सत्ता के लिए छटपटा रही कांग्रेस पार्टी देश को तोड़ने पर उतर आई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के विकास के कार्यों से घबराई कांग्रेस पार्टी को 2019 में सत्ता में वापसी असंभव नजर आ रही है और यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी ने देश के नागरिकों को जाति और धर्म के आधार पर लड़ाने की साजिश रची है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने ब्रिटेन की जिस कैंब्रिज एनालिटिका को भारतीयों का पर्सनल डाटा बेचा है, उसी के कहने पर देश में दंगा भड़काने और जातियों के नाम लोगों को बांटने की साजिश रची जा रही है।
10 अप्रैल को भारत बंद का मैसेज सिर्फ अफवाह
इन दिनों सोशल मीडिया पर एक मैजेस खूब शेयर किया जा रहा है, जिसमें जनरल और ओबीसी की तरफ से आरक्षण खत्म करने की मांग की जा रही है और इसी मांग को लेकर 10 अप्रैल को भारत बंद की अपील की गई है। इस मैसेज में किसी भी संगठन का नाम नहीं है और न ही किसी व्यक्ति का नाम है। इस मैजेस के जरिए एक बार फिर देश को नफरत की आग में झोंकने की तैयारी की जा रही है। इस संदेश से एक बार फिर एससी-एसटी और ओबीसी व सामान्य वर्ग के लोगों के बीच खटास पैदा करने की कोशिश की जा रही है। देश को जातिगत दुर्भावना की आग में झोंकने वाले ऐसे मैसेज से सावधान रहने की जरूरत है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस मैसेज में किसी भी संगठन का नाम न हो उसके प्रभाव में आने की कोई जरूरत नहीं है। सच्चाई यह है कि 10 अप्रैल को कोई भारत बंद नहीं है, किसी भी संस्था ने इसका आह्वान नहीं किया है। बताया जा रहा है कि यह मैसेज भी कांग्रेस पार्टी की सलाहकार एजेंसी कैंब्रिज एनालिटिका की साजिश का हिस्सा हो सकता है।
दलित आंदोलन को कांग्रेस ने दी थी हवा!
2 अप्रैल को देश एक ऐसे आंदोलन का गवाह बना, जिसमें दलित को न्याय दिलाने के नाम पर जमकर उत्तपात मचाया गया, अरबों की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। दलितों के इस भारत बंद में देशभर में 12 निर्दोष लोगों की जान भी चली गई। वैसे तो यह दलित संगठनों का आंदोलन था, लेकिन कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों का इसे पूरा समर्थन मिला हुआ था। 2 अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक नफरत भरा ट्वीट कर दलितों के आंदोलन को भड़काने का काम किया, इसी ट्वीट के बाद सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे दलित समुदाय के लोग हिंसक हो उठे और फिर इन लोगों ने जमकर हिंसा फैलाई। दलित आन्दोलन के नाम पर हिंसाग्रस्त राज्यों की सूची देखेंगे तो आपको सब समझ में आ जाएगा। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड… इन सभी राज्यों में कॉमन ये है कि ये बीजेपी-एनडीए शासित राज्य हैं। वहीं सबसे अधिक 32 प्रतिशत दलित वाले राज्य पंजाब में हिंसा नहीं हुई, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी कहीं कुछ नहीं हुआ। जाहिर है बीजेपी-एनडीए शासित राज्यों में हुई हिंसा में किसका ‘हाथ’ है, किसकी साजिश है, समझ में आ गया होगा। इसी प्रकार लेफ्ट पार्टियों ने भी दलित आंदोलन को हाईजैक कर हिंसा भड़काने का काम किया।
कांग्रेस की साजिश से रहें सावधान
सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर वो कौन है जो देश में नफरत पैदा करना और विभिन्न समुदायों को आपस में लड़ाना चाहता है। जाहिर है जिसे राजनीतिक तौर पर ऐसा करने से फायदा होगी वो ही इतना घृणित काम करेगा। आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी का इतिहास ही ऐसा रहा है कि फूट डालो और राज करो। दशकों तक कांग्रेस पार्टी ने देश में इसी तरह की राजनीति कर सत्ता चलाई है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की चहेती कैंब्रिज एनालिटिका ने सलाह दी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराना है तो भारत में अशांति फैला दो, भारत को नफरत की आग में झोंक दो, देशभर में दंगा-फसाद करा दो। कांग्रेस पार्टी इसी रणनीति पर चल रही है। यही वजह है कि देश में कभी पटेल के नाम पर, कभी गुर्जर के नाम पर, कभी जाट के नाम पर, कभी दलित के नाम पर, कभी ओबीसी के नाम पर, कभी सामान्य वर्ग के नाम पर मारकाट मचाने की तैयारी की गई है। कांग्रेस पार्टी की साजिश है कि अगले एक वर्ष तक मोदी सरकार इन्हीं फसादों में उलझी रहे और देश का विकास पटरी से उतर जाए।
‘फूट डालो-राज करो’ की राह पर राहुल गांधी!
