संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आकांक्षी जिला योजना की जमकर तारीफ की है। यूएनडीपी ने अपनी रिपोर्ट में इस योजना को स्थानीय क्षेत्र विकास के लिए इसे बेहद सफल मॉडल बताया है। यूएनडीपी ने कहा है कि जिन देशों में क्षेत्रीय भेदभाव हैं यह मॉडल उनके लिए काफी उपयोगी है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने योजना की मुख्य विशेषताओं को रेखांकित किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट संदेश में कहा, ‘‘भारत के ‘आकांक्षी जिला कार्यक्रम’ का मकसद हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों का समावेशी और समग्र विकास सुनिश्चित करना है। इस कार्यक्रम के तहत कई जिलों में आमूल-चूल परिवर्तन हुए हैं. यह देखकर प्रसन्नता हुई कि यूएनडीपी की रिपोर्ट में इसकी प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित किया गया है।’’
India’s Aspirational Districts Programme aims to ensure inclusive & all-round development in areas across our nation. Under this programme, many districts have witnessed holistic transformation. Glad to see the @UNDP report highlight its salient features. https://t.co/LUlqK9HWFR
— Narendra Modi (@narendramodi) June 12, 2021
यूएनडीपी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि ऐसे कई अन्य देशों में भी इसे सर्वोत्तम प्रथा के रूप में अपनाया जाना चाहिए जहां कई कारणों से विकास में क्षेत्रीय असमानता मौजूद हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि एडीपी के तहत किए गए ठोस प्रयासों के कारण पहले से उपेक्षित जिलों, जिनमें दूरदराज के जिले और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों शामिल हैं, में पिछले तीन वर्षों के दौरान पहले के मुकाबले कहीं अधिक विकास हुआ है। अपने सफर की कुछ बाधाओं के बावजूद एपीडी पिछड़े जिलों के बीच विकास को बढ़ावा देने में बेहद सफल रहा है।
यूएनडीपी इंडिया रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव शोको नोडा ने शुक्रवार को यह रिपोर्ट नीति आयोग के वाइस चेयरमैन डॉ. राजीव कुमार और सीईओ अमिताभ कांत को सौंपी। इसमें आकांक्षी जिला कार्यक्रम की प्रगति पर ध्यान केंद्रित किया गया है और सुधार के लिए सिफारिशें की गई हैं। यह रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों के मात्रात्मक विश्लेषण के साथ-साथ विभिन्न हितधारकों के साक्षात्कार पर आधारित है जिसमें जिला कलेक्टर, केंद्रीय प्रभारी अधिकारी, जिला के सहायक अधिकारी एवं अन्य विकास भागीदार शामिल हैं।
यूएनडीपी का यह विश्लेषण एडीपी के 5 प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित हैं जिनमें स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, बुनियादी ढांचा और कौशल विकास एवं वित्तीय समावेशन शामिल हैं। अध्ययन में पाया गया कि इस कार्यक्रम ने इन जिलों में विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए उत्प्रेरक का काम किया है। रिपोर्ट के अनुसार, जहां स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा और कुछ हद तक कृषि एवं जल संसाधन जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सुधार दर्ज किया गया है, वहीं महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद अन्य संकेतक कहीं अधिक मजबूती की गुंजाइश को दर्शाते हैं।
