प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान शुरू करते हुए हाथों में झाड़ू थामी थी तो पूरे देश ने हाथ में झाड़ू थाम लिया था। उन्होंने सफाई के प्रति लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास किया और आज यह अभियान एक जन आंदोलन बन चुका है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग इसके लिए तरह-तरह के कदम उठाकर मिसाल कायम कर रहे हैं। कर्नाटक के बेल्लारी जिले के तालूर गांव की आठवीं कक्षा की एक लड़की ने ऐसा ही एक मिसाल कायम कर दिया है। 13 साल की एच. महनकली ने घर में शौचालय ना बनने तक कुछ भी खाने-पीने से साफ इनकार कर दिया। पिता के लाख समझाने पर भी महनकली नहीं मानी और दो दिन तक अन्न का एक भी दाना मुंह में नहीं रखा। ग्राम पंचायत और सरकारी अधिकारियों ने भी उसे मनाने की कोशिश की, लेकिन आखिर में उन्होंने उसके घर के सामने शौचालय बनवाना शुरू कर दिया। महनकली अब गांव के लोगों के लिए आदर्श बन गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरित होकर देशभर में लाखों लोगों ने घर पर शौचालय बनवाए हैं। महनकली की तरह लाखों लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को साकार करने में लगे हुए हैं।
पीएम से प्रेरणा लेकर छठी क्लास की छात्रा ने पॉकेटमनी से बनवाए शौचालय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरित होकर देशभर में लाखों लोगों ने घर पर शौचालय बनवाए हैं। लेकिन प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेकर छठी क्लास की एक स्कूली छात्रा ने अपनी पॉकेटमनी से दूसरों के लिए शौचालय बनवा डाले। झारखंड के जमशेदपुर की मोंद्रिता चटर्जी ने पोटका गांव में दो शौचालय बनवाए। मोंद्रिता साल भर से पॉकेटमनी बचा रही थीं। 12 महीनों में उन्होंने 24 हजार रुपए बचाए। इसी पैसे से मोंद्रिका ने पोटका में शौचालय बनवा डाले। मोंद्रिता का कहना है कि दूसरे लोग भी इस तरह के काम कर स्वच्छता अभियान में हिस्सा ले सकते हैं। राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस कार्य के लिए मोंद्रिता की सराहना करते हुए कहा कि वह हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि मैं इससे काफी खुश हूं कि एक स्कूल की लड़की ने पॉकेटमनी से शौचालय बनवाए।
गड्ढा खोदकर खुद शौचालय बनाने वाली सुशीला बनीं दूसरों के लिए प्रेरणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान का असर दूर-दराज के गांवों में भी दिखने लगा है। पहले जो लोग खुले में शौच करने जाया करते थे, अब अपने घर में शौचालय बना रहे हैं। महाराष्ट्र में पालघर जिले की एक महिला सुशीला कुरकुट्टे भी देश भर के लोगों को लिए प्रेरणास्रोत बन गई। नंदगाव की सुशीला को जब खुले में शौच से होने वाली बीमारियों के बारे में पता चला तो वो गर्भवती होते हुए भी लगातार तीन दिन तक अकेले शौचालय खोदने का काम किया। उसके दिल-दिमाग और मन में सिर्फ यही ख्याल था कि उसके गांव को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त होना है और इसके लिए उससे जो बन पड़ेगा, वह करेगी। स्वच्छता के प्रति समर्पण को देखते हुए सुशीला को स्वच्छ शक्ति सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
देखिए वीडियो-
शौचालय के लिए बेच दिया मंगलसूत्र
गोरखपुर में भटहट क्षेत्र के बूढ़ाडीह गांव की सविता देवी आम लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं। उन्होंने उन लोगों को स्वच्छता की राह दिखाई है, जो पैसे की कमी का हवाला देकर शौचालय का निर्माण नहीं करवाते। सविता देवी ने शौचालय बनाने के लिए अपना मंगलसूत्र बेचकर एक मिसाल पेश की हैं। बिहार के पटना जिले की सविता देवी की शादी बूढ़ाडीह निवासी दिव्यांग वीरेंद्र मौर्या से हुई। शादी के बाद गांव आने पर शौचालय ना होना उन्हें अखरता था। आखिरकार उन्होंने मंगलसूत्र बेचकर शौचालय बनाने का फैसला किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरणा लेकर शौचालय बनाने वाली सविता देवी पहली महिला नहीं हैं।
