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नवजोत सिंह सिद्धू के विद्रोह से गांधी परिवार की हुई खूब फजीहत, अपनों ने ही मारे ताने

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इस समय कांग्रेस की नाव बीच मझधार में हिचकोले खा रही है। उसे बचाने के लिए कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी जैसे आयातित नेताओं की जरूरत पड़ रही है। उधर पंजाब में आयातित नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस की नाव को बचाने की जगह डूबाने पर तुले हुए हैं। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस की नाव को जोरदार झटका दिया है। सिद्धू ने ना केवल पार्टी नेताओं, बल्कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को भी सकते में डाल दिया है। सिद्धू सिर्फ राहुल गांधी को ही अपना नेता मानते हैं, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफे की जानकारी दी। 

चरणजीत सिंह चन्नी के रूप में एक दलित को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस जिस सियासी फायदे की उम्मीद कर रही थी, उस पर नवजोत सिंह सिद्धू ने अचानक इस्तीफा देकर पानी फेर दिया है। इससे गांधी परिवार की खूब फजीहत हो रही है। इसके साथ ही सिद्धू के करीबी माने जाने वाले लोग भी इस्तीफा देने में जुट गए हैं। पहले कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना ने इस्तीफा दे दिया। उनके बाद पंजाब कांग्रेस के गुलजार इंदर चहल, योगिंदर ढींगरा, गौतम सेठ ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।  माना जा रहा है कि अगर सिद्धू नहीं मानते हैं तो ये संख्या बढ़ सकती है।

सिद्धू के विद्रोह और उनके व्यवहार की वजह से कांग्रेस नेतृत्व के फैसले पर ही सवाल उठ रहे हैं। अपने ही लोग ताने दे रहे हैं। अमरिंदर ने ट्वीट किया- ‘मैंने आपसे कहा था … वह एक स्थिर व्यक्ति नहीं और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए फिट नहीं है।’ जी-23 के सदस्य और सांसद मनीष तिवारी ने एक पंजाबी गीत ट्वीट किया जिसमें चंचल युवा लड़कियों से दोस्ती न करने की सलाह है। इसमें कहा गया है ‘जो आसानी से दोस्त बनती हैं, लेकिन जल्दी से नाराज भी हो जाती हैं।’

उधर कांग्रेस के प्रवक्ता उदित राज ने सिद्धू पर निशाना साधकर एक और विवाद को जन्म दे दिया है। उन्होंने दावा किया कि ‘दलित सीएम’ चरणजीत सिंह चन्नी की नियुक्ति इस्तीफे का कारण हो सकती है। कांग्रेस प्रवक्ता उदित राज ने बुधवार को एक ट्वीट में लिखा, ‘नवजोत सिद्धू के लिए कांग्रेस ने क्या नहीं किया? उन्हें मंत्री और पीपीसीसी अध्यक्ष बनाया, कैप्टन अमरेंद्र को सीएम से हटाने की उनकी इच्छा पूरी की और चन्नी भी उनकी पसंद थे। हो सकता है दलित सीएम इसकी वजह रहे हों।’।

सिद्धू ने कांग्रेस नेतृत्व को भी असहज करने का काम किया है, जिसने उनकी जिद के आगे झुकते हुए उन्हें न केवल पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया, बल्कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए बाध्य किया। दरअसल अपनी असहज स्थिति के लिए कांग्रेस नेतृत्व खुद ही जिम्मेदार है, जिसने अमरिंदर सिंह जैसे कद्दावर नेता की जगह बीजेपी से कांग्रेस में आए सिद्धू को प्राथमिकता दी। फिलहाल कांग्रेस ने सिद्धू के इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया है, लेकिन इसमें दो राय नहीं कि उन्होंने कांग्रेस को शर्मसार करने का काम किया है।

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