हजार  से ज्यादा छात्रों को यूक्रेन से निकाला जा चुका है।  इन लोगों की वापसी के लिए कई मोर्चों पर प्रयास किए जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय के अधिकारी और राजदूत युद्धग्रस्त युक्रेन से छात्रों की निकासी के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इससे पहले भी अभियान चलाकर भारत एक विश्व शक्ति बनकर उभर रहा है। कोरोना महामारी, अफगानिस्तान संकट समेत ऐसे कितने ही मौके आए, जबकि पीएम मोदी संकटमोचक के रूप में सामने आए।

सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्वदेश पहुंचा चुका है भारत
भारत कोरोना काल में ‘वंदे भारत मिशन’ के जरिए सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्वदेश ला चुका है। चीन, ईरान, इटली और जापान जैसे देशों से हजारों भारतीयों को निकाल कर देश वापस लाया गया। कोरोना प्रभावित इलाकों से भारत ने सिर्फ अपने नागरिकों को ही नहीं 10 से भी ज्यादा देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकाला। इनमें मालदीव, म्यामांर, बांग्लादेश, चीन, अमेरिका, मैडागास्कर, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं।

सऊदी अरब में फंसे लोगों की वतन वापसी
पूरी दुनिया में जहां कहीं भी भारतीय मुसीबत में होती है, मोदी सरकार प्राथमिकता के आधार पर उनकी मदद करती है। 19 जून, 2019 को ही मोदी सरकार ने सऊदी अरब में फंसे भारतीयों की सकुशल वतन वापसी कराई। दरअसल सऊदी अरब में दो कंपनियों की आपसी लड़ाई में सैंकड़ों भारतीय वहां फंस गए थे। मोदी सरकार की पहल पर 1200 भारतीय वतन वापस लाए गए। इनमें 500 के लगभग पंजाबी थे। वतन लौटे पंजाबियों ने वापसी के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया।

अफगानिस्‍तान संकट: तालिबान के कारण देश छोड़ने वालों को मिली मदद
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे बाद वहां भारी अफरातफरी का माहौल बन गया था। हवाई अड्डे पर लोगों की भारी भीड़ के कारण लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया था। ऐसे में मोदी सरकार संकटमोचक बनकर अफगानिस्‍तान में फंसे अपने देश के नागरिकों को वहां से सुरक्षिक निकाल आई। वीजा नीति में बदलाव किया गया। e-Emergency X-Misc Visa कैटेगरी की शुरुआत की गई। इससे तालिबान से अपनी जान बचाने के लिए वहां से तुरंत निकलने की कोशिश में लगे लोगों को काफी मदद मिली।

सुनामी से प्रभावित टोंगा को 2 लाख डॉलर की सहायता
भारत ने सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोट से प्रभावित टोंगा को तत्काल राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए 2 लाख डॉलर की आर्थिक सहायता दी। विदेश मंत्रालय ने टोंगा में सुनामी के कारण हुए नुकसान और विनाश के लिए सरकार और लोगों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की। संकट की घड़ी में वहां के लोगों के साथ खड़ा हो कर मोदी सरकार ने फिर अपनी अंतरराष्ट्रीय सहयोग को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। 2018 में चक्रवात गीता से हुई तबाही के समय भी भारत टोंगा के साथ मजबूती से खड़ा था। गौरतलब है कि 15 जनवरी, 2022 को टोंगा साम्राज्य ज्वालामुखी विस्फोट और सुनामी की चपेट में आ गया था। इससे देश की आबादी का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ था और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों को भी नुकसान पहुंचा था।

मोदी सरकार ने दिवालिया होने से श्रीलंका को बचाया
भारत ने संकट की घड़ी में श्रीलंका की मदद की। चीन ने पहले तो श्रीलंका को कर्ज देकर जाल में फंसाया फिर उसके हाल पर छोड़ दिया। अब श्रीलंका दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है। ऐसे में भारत ने श्रीलंका को 90 करोड़ डॉलर के आर्थिक पैकेज की घोषणा कर दिवालिया होने से बचाया। श्रीलंका के प्रमुख अर्थशास्त्री और श्रीलंकाई सेंट्रल बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर डब्ल्यू विजेवर्धने ने भारत की इस मदद की तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत के आर्थिक पैकेज ने अभी के लिए श्रीलंका की डूबती नैया को बचाने में बड़ी सहायता की है। उन्होंने कहा कि भारत के आर्थिक पैकेज ने 18 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय सॉवरेन बांड के निपटान के बाद आनेवाले एक तत्काल आर्थिक संकट को टाल दिया। समय पर भारत की सहायता ने श्रीलंकाई सरकार को दो महीने की राहत दी है।

