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कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी ने माना, पंजाब कांग्रेस के संकट से आइएसआइ और पाकिस्तान को फायदा

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पंजाब कांग्रेस में इस समय शह-मात का खेल चल रहा है। इस खेल में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू एक-दूसरे के खिलाफ खूब दांव-पेंच लगा रहे हैं। इस खेल में अभी तक सिद्धू जीतते नजर आ रहे थे, लेकिन उनके इस्तीफे से बाजी पलट गई है। अब कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी सियासी बिसात बिछाने में लगे हैं। इसमें उन्हें कांग्रेस के जी-23 नेताओं का समर्थन मिल रहा है। इस ग्रुप के दो नेताओं कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी ने पंजाब कांग्रेस के संकट पर चिंता जाहिर करते हुए परोक्ष रूप से कांग्रेस आलाकमान पर हमला बोला है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और फिलहाल हासिये पर चल रहे कपिल सिब्बल को भी पंजाब संकट ने बोलने का मौका दे दिया है। मीडिया से बात करते हुए सिब्बल ने कहा कि मैं उन कांग्रेसियों की ओर से बोल रहा हूं, जिन्होंने पिछले साल अगस्त में पत्र लिखा था। केंद्रीय अध्यक्ष, सीडब्ल्यूसी और केंद्रीय चुनाव समिति के पद के चुनाव के संबंध में हमारे नेतृत्व द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हमारी पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है इसलिए हमें नहीं पता कि ये निर्णय कौन ले रहा है। हम जानते हैं और फिर भी हम नहीं जानते।

पंजाब कांग्रेस में चल रहे सियासी घमासान पर कपिल सिब्बल ने कहा कि पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य में कांग्रेस पार्टी के साथ जो कुछ हो रहा है, उससे आइएसआइ और पाकिस्तान को फायदा हो रहा है। कांग्रेस को सुनिश्चित करना चाहिए कि वे एकजुट रहें। अगर किसी को दिक्कत है तो वो पार्टी के वरिष्ठ नेता से चर्चा करें। उन्होंने कहा कि चर्चा के लिए तुरंत सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई जाए। कांग्रेस को ऐसी हालत में नहीं देख सकते हैं।

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद मनीष तिवारी ने वर्तमान सियासी हलचल को प्रदेश और देश के लिए खतरनाक बताया। तिवारी ने कहा कि वर्तमान में पंजाब में जो कुछ भी हो रहा है उससे सबसे ज्यादा खुशी पाकिस्तान और आईएसआई को होगी। उन्होंने कहा, ‘पंजाब के एक सांसद के रूप में, मैं पंजाब में हो रही घटनाओं से बेहद व्यथित हूं। पंजाब में शांति अत्यंत कठिन थी। 1980-1995 के बीच उग्रवाद और आतंकवाद से लड़ने और पंजाब में शांति वापस लाने के लिए 25,000 लोगों ने बलिदान दिया, जिनमें से अधिकांश कांग्रेसी थे।’

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ‘पंजाब सीमावर्ती राज्य है, यह मुख्य रूप से कृषि कानूनों के खिलाफ लोगों में आक्रोश के कारण तीव्र सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। इस स्थिति में, अगर इस तरह की उथल-पुथल सार्वजनिक तौर पर होंगे, तो इसका सीमावर्ती राज्य पंजाब की स्थिरता पर सीधा और गंभीर प्रभाव पड़ेगा।’

अमरिंदर सिंह की जमकर तारीफ करते हुए तिवारी ने कहा कि अमरिंदर सिंह ने जो भविष्यवाणी की थी वह सच हो रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह बड़े कद के नेता हैं, वह मेरे दिवंगत पिता के करीबी दोस्त थे। हम एक-दूसरे को दशकों से जानते हैं, राष्ट्रवाद उनके खून में है, इसलिए मुझे लगता है कि उन परिस्थितियों में, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बेहतर फैसला लिया। उनका हर फैसला देश हित में था।

सिद्धू पर निशाना साधते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि मुझे इस बात को कहने में कोई संकोच नहीं है कि जिन लोगों को जिम्मेदारी दी गई थी, वो पंजाब की संवेदनशीलता और परिस्थिति को नहीं समझ सके। क्योंकि पाकिस्तान की तरफ से रोज वहां घुसपैठ होती है, ड्रोंस भेजे जाते हैं, हथियार भेजे जाते हैं। इन सब चीजों को संज्ञान में रखते हुए सबसे पहली प्राथमिकता ये होनी चाहिए थी कि पंजाब की राजनीतिक स्थितरता को बहाल रखा जाए। 

कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी, दोनों के बयान एक जैसे है। इससे लगता है कि उनकी रणनीति पाकिस्तान और आइएसआइ का डर दिखाकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के पक्ष में माहौल बनाना और कांग्रेस आलाकमान पर दबाव डालना है। हालांकि उनकी मंशा दबाव बनाना है, लेकिन उन्होंने पंजाब की हकीकत को बयां किया है। अगर वे तीन कृषि कानूनों के विरोध की आड़ में चल रही देश विरोधी गतिविधियों पर इसी तरह की चिंता जाहिर करते तो उनके मंसूबों पर सवाल नहीं उठते। दरअसल देश की सुरक्षा को दांव पर लगाकर कांग्रेस के नेता अपना-अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

 

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