प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय रेलवे कोरोना संकट के दौरान हर तरह से देश और लोगों की मदद करने में जुटा है। एक तरफ जहां रेलवे ने हजारों कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदला है, इस दौरान जरूरतमंदों को खाने के पैकेट भी बांटे जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि भारतीय रेलवे ने इस लॉकडाउन के दौरान 28 मार्च से लेकर सोमवार यानि 20 अप्रैल, 2020 तक करीब 20.5 लाख खाने के पैकेट बांटे हैं और ये सिलसिला लगातार जारी है।
रेलवे ने एक बयान में कहा कि आईआरसीटीसी की रसोइयों, आरपीएफ के संसाधनों और गैर सरकारी संगठनों के जरिये वह 28 मार्च से दोपहर और रात के लिये भोजन के पैकेट उपलब्ध करा रहा है। जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के दौरान लोगों के बीच दूरी बनाये रखने, स्वच्छता आदि का भी ध्यान रखा जा रहा है। बयान में कहा गया है कि आईआरसीटीसी की अलग-अलग शहरों में स्थित रसोइयों से सोमवार तक भोजन के 20.5 लाख पैकेट बांटे गए है। इनमें 11.6 लाख पैकेट आईआरसीटीसी ने उपलब्ध कराए हैं। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने अपने संसाधनों से 3.6 लाख पैकेट, रेलवे की वाणिज्यिक और अन्य विभागों द्वारा 1.5 लाख और रेल संगठनों के साथ काम करते हुए गैर सरकारी संस्थाओं ने करीब 3.8 लाख पैकेट उपलब्ध कराए हैं। बताया गया है कि अभी आरपीएफ द्वारा देश के करीब 300 स्थानों पर लगभग 50,000 लोगों को रोजना भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
आईआरसीटीसी के बेस किचनों में तैयार किया जा रहा खाना
आईआरसीटीसी से मिली जानकारी के अनुसार इस समय उसके दिल्ली,बेंगलुरू, हुबली, मुंबई सेंट्रल, अहमदाबाद, भुसावल, हावड़ा, पटना, गया, रांची, कटिहार, दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन मुगलसराय, बालासोर, विजयवाडा, खुरदा रोड, कटपडी, तिरूचरापल्ली, धनबाद, ग्वालियर, समस्तीपुर, प्रयागराज, चेन्नई सेंट्रल, विशाखापत्तनम, पुणे, हाजीपुर,चेंगलपट्टू आर छत्तीगढ़ के रायपुर समेत कई अन्य शहरों में स्थित बेस किचन में गरीबों का निवाला तैयार किया जा रहा है।
आईआरसीटीसी के सीएसआर फंड से हो रहा है काम
गरीबों का भोजन तैयार करने के लिए आईआरसीटीसी के सीएसआर फंड से पैसा दिया जा रहा है। कंपनी के अधिकारी ने बताया कि उनके बेस किचन में तो कर्मचारी पहले से हैं ही, खाना बनाने का सामान भी है। बस भोजन तैयार करने के लिए जरूरी खाद्य पदार्थ, मसाले, हरी सब्जी आदि का स्टॉक जुटाया गया। गैस की व्यवस्था की गई और काम शुरू हो गया। इसमें कुछ लाइेसेंसी ठेकेदारों ने भी अपने कर्मचारी उपलब्ध कराए हैं।
भारतीय रेलवे कोरोना महामारी से लड़ने में तमाम तरीके से अपना योगदान दे रही है। डालते हैं एक नजर-
कोरोना से जंग में जुटा रेलवे, ईस्ट कोस्ट रेलवे ने 261 स्लीपर डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदला
कोरोना महामारी के संकट से निपटने के लिए हर महकमा, संगठन और व्यक्ति अपनी-अपनी तरफ से जुटा हुआ है। भारतीय रेलवे के अधिकारी और इंजीनियर भी कोरोना संकट से निपटने में हर संभव मदद करने में लगे हैं। ईस्ट कोस्ट रेलवे (ECoR) ने 261 स्लीपर और जनरल कोचों को परिवर्तित करने के अपने लक्ष्य को पूरा किया। देश में कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच कोविड-19 आइसोलेशन कोच बनाए गए हैं। भारतीय रेलवे कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच पांच हजार डिब्बों को क्वारंटीन और आइसोलेशन सुविधाओं के रूप में उपयोग करने की पेशकश कर रहा है। इसी कड़ी में ईस्ट कोस्ट रेलवे ने 261 डिब्बों को क्वारंटीन और आईसोलेशन सुविधाओं के रूप में परिवर्तित किया है।
