ऑपरेशन ब्लूस्टार की 37वीं बरसी पर रविवार यानि 6 जून, 2021 को शिरोमणि अकाली दल (मान) के समर्थकों ने स्वर्ण मंदिर पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए। इस दौरान बड़ी संख्या में युवाओं ने ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के पोस्टर और बैनर पकड़ रखे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गणतंत्र दिवस दंगे के मुख्य आरोपितों में से एक एक्टर दीप सिद्धू को भी इस दौरान परिसर के अंदर देखा गया। ऐसे में स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानी झंडे देखे जाने से पंजाब की कांग्रेस सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
Punjab | Posters of Khalistani separatist Jarnail Bhindranwale, and Khalistani flags seen during an event inside Sri Harmandir Sahib (Golden Temple) in Amritsar, on the 37th anniversary of Operation Blue Star today pic.twitter.com/AKePPb45Gf
— ANI (@ANI) June 6, 2021
दीप सिद्धू ने कहा कि 37 साल बाद भी इतिहास सच बोल रहा है। दरबार साहिब पर गोलियां लगी और श्री गुरु ग्रंथ साहिब घायल हुए, शहीदियां हुई बेगुनाह बच्चों व लोगों को मारा गया। कांग्रेस हो या भाजपा किसी ने भी न्याय नहीं दिया। लोकतंत्र में हक के लिए शांतमयी प्रदर्शन की जगह होनी चाहिए, पर विडंबना ही कहेंगे कि हमारे सिस्टम में यह नहीं हो रहा। कृषि कानून स्टेट सब्जेक्ट है, इसे केंद्र ने थोपा तो ही ऐसे हालात बने।
स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान समर्थकों के प्रदर्शन पर बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत ने सोशल नेटवर्किंग ऐप ‘कू’ पर कहा, “आज के दिन #ऑपरेशनब्लूस्टार पंजाब में कांग्रेस के शासनकाल के दौरान हुआ… ये हमारे देश और उसके लोगों के बारे में बहुत कुछ कहता है… कथित खालिस्तान का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस के नेताओं द्वारा पाकिस्तान को दे दिया गया था, लेकिन आतंकवादी इसे पूछने की हिम्मत तक नहीं करते, आतंकवाद सुविधा को देखते हुए अपनी आवाज उठाता है… दुनिया का इतिहास परस्पर विरोधी है क्रूरता और मनोरंजन…।”
कंगना ने खालिस्तानियों से सहानुभूति रखने वालों पर वाजिब सवाल उठाए। एक्ट्रेस ने पहला सवाल यह उठाया था कि पंजाब की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार यहां शासन कैसे चलाती है, क्योंकि ऑपरेशन ब्लू स्टार उस समय केंद्र में कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान ही हुआ था।
कंगना ने दूसरा सवाल खालिस्तानी ताकतों के गलत इरादों को लेकर उठाया। खासतौर पर कथित खालिस्तान (सिखों या पंजाब की भूमि) का एक बड़ा हिस्सा विभाजन के समय पाकिस्तान को दिया गया था। प्रारंभिक वर्षों में देश पर शासन करने वाले कांग्रेस नेताओं ने विभाजन की शर्तों पर सहमति जताई थी। हालांकि, इसके बाद भी खालिस्तानी आतंकवादियों और उनके चाहने वालों ने कभी भी पड़ोसी देश से पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के अपने ‘अहम हिस्से’ को लेकर कुछ भी नहीं पूछा।
जैसा कि इस नक्शे में देखा जा सकता है कि ‘खालिस्तान’ क्षेत्र भारत और पाकिस्तान के बीच में आता है, लेकिन खालिस्तान समर्थक अपनी आवाज केवल भारत में ही और भारत के खिलाफ ही बुलंद करते हैं। इस तरह के कई विरोध विदेशों में भारतीय दूतावासों के बाहर हुए हैं, लेकिन पाकिस्तानी दूतावास के बाहर कभी नहीं हुए। सच तो यह है कि खालिस्तानियों को कई मामलों में भारत और उसकी सरकार के खिलाफ भड़काऊ भाषण व नारे लगाने के लिए पाकिस्तानियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मार्च करते हुए देखा गया है।
तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन में भी खालिस्तान समर्थकों ने घुसपैठ की है। ऐसे कई सबूत हैं जो इस ओर इशारा करते हैं कि सिख फॉर जस्टिस (Sikhs For Justice) जैसे खालिस्तानी संगठनों ने 26 जनवरी, 2021 को ट्रैक्टर रैली के दौरान दंगा भड़काने के लिए ‘इनाम‘ के नाम पर फंड मुहैया कराया। जिसकी वजह से दिल्ली में उपद्रव हुए और लाल किले पर सिखों के पवित्र त्रिकोणीय ध्वज के साथ दो झंडे फहराए गए थे।
गौरतलब है कि 6 जून 1984 को स्वर्ण मंदिर परिसर में छिपे आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए सैन्य अभियान चलाया गया था। ऑपरेशन ब्लूस्टार तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी द्वारा अमृतसर में हरमंदिर साहिब कॉम्प्लेक्स में कराया गया था। ऑपरेशन में कई लोगों की जान चली गई और स्वर्ण मंदिर का कुछ हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो गया था। ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दंगे भड़क गए थे जिनमें लगभग 3,000 सिख मारे गए थे।