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भगोड़े आर्थिक अपराधियों को पाताल से भी ढूंढ निकालने की तैयारी में मोदी सरकार

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भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार की सख्ती लगातार जारी है। इसी क्रम में प्रवर्तन निदेशालय ने हजारों करोड़ रुपये के घोटाला करने वाले हीरा कारोबारी नीरव मोदी पर और शिकंजा कस दिया है। ईडी नीरव मोदी की 7,000 करोड़ की संपत्तियों को तत्काल जब्त करने की कवायद में है। दरअसल यह भी इसलिए आसान हो पाया है, क्योंकि हाल में ही मोदी सरकार ने भगोड़ा आर्थिक अपराध अध्यादेश को मंजूरी दी थी। इसी के तहत ईडी अब नीरव की संपत्तियों को जब्त करने के लिए अदालत जा रहा है।

ईडी मुंबई में पिछले सप्ताह दायर आरोपपत्र के आधार पर नीरव मोदी को भगोड़ा घोषित करने की अपील करेगा। गौरतलब है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत यह आरोपपत्र दायर किया गया था।

नीरव के परिजनों पर भी दायर हुआ है आरोप पत्र
ईडी ने 24 मई को आरोपपत्र दायर किया था। इसमें नीरव मोदी और उसके सहयोगियों पर 6,400 करोड़ रुपये के बैंक कोष को कथित रूप से विदेश में दिखावटी कंपनियों में इधर-उधर करने का आरोप लगाया गया है। इस आरोपपत्र में कुल 24 आरोपितों के नाम हैं। इसमें नीरव मोदी, उसके पिता, भाई नीशल मोदी, बहन पूर्वी मोदी, रिश्तेदार मयंक मेहता और डिजाइनर आभूषण कंपनियां सोलर एक्सपो‌र्ट्स, स्टेलर डायमंड्स और डायमंड्स आर यू शामिल हैं।

भारत से बाहर भी नीरव मोदी की संपत्ति होगी जब्त
नीरव मोदी के खिलाफ भगोड़ा आर्थिक अपराध अध्यादेश के प्रावधानों को लागू करने की अपील किये जाने की तैयारी हो चुकी है। उसके बाद मोदी की भारत और देश से बाहर की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू होगी। आपको बता दें कि मोदी के खिलाफ पहले ही एक अदालत गैर-जमानती वारंट जारी कर चुकी है। ईडी ने कुछ समय पहले इंटरपोल से उसके खिलाफ वैश्विक गिरफ्तारी वारंट जारी करने की अपील की है।

नीरव मोदी की 6 हजार करोड़ की संपत्ति जब्त
देश का 11 हजार करोड़ रुपया लेकर विदेश में बैठै नीरव मोदी पर भी सरकार की सख्ती जारी है। अब तक 5 हजार 649 करोड़ की संपत्ति कब्जे में ले ली गई है। हैदराबाद में 3800 करोड़ की संपत्ति पर भी कब्जा कर लिया गया है। उनके सभी शो रूम को सील कर दिया गया है। विदेशों में उनके शो-रूम को भी बंद करने की कोशिश जारी है। इसके अतिरिक्त इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नीरव और उनके परिवार की 29 संपत्तियां और 105 बैंक अकाउंट भी जब्त कर लिया है।

 

मेहुल चोकसी की संपत्ति पर सरकार का कब्जा
मेहुल चोकसी को भी नीरव मोदी के साथ कांग्रेस की सरकार मे लोन दिए गए थे। हालांकि मोदी सरकार ने कार्रवाई करते हुए 86 करोड़ 72 लाख रुपये के शेयर और म्युचुअल फंड में निवेश को फ्रीज कर दिया। छत्तीसगढ़ के 12 आउटलेट्स पर छापे, 5,46 करोड़ के हीरे जब्त कर लिए गए। ईडी ने मेहुल चोकसी की 1217.20 करोड़ और 41 संपत्तियां भी अटैच कर ली हैं। इसके साथ ही मेहुल चोकसी के पासपोर्ट भी रद्द कर दिए गए हैं।

