आज चीन को पूरी तरह एहसास हो चुका है कि भारत में कांग्रेस का नहीं मोदी राज है, जो भारत की तरफ आंख उठाने वालों को उसी की भाषा में जवाब देता है। फिर चीन ने सिक्किम सीमा पर ना कूला में घुसपैठ करने का दुस्साहस किया, जिसे सतर्क भारतीय सैनिकों ने नाकाम करते हुए बड़ा सबक सिखाया। भारतीय सेना के करारा जवाब के बाद अब ड्रैगन शांति का राग अलाप रहा है।
भारतीय जवानों के सख्त रुख के बाद चीन ने बयान जारी कर कहा कि उसकी सेना भारत-चीन सीमा पर शांति के लिए प्रतिबद्ध है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारी सेना सीमा पर शांति के लिए प्रतिबद्ध है। चीन भारत से आग्रह करता है कि वह सीमा पर कोई एकतरफा कार्रवाई न करे जिससे हालात बिगड़े। भारत को सीमाई इलाके में शांति कायम रखनी चाहिए।’
बताया जा रहा है कि तीन दिन पहले सिक्किम सीमा पर ना कूला में चीनी सेना ने बॉर्डर की यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया था और उसके कुछ सैनिक भारतीय सीमा की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को रोक लिया। दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हो गई, जिसमें 4 भारतीय और 20 चीनी जवान घायल हो गए। भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया। हालांकि, अभी स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन स्थिर है।
भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारतीय क्षेत्र के सभी प्वाइंट पर मौसम की स्थिति खराब होने के बावजूद कड़ी चौकसी बरती जा रही है। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि 20 जनवरी को सिक्किम के नाकू ला में भारतीय सेना और चीन के पीएलए सैनिकों के बीच मामूली झड़प हुई थी। इसे स्थानीय कमांडरों द्वारा स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार हल कर लिया गया था।’
It’s clarified that there was a minor face-off between Indian Army & Chinese PLA troops at Naku La, Sikkim on 20th January. It was resolved by local commanders as per established protocols: Indian Army https://t.co/nFLWUNb2kx
— ANI (@ANI) January 25, 2021
सीमा पर जारी तनाव को कम करने के लिए रविवार को मोल्डो में भारत और चीन ने नौंवे दौर की कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता की जो देर रात ढाई बजे तक चली। 15 घंटे तक चली इस वार्ता में सीमा पर तनाव कम करने को लेकर बातचीत हुई। वार्ता के दौरान भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि टकराव वाले क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चीन के ऊपर है।