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अंग्रेजों की ‘फूट डालो-राज करो’ नीति पर चल रहे हैं। पिछले वर्ष गुजरात के विधानसभा चुनाव में इसी नीति के तहत राहुल गांधी ने सत्ता हालिस करने की नाकाम कोशिश की थी। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ी रणनीति बनाई थी कि ‘मोदी को गुजरात में गिरा दो’। राहुल गांधी ने प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए ‘युवा तिकड़ी’ बनाई थी। पाटीदार आरक्षण की मांग करने वाले हार्दिक पटेल, दलित अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले जिग्नेश मेवाणी और ओबीसी वर्ग की राजनीति करने वाले अल्पेश ठाकोर के साथ जब राहुल गांधी ने जातीय समीकरण तैयार किया तब सब हैरान थे।
लोगों को लगा कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हराने के लिए कमाल की रणनीति बनाई है। हालांकि वे लोग जरूर अचंभित थे जो राहुल को करीब से जानते थे। वे जानना चाहते थे कि आखिर कौन है वह शख्स जो राहुल को जीत का ऐसा ‘जातीय’ ज्ञान दे रहा है। अब जाकर यह खुलासा हुआ है कि यह राहुल गांधी का दिमाग नहीं बल्कि अंग्रेजों का दिमाग था।
वही अंग्रेज जिन्होंने भारत में ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति के तहत देश पर 200 वर्षों तक शासन किया। वही अंग्रेज जिसकी नीति पर आगे बढ़ते हुए कांग्रेस ने देश के शासन सत्ता पर साठ वर्षों तक कब्जा जमाए रखा। हालांकि बदल रहे भारत की राजनीति में जब राजनीति का अंदाज बदलने लगा तो राहुल गांधी ने दिल्ली से साढ़े छह हजार किलोमीटर दूर लंदन की एक कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका से मदद ली थी। अब तो कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी के आफिस में कांग्रेस का ‘हाथ’ भी साफ-साफ दिख रहा है।
Kya Baat hai @RahulGandhi Ji.. Congress ka Haath, Cambridge Analytica ke Saath!https://t.co/fUaPlMekMB pic.twitter.com/JieXqUgp3K
— Smriti Z Irani (@smritiirani) 28 March 2018
हैरत की बात ये है कि कैम्ब्रिज एनालिटिका के पास भारत के 600 जिलों के 7 लाख गांवों का जाति आधारित डेटा मौजूद है। जाहिर है एक ‘गोरी’ कंपनी को देश के 30 करोड़ से अधिक लोगों का डेटा लीक करने के पीछे का मकसद किसी भी हाल में सत्ता पर काबिज होना ही है। इस पूरे वाकये में दिलचस्प बात ये है कि राहुल गांधी ने उल्टे बीजेपी पर विदेशी कंपनी से डेटा लेने का आरोप लगा दिया था। लेकिन अब ये साफ है कि कांग्रेस ने अंग्रेजों की Divide and rule की नीति अपना ली है और देश की सत्ता पर फिर काबिज होने के लिए बड़ी साजिश रची है। आइये हम कांग्रेस की कुछ ऐसी ही साजिशों का पर्दाफाश करते हैं-
उत्तर-दक्षिण को लड़ाने की साजि
कर्नाटक में अलग झंडे को मंजूरी देने के बाद सीएम सिद्धारमैया ने अलग तरह के अलगाववाद की बुनियाद तैयार करनी शुरू कर दी है। इस बार उन्होंने संसाधनों के हिस्से को लेकर उत्तर और दक्षिण भारत के बीच खाई चौड़ा करने की कोशिश की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सिद्धारमैया ने दलील दी है कि उत्तर प्रदेश को प्रत्येक एक रुपये के टैक्स योगदान के एवज में उसे 1.79 रुपये मिलते हैं, जबकि कर्नाटक को 0.47 पैसे। कर्नाटक कांग्रेस के इस ट्विटर अकाउंट पर भी यही बातें लिखी गई हैं।
“For every 1 rupee of tax contributed by UP that state receives Rs. 1.79
