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भारत के कैपेक्स में मई में 70% की वृद्धि, कॉरपोरेट क्षेत्र में रिवाइवल के संकेत, वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा

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भारत के पूंजीगत व्यय में मई 2022 में 70 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। इसका खुलासा गुरुवार को जारी जून महीने के लिए वित्त मंत्रालय की आर्थिक रिपोर्ट में हुआ। ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद बजटीय राजकोषीय घाटे को जीडीपी अनुपात में बनाए रखते हुए पूंजीगत व्यय (capital expenditure) यानी कैपेक्स के विस्तार के लिए सरकार के केंद्रित दृष्टिकोण की वजह से यह संभव हो पाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा विकास को तीव्र गति से बढ़ाने के लिए देश में 7,774 परियोजनाओं पर पूंजीगत व्यय में 12.79 लाख करोड़ रुपये निवेश की घोषणा इस साल की गई है। वित्त वर्ष 2020 में इन परियोजनाओं पर 10.85 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की गई थी। इस तरह 2020 की तुलना में 2022 में 18 प्रतिशत अधिक पूंजीगत व्यय सरकार की ओर से विभिन्न विकास परियोजनाओं पर किया जाएगा।  

मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी समीक्षा में यह भी कहा गया है कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों से विकास में गिरावट का जोखिम बना रहेगा क्योंकि कच्चे तेल और खाद्य पदार्थ ने भारत में मुद्रास्फीति को बढ़ाने का काम किया है। इसकी वजह यह है कि भारत इन पदार्थों का आयात करता है जिससे देश में खपत (consumption basket) की पूर्ति की जा सके।

राज्यों के लिए 1 ट्रिलियन की घोषणा

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कैपेक्स को और सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने राज्यों को ब्याज मुक्त पूंजीगत व्यय ऋण में 1 ट्रिलियन दिए जाने की घोषणा की है। इसके अलावा, कॉरपोरेट सेक्टर में भी धीरे-धीरे सुधार देखने को मिल रहा है। मांग में सुधार और बिक्री में वृद्धि इस सेक्टर में सुधार की ओर इशारा करते हैं। आर्थिक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख उद्योगों के उत्पादन, औद्योगिक उत्पादन और माल ढुलाई के सूचकांक ने भी 2022-23 की पहली तिमाही में क्रमिक और साल-दर-साल सुधार दिखाया है।

निजी निवेश पटरी पर आएगी

सरकार ने महामारी से प्रभावित आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाने पर जोर दिया है। यह उम्मीद की जाती है कि सार्वजनिक खर्च में वृद्धि से निजी निवेश में भी इजाफा होगा। रिपोर्ट के अनुसार, महंगा आयात और कम माल निर्यात के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) बिगड़ने की आशंका है। हालांकि, सेवा निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है जिससे सीएडी की गिरावट कम हो सकती है। इस सेक्टर में भारत व्यापारिक निर्यात के मामले में विश्व स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी है। क्षमता उपयोग में सुधार, नए निवेश करने में लोगों की बढ़ती रुचि और सार्वजनिक निवेश में भारी वृद्धि के कारण प्रमुख क्षेत्रों में से एक यानी निजी निवेश के वापस पटरी पर आने की संभावना है।

भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाएं पूंजी व्यय में निहितः सीतारमण 

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार (15 जुलाई) को कहा कि भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाएं (India’s long-term growth prospects) सार्वजनिक पूंजी व्यय वाले कार्यक्रमों (Public capital expenditure programmes) में निहित हैं। इंडोनेशिया के बाली में आयोजित तीसरी G20 देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नर्स (FMCBG) की बैठक में भाग लेते हुए निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि लचीली आर्थिक प्रणालियों के लिए साक्ष्य-आधारित नीति (evidence-based policy) बनाना महत्वपूर्ण है।

समग्र व्यावसायिक स्थिति में सुधार की उम्मीद

रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई के औद्योगिक आउटलुक सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय विनिर्माण कंपनियां 2022-23 की दूसरी एवं तीसरी तिमाही में मांग, क्षमता उपयोग और समग्र व्यावसायिक स्थिति में क्रमिक सुधार की उम्मीद करती हैं। इसके अलावा, पीएलआई योजना (PLI scheme) से भी निजी निवेश को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार, मुद्रास्फीति के बढ़ते दबाव, तेल की कीमतों और कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि जैसी विपरीत परिस्थितियों के कारण खपत प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि वैश्विक कीमतों में नरमी के परिणामस्वरूप इन जोखिमों में कमी आई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में क्रय शक्ति को बढ़ावा

मंत्रालय ने कहा कि मार्च 2022 से कृषि जिंसों के व्यापार के सकारात्मक रहने के साथ, वैश्विक कृषि कीमतों ने ग्रामीण क्षेत्रों में वास्तविक क्रय शक्ति को बढ़ावा दिया है। इससे ग्रामीण मांग में सुधार हुआ है, हालांकि कुछ संकेतक अभी तक पूर्व-महामारी के स्तर तक ठीक नहीं हुए हैं। भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जून में घटकर 7.01% हो गई, जो पिछले महीने में 7.04% थी और अप्रैल में 7.79% थी। फर्मों के परिचालन लाभ मार्जिन में वृद्धि से ब्याज कवरेज अनुपात में वृद्धि हुई है, जो अधिकांश उद्योगों के क्रेडिट में सुधार का संकेत देता है।

राजस्व बढ़ने की उम्मीद

मजबूत जीएसटी संग्रह, सीमा शुल्क में वृद्धि और पेट्रोलियम उत्पादों पर कर लगाने से राजस्व को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है और केंद्र को अपने राजकोषीय घाटे को 6.4% के लक्षित स्तर पर नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और उत्पाद शुल्क में कटौती के बावजूद कैपेक्स लक्ष्य को भी पूरा करने में मदद मिलेगी।

बजट में बढ़ाया गया कैपेक्स

कोरोना महामारी से जूझ रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए केंद्र सरकार ने बुनियादी ढांचे के सृजन के जरिए आर्थिक वृद्धि को गति देने के वास्ते वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में पूंजीगत व्यय में 34.5 फीसदी बढ़ाकर 5.5 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए इसे 4.12 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से बढ़ाकर 4.39 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।

एनआईपी का विस्तार, 7700 योजनाएं हुई शामिल

सरकार ने इस वर्ष के आम बजट में आगामी सालों में राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) के लक्ष्य को हासिल करने के लिए तीन कदम का प्रस्ताव किया है। इसके तहत संस्थागत संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा, परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण पर विशेष जोर और केंद्र तथा राज्य के बजट में पूंजीगत खर्च का हिस्सा बढ़ाया जाएगा। एनआईपी एक अनूठी पहल है। इसके तहत देशभर में विश्वस्तरीय आधारभूत ढांचा तैयार किया जाएगा जिससे सभी नागरिकों की जीवनशैली सुधरेगी। यह 2025 वित्त वर्ष तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य पाने की दिशा में काफी महत्वपूर्ण है। अब इसके तहत 7,700 से अधिक परियोजनाएं संचालित हैं।

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