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विदेशी मुद्रा भंडार ने बनाया नया रिकॉर्ड, पहुंचा 572 अरब डॉलर के पार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण विदेशी मुद्रा भंडार ने एक बार फिर रिकॉर्ड बनाया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 13 नवंबर को खत्म हफ्ते में 4.277 अरब डॉलर बढ़कर 572.771 अरब डॉलर हो गया है। यह अबतक का सबसे ऊंचा स्तर है। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा यानी विदेशी मुद्रा एसेट्स 5.526 अरब डॉलर बढ़कर 530.368 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस सप्ताह में स्वर्ण भंडार में 1.233 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई और यह 36.354 अरब डॉलर मूल्य का हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने 5 जून, 2020 को खत्म हुए हफ्ते में पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार किया था। इसके पहले यह आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।

आइए देखते हैं मोदी सरकार के प्रयासों से भारत की अर्थव्यवस्था किस तरह से एक बार फिर बुलंदियों की तरफ बढ़ रही है-

कोरोना संकट के बावजूद देश में 16 प्रतिशत ज्यादा निवेश
कोरोना संकट के बावजूद 2020-21 के अप्रैल-अगस्त में देश में 27.1 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आया है। यह 2019-20 की समान अवधि में आए 23.35 अरब डॉलर के निवेश से 16 प्रतिशत ज्यादा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार इस अवधि में पुनर्निवेश में आया कुल एफडीआई 13 प्रतिशत बढ़कर 35.73 अरब डॉलर रहा, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 के पहले पांच महीनों में यह 31.60 अरब डॉलर था। इसके साथ ही 2008 से 2014 में 231.37 अरब डॉलर की तुलना में 2014 से 2020 में कुल एफडीआई प्रवाह 55 प्रतिशत उछलकर 358.29 अरब डॉलर रहा। मंत्रालय के अनुसार सरकार की ओर से पिछले छह साल में किए गए सुधारों से एफडीआई में तेजी आई है। इसके साथ ही उन नीतिगत बाधाओं को भी दूर किया गया है, जो निवेश प्रवाह को बाधित कर रहे थे। निवेश को सुगम बनाने और कारोबार सुगमता के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं।

अगले साल चीन को पीछे छोड़ देगा भारत- आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य’ पर जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत अगले साल चीन को पीछे छोड़ देगा। आईएमएफ ने कहा कि कोरोना के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट का अंदेशा है, लेकिन अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था लंबी छलांग लगाने में सक्षम होगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.8 प्रतिशत की जोरदार बढ़त दर्ज हो सकती है और यह चीन को पीछे छोड़ते हुए सबसे तेजी से बढ़ने वाली उभरती अर्थव्यवस्था का दर्जा फिर से हासिल कर लेगी। चीन के 2021 में 8.2 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने का अनुमान है।

सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा भारत- आईएमएफ
दुनिया भर में कोरोना संकट के बीच भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इसके पहले हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी बात कही। आईएमएफ ने कहा कि भारत में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सबसे तेज रहेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के चलते 2020 का साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए काफी खराब रहने वाला है, लेकिन इसके बाद भी भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आइएमएफ के मुताबिक, इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1930 के महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी।

आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।

ईपीएफओ में योगदान देने वाली कंपनियां बढ़ीं
ईपीएफओ में योगदान बढ़ने का मतलब होता है कि कंपनियां नए लोगों को नौकरी पर रख रही हैं, यानि कंपनियां वृद्धि करती है, तभी लोगों को रोजगार देती है। आंकड़ों के मुताबिक जुलाई के महीने में ईपीएफओ में योगदान देने वाली कंपनियों की संख्या में इजाफा हुआ है, जो इस बात का संकेत है कि कंपनयों की स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है। नियमों के मुताबिक 20 से अधिक कर्मचारी वाली कंपनियों को मूल वेतन का 12 फीसदी योगदान कर्मचारी के ईपीएफओ खाते में आशंदान के तौर पर करना पड़ता है। ईपीएफओ के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में व्यक्तिगत अंशधारकों की संख्या 3.8 करोड़ रह गई थी, जो अब अगस्त में बढ़कर 4.6 करोड़ पर पहुंच गई है।