चीन के कर्ज के जाल से मालदीव को निकाला
भारत ने संकट की घड़ी में मालदीव की मदद की। चीन ने पहले तो मालदीव को कर्ज देकर जाल में फंसाया फिस कर्ज की वापसी के लिए नोटिस थमा दिया। ऐसे में भारत ने मालदीव को आर्थिक संकट से उबरने के लिए 25 करोड़ डॉलर (1840 करोड़ रपये) की आर्थिक सहायता दी। इस आर्थिक मदद पर वहां के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालिह ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया। राष्ट्रपति सालिह ने ट्वीट कर कहा कि जब भी मालदीव को किसी मित्र की जरूरत पड़ी, भारत हमेशा इस अवसर पर आगे आया है। वित्तीय सहायता के रूप में 25 करोड़ डॉलर के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सरकार और जनता को मेरी ओर से दिल से धन्यवाद।

तूफान प्रभावित मोजाम्बिक में राहत अभियान
आज दुनिया में कहीं भी कोई आपदा आने पर भारत से मदद की उम्मीद की जाती है। भारत ने खतरनाक चक्रवाती तूफान का सामना कर रहे मोजांबिक में 192 से ज्यादा लोगों को बचाया। तूफान प्रभावित अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में नौसेना के जवानों ने देवदूत बनकर वहां के लोगों की मदद की। इसके अलावा 1,381 लोगों का मेडिकल कैंपों में इलाज किया गया। विदेश मंत्रालय के अनुसार इडाई तूफान ने मोजाम्बिक, जिंबाब्वे और मलावी में भारी तबाही मचाई। मोजाम्बिक के अनुरोध पर भारत ने तत्काल नौसेना के तीन जहाजों को मदद के लिए रवाना किया। आईएनएस सुजाता, आसीजीएस सारथी और आईएनएस शार्दुल ने तत्काल तूफान प्रभावित देश में लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराई।

इंडोनेशिया में ऑपरेशन समुद्र मैत्री
अक्तूबर 2019 में इंडोनेशिया में आए भूकंप और सुनामी के कारण भारी तबाही हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद भारत ने वहां ऑपरेशन ‘समुद्र मैत्री’ शुरू किया था। भारत ने वहां भूकंप और सुनामी पीड़ितों की सहायता के लिए दो विमान और नौसेना के तीन पोत भेजे थें। इन विमानों में सी-130 जे और सी-17 शामिल हैं। सी-130 जे विमान से तंबुओं और उपकरणों के साथ एक मेडिकल टीम भेजी गई थी। सी-17 विमान से तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए दवाएं, जेनरेटर, तंबू और पानी आदि सामग्री भेजी गई थी।

