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एयर इंडिया का विनिवेश भारत के निजीकरण की कोशिशों में मील का पत्थर-IMF

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एयर इंडिया के विनिवेश को लेकर जहां मोदी विरोधी सरकार को घेरने में जुटे हैं, वहीं दुनिया की जानी मानी संस्था अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने इसके लिए मोदी सरकार की भूरी-भूरी प्रशंसा की है। IMF ने कहा है कि एयर इंडिया का विनिवेश भारत की निजीकरण की कोशिशों में मील का पत्थर साबित होगा।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने एयर इंडिया को निजी हाथों में सौंपने के मोदी सरकार के फैसले का स्वागत किया है, IMF-STI रीजनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और आईएमएफ इंडिया के पूर्व मिशन चीफ Alfred Schipke ने कहा कि वे एयर इंडिया की सेल के हाल ही के एग्रीमेंट का स्वागत करते हैं। Alfred Schipke इस वक्त चीन में IMF के Senior Resident Representative हैं।

आर्थिक सुधारों की दिशा में मोदी सरकार की बड़ी कामयाबी

एयर इंडिया के विनिवेश के मोदी सरकार के फैसले का देश के कारोबार जगत के साथ आम लोग भी जोरदार स्वागत कर रहे हैं। एयर इंडिया के विनिवेश के फैसले को लेकर मोदी सरकार के तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं। एयर इंडिया का विनिवेश आर्थिक सुधारों की दिशा में मोदी सरकार की बड़ी कामयाबी है। इससे हवाई सफर करने वाले मुसाफिरों के साथ सरकार को भी फायदा होगा।  

सोशल मीडिया पर सरकार के फैसले की तारीफ 

सोशल मीडिया पर मोदी सरकार के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए लोग जम कर तारीफ कर रहे हैं 

हर रोज 20 करोड़ का नुकसान करने वाली एयर इंडिया का विनिवेश, पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार की ओर उठाए जा रहे कदमों की ऐतिहासिक सफलता है।

एयर इंडिया की बर्बादी में कांग्रेस की भूमिका 

देश में आर्थिक सुधारों की गति को रफ्तार देने के लिए एक ओर जहां मोदी सरकार के विनिवेश के फैसले का स्वागत हो रहा है , वहीं मीडिया देश के लोगों का ध्यान इन ओर भी दिलाने में जुटा है कि कांग्रेस की सरकारों ने एयर इंडिया की बर्बादी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

एयरइंडिया के विनिवेश को लेकर कांग्रेस के बेतुके सवालों पर बीजेपी ने करारा हमला किया है। कांग्रेस के एक पुराने ट्वीट का हवाले देकर बीजेपी ने कहा है कि ‘मोदी सरकार कांग्रेस की एक के बाद एक सरकारों की ओर से तैयार की गई गंदगी को साफ कर रही है। वो सरकारें इतनी निकम्‍मी थीं कि खुद किसी भी समस्या का हल नहीं खोज पाती थीं।’

विपक्ष के दुष्प्रचार के बीच सरकार का ऐतिहासिक फैसला

सरकारी संपत्ति बेचने के विपक्ष के दुष्प्रचार के बीच, साल दर साल एयर इंडिया का कर्ज तेजी से बढ़ता जा रहा था। एयर इंडिया पर कर्ज का जाल बढ़ कर 60,000 करोड़ हो चुका था। एयर इंडिया का टाटा से अधिग्रहण करने के बाद 60 साल में कांग्रेस न एयर इंडिया को लाभकारी बनाये रख सकी न विनिवेश कर पायी थी। रतन टाटा ने एयर इंडिया का स्वागत किया है।

 

जाने माने क्रिकेट कमेंटेटर हर्ष भोगले  ने लिखा कि एयर इंडिया सुरक्षित हाथों में है।

टाटा संस के साथ क्या हुआ समझौता

  • एअर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी पर समझौता
  • एअर इंडिया एक्सप्रेस की भी 100 फीसदी हिस्सेदारी
  • कार्गो और ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी में हिस्सेदारी
  • AISATS की 50 फीसदी हिस्सेदारी 
  • विमान और एयरलाइन की प्रॉपर्टी शामिल
  • कर्मचारियों के लिए बनी हाउसिंग सोसायटी भी शामिल
  • एयरपोर्ट पर लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट भी सौदे का हिस्सा
  • भारतीय एयरपोर्ट्स पर 4,400 डोमेस्टिक लैंडिंग-पार्किंग स्लॉट
  • 1,800 इंटरनेशनल लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट मिलेंगे।
  • साथ ही विदेशी एयरपोर्ट पर भी करीब 900 स्लॉट मिलेंगे।

विनिवेश को फैसलों से तेज होगी विकास की रफ्तार 

एयर इंडिया टाटा संस की हो गई है, टाटा संस के पास एयर इंडिया को वापस आने में कुल 68 साल लग गए। यह साल 1953 था, जब भारत सरकार ने टाटा संस से एयर इंडिया में मालिकाना हक खरीद लिया था। हाल के दिनों में एयर इंडिया कर्ज के भंवरजाल में फंस चुकी थी। अब मोदी सरकार ने देश की शान कहे जान वाले महाराजा को टाटा संस के हाथों में सौंप पर बड़ा साहस दिखाया है

महाराजा का गौरवशाली इतिहास 

एयर इंडिया देश की सबसे पुरानी एयरलाइंस में से एक है , महाराजा का इतिहास बेहद ही गौरवशाली रहा है। 

  • जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस शुरू की थी
  • 1946 में टाटा एयरलाइंस का नाम एयर इंडिया किया गया
  • 1953 में तत्कालीन सरकार ने एयर इंडिया को टाटा से खरीद लिया
  • एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय 2007 में हुआ था
  • मार्च 2011 में कंपनी के कर्ज में भारी इजाफा हुआ 
  • 2012 में 4.5 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज
  • अभी एयर इंडिया पर करीब 60 हजार करोड़ रुपये कर्ज।
  • पिछले 6 साल में 30,520.21 करोड़ रुपये का निवेश

विनिवेश के मोर्चे पर सरकार को बड़ी सफलता 

2017 में सरकार से एयर इंडिया के निजीकरण को मंजूरी मिली थी। सरकार ने पिछले साल जनवरी में विनिवेश प्रक्रिया को फिर से शुरू किया। दरअसल साल 2003 से लेकर 2010 तक देश में लो कॉस्ट एयरलाइंस का बोलबाला तेजी से बढ़ा। जिससे एय़र इंडिया को चलाने के लिए सरकार पर बोझ बढ़ता चला गया। मोदी सरकार ने एयर इंडिया पर पक्का फ़ैसला लिया है। सरकार का मानना है कि इससे देश के साथ यात्रियों का फायदा होगा साथ ही देश के लोगों के मेहनत से कमाया गया पैसा देश के विकास के काम आएगा।

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