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प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को मिली नई उड़ान, 69 लाख से अधिक लोगों को किया गया प्रशिक्षित

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प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। स्किल इंडिया मिशन के PMKVY के तहत देशभर के 69.03 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। PMKVY के तहत वर्ष 2020 तक एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री आरके सिंह के अनुसार प्रशिक्षित युवाओं में 9,28,884 अनुसूचित जाति (एससी) के और 2,69,054 अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू इस योजना से रोजगार के कई नए अवसर खुले हैं और आने वाले दिनों में ये मौके और बढ़ेंगे। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का लक्ष्य देश के कमजोर वर्गों, महिलाओं, युवाओं और हाशिये पर पड़े व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाना है। बेरोजगारी को कम करने के लिए शुरू इस योजना के तहत कौशल विकास एवं उद्यमता मंत्रालय की ओर से युवाओं को ट्रेनिंग दी जाती है जिससे उन्हें रोजगार पाने में आसानी हो। इस योजना में सरकार प्रशिक्षण कोर्स का फीस भी खुद भुगतान करती है।

skill india14 लाख युवाओं को मिला प्लेसमेंट
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत देश भर में, 33,88,235 उम्मीदवारों ने अल्पकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया, जिनमें से 14,05,369 को प्लेसमेंट मिला। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना उद्योग जगत की आवश्यकता के अनुरूप उम्मीदवारों को काम के लिए तैयार करती है। कौशल भारत मिशन उद्यमिता को भी बढ़ावा देता है, जिसें मुद्रा ऋण एवं अन्य वित्तीय प्रावधानों का भी समर्थन प्राप्त है। इसमें अपना काम करने वाले उम्मीदवारों को प्रोत्साहित किया जाता है और उद्यमी मित्र पोर्टल के माध्यम से मुद्रा ऋण पाने में मदद की जाती है।

कौशल भारत से बनेगा कुशल भारत
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को हमेशा युवाओं का देश कहा है। उनका हमेशा यह विश्वास रहा है कि भारत की साठ प्रतिशत आबादी युवाओं की है, जिस पर देश गर्व करता है। कौशल विकास योजना आरंभ करने के परोक्ष में भी उनका यही उद्देश्य रहा है कि भारत का युवा, जो आज पूरे विश्व में अपनी तरुणाई के कारण आकर्षण का केंद्र-बिंदु बना हुआ है, वह केवल रोजगार पाने वाला न बना रहे, बल्कि रोजगार देने वाला बने। ऐसा हो पाना तभी संभव है, जब भारतीय युवा केवल नौकरी के भरोसे न रहकर, अपने कौशल का विकास करके व्यावसायिक दक्षता अर्जित करे। अल्प शिक्षा के बाद यह तो हो सकता है कि उन्हें कोई न कोई नौकरी मिल जाए, मगर बिना किसी तकनीकी दक्षता के यह पूरे घर के दायित्व को संबल दे पाने में सहायक नहीं होगी। इसके लिए किसी न किसी तकनीकी दक्षता की, किसी न किसी कौशल की आवश्यकता बनी रहेगी। यही कारण है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना भारत में रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक बड़ी पहल सिद्ध हो रहा है। इससे गरीबी उन्मूलन में भी काफी सीमा तक सहायता मिल रही है।

प्रशिक्षण भी, ऋण भी
यह भी ध्यान देने योग्य तथ्य है कि कौशल विकास योजना, कौशल ऋण योजना से परस्पर संबद्ध है। कौशल विकास योजना से प्रशिक्षित युवा, कौशल ऋण योजना द्वारा सीधे स्वरोजगार आरंभ कर सकते हैं, जिससे भारतीय कौशल को विश्व-मंच मिलेगा। यहां तक कि इस समय कई ऐसे देश हैं, जो विकसित तो है, उनके पास संपत्ति और संसाधन भी हैं, लेकिन पर्याप्त मानव संसाधन नहीं है। यदि भारतीय युवा अपने कौशल विकास पर समुचित ध्यान दे तो भविष्य में इन देशों की इस आवश्यकता पूरी कर सकता है। इससे भारतीय युवा के रोजगार के अवसर देश के साथ-साथ विदेश तक फैल जाएंगे। यह स्थिति भारतीय युवाओं के आत्मसविश्वास को नई ऊंचाई प्रदान करेगी।

मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं की वजह से देश में रोजगार के करोड़ों मौके पैदा हुए हैं। आइए एक नजर डालते हैं रोजगार सृजन पर-

स्किल डेवलपमेंट के तहत हर साल एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण
15 जुलाई, 2015 को शुरू की गई मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना स्किल डेवलपमेंट मिशन ने युवाओं की किस्मत बदलने का काम किया है। Skill Development के लिए युवाओं को घर से अधिक दूर नहीं जाना पड़े इसके लिए पूरे देश में 13,000 से अधिक प्रधानमंत्री कौशल प्रशिक्षण केंद्र बनाया गया। इन केंद्रों से प्रत्येक साल एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि खुद रोजगार पाने के साथ ही दूसरे को भी रोजगार दे सके।

पिछले दो साल में 3.81 लाख नई सरकारी नौकरियां
केंद्र सरकार का कहना है कि उसके विभिन्न संगठनों में पिछले दो वित्त वर्ष के दौरान 3.81 लाख से अधिक रोजगार दिए गए। बजट 2019-20 के दस्तावेजों के अनुसार एक मार्च, 2017 तक विभिन्न सरकारी प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों की संख्या 32,38,397 थी, जो एक मार्च, 2019 को बढ़कर 36,19,596 हो गई। इस तरह दो साल के दौरान सरकारी प्रतिष्ठानों में रोजगार के अवसरों में 3,81,199 का इजाफा हुआ।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: जॉब क्रिएटर बन रहे हैं युवा
प्रधानमंत्रीमोदी द्वारा स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई मुद्रा योजना के कारण युवा जॉब सीकर की जगह जॉब क्रिएटर बन रहे हैं। इस योजना के तहत वर्ष 2015-16 से अब तक अपना कारोबार शुरू करने के लिए 20 करोड़ से ज्यादा लोगों को बिना गारंटी का ऋण दिया गया है। चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में अब तक 125982 करोड़ रुपए कर्ज बांटे जा चुके हैं। वैसे ही वित्तीय वर्ष 2018-19 में मुद्रा योजना के तहत 311811 करोड़ रुपए, 2017-18 में 2,46,437 करोड़ रुपए जबकि 2016-17 में 1,75,312 करोड़ और 2015-16 में 1,32,954 करोड़ रुपए कर्ज बांटे गए। इस योजना के लाभार्थियों में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं, यानि महिलाओं की आर्थिक उन्नति में भी यह योजना क्रांतिकारी साबित हुई है। मुद्रा लोन लेने वाले 20 करोड़ लोगों में से 3 करोड़ लोगों ने भी अगर एक व्यक्ति को रोजगार दिया तो सीधे तौर पर छह करोड़ लोगों को इसका लाभ मिलता है। इस योजना से महिलाओं को ही नहीं, सभी धर्म, जाति और वर्ग के लोगों को फायदा मिल रहा है।

