Home विपक्ष विशेष एक हफ्ते में ही कर्नाटक में हिचकोले खाने लगी जेडीएस-कांग्रेस की सरकार!

एक हफ्ते में ही कर्नाटक में हिचकोले खाने लगी जेडीएस-कांग्रेस की सरकार!

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कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बने हुए अभी एक सप्ताह भी नहीं हुआ है कि दोनों दलों के बीच दरार दिखने लगी है। 23 मई को ही जेडीएस और कांग्रेस पार्टी के बेमेल गठबंधन की सरकार का गठन हुआ है और जेडीएस नेता एच डी कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। जिस तरह से कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस के नेता बयान दे रहे हैं, उससे स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि दोनों दलों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल दोनों दलों की विचारधारा अलग है, नेताओं की सोच अलग है, वर्षों तक दोनों दल एक-दूसरे को कोसते रहे, ऐसे में अवसर का फायदा उठाने के लिए बने गठबंधन में दोनों दल एक कैसे हो सकते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाएगी?

एक साथ चुनाव लड़ने का दावा तार-तार, आर आर नगर में दोनों दल आमने-सामने
कांग्रेस और जेडीएस में सबकुछ ठीक नहीं है इसका सबसे बड़ा सबूत है सोमवार को आर आर नगर विधानसभा सीट पर चुनाव। इस सीट पर कांग्रेस और जेडीएस दोनों दलों के प्रत्याशी मैदान में हैं। दरअसल फर्जी वोटर आईकार्ड जैसी गड़बड़ियां मिलने के बाद चुनाव आयोग ने आर आर नगर सीट का चुनाव स्थगित कर दिया था। उस वक्त इस सीट पर कांग्रेस और जेडीएस दोनों दलों ने प्रत्याशी उतारे थे। इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का सिटिंग विधायक है। जब मतगणना के बाद कांग्रेस-जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया और भविष्य में सभी चुनाव भी साथ मिलकर लड़ने का ऐलान किया, तो समझा जा रहा था कि आर आर नगर सीट पर कोई एक दल अपना प्रत्याशी वापस ले लेगा। पर ऐसा नहीं हुआ, इस पर भी तुर्रा यह कि सीएम कुमारस्वामी के पिता और पूर्व पीएम एच डी देवगौड़ा का कहना कि कांग्रेस से उनका समझौता सरकार बनाने के लिए था, साथ चुनाव लड़ने के लिए नहीं। मतलब साफ है कि यह गठबंधन पहले ही टेस्ट में फेल हो गया है।

मंत्रियों के विभागों के बंटवारे को लेकर फंसा पेंच
कुमारस्वामी ने जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो उन्होंने कहा था कि विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद बाकी मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी। एच डी कुमारस्वामी को विधानसभा में बहुमत साबित किए हुए कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक मंत्रियों को शपथ नहीं दिलाई गई है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस और जेडीएस के बीच मंत्रियों की संख्या और उनके विभागों को लेकर पेंच फंसा हुआ है। कांग्रेस पार्टी के 22 मंत्री और जेडीएस के पास सीएम समेत 12 मंत्री पदों पर तो सहमति लगभग बन गई है, लेकिन विभागों को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। बताया जा रहा है कि सबसे पहले यह तय किया जाना है कि दोनों पार्टियों के पास कौन-कौन से मंत्रालय रहेंगे। इसके बाद यह तय किया जाएगा कि कौन सा मंत्रालय किस मंत्री को दिया जाए। कांग्रेस-जेडीएस के बीच वित्त, गृह, पीडब्ल्यूडी, बिजली, सिंचाई और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो के आवंटन पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। यह बात भी सामने आ रही है कि इसका फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की हरी झंडी के बाद किया जाएगा, लेकिन राहुल गांधी अभी अपनी मां सोनिया के साथ विदेश गए हैं। ऐसे में संभव है कि मंत्रियों के नामों और विभागों पर फैसले एक-दो हफ्ते के बाद ही हो सकेगा।

कुमारस्वामी ने कहा कांग्रेस की कृपा से बने हैं मुख्यमंत्री
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने हाल ही में एक बयान दिया है कि वो कांग्रेस की कृपा से मुख्यमंत्री बने हैं न कि राज्य के 6.5 करोड़ लोगों की कृपा से। मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने जनता से किए वादे पूरे नहीं कर पाने की स्थिति में इस्तीफा देने के संकेत दिए हैं। कुमारस्वामी ने कहा, “कर्नाटक में मेरी स्वतंत्र सरकार नहीं है। कांग्रेस नेताओं की ‘अहसान’ से सीएम बना हूं। इसलिए फैसले लेने के लिए कांग्रेस पर निर्भर हूं। अगर जल्द ही किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ, तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा।” यानी कुमारस्वामी के अंदर यह बात गहरे से बैठी हुई है कि कर्नाटक के लोगों ने उन्हें सीएम बनाने के लिए वोट नहीं दिया था और वह कांग्रेस पार्टी की वजह से ही इस कुर्सी पर बैठे हैं। देखा जाए तो इस बयान के कई मायने हैं, जैसे कि अगर वो मुख्यमंत्री रहते हुए कुछ नहीं कर पाए तो उसका ठीकरा आसानी से कांग्रेस पार्टी पर फोड़ सकते हैं। मतलब साफ है कि दोनों दलों का मिलन तो हुआ है, लेकिन नेताओं को दिलों का मिलन नहीं हुआ है।

कांग्रेस के ऐहसान तले दबा सीएम क्या कर पाएगा विकास?
मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के बयानों से साफ है कि वह सिर से लेकर पैर तक कांग्रेस पार्टी के ऐहसान तले तबे हुए हैं। ऐसे में उनके कर्नाटक के विकास की क्या उम्मीद की जा सकती है। जाहिर है कि जेडीएस ने चुनाव के दौरान कर्नाटक की जनता से कई वादे किए थे और अब वो मुख्यमंत्री है तो जनता तो उनसे ही उन जवाब मांगेगी। पर एक सच्चाई यह भी है कि कुमारस्वामी अपनी मर्जी से एक भी फैसला ले नहीं सकते हैं, क्योंकि उन्हें कुछ भी करने से पहले कांग्रेस से सहमति लेनी पड़ेगी। अब आप ही बताइए ऐसा मजबूर मुख्यमंत्री क्या कर्नाटक की जनता का भला कर पाएगा?

बेमेल गठबंधन क्या चला पाएगा 5 साल तक सरकार?
पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम से साफ हो गया है गया है कि कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस का गठबंधन अवसरवादी ही नहीं बल्कि बेमेल भी है।विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने मुंह की खाने के बाद तिकड़बाजी दिखाकर अपने धुर विरोधी जेडीएस का दामन तो थाम लिया है, लेकिन अब उसके साथ सामंजस्य बैठाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ये गठबंधन सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाएगी। जिस अंदाज में नेताओं के बयान आ रहे हैं, उससे तो यह असंभव लगता है।

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