 

विजय माल्या से वसूले जाएंगे 10, 000 करोड़
ब्रिटेन और भारत में विजय माल्‍या पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। इनमें से एक मामले में विजय माल्या की याचिका को लंदन की एक कोर्ट ने खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि भारत के 13 बैंकों के समूह ने माल्या से 1.55 अरब डॉलर से अधिक की वसूली के लिए यहां एक मामला दर्ज कराया था। अदालत के इस आदेश से 10, 000 करोड़ रुपये से अधिक राशि वसूले जाने का रास्ता साफ हो गया है।

विजय माल्या की पीठ पर कांग्रेस नेताओं का हाथ
गौरतलब है कि विजय माल्या की पीठ पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं हाथ था, इसलिए वे एक के बाद एक घोटाला करने में सफल होते चले गए। 2008 से जारी घोटाले की रकम जब 9000 करोड़ तक पहुंची तो मोदी सरकार ने शिकंजा कस दिया। हालांकि वे लंदन भाग गए, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार की सख्ती के चलते वे वहां भी चैन से नहीं रह पा रहे हैं। अक्टूबर, 2017 में जब पहली बार माल्या को लंदन में गिरफ्तार किया गया, तभी साफ हो गया था कि मोदी सरकार इस भगोड़े को छोड़ने वाली नहीं है।

विजय माल्या की संपत्ति को अटैच करने का आदेश
08 मई, 2018 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने फ़ॉरेन एक्सचेंज रेग्युलेशन ऐक्ट (FERA) उल्लंघन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में विजय माल्या की संपत्तियों को अटैच करने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में भारत के ‘भगोड़े’ हैं और मार्च 2016 से लंदन में रह रहे हैं। पिछले साल अप्रैल में स्कॉटलैंड यार्ड के प्रत्यर्पण वॉरंट पर गिरफ्तारी के बाद से वह जमानत पर हैं।

पीएमओ के क्विक एक्शन से पकड़ा गया घोटालेबाज
07 अप्रैल को जब एक और बड़े घोटालेबाज को सीबीआई ने धर दबोचा तो यह मामला भी 2008 से 2013 के बीच का निकला। यानि यह घोटाला भी कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान ही हुआ था। दरअसल डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रबंध निदेशक अमित भटनागर अलग-अलग बैंकों और गैर सरकारी बैंकों को करोड़ों का चूना लगा चुका है। वह विदेश भागने की तैयारी कर रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय की सक्रियता ने उसके सारे प्लान पर पानी फेर दिया। सीबीआई ने उसपर आपराधिक षड्यंत्र, बैंक से धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज और बैंक खाते के जरिए इस घोटाले को अंजाम देने का मामला दर्ज किया है।

भ्रष्टाचार पर सख्ती के लिए बनाए गए कई कानून
मोदी सरकार ने हर बार यह साबित किया है कि भ्रष्टाचार के मामले में कोई कितना भी बड़ा क्यों ना हो बख्शा नहीं जाएगा। सरकार हर स्तर पर देश के आर्थिक अपराधियों को कानून के दायरे में लाने की कोशिश कर रही है और इसके लिए कई सख्त कानून भी बनाए हैं, आइये डालते हैं एक नजर-

  • फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स ऑर्डिनेंस
  • राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण को मंजूरी
  • संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा
  • इंसोल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड
  • अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम पर रोक विधेयक
  • पीएसबी पुनर्पूंजीकरण
  • एफआरडीआई विधेयक
  • बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से देश की सस्ता संभाली है, आर्थिक अपराध और भ्रष्टाचार का खात्मा उनकी प्राथमिकताओं में रहा है। बैंकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले और जानबूझकर बैंकों का लोन नहीं चुकाने वाली कंपनियों और उद्योगपतियों पर सख्ती के लिए मोदी सरकार इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड लेकर आई है। इस कानून के तहत कर्ज के बकायेदारों की कंपनियां, संपत्ति जब्त करने का ही प्रावधान नहीं है बल्कि प्रमोटरों पर भी कई तरह के प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है।

