प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार दिखावा नहीं करती है, बल्कि काम करके दिखाने में विश्वास करती है। प्रधानमंत्री मोदी ने जो वादा किया उसे पूरा किया है। जब पीएम मोदी ने देश की सत्ता संभाली थी तब ऊर्जा सेक्टर बदहाल था, लेकिन आज देश बिजली के मामले में आत्मनिर्भर है। इतना ही नहीं आज हम अपनी जरूरत से ज्यादा बिजली का उत्पादन करते हैं और इसका निर्यात भी करते हैं। आजादी के बाद से ही देश के करोड़ों घरों में बिजली नहीं पहुंच पाई, हजारों गांव भी ऐसे हैं जहां बिजली के तार नहीं पहुंचे हैं। मोदी सरकार ने हर घर में बिजली पहुंचाने का बीड़ा उठाया है और अब मार्च 2019 तक देश का हर घर बिजली से रोशन होगा। एक नजर डालते हैं ऊर्जा सेक्टर को चमकाने के लिए किए जा रहे मोदी सरकार के प्रयासों पर।
एक साल के भीतर देश का हर घर होगा रोशन
देश के हर घर में बिजली पहुंचाने के लिए मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई सौभाग्य योजना अपने रंग लाती दिख रही है। सौभाग्य यानी प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना के अंतर्गत देश के ग्रामीण, आदिवासी, पहाड़ी सभी इलाकों में बिजली पहुंचाने का काम किया जा रहा है। केंद्र सरकार का लक्ष्य अगले वर्ष मार्च तक देश के चार करोड़ घरों में बिजली कनेक्शन देने का है। इस बार के बजट में भी इसका एलान किया गया है। ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 29.33 लाख घरों को बिजली से जोड़ा जा चुका है और अगले वर्ष तक बाकी बचे घरों में भी बिजली पहुंचा दी जाएगी। यानी 4 करोड़ घर ऐसे होंगे जहां आजादी के बाद पहली बार बिजली पहुंचेगी।
देश के 17 हजार से अधिक गांवों में पहुंची बिजली
हर घर में बिजली पहुंचाने के लिए देश के हर गांव में बिजली पहुंचाना जरूरी है। इसके लिए मोदी सरकार काफी गंभीरता से काम कर रही है। यही वजह है कि जब इस कार्य को शुरू किया गया था तो देश के लगभग 18 हजार गांवों में बिजली के तार ही नहीं पहुंचे थे। मोदी सरकार ने इसके लिए काम शुरू किया और आज 17 हजार से अधिक गांवों में बिजली पहुंच चुकी है। ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अब सिर्फ 935 गांव बचे हैं जहां बिजली नहीं पहुंची है, और इन गांवों में जल्द ही बिजली की सप्लाई शुरू हो जाएगी। देश में दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस सरकार ने आजादी के बाद इन गांवों में बिजली पहुंचाने पर ध्यान नहीं दिया, लोकिन मोदी सरकार ने इस ओर ध्यान दिया और आज देश के सभी गांव बिजली से रोशन हो रहे हैं।
स्वच्छ ऊर्जा पर जोर, 29 करोड़ से ज्यादा LED बल्ब बांटे गए
मोदी सरकार का लक्ष्य सिर्फ सभी घरों में बिजली ही नहीं पहुंचाना चाहती है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा पर भी जोर दे रही है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में उजाला योजना शुरू की गई। इस योजना के तहत आम घरों में एलईडी बल्ब बांटे जा रहे हैं। मोदी सरकार 27 फरवरी 2018 तक इस योजना के तहत 29,1,98,431 बल्ब बांट चुकी है। एलईडी बल्बों से जहां 37,687 मिलियन किलोवाट बिजली की खपत में कमी आई है, वहीं हर वर्ष 15,075 करोड़ रुपये भी बच रहे हैं। एलईडी बल्ब के प्रयोग से लगभग 25 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम बचाई जा चुकी है।
देशभर में किसानों को निर्बाध बिजली
