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सिंगापुर में मेयर के सम्मेलन में क्यों जाना चाहते हैं दिल्ली के सीएम केजरीवाल?

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिंगापुर में होने वाले मेयर के सम्मेलन में क्यों जाना चाहते हैं। क्या एक मुख्यमंत्री को मेयर के सम्मेलन में हिस्सा लेना शोभा देता है। राष्ट्रभक्ति और तिरंगा यात्रा निकालने का ढकोसला करने वाले केजरीवाल को क्या यह पता नहीं है कि इससे देश की प्रतिष्ठा धूमिल होगी। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां वैश्विक मंच पर देश की प्रतिष्ठा को बढ़ाने का काम कर रहे हैं वहीं दिल्ली सीएम केजरीवाल मेयर सम्मेलन में जाने को उतारू हैं, कितनी हास्यास्पद बात है। जब सम्मेलन शहरों को लेकर है और उसमें मेयर हिस्सा ले रहे हैं तो केजरीवाल राज्य का प्रतिनिधित्व कैसे कर सकते हैं। बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिंगापुर दौरे के लिए अनुमति देने के लिए चिट्ठी लिखने से पहले ये कुछ सवाल हैं जिन्हें केजरीवाल को खुद से पूछना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि मुफ्त की रेवड़ी बांटकर मतदाताओं को लुभाने से लेकर तात्कालिक प्रशंसा बटोरने वाले केजरीवाल आत्ममुग्धता में इतने अंधे हो गए हैं कि अब उन्हें उचित और अनुचित का भेद नहीं रह गया है। इससे पहले 2019 में भी अरविंद केजरीवाल अपनी किरकिरी करा चुके हैं। उस वक्त विदेश में पर्यावरण के मुद्दे पर बोलने के लिए उन्होंने केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने यह कहते हुए क्लीयरेंस नहीं दी थी कि ये शिखर सम्मेलन मेयर स्तर का है, इसमें मुख्यमंत्री का जाना ठीक नहीं है।

वर्ल्ड सिटीज समिट (WCS 2022) ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि WCS 2022 शिखर सम्मेलन वैश्विक महापौरों, बिजनेस लीडर्स और विशेषज्ञों के लिए रहने योग्य और टिकाऊ शहरों के लिए चर्चा एवं समाधानों का आदान-प्रदान और सह-निर्माण करने के लिए एक मंच है। वर्ल्ड सिटीज समिट शहरों, व्यवसायों और विशेषज्ञों को यह चर्चा करने के लिए मंच प्रदान करेगा जिससे टिकाऊ शहर की परिकल्पना को मजबूत किया जा सके। WCS का 8वां संस्करण चार दिवसीय कार्यक्रम के तहत 31 जुलाई से 3 अगस्त 2022 के बीच आयोजित किया जा रहा है।

केजरीवाल के मेयर के सम्मेलन में हिस्सा लेने की दिलचस्पी को देखते हुए सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना भी हो रही है और लोग चुटकी भी ले रहे है। ट्विटर पर एक यूजर अंकुर सिंह ने कहा, ”सिंगापुर में शिखर सम्मेलन में शामिल होने की अनुमति नहीं देने के लिए केजरीवाल भाजपा पर हमला कर रहे हैं। लेकिन शिखर सम्मेलन महापौरों का है, केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं। इसके लिए आने वाले सभी आमंत्रितों की सूची में महापौर शामिल हैं, इसकी जांच कर सकते हैं। भारत की ओर से भी सूरत की मेयर हेमाली बोघावाला को आमंत्रित किया गया है।”

भाजपा के युवा नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने कहा कि सिंगापुर में शिखर सम्मेलन में शामिल होने की अनुमति नहीं देने के लिए केजरीवाल केंद्र सरकार पर हमला कर रहे हैं। लेकिन शिखर सम्मेलन महापौरों का है, केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं। अगर उन्हें लगता है कि वह सिर्फ मेयर हैं तो उन्हें सार्वजनिक रूप से घोषणा करनी चाहिए। एक अन्य सोशल मीडिया यूजर सिद्धार्थ दस्सानी ने लिखा कि उन्हें सार्वजनिक रूप से घोषणा करने दें कि मैं सिर्फ एक गौरवशाली महापौर हूं और फिर अनुमति लेने दें।