For every 1 rupee of tax contributed by Karnataka, the state receives Rs. 0.47
While I recognize, the need for correcting regional imbalances, where is the reward for development?”: CM#KannadaSwabhimana https://t.co/EmT7cY60Q0
— Karnataka Congress (@INCKarnataka) 16 March 2018
जाहिर है कर्नाटक के सीएम की मंशा अब उत्तर और भारत के बीच खाई को पैदा करने की है।
कर्नाटक को ‘कश्मीर’ बनाने की साजिश
राहुल गांधी की सहमति के बाद सिद्धारमैया ने कर्नाटक को अलग झंडा बनाने की मंजूरी दे दी है। दरअसल राहुल गांधी इस बहाने कर्नाटक में अलगगाववाद का जहर बोना चाहते हैं। दरअसल 1948 में कांग्रेस ने कश्मीर को धारा 370 और 35A का प्रावधान कर अलगाववाद की नींव रख दी थी।
‘कन्नड़वाद’ पर ‘गंदी राजनीति’ की साजिश
राहुल गांधी और कांग्रेस की हिन्दी भाषा से नफरत जगजाहिर है। राहुल की इसी नीति के तहत सिद्धरमैया ने हिंदी भाषा के विरूद्ध बिगुल फूंक दिया है।राहुल की शह पर सिद्धारमैया एक बार फिर देश में भाषावाद और क्षेत्रवाद का झंडा बुलंद कर रहे हैं।
हिंदुओं में फूट डालने की साजिश
राहुल गांधी ने फूट डालो राज करो की नीति के तहत लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता देकर हिंदुओं को विभाजित करने की बुनियाद डाल दी है। कर्नाटक की सरकार ने लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार लिखा है।
हिंदी विरोध पर अलगाववाद की साजिश
16 मार्च, 2018 को कांग्रेस ने पूर्वोत्तर में अलगाववाद की बीज बोने की एक और कोशिश तब की जब मेघालय विधानसभा में राज्यपाल के हिंदी में दिए गए अभिभाषण का विरोध करते हुए कांग्रेसी सदस्यों ने सदन से वॉक आउट कर दिया। ध्यान देने वाली बात ये है कि विधानसभा के सभी सदस्यों को अंग्रेजी में लिखी अभिभाषण की प्रतिलिपि भी दे दी गई थी।
द्रविड़नाडु की बीज बोती कांग्रेस
मई 2017 में कांग्रेस ने पशु क्रूरता अधिनियम के विरोध में ट्विटर और सोशल मीडिया पर ‘द्रविनाडु’ यानि दक्षिण भारत के चारों प्रमुख राज्यों को मिलाकर अलग देश निर्माण की मांग को हवा दी थी।
‘दूध में दरार’ डालने की साजिश
यूपीए की सरकार जब देश की सत्ता में थी तो सेना में मुसलमानों की संख्या की गिनती कराए जाने की योजना बनाई जाने लगी। कांग्रेस ये जानती है कि सेना में धर्म, जाति या क्षेत्र के आधार पर नौकरियां नहीं दी जाती हैं और इन सब के बारे में कोई आंकड़ा नहीं रखा जाता।
कांग्रेस ने की मुसलमानों के आरक्षण की मांग
वर्ष 2017 में कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में सरकारी नौकरियों और अलीगढ़ में पीजी कोर्सेज में मुसलमानों को आरक्षण की मांग की थी। इसी मांग पर बढ़ते हुए तेलंगाना सरकार ने भी तुष्टिकरण का कार्ड खेलते हुए मुसलमानों को अलग से आरक्षण की व्यवस्था बहाल कर दी।
दलितों को भड़काने की साजिश
वर्ष 2017 में कांग्रेस की शह पर सहारनपुर में दलित-सवर्ण संघर्ष की साजिश रची गई। इसमें कांग्रेस के कई नेताओं के हाथ भी सामने आ गए। इसी तरह गुजरात के ऊना में दलित पिटाई की भी कांग्रेस ने साजिश रची थी और भाजपा पर दोष मढ़ने का प्रयास किया था।
दरअसल जाति को जाति से लड़ाने, हिंदुओं को आपस में बांटने, प्रांतवाद-क्षेत्रवाद की पॉलिटिक्स और धर्म के आधार पर तुष्टिकरण करने की राह पर चल रही कांग्रेस देश को खोखला करती जा रही है। हम ये समझ लें कि कांग्रेस पार्टी की फितरत रही है कि वह देश को टुकड़ों में बांट कर अपनी सत्ता कायम रखती है।