प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि योग आज वेलनेस के साथ दुनिया को भारत के साथ जोड़ने का माध्यम बन रहा है। योग की अब नई परिभाषा निकलकर आई है। योग शरीर, मन, बुद्धि आत्मा को तो जोड़ता था, अब योग दुनिया को भी जोड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में योग के संवर्धन और विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा कि देश में #FitIndiaMovement की शुरुआत के अगले ही दिन आयुष और योग से जुड़े कार्यक्रम में आना एक अद्धभुत संयोग है। आयुष और योग Fit India Movement के 2 महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
इन पुरस्कारों की घोषणा रांची में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर की गई थी। वर्ष 2019 के योग पुरस्कार विजेता हैं,- व्यक्तिगत-राष्ट्रीय श्रेणी में लाइफ मिशन, गुजरात के स्वामी राजर्षि मुनि, व्यक्तिगत-अंतर्राष्ट्रीय श्रेणी में इटली की सुश्री एंटोइत्ता रोजी, संगठन-राष्ट्रीय श्रेणी में बिहार स्कूल ऑफ योग, मुंगेर, बिहार और अंतर्राष्ट्रीय संगठन श्रेणी में जापान योग निकेतन, संगठन जापान और वर्ष 2018 के योग पुरस्कार के विजेता हैं- व्यक्तिगत-राष्ट्रीय श्रेणी में विश्वास मांडलिक, नासिक और संगठन – राष्ट्रीय श्रेणी में योग संस्थान, मुंबई।
आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज मुझे योग के साधकों, योग की सेवा करने वालों और दुनिया भरा में योग का प्रचार प्रसार करने वाले साथियों और संगठनों को पुरस्कार देने का मौका मिला है। पुरस्कार पाने वाले साथियों को मैं बधाई देता हूं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज आयुष पद्धिति को समृद्ध करने वाली 12 हस्तियों के सम्मान में डाक टिकट भी जारी हुए हैं। ये वो साथी हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों के उपचार में लगा दिया। किसी ने योग को माध्यम बनाया तो किसी ने आयुर्वेद को, किसी ने यूनानी से सेवा की तो किसी ने होम्योपैथी से। हमारे देश में परंपरा ऐसी बनी है कि बड़े-बड़े नाम जो टीवी पर चमकते हों या जो नेता कहे जाते हों, उन्हीं पर डाक टिकट बनते हैं। आयुर्वेद के लिए खप जाने वाले पर भी डाक टिकट बन सकते हैं क्या? यही तो बदलाव हुआ है हिंदुस्तान में।’
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास हज़ारों वर्षों पुराना लिटरेचर है, वेदों में गंभीर बिमारियों से जुड़ें इलाज की चर्चा है। लेकिन दुर्भाग्य से हम अपनी पुरातन रिसर्च को आधुनिकता से जोड़ने में इतने सफल नहीं हो पाए और इसी स्थिति को बीतें 5 वर्षों में हमने लगातार बदलने का प्रयास किया है। आयुर्वेद, योग और नेचुरोपैथी, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी के बाद ‘सोवा – रिग्पा’ AYUSH परिवार का छठा सदस्य हो गया है। इस पहल के लिए मैं मंत्री जी और उनके विभाग को बहुत बहुत बधाई देता हूं।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘जब हम देश में 1.5 लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोल रहे हैं, तो आयुष को भी हम भूले नहीं हैं। देशभर में 12 हज़ार 500 आयुष सेंटर बनाने का हमारा लक्ष्य है। हमारी कोशिश है कि ऐसे 4 हजार आयुष सेंटर इसी वर्ष हम तैयार कर दें। हमने पिछले दिनों संसद में नेशनल मेडिकल कमिशन का जो कानून पारित किया है उससे देश में स्वास्थ्य शिक्षा और उससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में बहुत मदद मिलेगी। देश में आयुष का जो आधुनिक इंफ्रास्टरक्चर तैयार हो रहा है उसके लाभ भी व्यापक हैं। विशेषकर छोटे-छोटे गांवों, कस्बों, शहरों में घर के पास स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘नए अस्पताल बनने से मेडिकल से जुड़ा पूरा ईको सिस्टम यहां विकसित हो रहा है। अब हमें योग के अलावा आयुष की अन्य विद्याओं को भी दुनिया भर में पहुंचाना है। योग ने खिड़की खोल दी है, दरवाजे खुलने में देर नहीं लगेगी।’
उन्होंने कहा, ‘दुनिया का कोई व्यक्ति जो भारत की भाषा भी नहीं जानता, पर जब योग की बात आती है तो सोचता है कि अच्छा होता कि मैं योग से जुड़ जाता। हमारे महापुरुषों ने इस एक विधा को लेकर जो समर्पण किया है उसने दुनिया के वेलनेस में कितना बड़ा योगदान दिया है, इसका हमें गर्व होता है। मैं दुनिया में कहीं भी जाता हूं, कोई कितना ही बड़ा लीडर हो, उनसे बात की शुरुआत योग से ही होती है। शायद ही विश्व का कोई लीडर होगा जिसने योग पर बात करने में मेरे साथ 5-10 मिनट न खपाए हों।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज हम देखते हैं कि जिस भोजन को हमने छोड़ दिया, उसको दुनिया ने अपनाना शुरु कर दिया है। जौ, ज्वार, रागी, कोदो, सामा, बाजरा, सांवा, ऐसे अनेक अनाज कभी हमारे खान-पान का हिस्सा हुआ करते थे। लेकिन अब ये सब चीजें हमारी थालियों से गायब हो गई हैं। अब इस पोषक आहार की पूरी दुनिया में डिमांड है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने हरियाणा में 10 आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का भी शुभारंभ किया। उन्होंने इस अवसर पर विद्वानों, चिकित्सकों और आयुष प्रणालियों से इलाज करने वालों के सम्मान में 12 स्मारक डाक टिकटें भी जारी किए।