खेती-किसानी में बिजली का अहम योगदान होता है, क्योंकि खेतों में ट्यूबबेल चलाने, सिंचाई के लिए बिजली जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को बाखूबी समझते हैं। हालांकि किसानों के लिए बिजली की अलग फीडर लाइन पर पिछले डेढ़ दशक से चर्चाएं हो रही थीं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के दखल के बाद इस पर अमल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री ने अब इसके लिए समयसीमा तय कर दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने बिजली मंत्रालय को कहा है कि वह जुलाई, 2018 यानी अगले छह महीने के भीतर पूरे देश में किसानों के लिए अलग फीडर लाइन बनाने का काम पूरा करे। पीएम के इस निर्देश पर अमल लाने के लिए अब उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, राजस्थान समेत कई राज्यों में बहुत तेजी से काम हो रहा है।
2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए ग्रामीण इलाकों में निर्बाध बिजली पहुंचाना बेहद जरूरी है। देश में “पीएम सहज बिजली हर घर योजना” लांच की गई है। इसका फायदा खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में होगा, लेकिन किसानों को बिजली का असली फायदा देने के लिए अब फीडर लाइन को अलग किया जाएगा। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में किसानों के लिए अलग बिजली फीडर की व्यवस्था पहले ही हो चुकी है, और इसके काफी बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं। अलग बिजली फीडर होने से किसानों को बिजली सब्सिडी सीधे बैंक खाते में देने की व्यवस्था शुरू करने में भी काफी आसानी होगी। साथ ही किसानों को समय पर पर्याप्त बिजली आपूर्ति भी सुनिश्चित होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऊर्जा सेक्टर ने कई मकाम हासिल किए हैं। एक नजर डालते हैं
पहली बार बिजली निर्यातक बना देश
चार साल पहले देश अभूतपूर्व बिजली संकट झेल रहा था, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि अब देश में खपत से अधिक बिजली उत्पाद होने लगा है। केंद्रीय विधुत प्राधिकरण के अनुसार भारत ने पहली बार वर्ष 2016-17 ( फरवरी 2017 तक) के दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार को 579.8 करोड़ यूनिट बिजली निर्यात की, जो भूटान से आयात की जाने वाली करीब 558.5 करोड़ यूनिटों की तुलना में 21.3 करोड़ यूनिट अधिक है। 2016 में 400 केवी लाइन क्षमता (132 केवी क्षमता के साथ संचालित) मुजफ्फरपुर – धालखेबर (नेपाल) के चालू हो जाने के बाद नेपाल को बिजली निर्यात में करीब 145 मेगावाट की बढ़ोत्तरी हुई है।
बदल गई पॉवर सेक्टर की तस्वीर
मोदी सरकार की नीतियों के चलते आज पारंपरिक और गैर-पारंपरिक ऊर्जा का भी भरपूर उत्पादन होने लगा है। सबसे बड़ी बात भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं बना है, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बाजार उभर कर सामने आया है। उर्जा क्षेत्र में इस कायापलट के पीछे उन योजनाओं के क्रियान्यवन में बेहतर तालमेल रहा है जिस पिछले तीन सालों में सरकार ने लागू किया है। उर्जा क्षेत्र की छोटी-छोटी समस्याओं को दूर करने के लिए लागू की गई इन योजनाओं से बहुत बड़े परिणाम सामने आए हैं। देश के हर घर को चौबीसों घंटे बिजली देने का लक्ष्य 2022 है, लेकिन जिस गति से काम चल रहा है उससे अब यह प्राप्त कर लेना आसान लगने लगा है, पहले यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि देश में ऐसा भी हो सकता है।
तीन वर्षों में बिजली उत्पादन रिकॉर्ड 20% बढ़ा
मोदी सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का असर है कि देश में लगातार बिजली उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है। इसकी दो बड़ी वजहें हैं। एक तरफ वितरण में होने वाला नुकसान कम हुआ है। दूसरी ओर सफल कोयला एवं उदय नीति से उत्पादन बढ़ा है। जैसे- 2013-14 में बिजली उत्पादन 967.15 अरब यूनिट हुआ था, जो 2014-15 में बढ़कर 1,048.67 अरब यूनिट हो गया। ये दौर आगे भी जारी रहा और 2015-16 में बिजली उत्पादन 1,107.38 अरब यूनिट हो गया, जिसकी वजह ऊर्जा नुकसान में 2.1 प्रतिशत की कमी रही। 2016-17 में कुल बिजली उत्पादन 1160.14 अरब यूनिट हो गया। यानी 2013-14 की तुलना में देश में बिजली उत्पादन में तीन वर्षों में रिकॉर्ड 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