आकांक्षी जिलों और उनके समकक्षों के बीच तुलना पर पाया गया कि गैर- आकांक्षी जिलों के मुकाबले आकांक्षी जिलों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। स्वास्थ्य एवं पोषण और वित्तीय समावेशन के क्षेत्रों में रिपोर्ट में पाया गया है कि घरों पर होने वाली डिलिवरी के 9.6 प्रतिशत अधिक मामलों में एक कुशल जन्म परिचारिका ने भाग लिया। गंभीर रक्ताल्पता वाली 5.8 प्रतिशत अधिक गर्भवती महिलाओं का इलाज किया गया, डायरिया से पीड़ित 4.8 प्रतिशत अधिक बच्चों का इलाज किया गया, 4.5 प्रतिशत अधिक गर्भवती महिलाओं ने अपनी पहली तिमाही में प्रसवपूर्व देखभाल के लिए पंजीकरण करवाया, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधान मंत्री जन-धन योजना के तहत क्रमशः 406 एवं 847 अधिक नामांकन हुए और प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 1,580 अधिक खाते खोले गए। यूएनडीपी ने बीजापुर और दंतेवाड़ा में ‘मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान’ की भी सराहना की है जिससे इन जिलों में मलेरिया के मामलों में 71 प्रतिशत और 54 प्रतिशत की कमी आई है। इसे आकांक्षी जिलों का एक ‘सर्वोत्तम प्रथा’ करार दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, जिलों ने यह भी स्वीकार किया है कि स्वास्थ्य एवं पोषण कार्यक्रमों पर लगातार ध्यान केंद्रित करने से उन्हें कहीं अधिक आसानी से कोविड संकट से निपटने में मदद मिली है। उदाहरण के लिए ओडिशा के मलकानगिरी जिला जो छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों के करीब स्थित है। लॉकडाउन के शुरुआती चरण के दौरान राज्य में वापस लौटने वाले कई प्रवासी श्रमिकों के लिए यह एक प्रवेश मार्ग बन गया था। जिले के अधिकारियों ने दावा किया कि उन प्रवासियों को क्वारंटीन करने के लिए नए बुनियादी ढांचे का उपयोग संस्थागत क्वारंटीन केंद्रों के रूप किया गया।
इस पहल की सफलता का श्रेय मुख्य तौर पर रियल-टाइम निगरानी के आंकड़े, सरकारी कार्यक्रमों एवं योजनाओं को एक साथ करने और आकांक्षी जिला कार्यक्रम के जबरदस्त लाभ को दिया गया है।
रिपोर्ट में इस कार्यक्रम के तहत उद्देश्यों और लक्ष्यों को हासिल करने के लिए केंद्र एवं स्थानीय सरकारों, विकास भागीदारों और नागरिकों सहित सभी हितधारकों को एकजुट करने की इसकी अनोखी सहयोगात्मक प्रकृति पर भी गौर किया गया है। यही वह प्रमुख स्तंभ है जिसने जिला आयुक्तों को ‘एक मजबूत कोविड-19 प्रतिक्रिया तंत्र स्थापित करने और अपने संबंधित जिलों में पंचायतों, धार्मिक एवं समुदाय के नेताओं और विकास भागीदारों के साथ करीबी तालमेल के साथ काम करते हुए इस वैश्विक महामारी की चुनौतियों से निपटने में समर्थ बनाया।
रिपोर्ट में इस कार्यक्रम के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित देश के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व द्वारा दिखाई गई उल्लेखनीय प्रतिबद्धता को भी स्वीकार किया गया है। वर्ष 2018 में इस कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद से ही प्रधानमंत्री ने लगातार जिला स्तर पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए जिला कलेक्टरों को प्रेरित और उत्साहित किया है।
एडीपी के दृष्टिकोण के 3सी ‘कन्वर्जेंस, कम्पिटिशन और कोलैबरेशन’ यानी अभिसरण, प्रतिस्पर्धा और सहयोग के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि साक्षात्कार देने वाले अधिकतर लोगों ने अभिसरण के महत्व पर जोर दिया है जो कार्यक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सिंक्रनाइज्ड नियोजन एवं शासन की दिशा में साथ मिलकर काम करने को बढ़ावा देता है। इसी प्रकार, प्रतिस्पर्धा वाले पहलू को भी इस कार्यक्रम के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बेहतर निगरानी और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में काफी मददगार पाया गया। इसने जिलों के लिए अपने प्रयासों को बेहतर करने और प्रगति पर नजर रखने के लिए एक प्रेरक के रूप में काम किया।
इस कार्यक्रम ने जिलों की तकनीकी और प्रशासनिक क्षमताओं को मजबूत किया है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षमता निर्माण पर कहीं अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इसमें सभी जिलों में एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट फेलो अथवा टेक्निकल सपोर्ट यूनिट जैसे समर्पित कर्मियों की नियुक्ति अथवा तकनीकी विशेषज्ञता, कौशल प्रशिक्षण आदि प्रदान करने के लिए विकास भागीदारों के साथ सहयोग करना शामिल है।