भारत से भेजे गए हैवी फ्लडपंप से निकाला गया था गुफा का पानी
थाईलैंड में थैल लुआंग गुफा में अंडर-16 फुटबाल टीम के 12 बच्चे और कोच के फंसने के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। दुनिया में अब तक के सबसे जोखिम भरे राहत और बचाव अभियान में ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, अमेरिका समेत तमाम देशों ने अपने विशेषज्ञ भेजे, पर इनसे कोई बात नहीं बनी तो थाईलैंड की सरकार ने भारत की मोदी सरकार से मदद की गुहार की। मोदी सरकार ने बगैर समय गंवाए भारतीय इंजीनियरों को मदद करने का निर्देश दिया। भारत सरकार के आदेश पर केबीएस का हैवी फ्लडपंप महाराष्ट्र के सांगली जिले स्थित किर्लोस्कर समूह की कंपनी से भेजा गया। भारत से हैवी कैबीएस फ्लडपंप थाईलैंड पहुंचने के बाद, गुफा में पानी का स्तर कम किया गया। पानी का स्तर कम होने के बाद ही गोताखोरों का काम आसान हुआ और तीन दिनों के कठिन ऑपरेशन के बाद सभी बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।अफगानिस्तान और नेपाल में भूकंप में राहत का अद्भुत उदाहरण
27 अप्रैल, 2015 को नेपाल की धरती में हलचल हुई और आठ हजार से ज्यादा जानें एक साथ काल के गाल में समा गईं। जान के साथ अरबों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ सो अलग। हलचल नेपाल में हुई लेकिन दर्द भारत को हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और नेपाल के लिए भारत की मदद के द्वार खोल दिए। नेपाल में जिस तेजी से मदद पहुंचाई गई वो अद्भुत था। भारतीय आपदा प्रबंधन की टीम ने हजारों जानें बचाईं। सबसे खास रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय का नेपाल सरकार से बेहतरीन समन्वय रहा। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल की पूरे विश्व ने सराहना की। इसी प्रकार अक्टूबर 2015 को अफगानिस्तान-पाकिस्तान में 7.5 तीव्रता के भूकंप के चलते 300 लोगों के मौत हो गई। पीएम मोदी ने तत्काल दोनों देशों को मदद की पेशकश की। अफगानिस्तान में भारतीय राहत टीम को बिना देर किए रवाना किया गया और मलबे में फंसे सैकड़ों लोगों को निकालने में सफलता पायी।

श्रीलंका ईंधन संकट: संकटमोचक बनी मोदी सरकार
श्रीलंका को नवंबर 2017 में पेट्रोल और डीजल की जबरदस्त किल्लत का सामना करना पड़ा। श्रीलंका में ईंधन की कमी के बीच राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बताया कि भारत, श्रीलंका को अतिरिक्त ईंधन भेज रहा है और विकास में सहयोग के लिए भारत के सतत समर्थन का भरोसा भी दिलाया। इसके पहले मई 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने संकटग्रस्त श्रीलंका के लिए राहत भेजी थी। यहां दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने भारी तबाही मचायी थी, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे और 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।

श्रीलंका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए घर
भारत ने हाल ही में श्रीलंका के चाय बागान में काम कर रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए गए 404 घर उनको सौंप दिए। इसपर करीब 350 मिलियन अमेरीकी डॉलर की लागत आई है। भारत द्वारा किसी भी देश में यह सबसे बड़ी घर परियोजना था श्रीलंका में रहने वाले भारतीय मूल के तमिल अधिकतर चाय और रबड़ बागानों में काम करते हैं और उनके पास उचित घरों का अभाव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने हमेशा से शांत, सुरक्षित और समृद्ध श्रीलंका का सपना देखा है जहां सब की प्रगति और विकास की आंकक्षाएं पूरी हों। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति में श्रीलंका को एक विशेष स्थान पर बनाए रखेगा।

इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी कोरोना संकट काल में भी पूरी दुनिया के लिए संकटमोचक बने हैं। आइए डालते हैं एक नजर-

6 पड़ोसियों सहित 100 से अधिक देशों को वैक्सीन सप्लाई
कोरोना संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री मोदी संकटमोचक बन कर सामने आए हैं। भारत ने भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स को अनुदान सहायता के तहत 20 जनवरी, 2021 से कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति शुरू क थी। कोविशील्ड वैक्सीन की 1.5 लाख डोज वाली पहली खेप भूटान के लिए रवाना हुई। मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भूटान की राजधानी थिम्पू के लिए वैक्सीन की पहली खेप रवाना हुई। इसके बाद 100 से अधिक देशों को कोरोना वैक्सीन की 6 करोड़ से अधिक की डोज भेजी गई।

पीटरसन ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की
अफ्रीकी देशों में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के सामने आने के बाद कई देशों में यहां आने-जाने वाली फ्लाइट्स पर रोक लगा दी। ऐसे में भारत ने आगे आकर अफ्रीकी देशों की मदद की। इसी को लेकर अफ्रीकी मूल के पीटरसन ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। इससे पहले केविन पीटरसन ने फरवरी, 2021 में अफ्रीका को वैक्सीन भेजने पर भारत की तारीफ करते हुए लिखा था कि भारत की उदारता और दयालुता लगातार बढ़ती जा रही है। प्‍यारा देश। विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत अफ्रीकी देशों में मेड इन इंडिया वैक्सीन, जरूरी दवाइयां, टेस्ट किट, पीपीई किट्स और वेंटिलेटर सहित दूसरे मेडिकल सामान सप्लाई करने को तैयार है। भारत ने अभी तक अफ्रीका में 41 देशों को 2.5 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की सप्लाई की है। जिसमें करीब 16 देशों को 1 करोड़ डोज मदद के रूप में और 33 देशों को कोवैक्स के जरिए 1.6 करोड़ डोज शामिल है।