NTPC ने किया सबसे अधिक उत्पादन
इस वर्ष NTPC ने अब तक का सबसे अधिक 263.95 अरब यूनिट बिजली का उत्पादन किया है जो पिछले वर्ष के सर्वश्रेष्ठ उत्पादन 263.42 अरब यूनिट से अधिक है। इस तरह इस वर्ष NTPC ने पिछले वर्ष की तुलना में 4.71 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की। NTPC की कुल स्थापित क्षमता 48,188 मेगा वॉट है, जिसमें 19 कोयला आधारित, 7 गैस आधारित, 10 सौर ऊर्जा आधारित और 1 जल बिजली संयंत्र शामिल हैं। इनके अलावा 9 सहायक /संयुक्त उपक्रम वाले बिजली घर भी मौजूद हैं।
नई कोयला नीति
नरेंद्र मोदी सरकार की कोयला नीति काम करने लगी है। इसके चलते देश अब उर्जा संकट से लगभग उबर चुका है । पिछली यूपीए सरकार की गलत कोयला नीति की वजह से अधर में फंसे दर्जनों ताप बिजली घरों में फिर से काम शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है। हाल ही में ‘शक्ति’ नाम से एक नई कोल लिंकेज पॉलिसी को मंजूरी दी गई है जो नए ताप बिजली घरों को आसानी से कोयला ब्लॉक उपलब्ध कराएगा। साथ ही पुराने एवं अटके पड़े बिजली घरों को भी कोयला उपलब्ध हो सकेगा। इससे कम से कम 30 हजार मेगावाट क्षमता का अतिरिक्त उत्पादन शुरू हो सकेगा। यानि अगर उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी तो बिजली की दरों भी कटौती की संभावना रहेगी। यूपीए सरकार ने वर्ष 2007 में कोल लिंकेज नीति लाई थी जिसके तहत 1,08,000 मेगावाट क्षमता की बिजली परियोजनाओं को कोयला देने का समझौता किया गया था, लेकिन उस दौरान कोयला उत्पादन नहीं बढ़ पाने की वजह से इनमें से अधिकांश परियोजनाएं अटकी हुई थी। इसके बाद कई परियोनजाओं को कोयला आयात करने की अनुमति भी दी गई, लेकिन घोटाले और मुकदमों के कारण वो लागू न हो सकीं। अब जब देश में कोयला उत्पादन की स्थिति सुधरी है तो इन परियोजनाओं को भी नए सिरे से कोयला आवंटित करने की तैयारी की गई है।
परमाणु बिजली उत्पादन में भी आत्मनिर्भरता
मोदी सरकार ने 10 नए Pressurized Heavy-Water Reactors (PHWR) के निर्माण का फैसला किया है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये काम अपने वैज्ञानिक करेंगे और कोई भी विदेशी मदद नहीं ली जाएगी। इन दस नए स्वदेशी न्यूक्लियर पावर प्लांट से 7,000 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी। इस निर्णय का सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि भारत भी विश्व के अन्य देशों को Pressurized Heavy-Water Reactors की तकनीक देने वाला देश बन जायेगा, जो मेक इन इंडिया योजना को बहुत अधिक सशक्त करेगा। इसके अतिरिक्त 2021-22 तक 6,700 मेगावाट परमाणु ऊर्जा पैदा करने के लिए अन्य न्यूक्लियर पावर प्लांट के निर्माण का भी काम चल रहा है। इस समय देश में कुल 22 न्यूक्लियर पावर प्लांट बिजली पैदा कर रहे हैं जिनसे कुल 6,780 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है।
UDAY से देश का भाग्योदय
देश की बिजली वितरण कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति में सुधार करके उनको पटरी पर लाने के लिए Ujwal DISCOM Assurance Yojana (UDAY)लागू किया गया। सभी घरों को 24 घंटे किफायती एवं सुविधाजनक बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करना ही इस योजना का मूल उद्देश्य है। यह योजना 20 नवंबर, 2015 से शुरू की गई इससे विरासत में मिली 4.3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज की समस्या का मोदी सरकार ने स्थायी समाधान निकाल लिया। आज देश के सभी राज्य इस योजना से जुड़ चुके हैं।
