Home समाचार लखीमपुर खीरी हिंसा : स्वार्थों, साजिशों और सियासी परपंचों का नतीजा

लखीमपुर खीरी हिंसा : स्वार्थों, साजिशों और सियासी परपंचों का नतीजा

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपनी तत्परता और सूझबूझ से लखीमपुर खीरी की आग को फैलने से रोक दिया है। साथ ही इस आग पर सियासी रोटियां सेकने की कोशिश में लगे विपक्षी दलों के मंसूबों पर भी पानी फेर दिया है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर यह हिंसा हुई कैसे ? सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के किसानों के खिलाफ कथित बयान को लेकर जो बवाल मचा हुआ है। उसकी शुरुआत भी उनके केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बनने के बाद हुई। दरअसल केंद्रीय मंत्री टेनी का विरोध करने के पीछे तीन पक्ष थे पहला- किसान संगठन, दूसरा- सिख संगठन और तीसरा- सियासी दल।

मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार को बदनाम करने के लिए किसान संगठन और सियासी दल पहले से मिलकर काम कर रहे थे। इसी बीच लखीमपुर खीरी के निघासन के एक सिख किसान के खिलाफ एफआईआर और उसके परिवार की महिलाओं के साथ पुलिस की कथित अभद्रता ने आग में घी डालने का काम किया। इससे सिख संगठन भी नाराज हो गए। हालांकि मंत्री के विरोध को लेकर तीनों पक्षों में मतभेद था, लेकिन तीनों पक्षों ने अपने-अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए 3 अक्टूबर, 2021 को तिकुनिया में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय मंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का फैसला किया।

सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे जिसमें आतंकवादी भिंडरवाले की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहने शख्स को देखा जा सकता है। वहीं कांग्रेस के नेता लोगों को भिंडरवाले की राजनीति समझाने में जुटे हैं और उसका समर्थन करते नजर आ रहे हैं। अब सवाल यह है कि जब मंत्री ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेता को निशाना बनाया तो एक पुलिसकर्मी के बयान को लेकर सिख संगठनों ने मंत्री के खिलाफ मोर्चा क्यों खोला ? पूरी घटना को देखने से जाहिर होता है कि कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन के नाम पर किसान,धार्मिक और राजनीतिक संगठन के नेता साजिशों को अंजाम देकर अपने-अपने हित साध रहे हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस का इतिहास रहा है कि राजनीतिक फायदे के लिए उसने देश को हिंसा की आग में झोंकने का काम किया है। 

पीड़ित परिवारों को मुआवजा, विपक्ष की साजिश नाकाम

हिंसा में मारे गए चार किसानों के परिवारवालों को योगी सरकार ने 45-45 लाख का मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। इसके अलावा गंभीर रूप से घायल आठ किसानों को दस-दस लाख रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी। हिंसा की जांच हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस की निगरानी में होगी।

राजनीतिक फायदे के लिए विपक्ष ने रची हिंसा की साजिशें

  • 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी में किसान आंदोलन की आड़ में हिंसा
  • फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे सियासी साजिशों का नतीजा
  • 14 दिसंबर, 2019 दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की रैली के बाद हिंसा
  • सीएए और एनआरसी के विरोध में पूर्वोत्तर के राज्यों में कांग्रेस ने आग लगाई
  • कांग्रेस समर्थित हार्दिक पटेल ने आरक्षण को लेकर गुजरात में हिंसा फैलाई
  • जून 2017 में एमपी के मंदसौर में किसानों को भड़काने में कांग्रेस का हाथ
  • अप्रैल 2017 में सहारनपुर में जातीय तनाव फैलाने की कांग्रेसी साजिश

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