बताया गया है कि इन कोचों को ईस्ट कोस्ट रेलवे के विभिन्न स्टेशनों पर रखा गया है। मणिकेश्वर कार्यशाला ने 51 डिब्बों को परिवर्तित किया है, जबकि पुरी में कोचिंग डिपो ने 39, भुवनेश्वर में कोचिंग डिपो ने 46 में परिवर्तित किया है। इसी तरह, संबलपुर कोचिंग डिपो ने 32, विशाखापट्टनम कोचिंग डिपो ने 60 परिवर्तित किया है, और खुर्दा रोड स्टेशन के कोचिंग डिपो ने 33 कोचों को सीओवीआईडी -19 आइसोलेशन कोच के रूप में परिवर्तित किया है। इन डिब्बों में सभी आवश्यक सुविधाएं कोचों में प्रदान की गई हैं। खिड़कियों पर मच्छरदानी, एक बाथरूम और एक कोच में तीन शौचालय, मध्य बर्थ को हटाने, प्रत्येक कोच में छह लिक्विड सोप के डिस्पेंसर, प्रत्येक कोच में चार बोतल धारक और तीन डस्टबिन, लैपटॉप और मोबाइल चार्ज करने की सुविधा, तकिया, बेडशीट, मग और अन्य सुविधाओं के बीच बाथरूम में बाल्टी प्रदान की गई हैं। इनके अलावा, ऑक्सीजन सिलेंडर जैसी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। ईस्ट कोस्ट रेलवे के एक वरिष्ठ के मुताबिक जब भी आवश्यकता होगी, इन ट्रेनों को देश के किसी भी हिस्से में भेजा जा सकता है।
भारतीय रेलवे ने विकसित किया बेहद सस्ता वेंटिलेटर
कोरोना पीड़ितों के इलाज में वेंटिलेटर की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है और सरकारी स्तर पर वेंटिलेटर की संख्या बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसबीच भारतीय रेलवे ने एक बहुत ही सस्ता वेंटिलेटर तैयार किया है। कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) ने ‘जीवन’ नाम के इस वेंटिलेटर को विकसित किया है।
अभी जो वेंटिलेटर उपलब्ध हैं उनकी कीमत 5 से 15 लाख रुपये तक है। लेकिन रेलवे द्वारा विकसित यह वेंटिलेटर बहुत ही सस्ता है। कपूरथला आरसीएफ के महाप्रबंधक रविंदर गुप्ता के मुताबिक जीवन वेंटिलेटर की कीमत बिना कंप्रेसर के करीब दस हजार रुपये होगी। उन्होंने कहा कि अभी इसे बनाने के लिए आईसीएमआर की मंजूरी नहीं मिली है, मंजूरी मिलते ही जीवन वेंटिलेटर का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आरसीएफ के पास रोजाना 100 वेंटिलेटर बनाने के संसाधन मौजूद हैं। रेलवे द्वारा विकसित इस वेंटिलेटर में मरीज के श्वसन को चलाने के लिए एक वॉल्व लगाया गया है। जरूरत के हिसाब से इसके आकार में बदलाव किया जा सकता है। यह बिना आवाज किए चलता है। यदि इसमें कुछ इंडिकेटर भी लगाएं तब भी इसकी कीमत 30 हजार रुपये से अधिक नहीं होगी।
रेलवे कोच बन गया अस्पताल, तैयार हो रहे 3.2 लाख आइसोलेशन बेड
लॉकडाउन के कारण ट्रेनों का संचालन ठप है। ऐसे में रेलवे कोरोना के खिलाफ जंग में पूरी तरह कूद चुका है। रेलवे अपने एसी और नॉन-एसी कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदल रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर इसका उचित इस्तेमाल किया जा सके। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि रेलवे 3.2 लाख आइसोलेटेड बेड तैयार कर रहा है। इसके लिए 40 हजार कोच में जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं।
