सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की सबसे महत्वकांक्षी योजना वन नेशन-वन राशन कार्ड (One Nation One Ration Card) को बंगाल में तुरंत लागू करने के सख्त आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि आप एक के बाद दूसरी समस्या का हवाला नहीं दे सकते हैं। यह योजना प्रवासी श्रमिकों के लिए है। बिना किसी आनाकानी के इस योजना तो तुरंत लागू किया जाए।
दरअसल, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मजदूरों को सस्ते दर पर या फिर फ्री में राशन दिए जाने के मामले में सुनवाई चल रही थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश तो सुरक्षित रख लिया, लेकिन ममता सरकार को जमकर फटकार लगाई।
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि आधार कार्ड की दिक्कतों की वजह से ये योजना लागू नहीं हो पाई है। इस पर जस्टिस एमआर शाह ने कहा, “कोई बहाना नहीं चलेगा। जब सारे राज्य ये कर चुके हैं तो पश्चिम बंगाल को क्या दिक्कत है। हर हाल में ये योजना लागू होना चाहिए।” कोर्ट के रुख को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने इससे सहमति जताई।
इस संबंध में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें इस संबंध में जानकारी नहीं है। दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीट कर योजना को बंगाल में लागू करने की ममता बनर्जी से मांग की। उन्होंंने लिखा, ‘उम्मीद है कि बंगाल की मुख्यमंत्री राज्य में कम से कम गरीबों और जरूरतमंदों के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करेगी।’
Hope CM Bengal complies with Supreme Court directive at least for the sake of the poor and needy in the state. https://t.co/3eLwhc4Q8B
— Smriti Z Irani (@smritiirani) June 11, 2021
गौरतल है कि हाल ही में दो और मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को लताड़ लगायी थी। मंगलवार (8 जून, 2021) को सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2020 के बाद अनाथ हुए बच्चों के संबंध में फैसला सुनाते हुए तृणमूल कांग्रेस की सरकार को फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ”सभी राज्यों ने उसके आदेश को मानते हुए व्यवस्थित रूप से सूचनाओं को अपलोड किया है, लेकिन एक पश्चिम बंगाल सरकार ही है, जिसे ये आदेश अब तक समझ में ही नहीं आया।”
इससे पहले शीर्ष अदालत ने वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्रीज रेगुलेशन ऐक्ट-2017 (WBHIRA) को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने 4 मई, 2021 को यह फैसला दिया था। बंगाल सरकार ने यह कानून केंद्र सरकार की रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 (RERA) की जगह बनाया था। राज्य सरकार के कानून को असंवैधानिक करार देते हुए अदालत ने कहा था कि समानांतर शासन स्थापित करने का प्रयास स्वीकार नहीं किया जा सकता।