मोबाइल कंपनियों ने निवेश और रोजगार के अवसर बढ़े
कोरोना काल में मोदी सरकार की पॉलिसी ने मोबाइल कंपनियों के लिए भारत में अवसरों के दरवाजे खोल दिए हैं। यही वजह है कि मेक इन इंडिया अभियान में शामिल होने के लिए नामी मोबाइल कंपनियों में निवेश करने और रोजगार देने की होड़ लग गई है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार मंत्रालय को 22 मोबाइल कंपनियों ने आवेदन दिया है। इसके तहत तीन लाख प्रत्यक्ष और नौ लाख अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेंगे। एप्पल के लिए फोन बनाने वाली ताइवान की व्रिस्टॉन ने बेंगलुरु स्थित कंपनी के नारासापुरा प्लांट में नए आईफोन का उत्पादन शुरू कर दिया है। इस प्लांट में कंपनी ने करीब 2,900 करोड़ रुपये का निवेश किया है। उसकी इस नए प्लांट में करीब 10 हजार कर्मचारियों को रखने की योजना है। इसी तरह अन्य कंपनयों ने भी नौकरियां देने की योजना बनाई है जिसके तहत साल के अंत तक कम से कम 50 हजार लोगों को नौकरियां मिलेंगी।

विदेशी मुद्रा भंडार 545 अरब डॉलर के उच्चस्तर पर
मोदी सरकार की नीतियों के कारण भारत का विदेशी का मुद्रा भंडार 02 अक्तूबर को खत्म हफ्ते में 3.618 अरब डॉलर बढ़कर 545.638 अरब डॉलर हो गया है। यह अबतक का सबसे ऊंचा स्तर है। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा यानी विदेशी मुद्रा एसेट्स 3.104 अरब डॉलर बढ़कर 503.046 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस सप्ताह में स्वर्ण भंडार में 48.60 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी हुई और यह 36.486 अरब डॉलर मूल्य का हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने 5 जून, 2020 को खत्म हुए हफ्ते में पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार किया था। इसके पहले यह आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।

2021-22 में 9.5 प्रतिशत रह सकती है विकास दर-फिच
रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 9.5 प्रतिशत रह सकती है। फिच रेटिंग्स ने हालांकि कोरोना संकट के कारण चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था के पांच प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान जताया है। लेकिन फिच ने कहा कि कोरोना संकट के बाद देश की जीडीपी वृद्धि दर के वापस पटरी पर लौटने की उम्मीद है। इसके अगले साल 9.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की उम्मीद है।

स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने जताया भारत पर भरोसा
रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने (S&P) ने भारत की सॉवरिन रेटिंग को BBB माइनस पर बरकरार रखा है। S&P ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास जताते हुए आउटलुक को स्थिर रखा है। स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फिलहाल ग्रोथ रेट पर दबाव है, लेकिन अगले साल 2021 से इसमें सुधार दिखने को मिलेगा। फिच ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विकास दर का 8.5 प्रतिशत रह सकती है।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक वेतन वृद्धि भारत में होगी
प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक नीतियों से देश की इकोनॉमी और कारोबारी माहौल लगातार बेहतर हो रहा है। यही वजह है कि जहां कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं, वहीं कर्मचारियों की सैलरी भी निरंतर बढ़ रही है। प्रमुख वैश्विक एडवाइजरी, ब्रोकिंग और सोल्यूशंस कंपनी विलिस टॉवर्स वॉटसन की ताजा तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2020 में कर्मचारियों के वेतन में रिकॉर्ड 10 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी होगी। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि ये वेतन वृद्धि पूरे एशिया-पैसिफिक में सबसे अधिक होगी। विलिस टॉवर्स वॉटसन ने अपनी यह रिपोर्ट विभन्न औद्योगिक क्षेत्रों और कंपनियों की प्रगति का अध्ययन और सर्वे करने के बाद तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया में वेतन वृद्धि 8 प्रतिशत, चीन में 6.5 प्रतिशत, फिलीपींस में 6 प्रतिशत और हांगकांग व सिंगापुर में 4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। जाहिर है कि मोदी सरकार की सफल आर्थिक नीतियों की वजह से ही इस वर्ष भारत में औसत वेतन वृद्धि 9 प्रतिशत से अधिक रही।