In a dedicated display of services, Railways has used all its might to support nation’s fight against COVID-19
Achieving half of the target in a short time, 2,500 coaches have been converted into isolation coaches, readying 40,000 beds for contingencyhttps://t.co/Dmia9z17B8 pic.twitter.com/LRPWlmd3v4
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) April 6, 2020
2500 कोच को आइसोलेशन कोच में बदला गया
रेल मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक रेलवे ने 2500 कोचों को आइसोलेशन कोच में बदल दिया है, जबकि 2500 और कोचों को जल्द आइसोलेशन कोच में बदल दिया जाएगा। जाहिर है कि रेलवे ने पहले चरण 40,000 आइसोलेशन बेड बनाने का लक्ष्य रखा है।
पैरामेडिकल स्टॉफ तैनात होंगे
इन रेलवे वार्ड्स में लाईफ सेविंग ड्रग, चिकित्सा उपकरण, जांच मशीनें और पैरामेडिकल स्टाफ तैनात रहेंगे। इसके अलावा मरीज की जरूरत के हिसाब से कोचों के एक शौचालय को स्नानागार में बदला जाएगा। हर केबिन की दोनों मिडिल बर्थ को हटाया गया है और वॉशबेसिन में लिफ्ट टाइप के हैंडल के साथ नल को उचित ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा ताकि बाल्टी को भी भरा जा सके।
ऑक्सिजन सिलिंडर भी उपलब्ध होंगे
चिकित्सा विभाग द्वारा दो ऑक्सिजन सिलिंडर भी उपलब्ध कराए जाएंगे जो केबिन के साइड बर्थ पर मौजूद जगह पर लगाए जाएंगे। हर केबिन में दो बोतल होल्डर लगेंगे और उचित वेंटिलेशन की सुविधा के साथ खिड़कियों पर मच्छरदानी और डस्टबिन होंगे। कोचों को इन्सुलेशन और गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए के लिए कोच के उपरी भाग तथा खिड़की के आस-पास बांस के मैट भी लगाए जाएंगे।
In continuation of the measures taken to prevent the spread of COVID-19, Indian Railways ramps up in-house production of masks and sanitisers.
Till 1st April 2020, Railways has produced a total of 2,87,704 masks and 25,806 litres of sanitiser.https://t.co/2MvTGPpBLj pic.twitter.com/e3O3Z52VA0
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) April 3, 2020
रेलवे ने हजारों लीटर सेनिटाइजर और लाखों मास्क बनाए
इसके अलावा रेलवे विभाग अपने संसाधनों के बल पर बड़ी मात्रा में सेनिटाइजर और फेस मास्क भी बनाने का काम कर रहा है। 1 अप्रैल, 2020 तक रेलवे ने 25,806 लीटर सेनेटाइजर और करीब तीन लाख मास्क बनाए थे और ये काम निरंतर जारी है।
In a big boost to equip the medical fraternity in their battle against COVID-19, Indian Railways is going to manufacture Personal Protective Equipment Garments on a large scale. pic.twitter.com/3ufxMojA4K
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) April 5, 2020
बड़ी संख्या मे पीपीई बनाने में लगी रेलवे
इसके साथ ही रेलवे ने कोरोना से पीड़ित मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ के पहनने में इस्तेमाल किए जाने वा पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट बनाने का काम भी शुरू किया है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।