आइए आपको मिलवाते उन कुछ खास महिलाओं से जिनका कहना है कि शौचालय मूल जरूरत है और यह आभूषण से बढ़कर है।
कानपुर की लता देवी
उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली लता देवी दिवाकर ने भी घर में शौचालय बनवाने के लिए अपना मंगलसूत्र बेच दिया। शौचालय ना होने की वजह से परिवार को काफी दिक्कतें होती थीं। इस महिला ने अपने सुहाग की निशानी मंगलसूत्र और अन्य जेवर बेचकर घर में शौचालय बनवाया। मंगलसूत्र बेचकर घर में शौचालय बनाने की बात पूरे इलाके में फैल गई। गांव के लोगों ने लता की सोच और हौसले को सलाम किया। लता की सोच से सबक लेते हुए गांव के कई परिवारों ने घर में शौचालय का निर्माण शुरू करा दिया है।
बरेली की सुमन गंगवार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान और घर-घर में शौचालय बनवाने के अभियान का आम लोगों पर गहरा असर होता दिख रहा है। उत्तर प्रदेश के ही बरेली की रहने वाली सुमन गंगवार ने अपने घर में शौचालय बनवाने के लिए अपने गहने तक गिरवी रख दिए। गुलरिया भवानी गांव की रहने वाली 31 साल की सुमन का कहना है कि हर सुबह हमें शौच के लिए अलग-अलग जगह की खोज करनी पड़ती थी। खेतों में अक्सर पानी भरा रहता है और जंगली जानवरों का खतरा भी रहता है। इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं अपने घर में शौचालय बनवाउंगी फिर चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े। पहले मैंने अपना मंगलसूत्र गिरवी रखा जिससे मुझे 6 हजार रुपए मिले लेकिन फिर एक हजार रुपए के लिए मुझे अपनी कान की बालियां भी गिरवी रखनी पड़ी।
रोहतास की फूल कुमारी
बिहार के रोहतास जिले की फूल कुमारी ने भी में शौचालय निर्माण के लिए अपने मंगलसूत्र को गिरवी रखकर एक उदाहरण पेश की है। संझौली प्रखंड के बरहखाना गांव की फूल कुमारी ने अपने पति के घर में शौचालय नहीं होने पर उसके निर्माण के लिए अपना मंगलसूत्र गिरवी रख दिया। फूल कुमारी के पति खेतिहर मजदूर होने के कारण वे अपने घर में शौचालय नहीं बना पा रहे थे। ऐसे में फूल कुमारी ने मंगलसूत्र को गिरवी रखकर शौचालय बनवाया। जिला प्रशासन ने अब अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिए फूल कुमारी को संपूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम का ब्रांड एंबेस्डर बनाया है।
विदर्भ की संगीता अवहले
महाराष्ट्र के विदर्भ जिले में वाशिम के सिक्खड़ गांव की संगीता अवहले ने मंगलसूत्र बेचकर घर में शौचालय बनवाकर एक अनोखी मिसाल पेश की है। संगीता ने घर में शौचालय बनवाने के लिए मंगलसूत्र बेच दिया। यह खबर गांव से लेकर पूरे महाराष्ट्र में फैल गई। संगीता के इस कदम की प्रशंसा करते हुए महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि राज्य में हम ज्यादा से ज्यादा संख्या में शौचालय बनवाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाने के लिए मुंडे ने उसकी प्रशंसा करते हुए उसे एक नया मंगलसूत्र भेंट किया, जिसे उसने अपने पति के हाथों गले में पहना।
शौचालय के लिए बेच दी बकरी