वैक्सीन भेजने पर बारबाडोस की पीएम ने की पीएम मोदी की तारीफ
बारबाडोस की प्रधानमंत्री मिया मोटली ने कोरोना वैक्सीन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। मिया मोटली ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीन मैत्री के तहत कोविशिल्ड का पहला डोज भेजकर उदारता का वास्तविक प्रदर्शन किया है। आपके कारण बारबाडोस में 40 हजार और अन्य जगहों पर हजारों लोगों का टीकाकरण संभव हो पाया है। धन्यवाद के साथ हम आपके बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा- आपकी वजह से 60 देशों में टीकाकरण
कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में भारत की भूमिका को लेकर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रोस अदनोम गेब्रेयसस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की। गेब्रेयसस ने प्रधानमंत्री मोदी को वैक्सीन इक्विटी को सपोर्ट करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि COVAX के प्रति आपकी प्रतिबद्धता और कोरोना वैक्सीन की खुराक को साझा करने से 60 से अधिक देशों को अपने स्वास्थ्य कर्मचारियों और अन्य प्राथमिकता समूह का टीकाकरण शुरू करने में मदद मिल रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि बाकी देश भी आपके इस उदाहरण को फॉलो करेंगे।

यूएन ने भारत को बताया ग्लोबल लीडर
कोरोना संकट काल में दुनिया भर को वैक्सीन उपलब्ध कराने में अग्रणी भूमिका निभाने पर संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत की जमकर तारीफ की। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि कोरोना संकटकाल में भारत एक ग्लोबल लीडर के तौर पर सामने आया है। भारतीय नेतृत्व के मानवीय दृष्टिकोण और वैक्सीन की सहायता पर आभार जताते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने कहा कि कोरोना की जंग में भारत ने ग्लोबल लीडर की भूमिका निभाई है।

ब्राजील के राष्ट्रपति ने की प्रभु हनुमान से की पीएम मोदी की तुलना 
ब्राजील के राष्‍ट्रपति जायर एम बोल्‍सोनारो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना भगवान हनुमान से की करते हुए हाइड्रोक्‍सीक्‍लोरोक्‍वीन दवा को संजीवनी बूटी बताया। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से दी गई इस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से लोगों के प्राण बचेंगे और इस संकट की घड़ी में भारत और ब्राजील मिलकर कामयाब होंगे। प्रधानमंत्री मोदी को भेजे पत्र में राष्‍ट्रपति बोल्‍सोनारो ने लिखा कि जिस तरह हनुमान जी ने हिमालय से पवित्र दवा (संजीवनी बूटी) लाकर भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण की जान बचाई थी, उसी तरह भारत और ब्राजील एक साथ मिलकर इस वैश्विक संकट का सामना कर लोगों के प्राण को बचा सकते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी की पीएम मोदी की तारीफ
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से बैन हटाने पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ने प्रधानमंत्री मोदी को महान बताया और कहा कि वो भारत का शुक्रिया अदा करते हैं। फॉक्स न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो भारतीय पीएम मोदी की तारीफ करते हैं। निर्यात पर ढील देने के बाद अमेरिका को अब यह दवा मिल सकेगी।

मॉरीशस के पीएम ने जताया प्रधानमंत्री मोदी का आभार
कोरोना संकट के बीच भारत से मिली मदद के लिए मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया। प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने अपने ट्वीट संदेश में कहा कि मैं एयर इंडिया की एक विशेष उड़ान से कल बुधवार15 अप्रैल को मॉरिशस पहुंची भारत सरकार की चिकित्सा मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बहुत आभारी हूं। यह भारत और मॉरिशस के बीच के धनिष्ठ संबंध को दर्शाता है।

Leave a Reply