रिपोर्ट में इस कार्यक्रम के चैंपियंस ऑफ चेंज डैशबोर्ड पर प्रदान की गई डेल्टा रैंकिंग की भी सराहना की गई है। इसके द्वारा प्रेरित प्रतिस्पर्धी एवं गतिशील संस्कृति ने कमजोर प्रदर्शन करने वाले कई जिलों (बेसलाइन रैंकिंग के अनुसार) को पिछले तीन वर्षों के दौरान अपनी स्थिति में सुधार लाने के लिए सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया है। रिपोर्ट में पाया गया है कि सिमडेगा (झारखंड), चंदौली (उत्तर प्रदेश), सोनभद्र (उत्तर प्रदेश) और राजगढ़ (मध्य प्रदेश) इस कार्यक्रम की शुरुआत के बाद सबसे अधिक प्रगति करने वाले जिलों में शामिल हैं।
रिपोर्ट में इस कार्यक्रम के तहत शुरू की गई कई पहल को सर्वोत्तम प्रथा करार दिया गया है। उनमें से एक उल्लेख्नीय पहल है गोल मार्ट। यह एक ई-कॉमर्स पोर्टल है जिसे असम के गोलपारा जिला प्रशासन द्वारा शुरू किया गया था ताकि जिले के ग्रामीण, जातीय एवं कृषि उत्पादों को राष्ट्रीय एवं वैश्विक बाजारों में बढ़ावा दिया जा सके। यह पहल विशेष तौर पर कोविड-19 प्रेरित लॉकडाउन के दौरान काफी मददगार साबित हुई क्योंकि इसने किसानों और खुदरा विक्रेताओं को ऑफलाइन दुकानों के चंगुल से मुक्त कर दिया। गोलपारा का काला चावल इस पोर्टल पर पसंदीदा उत्पाद है और यह किसानों के लिए काफी लाभदायक भी साबित हुआ है। इसी प्रकार, उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले ने वैश्विक बाजारों में काले चावल की जबरदस्त मांग और अच्छे मुनाफा मार्जिन को देखते हुए उसकी खेती के साथ प्रयोग करने का निर्णय लिया। यह परियोजना सफल रही और अब ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को उच्च गुणवत्ता वाले काले चावल का निर्यात किया जाता है।
जहां तक चुनौतियों और सुझावों का सवाल है तो रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ हितधारकों ने ऐसे कुछ संकेतकों को संशोधित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है जिन्हें अधिकतर जिलों द्वारा पूरा कर लिया गया है अथवा पूरा होने के करीब हैं। उदाहरण के तौर पर, बुनियादी ढांचे के संकेतक के रूप में घरों का विद्युतीकरण आदि। यह भी पाया गया कि औसतन जिलों में लचीलेपन में वृद्धि और कमजोरियों में कमी देखी गई है। लेकिन सबसे कम सुधार वाले जिलों में कमजोरियों में वृद्धि देखी गई है जिसके लिए उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है जहां इन जिलों ने कमजोर प्रदर्शन किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आकांक्षी जिला कार्यक्रम को किसी को भी पीछे न छोड़ने के सिद्धांत के आधार पर तैयार किया है जो एसडीजी का महत्वपूर्ण बुनियाद है। रिपोर्टमें यह भी कहा गया है कि शीर्ष स्तर पर राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के परिणामस्वरूप इस कार्यक्रम को तेजी से सफलता मिली है।
कुल मिलाकर, रिपोर्ट में इस कार्यक्रम के सकारात्मक प्रभाव की सराहना की गई है। साथ ही यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है कि विकास पर ध्यान केंद्रित करने को प्रोत्साहित किया जाए और अब तक प्राप्त विकास की गति को बनाए रखा जाए। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मूल्यांकन के निष्कर्षों के आधार पर यह सिफारिश की जाती है कि इस कार्यक्रम की सफलता को बढ़ाया जाए और अन्य क्षेत्रों एवं जिलों भी उसे दोहराया जाए।’
प्रधानमंत्री द्वारा जनवरी 2018 में आकांक्षी जिला कार्यक्रम को शुरू किया गया था। नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर करने और सभी के लिए समावेशी विकास ‘सबका साथ, सबका विकास’ सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयास के तहत इसकी शुरुआत हुई थी।