सोशल मीडिया पर एक अन्य यूजर अधिवक्ता आशुतोष दुबे ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को ‘दिल्ली मॉडल’ पेश करने के लिए सिंगापुर जाने की अनुमति मांगी। और इस बीच दिल्ली मॉडल का ये हाल है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर सिंगापुर की यात्रा के लिए मंजूरी देने में देरी पर आपत्ति जताई है। अरविंद केजरीवाल ने अपने खत में लिखा है कि ‘सिंगापुर सरकार ने मुझे वैश्विक सम्मेलन में दिल्ली मॉडल पेश करने के लिए आमंत्रित किया है। दिल्ली मॉडल को दुनिया के शीर्ष नेताओं के सामने पेश किया जाएगा। पूरी दुनिया दिल्ली मॉडल के बारे में जानना चाहती है। यह निमंत्रण देश के लिए गर्व की बात है। किसी मुख्यमंत्री को इस तरह के आयोजन में शामिल होने से रोकना देश के हितों के खिलाफ है। कृपया जल्द से जल्द अनुमति दें ताकि मैं इस आयोजन के दौरान देश को गौरवान्वित कर सकूं।’

जानकारी के मुताबिक अरविंद केजरीवाल की तरफ से 7 जून को दिल्ली के उपराज्यपाल के कार्यालय में मंजूरी के लिए एक फाइल भेजी गई थी, लेकिन अबतक जवाब का इंतजार है। इससे पहले 1 जून को अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था कि उन्हें अपना ‘दिल्ली मॉडल’ पेश करने के लिए सिंगापुर में आमंत्रित किया जा रहा है। उन्होंने लिखा था ‘मैं विश्व शहरों के शिखर सम्मेलन में मुझे आमंत्रित करने के लिए सिंगापुर सरकार को धन्यवाद देता हूं। मैं शिखर सम्मेलन में भाग लेने और वैश्विक नेताओं के साथ शहरी समाधानों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हूं। सिंगापुर और दिल्ली निश्चित रूप से जनहित में त्वरित विकास हासिल करने की दिशा में मिलकर काम कर सकते हैं।’ दरअसल प्रोटोकॉल के मुताबिक मुख्यमंत्री समेत किसी भी मंत्री को आधिकारिक विदेश यात्राओं के लिए गृह मंत्रालय से मंजूरी लेनी होती है और मंजूरी के लिए फाइल उपराज्यपाल कार्यालय के जरिए गृह मंत्रालय को भेजी जाती है। लेकिन उपराज्यपाल दफ्तर से अरविंद केजरीवाल की ये फाइल अभी लौटकर नहीं आई है।

द‍िल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरव‍िंद केजरीवाल पर बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने हमला बोला है। मनोज तिवारी ने कहा है कि सीएम आवास के बाहर महीनों बैठे रहे दिल्ली के तीन मेयरों से मिलने का अरविंद केजरीवाल के पास वक्त नहीं था। अब केजरीवाल क्या यही बताने के लिए सिंगापुर में मेयरों की बैठक में जाना चाहते हैं। उत्तर- पूर्वी दिल्ली के सांसद एवं बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने अरविंद केजरीवाल द्वारा सिंगापुर की यात्रा पर शोर-शराबा करने को अशोभनीय व्यवहार बताते हुए निंदा की है। उन्होंने ट्वीट कर अरविंद केजरीवाल से पूछा जब आपके पास एक भी विभाग नहीं है तो बिना विभाग के मुख्यमंत्री के रूप में देश में झूठ परोसने का काम कर रहे हो। सिंगापुर जाकर विश्व भर के मेयरों को संबोधन में क्या बताओगे? पूरे विश्व को यह बताने के लिए आप सिंगापुर जाना चाहते हैं कि दिल्ली के तीन मेयर आपके दरवाजे पर महीनों बैठे रहे और आपने उनको निगम चलाने के लिए फंड देना तो दूर उनसे मिलना भी मुनासिब नहीं समझा।

दरअसल इससे पहले 2019 में भी अरविंद केजरीवाल को विदेश में पर्यावरण के मुद्दे पर बोलने के लिए डेनमार्क जाना था। लेकिन केंद्र सरकार ने यह कहते हुए क्लीयरेंस नहीं दी थी कि ये शिखर सम्मेलन मेयर स्तर का है, इसमें मुख्यमंत्री का जाना ठीक नहीं है।

केजरीवाल सिंगापुर में आयोजित होने वाले मेयरों के एक विश्व स्तरीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जाने वाले हैं, लेकिन केजरीवाल को सिंगापुर जाने की अभी तक अनुमति नहीं मिली है। अरविंद केजरीवाल ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है और सिंगापुर जाने की अनुमति रोकने को गलत बताया है। दिल्ली के एलजी की तरफ से भी अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर दौरे की मंजूरी नहीं मिली है।

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