उत्तर प्रदेश अंतिम राज्य था जो 14 अप्रैल 2017 को इस योजना में शामिल हुआ है। इसी साल जनवरी से UDAY वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन की शुरुआत भी की गई है। इसे विभिन्न राज्यों के DISCOM में हो रहे कार्यों और वित्तीय स्थिति पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया गया है। इसका काम डाटा को राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर में एकीकृत करके रखना है। इससे केन्द्रीय मंत्रालय स्तर पर DISCOM के काम पर निगरानी रखना आसान हो गया है। जिससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला है, और गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।
सड़कें हो रही हैं ‘उजाला’
प्रधानमंत्री मोदी ने 5 जनवरी 2015 को 100 शहरों में पारंपरिक स्ट्रीट और घरेलू लाइट के स्थान पर LED लाइट लगाने के कार्यक्रम की शुरूआत की थी। इस राष्ट्रीय स्ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम (NSLP) का उद्देश्य 1.34 करोड़ स्ट्रीट लाइट के स्थान पर LED लाइट लगाना है। अब तक देशभर में पुरानी लाइट्स बदलकर 21 लाख नए LED लाइट लगाई जा चुकी हैं। इससे 29.5 करोड़ इकाई KWH बिजली की बचत हुई है। यही नहीं इसके चलते 2.3 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आई है। यह परियोजना 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाई जा रही है। सबसे बड़ी बात है कि इसके चलते खर्च और बिजली की तो बचत हो ही रही है प्रकाश भी पहले से काफी बढ़ गया है। यही नहीं भारी मात्रा में LED बल्बों की खरीद होने के चलते उसकी कीमत भी 135 रुपये के बजाय 80 रुपये प्रति बल्ब बैठ रही है।
रीयल टाइम मिलेगी पॉवरकट की सूचना
केंद्र सरकार ने 24×7 किफायती और बिना बाधा के देश को बिजली देने के लिए ‘ऊर्जा मित्र एप’ लांच किया है। ऐसी सुविधा बिजली उपभोक्ताओं को पहली बार मुहैया कराई जा रही है। लोग www.urjamitra.com तथा ‘ऊर्जा मित्र एप’ पर देश के शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटने की सूचना पा सकते हैं। ये जानकारी उपभोक्ताओं तक रीयल टाइम में पहुंच जाती है और वो इससे जुड़ी शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।
2030 तक सौर उर्जा से बदल जाएगी देश की तकदीर
मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से उत्पन्न हुई जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए भी मोदी सरकार कदम उठा रही है। ताकि ऊर्जा की जरूरतें भी पूरी हों और प्रकृति का संरक्षण भी साथ-साथ जारी रहे। माना जा रहा है LED बल्ब का इस्तेमाल इस दिशा में अपने-आप में बहुत बड़ा कदम है। इसके प्रयोग से सालाना 8 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सकता है। इसके साथ-साथ 4 हजार करोड़ रुपये की सालाना बिजली की बचत भी होगी। इसके साथ-साथ केंद्र सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर भी जोर दे रही है। इसके तहत सौर ऊर्जा का उत्पादन मौजूदा 20 गीगावॉट से बढ़ाकर साल 2022 तक 100 गीगावॉट करने का लक्ष्य है। सबसे बड़ी बात है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सरकार 2030 तक देश के सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल देने का लक्ष्य लेकर काम में जुटी है। इससे सालाना 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक fossil fuels (जीवाश्म ईंधन) की बचत होगी। सरकार की ओर से कराए गए एक रिसर्च के अनुसार 2030 तक राजस्थान की केवल एक प्रतिशत भूमि से पैदा हुई सौर्य ऊर्जा से देशभर के सभी वाहनों के लिए पर्याप्त ईंधन का इंतजाम हो सकता है।