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’ड्राई स्टेट’ बिहार में छह साल से शराबबंदी की नौटंकी, भ्रष्टाचार के साए में खूब बन और बिक रही शराब, अब शराब से मौतों का सीएम, मंत्री और विधायक उड़ा रहे मजाक, बीजेपी ने मांगा सीएम का इस्तीफा

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बिहार में ‘कुशासन बाबू’ के राज में ये हो क्या रहा है? जिस प्रदेश में शराबबंदी छह साल से लागू हो। वहां आसानी से शराब मिले, आसानी से शराब बने और बिके और फिर लाशें बिछती रहें। शराबबंदी के दौरान छपरा में हुई 39 निर्दोष लोगों की मौत कोई पहला मामला नहीं है. जबकि शराब पीने से लोगों की मौत हुई हो। इनती बड़ी घटना के बावजूद बेहद शर्मनाक, घोर अनैतिक और गैर-जिम्मेदाराना रवैया तो विधायक, मंत्री और खुद मुख्यमंत्री का है। निर्दोष मौतों पर इनके निर्मम बयानों ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। नीतिश जो खुद सरकार के मुखिया हैं, वो सारा दोष शराब पीने वालों पर मढ़कर अपना पल्ला कैसे झाड़ सकता है? आप किसी भी सूरत में अपनी जनता के मरते रहने का शाप नहीं दे सकते। क्योंकि आपकी जिम्मेदारी तो यह है कि शराबबंदी दिखावे के नौटंकी न होकर वास्तविकता के धरातल पर शराब बंद ही हो। लेकिन ऐसा एक्शन लेने के बजाए सीएम कोरी बयानबाजी पर उतारू हैं। सीए के ऐसे जहरीले बयानों का दुष्परिणाम है कि उनके मंत्री और विधायक भी मौतों पर अपना बेहूदा ज्ञान बांटने से बाज नहीं आ रहे हैं।

बिहार में शराब के सेवन से मौतों का सिलसिले के बावजूद नेताओं के तेजाबी बयान जारी
बिहार में कहने को तो पिछले 6 सालों से शराबबंदी पूर्ण रुप से लागू है। इसके बावजूद राज्य में शराब से मौत के मामले लगातार सामने आते है। बिहार में जहरीली शराब से मौत की खबरें आना तो आम बात हो गई है। राज्य में शराब से अबतक कई लोगों ने अपनी जानें गंवाई है। ताजा मामला छपरा जिले का है, जहां अबतक जहरीली शराब से करीब 39 लोगों की मौत हो चुकी है। शराब के जहरीली होने के कारण मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है। छपरा सदर अस्पताल में इलाज के दौरान मौतों के अलावा कई लोगों की आंखों की रोशनी के जाने की बात भी सामने आई है। एक ओर शराब से मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं, तो दूसरी ओर महागठबंधन में शामिल नेताओं के बयान लोगों के जख्मों पर तेजाब बनकर गिर रहे हैं।

सरकार के मंत्री का ज्ञान- ‘खेलकूद से पावर बढ़ाओ – जहरीली शराब बर्दाश्त कर लोगे’
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान से पहले बिहार महागठबंधन सरकार के एक मंत्री का बेतुका बयान सामने आया है। आरजेडी कोटे से मंत्री समीर महासेठ ने तो एक बयान शराबबंदी वाले स्टेट में शराब को बर्दाश्त करने का नुस्खा तक बता दिया। समीर महासेठ ने एक खेल कार्यक्रम में शामिल होने के बाद जब उनसे शराब से हो रही मौत के बारे पूछा गया तो उन्होंने तपाक के अपने बयान में कहा कि ‘खेलकूद से पावर बढ़ाओ – जहरीली शराब बर्दाश्त कर लोगे।’ मंत्री यहीं पर नहीं रुकें आगे उन्होंने कहा, ‘बिहार में मिलने वाली शराब जहर है और इन जहरीली शराब को पीने और मरने से बचना है तो इम्युनिटी बढ़ाओ।’ जिस राज्य में छह साल से शराबंदी लागू हो, वहां पर शराब पचाने का बयान यदि मंत्री ही दें तो समझ में आसानी से आ सकता है कि सरकार और उसके नुमाइंदे किस दिशा में जा रहे हैं। उन्हें मरते लोगों को कोई चिंता नहीं है।जहरीली शराब से लोग मर रहे हैं तो इसमें क्या बड़ी बात है- आरजेडी विधायक
इतना ही नहीं आरजेडी के एक विधायक रामबली चंद्रवंशी ने तो जहरीली शराब से मौत का मजाक ही बना दिया। उन्होंने कहा कि जहरीली शराब से लोग मर रहे है, दूसरी बीमारी और दूसरी दुर्घटना से भी लोगों की मौतें हो रही है, मरना-जीना तो चलता ही रहता है। यह कोई बड़ी बात नहीं है। इससे पहले जहरीली शराब से होने वाली मौत पर सवाल पूछे जाने पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी सरकार की ओर से अवैध और जहरीली शराब के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने की बात कहने के बजाए उल्टा विपक्ष पर ही हमला बोल दिया था। ऐसी ओछी राजनीति के चलते ही बिहार में शराबंदी सख्ती से लागू नहीं हो पा ही है।

