राजस्थान के करौली जिले में जानकारी के बावजूद जरूरी कदम न उठाने का दुष्परिणाम सांप्रदायिक दंगे के रूप में सामने आया। हैरानी की बात है कि नव संवत्सर के जुलूस में पथराव, आगजनी और हिंसा पर खुद की सरकार की गलती माने के बजाए सीएम अशोक गहलोत ने आपा ही खो दिया। सीएम ने हिंसा के लिए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को ही जिम्मेवार ठहराते हुए कहा-ये आग लगाने आते हैं। ये आए और आग लग गई। सीएम अपने बेतुके तर्क पर यहीं पर ही नहीं रुके….उन्होंने राज्य में हुए दंगों के लिए बेहद हास्यास्पद बयान देते हुए कहा कि इस पर पीएम नरेन्द्र मोदी को एक्शन लेना चाहिए।
करौली के दंगों पर प्रधानमंत्री मोदी को आगे आकर देश को संबोधित करना चाहिए : गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने करौली में चैत्र नवरात्रि के पहले दिन दो गुटों में हुए विवाद के बाद हुए हिंसा पर अब चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने हिंसा के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है। सीएम गहलोत ने उपहास के योग्य बयान तो यह दिया कि करौली के दंगों पर प्रधानमंत्री मोदी को चाहिए कि वो आगे आकर देश को संबोधित करना चाहिए। करौली की जिस हिंसा के लिए सीधे तौर पर राज्य जिम्मेदार है। गहलोत सरकार की ड्यूटी है कि वो करौली में हिंसा की घटनाओं पर काबू पाकर कानून-व्यवस्था का राज स्थापित करें, उसके लिए गहलोत खुद पीएम मोदी से कह रहे हैं कि वो हिंसा की निंदा करें।राज्य में हिंसा और बात देश की….देश में कानून का राज जरूरी
सीएम गहलोत ने आगे कहा, “किसी भी धर्म का आदमी हो. यदि वो एंटी-सोशल एलीमेंट है तो उसे सजा मिलनी ही चाहिए। कानून का राज रहेगा तभी लोग सुरक्षित रहेंगे। आज देश में सबसे बड़ी जिम्मेदारी किसी की है तो प्रधानमंत्री की है। गृह मंत्री अमित शाह की है कि वो देश में शांति स्थापित करने की अपील करें। दंगे राजस्थान के करौली में हो रहे हैं और सीएम गहलोत इस ओर ध्यान दिलाने पर यूपी को याद करते हैं। गहलोत ने करौली हिंसा के मुद्दे पर इशारों-इशारों में कहा कि, “फर्जी मुठभेड़ तो बहुत आसान काम है लेकिन देश कानून का राज स्थापित रहने से ही चलेगा, न्याय भी तभी मिलेगा।
राज्य सरकार हिंदुओं को सुरक्षा नहीं दे सकती, इसलिए पर्व मनाना छोड़ दें : देवनानी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान को बीजेपी ने हास्यास्पद और खुद की जिम्मेदारियों से भागने वाला बताया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा, “वाह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी, कानून-व्यवस्था आप संभाल नहीं पाओ और अपील प्रधानमंत्री जी करें! और क्या अपील करें प्रधानमंत्री जी ? ये कि राजस्थान सरकार हिंदुओं को सुरक्षा नहीं दे सकती। इसलिए अपना पर्व मनाना छोड़ दें! भगवा लहराना छोड़ दे, क्योंकि दंगाइयों को ये पसंद नहीं…गजब !! देवनानी ने राज्य सरकार की तुष्टिकरण की नीति को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2 अप्रैल से नवरात्र भी चल रहे हैं, लेकिन सिर्फ मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में ही बिजली की अबाध आपूर्ति के आदेश जारी करने के पीछे सरकार की क्या मानसिकता है? क्या यह तुष्टिकरण को बढ़ावा नहीं है?
कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा…जेपी नड्डा के दौरे को उपद्रव से जोड़ा
इतना ही नहीं बिना किसी तर्क, सबूत या बयान के बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सवाई माधोपुर दौरे को करौली और ब्यावर में हुए उपद्रव से जोड़ दिया। सीएम कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा की कहावत ही चरितार्थ की है। सीएम ने करीब-करीब आपा खोते हुए आरोप लगाया कि ये आग लगाने के लिए आते हैं। पूरे देश में आग लगाते हैं। यहां आए और आग लग गई। गहलोत ने मोबाइल इंवेस्टिगेशन यूनिट का शासन सचिवालय से शुभारंभ किया।
बीजेपी तो अभी से ही इलेक्शन मोड में आ गई है
इस दौरान पत्रकारों ने नड्डा से जोड़कर सवाल पूछा। जवाब में गहलोत बोले- देश में बहुत खतरनाक दौर चल रहा है। देश के अंदर हिंदू-मुस्लिम कर दिया। गहलोत ने कहा कि यह मैं कह सकता हूं बीजेपी अभी से ही इलेक्शन मोड में आ गई है। जेपी नड्डा जी का आना, अमित शाह अब आने वाले हैं। उपद्रव का होना और जगह-जगह तनाव पैदा करना, ये तमाम बातें इलेक्शन मोड की शुरुआत है।
दिल्ली दंगों की तर्ज पर सुनियोजित साजिश का हिस्सा है करौली की हिंसा और आगजनी
अब यह कोई छिपा तथ्य नहीं रह गया है कि करौली में हिंदू नव सवंत्सर के मौके पर उपद्रव, दंगाइयों द्वारा पत्थरों की बरसात, मकानों में आगजनी की घटनाएं पूरी तरह सुनियोजित थीं और इसकी पहले से तैयारी की गई थी। दंगाइयों ने छतों पर कई टन पत्थर जमा किए हुए थे। यहां तक की गहलोत सरकार को ऐसे किसी उपद्रव की पूर्व सूचना भी थी। सरकार को इसकी हिंदू नववर्ष की आड़ में हिंसा फैलाने की सूचना थी, लेकिन इसे गंभीरता के नहीं लिया गया। दरअसल, इस बार नव संवत्सर के मौके पर छोटे से गांव से लेकर राजधानी अद्भुत उल्लास था। राज्य में कई जगह छोटे-बड़े आयोजन हुए। करौली के ऐसे ही आयोजन में हिंसा फैलाने के एक आह्वान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
राजस्थान के सीएम और डीजीपी तक को जताई थी हिंसा की आशंका, पर कोई इंतजाम नहीं
दरअसल सोशल मीडिया पर जो लेटर वायरल हो रहा है और जिसमें हिंदू नववर्ष की आड़ में प्रदेश में हिंसा फैलाने की साजिश रचने की बात कही गई है। हैरान करने वाली बात ये सामने आई है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ ने बयान जारी करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री और डीजीपी को हिंसा की आशंका भी जताई थी। बीते शनिवार को राजस्थान के करौली में जुलूस के दौरान जमकर बवाल मचा गया था। हिंदू नववर्ष का जश्न मनाने के लिए एक धार्मिक जुलूस में पथराव हुआ था जिसके बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी।
धार्मिक जुलूस के संकरी गली में पहुंचने के बाद छतों से बरसाए गए पत्थर
हैरान करने वाली बात यह है कि सोशल म़ीडिया पर धार्मिक जूलूस में पथराव के जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, वो साफ-साफ चुगली खाते हैं कि यहां माहौल अनायास ही खराब नहीं हुआ, बल्कि इसकी सुनियोजित प्लानिंग की गई थी। जुलूस पर पथराव के लिए घरों की छतों पर पहले के ही बड़े-बड़े पत्थर जमा किए गए थे। धार्मिक जुलूस पर तब तक पथराव नहीं किया गया, जब तक वह एक संकरी गली में नहीं पहुंच गया, ताकि जब ऊपर से पथराव हो तो संकरी गली में जमा ज्यादा से ज्यादा लोगों को शारीरिक रूप से गंभीर चोटों आएं।
आखिर #PFI को कैसे पता चला कि 2 से 4 अप्रैल के बीच राजस्थान के कई ज़िलों में सांप्रदायिक झगड़े हो सकते हैं ? pic.twitter.com/mW96xvME0c
— पंकज झा (@pankajjha_) April 4, 2022
आखिर पीएफआई को कैसे पता चला कि 2 से 4 अप्रैल के बीच हो सकते हैं दंगे
अब करौली घटना के तार कट्टर धार्मिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़ता दिखाई दे रहा हैं। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ ने बयान जारी करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री और डीजीपी को हिंसा की आशंका भी जताई थी। चिट्ठी में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि 2-4 अप्रैल तक सूबे के अलग-अलग जिलों, तहसीलों और कस्बों में आरएसएस और उसके संगठनों के जरिए हिंदू नववर्ष के मौके पर भगवा रैली आयोजित की जा रही है। रैलियों मे धार्मिक उन्माद फैलाने और कानून व्यवस्था बिगड़ने की भी बात कही थी। मगर सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर पीएफआई को कैसे पता चला कि 2 से 4 अप्रैल के बीच राजस्थान के करौली समेत कुछ ज़िलों में सांप्रदायिक झगड़े हो सकते हैं?
भाजपा अब इस मुद्दे को लेकर राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर हमलावर
वहीं बवाल को बढ़ता देखे करौली में कर्फ्यू लगा दिया गया और इंटरनेट सेवा दूसरे दिन भी बंद रखी गई। पुलिस ने मामले में अब 40 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 7 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। नींद से जागी गहलोत सरकार ने अब इस मामले की जांच एसआईटी से कराने के निर्णय लिया है। एक तरफ जहां राजस्थान के करौली में हुई को लेकर गहलोत सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। भाजपा अब इस मुद्दे को लेकर राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई है।
सवालों में गहलोत सरकार, जानकारी के बावजूद चुप्पी क्यों साधे रही
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का लेटर सामने आने के बाद अब सीएम गहलोत की मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे है। बड़ा सवाल ये है कि अगर इस घटना से राजस्थान की गहलोत सरकार अवगत थी तो उन्होंने समय रहते इस हिंसा को रोकने के लिए बड़ा कदम क्यों नहीं उठाया? आखिर क्यों गहलोत सरकार जानकारी होने के बावजूद भी चुप्पी साधे रही? अब उनकी इस खामोशी पर भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने सवाल उठाए है और राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर जोरदार प्रहार किया है।
उससे बड़ा सवाल ये नही है क्या ?