हेल्थकेयर सेक्टर में अगले साल तक 4 करोड़ नौकरियां
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में रोज रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि भारत में हेल्थकेयर क्षेत्र में अगले साल तक 4 करोड़ नौकरियां पैदा होने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग 2022 तक 3 गुना बढ़ेगा। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय चिकित्सा उपकरणों का बाजार 2025 तक 50 अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। फिलहाल भारत दुनिया के शीर्ष 20 चिकित्सा उपकरणों के बाजार में शामिल है। जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद भारत एशिया में चौथा सबसे बड़ा चिकित्सा उपकरणों का बाजार है। साफ है कारोबार और बाजार बढ़ने के साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी की आयुष्मान योजना देगी 10 लाख रोजगार
पीएम नरेन्द्र मोदी की दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना से अब रोजगार भी मिलेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय का अनुमान है कि सरकार की स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत से पांच साल में करीब 10 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे। मोदी सरकार अब सरकारी और निजी अस्पतालों में सीधे तौर पर एक लाख आयुष्मान मित्र तैनात करेगी, इन आयुष्मान मित्रों को 15 हजार रुपए महीना का वेतन दिया जाएगा। इसके साथ ही आयुष्मान मित्रों को हर लाभार्थी पर 50 रुपए का इंसेंटिव भी मिलेगा। योजना लागू होने के बाद डॉक्टर, नर्स, स्टाफ, टेक्नीशियन जैसे अन्य पदों पर भी नौकरियों के अवसर बनेंगे। इस योजना से देशभर के 20 हजार अस्पतालों को जोड़ा जा रहा है।

एमएसएमई क्षेत्र में एक करोड़ रोजगार के अवसर
सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (MSME) क्षेत्र में अगले चार से पांच साल में एक करोड़ नए रोजगार के अवसर सृजित हो सकते हैं। नोमूरा रिसर्च इंस्टिट्यूट (एनआरआई कंसल्टिंग एंड साल्यूशंस) की रिपोर्ट में कहा गया है कि आयात होने वाली कुछ वस्तुओं का देश में ही उत्पादन करने के लिये उपक्रमों के विकास पर ध्यान देकर ऐसा किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ खंडों में एमएसएमई का विकास होने पर अगले चार से पांच साल में रोजगार के 75 लाख से एक करोड़ अतिरिक्त अवसरों का सृजन किया जा सकता है।

msmeपर्यटन के क्षेत्र में सर्वाधिक रोजगार देने वाला देश है भारत
केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री अल्फोंस कन्नमथानम ने बताया कि भारत विश्व में पर्यटन के क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार देने वाला देश है। उन्होंने कहा कि भारत पर्यटन के क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा नियोक्ता है। जिन लोगों को रोजगार मिला है, उनमें ज्यादातर गरीब हैं। अल्फोंस ने कहा कि भारत में करीब 8.21 करोड़ लोगों को पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है। विदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने अमेरीका, यूरोप, चीन सहित देशों में कई अभियान चलाए हैं, जिससे भारत विदेशी पर्यटकों के लिए पसंदीदा जगह बनता जा रहा है।

‘मेक इन इंडिया’ से 2020 तक 10 करोड़ रोजगार
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितंबर, 2014 को ‘मेक इन इंडिया’ योजना की शुरुआत की थी। यह योजना रोजगार के क्षेत्र में क्रांति लाने की ताकत रखती है। ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए 2020 तक 10 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य है।

एग्रीटेक सेक्टर्स में मिलेंगे 90 लाख जॉब्स
एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024 तक एग्रीटेक सेक्टर 90 लाख लोगों को रोजगार देगा। देश में एग्रीटेक सेक्टर काफी तेजी से विकास कर रहा है। इस सेक्टर में 450 स्टार्टअप हैं। दुनिया का हर 9वां एग्रीटेक स्टार्टअप भारत से उभर रहा है। आईटी इंडस्ट्री बॉडी नैस्कॉम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में एग्रीटेक स्टार्टअप की सालाना ग्रोथ रेट 25% है। एग्रीटेक स्टार्पअप को इस साल की पहली छमाही में मिली फंडिंग पिछले साल की पहली छमाही के मुकाबले 300% ज्यादा है। नैसकॉम के मुताबिक, एग्रीटेक कंपनियों को जून 2019 तक 248 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली जो 2018 में सिर्फ 73 मिलियन डॉलर थी। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारत शीर्ष 5 देशों में है। पिछले 5 साल में 5 ग्लोबल एग्रीटेक कंपनियों ने भारत में बिजनेस शुरू किया है। इससे युवाओं के पास रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 तक एग्रीटेक सेक्टर में 90 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

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