5 साल में भारत में 5 अरब डॉलर का निवेश करेगी फेयरफैक्स
प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों का ही असर है कि आज भारत में विदेशी कंपनियां खूब निवेश कर रही हैं। कनाडा की कंपनी फेयरफैक्स अगले पांच साल में भारत में 5 अरब डॉलर का निवेश करने जा रही है। कंपनी पिछले पांच साल में भारत में 5 अरब डॉलर का निवेश कर चुकी है और इतनी ही रकम वह अगले पांच साल में लगाने जा रही है। कंपनी के प्रमुख और अरबपति निवेशक प्रेम वत्स ने इकनॉमिक टाइम्स के साथ इंटरव्यू में भारत में आर्थिक सुस्ती की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि यहां ‘शानदार मौके’ हैं। उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से भारत दुनिया का नंबर वन देश है। प्रेम वत्स ने कहा, ‘दुनिया की जीडीपी में भारत का योगदान 3 प्रतिशत है, लेकिन कुल वैश्विक निवेश में इसकी हिस्सेदारी 1 प्रतिशत ही है। अगर इसे बढ़ाकर 2 प्रतिशत भी कर दिया जाए तो भारत में 3 लाख करोड़ डॉलर का निवेश बढ़ेगा।’ उन्होंने कहा कि आज चीन और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर कुछ मतभेद चल रहे हैं। ऐसे में लोग भारत में पैसा नहीं लगाएंगे तो कहां लगाएंगे? वे किसी बड़े बाजार में निवेश करना चाहते हैं, जहां लोकतंत्र हो। जहां कानून का राज हो। प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि भारत खुशकिस्मत है कि उसे मोदीजी जैसे बिजनस-फ्रेंडली नेता मिला है। उनका पूरा ध्यान देश के लिए अच्छा करने पर है। वत्स ने कहा कि इस तरह का तजुर्बा ग्लोबल लीडर में कम ही होता है।

FDI के मोर्चे पर 20 वर्ष में पहली बार भारत ने चीन को पछाड़ा
भारत 20 साल में पहली बार एफडीआई हासिल करने के मामले में चीन से आगे निकल गया। वर्ष 2018 में वालमार्ट, Schneider Electric और यूनीलीवर जैसी कंपनियों से भारत में आए निवेश के चलते ये संभव हो सका। इस दौरान भारत में 38 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ, जबकि चीन सिर्फ 32 अरब डॉलर ही जुटा सका। पीएम मोदी के नेतृत्व में मजबूत सरकार और नए क्षेत्रों में भारी अवसरों के कारण भारत विदेशी निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पिछले साल भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के 235 सौदे हुए। पिछले 20 वर्षों से चीन विदेशी निवेशकों की पसंदीदा जगह बना हुआ था। पिछले साल चीन के बाजारों में आंशिक मंदी और अमेरिका के साथ ट्रेड वार के चलते विदेशी निवेशकों का रुख भारत की ओर बढ़ा है।

NPA के मामलों में सरकार को मिली बड़ी कामयाबी
रिजर्व बैंक आफ इंडिया की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों का ग्रॉस एनपीए घटकर 9.1 फीसदी पर आ गया है। यह एक साल पहले 11.2 फीसदी पर था। रिपोर्ट के अनुसार बैंकों के फंसे कर्ज के बारे में जल्द पता चलने और उसका जल्द समाधान होने से एनपीए को नियंत्रित करने में मदद मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरूआती कठिनाइयों के बाद इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) बैंकिंग सिस्टम का पूरा माहौल बदलने वाला कदम साबित हो रहा है। पुराने फंसे कर्ज की रिकवरी में सुधार आ रहा है और इसके परिणामस्वरूप, संभावित निवेश चक्र में जो स्थिरता बनी हुई थी, उसमें सुगमता आने लगी है।

बेहतर हुआ कारोबारी माहौल
पीएम मोदी ने सत्ता संभालते ही विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति तेज की और देश में बेहतर कारोबारी माहौल बनाने की दिशा में भी काम करना शुरू किया। इसी प्रयास के अंतर्गत ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति देश में कारोबार को गति देने के लिए एक बड़ी पहल है। इसके तहत बड़े, छोटे, मझोले और सूक्ष्म सुधारों सहित कुल 7,000 उपाय (सुधार) किए गए हैं। सबसे खास यह है कि केंद्र और राज्य सहकारी संघवाद की संकल्पना को साकार रूप दिया गया है।

पारदर्शी नीतियां, परिवर्तनकारी परिणाम
कोयला ब्लॉक और दूरसंचार स्पेक्ट्रम की सफल नीलामी प्रक्रिया अपनाई गई। इस प्रक्रिया से कोयला खदानों (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के तहत 82 कोयला ब्लॉकों के पारदर्शी आवंटन के तहत 3.94 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई।

जीएसटी ने बदली दुनिया की सोच
जीएसटी, बैंक्रप्सी कोड, ऑनलाइन ईएसआइसी और ईपीएफओ पंजीकरण जैसे कदमों कारोबारी माहौल को और भी बेहतर किया है। खास तौर पर ‘वन नेशन, वन टैक्स’ यानि GST ने सभी आशंकाओं को खारिज कर दिया है। व्यापारियों और उपभोक्ताओं को दर्जनों करों के मकड़जाल से मुक्त कर एक कर के दायरे में लाया गया।

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