मुख्यमंत्री का शर्मनाक बयान- जो शराब पीएगा, वो मरेगा, लोगों को खुद सचेत होना चाहिए
और शराबबंदी लागू हो भी कैसे…जब राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छपरा में मौतों के सवाल पर शर्मनाक तरीके से कहते हों कि “जहरीली शराब से शुरू से लोग मरते हैं, इससे अन्य राज्यों में भी लोग मरते हैं। लोगों को खुद सचेत रहना चाहिए, क्योंकि जब शराबबंदी है तो खराब शराब मिलेगी ही। जो शराब पियेगा वो मरेगा। इस पर पूरी तरह से एक्शन होगा।” उन्होंने आगे कहा कि जहरीली शराब से तो शुरू से लोग मरते हैं और देशभर में मरते हैं। जब शराबबंदी नहीं थी, जब भी जहरीली शराब से आदमी मरते थे। अन्य राज्यों में भी बहुत भारी संख्या में लोग जहरीली शराब से मरते थे।” इस बीच बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन जहरीली शराब से मौतों को लेकर जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी विधायकों ने वेल में आकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग की। बाद में विपक्ष ने इसको लेकर वॉकआउट कर दिया।

बिहार की जनता के मत्थे दोष मढ़ने के बजाय सीएम को अपने अंदर झांकने की जरूरत
सीएम के जो पीएगा, वो मरेगा वाले बयान पर नीतीश और उनके समर्थकों का दावा है कि उन्होंने सिर्फ जहरीली शराब पीने का परिणाम बताया है। लेकिन सच्चाई यह भी है कि उन्होंने ऐसी कोई अनोखी बात नहीं कह दी जिसके बारे में किसी को पता नहीं हो या बहुत कम लोगों की पता हो। नीतीश ने किसी विशेषज्ञ की विशेष रिपोर्ट के अंश तो बताए नहीं। सबको पता है कि जहरीली शराब पीने पर जान जाती है। तो नीतीश ने यूं ही, नॉर्मली तो नहीं कहा कि शराब पीओगे तो मरोगे ही। बल्कि उनके कहने का संदर्भ 39 मौतें थीं। इसी से पता चलता है कि यह कितना संवेदनहीन बयान है। जो लोग मरे, उनके परिजनों, उन पर निर्भर लोगों की क्या हालत होगी? एक बार फिर मुख्यमंत्री को अपने कहे शब्दों के बारे में सोचना चाहिए कि वे अपनी जिद्द में किस कदर निर्मम हो चुके हैं। अब तो हालात यह हो गए हैं कि बिहार की जनता ही नहीं, जनप्रतिनिधियों के भरोसे पर भी सीएम खरे नहीं उतर पा रहे हैं। इसलिए दोष विरोध कर रहे नेताओं और बिहार की जनता के मत्थे मढ़ने की बजाय सीएम को अपने अंदर झांकने की दरकार है। हैरानी की बात यह है कि शराब पर मौतों को लेकर हुए हंगामे के बीच नीतीश मुस्कुराते रहे।

शराब कांड पर बिहार के लेकर दिल्ली तक बीजेपी हमलावर, नीतीश का इस्तीफा मांगा
शराब कांड पर बिहार से लेकर दिल्ली तक बीजेपी नीतीश सरकार की लापरवाही के खिलाफ हमलावर है। विधानसभा अध्यक्ष अवधबिहारी चौधरी और नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा में बहस भी हुई। उधर केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से आज बिहार में जहरीली शराब से मौतें हो रही हैं, ये चिंता का विषय है। हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आपा खो कर जनता पर बरस रहे हैं और कह रहे हैं कि जो पिएगा वो तो मरेगा ही। ऐसे लोगों पर FIR होनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि बिहार की जनता से नीतीश कुमार का मोह भंग हो गया है। छपरा में 40 से ज्यादा लोगों की मृत्यु को प्रशासन ने छिपाया और प्रचार किया कि मृत्यु बीमारी से हुई है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार बेअसरदार है और नीतीश को इस्तीफा देना चाहिए।

Nitish का कानून: खूब दारू पीओ, पकड़े जाओ तो जुर्माना देकर ऐश करो
दरअसल, नीतिश सरकार द्वारा शराबबंदी कानून में इसी साल अप्रैल में दी गई ढील का बुरा असर दिखने लगा है। 1 अप्रैल 2022 को शराबबंदी कानून में संशोधन के बाद शराब पीने वालों के पास जुर्माना देकर छूटने का विकल्प दिया गया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार में शराब पीने वाले लोग जुर्माना देकर धड़ल्ले से रिहा हो रहे हैं। बिहार सरकार द्वारा शराब पीने के मामले में ‘छूट’ दिए जाने के करीब छह माह में ही शराब पीने के आरोप में अरेस्ट हुए 17 हजार से ज्यादा लोग जुर्माना देकर रिहा हो चुके हैं। इन सभी लोगों को स्पेशल कोर्ट से जमानत मिली है। शराबबंदी कानून में धारा 37 के तहत पहली बार शराब पीकर पकड़े गए लोगों को शपथ पत्र के साथ 2 से 5 हजार रुपए जुर्माना देकर छोड़ने का प्रावधान भी नीतीश सरकार ने ही किया था।

 

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