राजस्थान के डूंगरपुर जिले के एक आदिवासी परिवार ने शौचालय निर्माण की खातिर अपनी आजीविका के प्रमुख साधन बकरी को बेच दिया तथा गहनों को गिरवी रख दिया, लेकिन दम तभी लिया, जब शौचालय बन गया। डूंगरपुर-रतनपुर मार्ग पर सड़क के किनारे एक झोंपड़ी में रहने वाला कांतिलाल रोत एक मिल में दिहाड़ी मजदूरी कर अपनी विधवा मां, दिवंगत छोटे भाई की पत्नी और बच्चों तथा अपने पत्नी-बच्चों का पालन-पोषण करता है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जब नगर परिषद डूंगरपुर ने विशेष अभियान चलाया और लोगों को शौचालय बनवाने के लिए समझाया तो कांतिलाल ने बकरी को बेचकर चार हजार रुपये जुटाए और शौचालय बनवाया।
104 की उम्र में बकरी बेचकर गांव में बनवाया पहला शौचालय
छत्तीसगढ़ की स्वच्छता दूत पद्मश्री कुंवर बाई हमेशा स्वच्छता मिशन के लिये एक मिसाल के तौर पर याद की जाएंगी, क्योंकि शौचालय बनाने के लिए उन्होंने अपनी अंतिम पूंजी यानी कि पाली हुई बकरियों को बेच दिया था। धमतरी जिला के गांव कोटा भर्री में कुंवर बाई ने 104 साल की उम्र में खुद अपना शौचालय बनवाया बल्कि गांव वालों को शौचालय बनवाने के प्रेरित भी किया। दिसंबर 2016 में जब प्रधानमंत्री राजनांदगांव के डोंगरगढ़ आए तो सार्वजनिक मंच से कुंवर बाई का पैर छूकर सम्मान किया था।
शादी कार्ड पर छपवाई पीएम मोदी की तस्वीर
हरियाणा के जींद जिले के बराहकलां गांव के निवासी सुशील शांडिल्य और उसकी बहन रेणू और छोटे भाई चेतन की शादी 19 फरवरी, 2018 को हुई है। तीनों बहन भाईयों की शादी के एक साथ कार्ड छपवाए गए, लेकिन इस कार्ड में शादी के आमंत्रण के साथ ही प्रधानमंत्री की तस्वीर और उनके सामाजिक संदेश भी छापे गए।
श्लोक की जगह ‘मोदी मिशन’ की पंक्तियां
पिछले वर्ष राजस्थान के झालावाड़ जिले में 29 अप्रैल, 2017 को हुई एक शादी का निमंत्रण कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। क्योंकि इस कार्ड पर श्लोक की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन और बाल विवाह रोकथाम के नारे लिखे गए थे।
कार्ड पर स्वच्छता Logo के नीचे लिखा था-
‘मेरा सपना, घर परिवार का सपना, शौचालय उपयोग ही, सम्मान है अपना।’
‘घर महकेगा, परिवार महकेगा, बेटी पढ़ाओ, जग महकेगा।’
‘जन-जन का है, बस एक ही सपना, खुले में शौच मुक्त हो भारत अपना।’
‘जन-जन की है जिम्मेदारी, घर-घर शौचालय ही समझदारी।’
कार्ड पर बाल विवाह के बारे में भी लिखा कि- ‘बाल विवाह अभिशाप ही नहीं, कानून अपराध भी है।’ बाल विवाह पर रोकथाम के लिए ही दूल्हा पूरीलाल के नाम के आगे उसकी जन्म तिथि (11-2-1996) और दुल्हन पद्मा की जन्म तिथि (19-3-1999) लिखी गई थी। दरअसल दूल्हे पूरीलाल के चाचा रामविलास मीना ने यह कार्ड छपवाकर लोगों के बीच स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने की कोशिश की है। मीना पंचायत प्रसार एवं स्वच्छता अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।
शौचालय न हो तो खाने न आएं
मई, 2017 में राजस्थान के ही राजसमंद जिले के नाथद्वारा तहसील में ग्राम पंचायत उपली ओड़न के गांव डिंगेला के रहने वाले लालसिंह कितावत ने भी निमंत्रण कार्ड पर स्वच्छ भारत अभियान का संदेश छपवाया। शादी के कार्ड पर यह संदेश लिखा गया है कि घर में शौचालय नहीं है तो जीमने (खाना खाने) न आएं।
बिन शौचालय दुल्हन का श्रृंगार अधूरा
2017 में ही में बिहार के पूर्णिया जिले के बिरनिया गांव में भी एक दूल्हे ने अपनी शादी के कार्ड में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘बिन शौचालय दुल्हन का श्रृंगार अधूरा है’ का संदेश छपवाया था। शादी कार्ड पर छपा शौचालय जागरुकता का यह स्लोगन पूरे पूर्णिया में चर्चा में रहा। दूल्हा वरुण कुमार केंद्र प्रायोजित ग्रामीण आवास योजना के बैसा प्रखंड के सहायक पद पर हैं और ये ग्रामीण आवास की हकीकतों को रोज देखते रहे हैं। उनका कहना था कि गांव में बाहर शौच करना महिला सम्मान के खिलाफ हैं।