की ऐसी घटनाओं को अवगत कराने के बाद भी इतनी बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया गया।क्यू नहीं पुलिस प्रशासन अलर्ट हुई।
क्या प्रशासन की मिली भगत से ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया गया।और अभी तक क्या वैधानिक कार्यवाई की गई।
लोकतांत्रिक देश ऐसी घटना की कोई जगह नहीं है।— AKBAR HUSAIN FAROOQUI (@AkbarFarooqui47) April 4, 2022
करौली के उपद्रव के वीडियो और पीएफआई की चिठ्ठी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बार लोग राजस्थान सरकार और सीएम अशोक गहलोत को ट्रोल कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जानकारी के बावजूद गहलोत सरकार आंखें मूंदें क्यों बैठी रही।
करौली में पहले भी दबंगों ने मंदिर के पुजारी को जलाकर मार डाला था
ऐसा भी नहीं है कि करौली में इस तरह धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली घटना पहली बार हुई हो। आपको याद होगा कि करौली में एक मंदिर की जमीन हड़पने के चक्कर में दबंगों ने मंदिर के पुजारी बाबूलाल को जिंदा आग के हवाले कर दिया था। जिसके बाद पुजारी की अस्पताल में मौत हो गई थी। इस घटना को लेकर बीजेपी ने गहलोत सरकार पर और कांग्रेस पर राजनीतिक प्रहार पर करारा हमला बोला था। वहीं राजस्थान की घटना को लेकर मायावती ने राजस्थान के शासन को भी जंगलराज करार दिया है।
और अंत में देवदूत बनकर…अपनी जान पर खेलकर…चार जिंदगियां बचाने वाले करौली कोतवाली थाने के कांस्टेबल नेत्रेश शर्मा सौ-सौ सलाम….
“तम में प्रकाश हूँ,
कठिन वक़्त की आस हूँ।”
So proud of constable Netresh Sharma of Rajasthan Police for saving a precious life. This picture is in deed worth a thousand words.. pic.twitter.com/U2DMRE3EpR— Sukirti Madhav Mishra (@SukirtiMadhav) April 4, 2022
राज्य सरकार के पुलिस-प्रशासन की लापरवाही और ये रही गलतियां
सिर्फ 30 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी : करौली शहर में पहले भी दोनों पक्षों में विवाद हुआ था। ऐसे में बाइक रैली की परमिशन देते समय पुलिस अलर्ट मोड में नहीं आई। विवाद भड़कने की आशंका के बावजूद अधिकारियों ने रैली के लिए महज 30 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई। नतीजा- जब उपद्रव बढ़ा तो पुलिस रोक नहीं पाई।
पीएफए के कर्ता-धर्ता पर कार्रवाई नहीं : पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ ने बयान जारी करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री और डीजीपी को 2 से 4 अप्रैल को हिंसा की आशंका भी जता दी थी। पहली बात तो यह कि पीएफआई को पहले ही कैसे पता चला कि हिंदू नववर्ष का जश्न मनाने के सांप्रदायिक हिंसा भड़क सकती है। पुलिस के अधिकारियों ने न इस बयान को गंभीरता से लिया और न ही ऐसा बयान जारी करने वालों के खिलाफ कुछ कार्रवाई की।
ड्रोन से सुरक्षा निगरानी नहीं कराई : जिला प्रशासन को पहले से ही जानकारी थी कि नव वर्ष के विशाल बाइक रैली निकाली जाएगी। रैली के दौरान किसी भी तरह की अनहोनी को रोकने के लिए और सुरक्षा के लिहाज से पुलिस ने ड्रोन से निगरानी करवाई जानी चाहिए थी, लेकिन अधिकारियों ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।
दंगाइयो के छतों पर टनों पत्थर जब्त नहीं : पुलिस प्रशासन के पास ऐसी सूचना थी कि 2 से 4 अप्रैल के बीच असमाजिक तत्व माहौल खराब कर सकते हैं। ऐसे में रैली के रूट पर जांच नहीं कराई गई। घरों की तलाशी होती, ड्रोन से निगरानी होती तो छतों पर रखे टनों पत्थरों और दर्जनों लाठी-सरियों के बारे में पहले पता चल जाता और उपद्रव को रोका जा सकता था।
मौके पर पहुंचकर भी उपद्रव नहीं रोक पाए : पहले पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने उपद्रव को गंभीरता से नहीं लिया। आगजनी की सूचना के बाद मौके पर आधे घंटे बाद पुलिस अधिकारी व जाब्ता मौके पर पहुंच गया। इसके बावजूद उनके सामने ही उपद्रवी पथराव करते रहे और दुकानों में आग लगाते रहे, लेकिन वो रोक ही नहीं पाए।