प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मणिपुर के इंफाल में 105वीं इंडियन साइंस कांग्रेस का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से रिसर्च को ‘लैब’ से ‘लैंड’ पर लाने की अपील की, ताकि इसका फायदा समाज और देश को मिल सके। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश से आए लगभग 5,000 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं, इनमें से 2,000 वैज्ञानिक हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि एक सदी में यह दूसरी बार है जब इंडियन साइंस कांग्रेस का आयोजन नॉर्थ ईस्ट में किया जा रहा है, यह पूर्वोत्तर की पुनरुत्थान की भावना का प्रमाण है और यह भविष्य के लिए अच्छा लग रहा है।
I am told that this is just the second time in over a century, that the Indian Science Congress is being held in the North-East. This is a testimony to the resurgent spirit of the North East. It bodes well for the future: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) 16 March 2018
‘R&D’ को फिर परभाषित किया जाए
प्रधानमंत्री मोदी ने देश और समाज के विकास के लिए विज्ञान और टेक्नोलॉजी के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि ‘R&D’ को फिर से परिभाषित किया जाए। उन्होंने कहा कि ‘R&D’ का मतलब ‘Research’ for the ‘Development’ of the nation होना चाहिए। सबके लिए विज्ञान, इसका मतलब है कि समाज के आखिरी व्यक्ति को भी इसका लाभ मिले और उनकी जिंदगी अलग कैसे हो। वैज्ञानिकों को समाज को आगे बढ़ाने और उनके कल्याण के लिए काम करना चाहिए।उन्होंने वैज्ञानिकों से रिसर्च को ‘लैब’ से ‘लैंड’ पर लाने की भी अपील की।
The time is ripe to redefine ‘R&D’ as ‘Research’ for the ‘Development’ of the nation. Science is after all, but a means to a far greater end; of making a difference in the lives of others, of furthering human progress and welfare: PM
— PMO India (@PMOIndia) 16 March 2018
स्कूली बच्चों के साथ 100 घंटे बिताएं वैज्ञानिक
पीएम मोदी ने नई पीढ़ी को विज्ञान से जोड़ने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज के समय में समाज के लिए विज्ञान की काफी आवश्यकता है। क्या हमारे देश में बच्चों को सही तरीके से विज्ञान की जानकारी है, इस बात पर सोचना होगा। श्री मोदी ने इसके लिए देश के वैज्ञानिकों से अपील की कि वे हर साल 10वीं, 11वीं और 12वीं के 100 स्कूली बच्चों के साथ 100 घंटे बिताएं। इससे भारत का उज्ज्वल भविष्य तैयार होगा।
Our scientific achievements need to be communicated to society. This will help inculcate scientific temper among youth. We have to throw open our institutions & laboratories to our children. I call upon scientists to develop a mechanism for interaction with school-children: PM
— PMO India (@PMOIndia) 16 March 2018
प्रतिभा पलायन रोकने पर सरकार का जोर
प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की तरफ से चलाई जा रही कई योजनाओं के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री रिसर्च फैलोशिप स्कीम शुरु की है। इसके तहत आईआईएससी, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएसईआर और आईआईआईटी जैसे देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के प्रतिभावान छात्रों को आईआईटी और आईआईएससी जैसे संस्थानों में पीएचडी के लिए सीधे प्रवेश दिया जाता है। यह कदम हमारे देश से प्रतिभा पलायन को रोकने में मददगार साबित होगा।
We have approved a ‘Prime Minister’s Research Fellows’ scheme. Under this, bright minds from the best Institutions in the country, like IISc,IIT,NIT, IISER & IIIT will be offered direct admission in Ph.D in IIT & IISc. This will help address brain-drain from our country: PM
— PMO India (@PMOIndia) 16 March 2018
2025 तक टीबी खत्म करने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि केंद्र सरकार ने देश से टीबी को खत्म करने का निर्णय लिया है। डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया ने टीबी को खत्म करने के लिए 2030 का लक्ष्य रखा है, लेकिन भारत सरकार 2025 के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिक कहा कि वे इस पर रिसर्च करें कि राष्ट्रीय पोषण मिशन को प्रभावी बनाने, देश के करोड़ों नागरिकों को घरों की जरूरत को पूरा करने और नदियों को साफ करने की सरकार की मुहिम को पूरा करने में किस तरह मदद कर सकते हैं। श्री मोदी ने सोलर इनर्जी के क्षेत्र में भारत की प्रतिबद्धता का जिक्र किया और कहा भारत का लक्ष्य 2022 तक सौर ऊर्जा से 100 गीगा वाट बिजली उत्पादन का है।
We have set a target of 100 GW of installed solar power by 2022. Efficiency of solar modules currently available in the market is around 17%-18%. Can our scientists take a challenge to come up with a more efficient solar module, which can be produced in India at the same cost: PM
— PMO India (@PMOIndia) 16 March 2018
नॉर्थ ईस्ट के विकास को प्रतिबद्ध केंद्र सरकार
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए केंद्र की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र ने विज्ञान के क्षेत्र में भी नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में काफी काम किया है। मणिपुर में पूर्वात्तर राज्यों में उपलब्ध जड़ीबूटियों पर रिसर्च के लिए ‘Ethno-Medicinal Research Centre’ स्थापित किया गया है। नॉर्थ ईस्ट के सात राज्यों में State Climate Change Centres स्थापित किए गए हैं, ताकि यहां के निवासियों को मौसम की सटीक जानकारी मिल सके। केंद्र सरकार ने बांस से जुड़े दशकों पुराने कानून को बदला है, अब बांस पेड़ की जगह घास की श्रेणी में आ गया है, इससे पूर्वोत्तर के लोगों को काफी फायदा हुआ है। श्री मोदी ने बताया कि केंद्र सरकार ने 1200 करोड़ से नेशनल बम्बू मिशन भी स्थापित किया है।
India has a rich tradition and a long history of both discovery and use of science and technology. It is time to reclaim our rightful place among the front-line nations in this field. I call upon the scientific community to extend its research from the labs to the land: PM
— PMO India (@PMOIndia) 16 March 2018
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर पद्म विभूषण प्रो. यशपाल, पद्म विभूषण प्रो. यू. आर. राव. और पद्मश्री डॉ. बलदेव राज को याद किया। प्रधानमंत्री ने स्टीफन हॉकिंग को भी श्रद्धांजलि दी।