शादी कार्ड पर स्वच्छ भारत अभियान का Logo
आकाश जैन ने अपनी बहन की शादी के कार्ड पर स्वच्छ भारत अभियान का लोगो छपवाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाश जैन के ट्वीट को री-ट्वीट किया। जिसके बाद आकाश जैन अचानक सेलेब्रेटी बन गए।
शादी के व्यस्त समय में भी आकाश जैन और उसके पिता ने स्वच्छ भारत अभियान के प्रति जो लगाव दिखलाया, उस पर देशभर में जैन परिवार सुर्खियों में आ गया।
Dear @narendramodi, My dad specifically wanted @swachhbharat logo to be there on my sister’s wedding invitation, hence got it. @PMOIndia pic.twitter.com/kD28savm82
— Akash Jain (@akash207) April 1, 2017
ABP news, News nation, India TV, ANI News agency everyone are at office all of sudden to interview me for their… https://t.co/NFBFjeSFUC
— Akash Jain (@akash207) April 4, 2017
.@narendramodi @swachhbharat @PMOIndia @mepratap @manoharparrikar @rajnathsingh @HRDMinistry @RailMinIndia @sureshpprabhu @sambitswaraj Thank you @narendramodi ji for your kind gesture. My entire family has been honoured. My dad has been closely following all your initiatives pic.twitter.com/3glYWmwBGk
— Akash Jain (@akash207) April 4, 2017
3rd April, 2017 : One of the best days of life.
The feeling of being a celebrity for a day when one single… https://t.co/DP5X8Y0nXc
— Akash Jain (@akash207) April 3, 2017
Narendra Modi is following a commoner on Twitter for his creative initiative towards Swachh Bharat! https://t.co/tqLtabVZbi via @YahooIndia
— Akash Jain (@akash207) April 3, 2017
What a feeling! When you go to PM Modi’s twitter timeline and you find your tweet still on #1. <3
It’s been… https://t.co/gagJNvcfc3
— Akash Jain (@akash207) April 3, 2017
Tweets do come true! Never thought that this will happen in real 🙂 Honoured to be followed back by Modiji. https://t.co/xp5kKrwgEl
— Akash Jain (@akash207) April 2, 2017
What a moment. PM @narendramodi ji retweeted my tweet & followed me back on twitter. Modi ji has been an inspiration to my dad as well. pic.twitter.com/JIoy774SUY
— Akash Jain (@akash207) April 2, 2017
2014 के बाद बने छह करोड़ से ज्यादा शौचालय
स्वच्छ भारत मिशन के तहत अब तक ग्रामीण भारत में 6 करोड़ से भी ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया गया है। इसके साथ ही 10 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों- सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, केरल, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़ और दमन एवं दीव के 3 लाख से भी अधिक गांवों और 300 जिलों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया जा चुका है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2 अक्टूबर 2014 से अब तक (14 फरवरी, 2018) 6 करोड़ 20 लाख शौचालय बन चुके हैं। 314 जिले, 1 लाख 41 हजार पंचायत, तीन लाख 21 हजार गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं।
देश को स्वच्छ करने की जो पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, वैसा पहले कभी किसी ने नहीं सोचा था।
अभियान की शुरुआत करते हुए उस दिन श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है।” स्वच्छ भारत अभियान के शुरू हुए अभी साढ़े तीन साल ही हुए हैं, लेकिन स्वच्छता के प्रति देश सजग हो गया है, साफ-सफाई के प्रति सोच बदल गई है।