मोदी सरकार के इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड की वजह से आर्थिक अपराधियों की नींद उड़ चुकी है। अभी तक बड़े-बड़े उद्योगपति करोड़ों रुपये लूट कर देश से बाहर भाग जाते थे और सरकार चाह कर भी उनसे वसूली नहीं कर पाती थी। अब ऐसा नहीं हो रहा है, इस कानून के डर से बड़ी संख्या में कंपनिया बैंकों का बकाया भुगतान कर रही हैं।

बकायेदार कंपनी मालिकों में Insolvency and Bankruptcy Code का खौफ
कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2,100 से अधिक बकायेदार कंपनियों ने बैंकों का करीब 83,000 करोड़ का कर्ज चुकाया है। बताया जा रहा है कि इन कंपनियों पर इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कार्रवाई की तैयारी की जा रही थी और इसी के डर से इन कंपनियों ने अपना बकाया कर्ज बैंकों को चुका दिया है।

दरअसल मोदी सरकार ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड में संशोधन किया है, इसके तहत अब जिन कंपनियों का कर्ज एनपीए घोषित हो जाएगा, उन कंपनियों के प्रमोटरों पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। जब सरकार ने कानून में यह संशोधन किया तो कई शीर्ष उद्योगपतियों ने इसकी आलोचना की थी और सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की थी।

बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में मोदी सरकार का यह कदम कार्पोरेट सेक्टर द्वारा कर्ज लेने-देने की प्रक्रिया को पूरी तरह से बदलने वाला है, क्योंकि अब किसी भी कंपनी या प्रमोटर जानबूझ कर बैकों का ऋण हजम करने की सोच भी नहीं सकता है।

भूषण स्टील को टाटा स्टील ने करीब 36,000 करोड़ रुपये में खरीदा
इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड आने के बाद कुछ दिन पहले ही सरकार को पहली बड़ी कामयाबी मिली है। दिवालिया हो चुकी भूषण स्टील को टाटा स्टील ने करीब 36,000 करोड़ रुपये में खरीद लिया है। इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के माध्यम से जिस तरह से दिवालियापन के मामले को लेकर कार्यवाही की जा रही है वो वाकई में सराहनीय है। मोदी सरकार के इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड कानून से अब बैंक को भगौड़े पूंजीपतियों के ऊपर बिना किसी डर के कार्यवाही कर सकते हैं।

टाटा स्टील की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई बामनीपाल स्टील लिमिटेड ने दिवाला कानून के तहत भूषण स्टील लिमिटेड की 72.65 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण पूरा कर लिया है। टाटा स्टील लिमिटेड ने कर्ज में फंसी भूषण स्टील लिमिटेड के लिए आयोजित नीलामी में सफल बोली लगाई थी। भूषण स्टील लिमिटेड कर्ज में डूबी उन 12 कंपनियों में है जिनके मामले रिजर्व बैंक ने दिवाला शोधन प्रक्रिया के तहत निपटाने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (एनसीएलटी) को भेजे थे। टाटा स्टील ने कहा है कि उसने भूषण स्टील लिमिटेड के अधिग्रहण की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। कंपनी ने कहा है कि उसने समाधान प्रक्रिया के तहत तय कर्मचारियों के बकायों का भुगतान कर दिया है और भूषण स्टील के वित्तीय कर्जदाताओं (बैंक एवं वित्तीय संस्थानों) को 35,200 करोड़ रुपए के बराबर के भुगतान को समाधान की शर्तों के अनुसार निपटाया जा रहा है।

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