जब पीएम ने स्वयं उठाया झाड़ू
महात्मा गांधी के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के पास स्वयं झाड़ू उठाकर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। फिर वो वाल्मिकी बस्ती पहुंचे और वहां भी साफ-सफाई की और कूड़ा उठाया। उन्होंने इस अभियान को जन आंदोलन बनाते हुए देश के लोगों को मंत्र दिया था, ‘ना गंदगी करेंगे, ना करने देंगे’।
9-9 लोगों को आमंत्रण
इस अभियान को गति देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने समाज के हर वर्ग से 9-9 लोगों और संस्थाओं को आमंत्रित करना शुरू किया, जिसने धीरे-धीरे एक बहुत बड़ी श्रृंखला का रूप धारण कर लिया। देश में एक से बढ़कर एक लोग इस अभियान से जुड़ते चले गए और स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन बनता चला गया।
पीएम ने स्वयं कुदाल उठाकर की सफाई
पीएम मोदी का सपना साकार होने लगा और स्वच्छ भारत अभियान के चलते लोगों में साफ-सफाई के प्रति एक जिम्मेदारी की भावना आ गई। प्रधानमंत्री इस कार्य को और आगे बढ़ाते रहे, वो अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी पहुंचे और वहां भी खुद आगे बढ़कर सफाई अभियान को गति देने का काम किया। पीएम मोदी ने काशी के अस्सी घाट पर गंगा के किनारे कुदाल से साफ-सफाई की। इस मौके पर भारी संख्या में स्थानीय लोगों ने स्वच्छ भारत अभियान में उनका साथ दिया।
हर वर्ग का मिल रहा है साथ
देश में साफ-सफाई के इस विशाल जन आंदोलन में समाज के हर वर्ग के लोगों और संस्थाओं ने साथ दिया। सरकारी अधिकारियों से लेकर, सीमा की रक्षा में जुटे वीर जवानों तक, बॉलीवुड कलाकारों से लेकर नामचीन खिलाड़ियों तक, बड़े-बड़े उद्योगपतियों से लेकर आध्यात्मिक गुरुओं तक, सभी इस पवित्र कार्य से जुड़ते चले गए। इसमें अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल और मैरी कॉम जैसी हस्तियों के योगदान बेहद सराहनीय हैं।
‘मन की बात’ में सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ में लगातार देश के विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों के उन प्रयासों की सराहना की है, जिसने स्वच्छ भारत अभियान को व्यापक रूप से सफल बनाने में मदद की है।
ओडीएफ गांव का हर परिवार बचाता है 50 हजार रुपये
यूनिसेफ ने अनुमान व्यक्त किया है कि स्वच्छता का अभाव हर साल भारत में 1,00,000 से भी अधिक बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार है। यूनिसेफ द्वारा कराए गए एक अन्य अध्ययन में यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि भारत के किसी भी ओडीएफ गांव का हर परिवार प्रत्येक साल 50,000 रुपये की बचत करने में सफल हो जाता है क्योंकि वह बीमारी के इलाज में होने वाले खर्चों से बच जाता है और इसके साथ ही ऐसे परिवारों के सदस्यों के बीमार न पड़ने से आजीविका की बचत भी होती है।
खुले में शौच से मुक्ति की ओर देश
साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था, तब देश का एक भी राज्य खुले में शौच की समस्या से मुक्त नहीं था। इस समय देश के दस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश खुले में शौच की समस्या से मुक्त हो चुके हैं। इस सामाजिक बुराई से बाहर निकलना इतना आसान नहीं है, लेकिन इसे सफल बनाने में आम लोगों का मिल रहा योगदान बहुत ही सराहनीय है। इस समस्या के प्रति लोग बहुत अधिक जागरूक हो चुके हैं और उन्हें जिस तरह से सरकार से मदद मिल रही है उससे लगता है कि 2 अक्टूबर 2019 से बहुत पहले ही ये मिशन पूरा हो जाएगा।