‘स्वस्थ भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मोदी सरकार एक और कदम उठाने जा रही है। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से पल्स पोलियो अभियान की तर्ज पर ‘फाइलेरिया मुक्त भारत’ की मुहिम शुरू की जाएगी। फाइलेरिया उन्मूलन के इस अभियान के शुभारंभ के लिएख 10 फरवरी की तारीख तय की गई है।
इस मौके पर फाइलेरिया पर काबू के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन-डब्ल्यूएचओ-की नई दवा ‘आइवरमेक्टिन’ की भारत में लांचिंग भी होगी। फाइलेरिया पर काबू के लिए पायलट प्रॉजेक्ट तैयार किया गया है। भारत में इसकी शुरुआत के लिए वाराणसी को चुना गया है। यहां सभी लोगों को दवाएं खिलाने के एक साल बाद दवा के प्रयोग का परिणाम जांचा जाएगा। इसके आधार पर इसे देशभर में लागू करने का प्लान है। यह दवा लोगों को मुफ्त दी जाएगी। शहर और ग्रामीण इलाके के पांच साल के बच्चों से लेकर बूढ़ों तक को तीन दवाओं का डोज साल में एक बार दिया जाएगा।
इसके पहले भी, मोदी सरकार ने स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक योजनाएं लागू की हैं। एक नजर डालते हैं सरकार की ऐसी योजनाओं और पहलों पर।
योग बना जन आंदोलन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मजबूत पहल से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की मंजूरी मिली। साल 2014 में संयुक्त राष्ट्र के अपने संभाषण में पीएम मोदी ने दुनिया के देशों से योग को अपनाने की बात कही थी। जिसे पौने दो सौ से ज्यादा देशों का समर्थन मिला था। 21 जून 2015 को पहले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पीएम मोदी के साथ रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने राजपथ पर योग किया। मौजूदा सरकार ने अपने पहले ही वर्ष में यह बता दिया कि उसकी चिंता देश ही नहीं, विश्व जगत के स्वास्थ्य को लेकर भी है। योग आज जन आंदोलन का रूप ले चुका है। देश में योग करने वालों की संख्या काफी बढ़ी है।
अलग से आयुष मंत्रालय
जीवन को तनावमुक्त और बीमारियों को दूर रखने के लिए मोदी सरकार योग और आयुर्वेद को प्रोत्साहन देने में लगी है। इसके लिए एक अलग आयुष मंत्रालय बनाया गया।
आयुष्मान भारत योजना
23 सितंबर 2018 को झारखंड की राजधानी रांची में पीएम मोदी ने जब देश के 50 करोड़ लोगों के लिए इतनी बड़ी योजना का शुभारंभ किया, तो देश ही नहीं दुनिया को भी इस पर अचरज हुआ। सभी को यही लग रहा था कि भारत जैसा गरीब देश हर गरीब परिवार को साल में पांच लाख रुपये की सहायता की गारंटी कैसे दे सकता है? लेकिन, पीएम मोदी ने अपने जादुई इरादों से इसे पूरा करके दिखा दिया। तीन महीने से कम समय में ही इस योजना के जरिए ऑपरेशन कराने वाले गरीबों की संख्या तीन लाख से ज्यादा हो गई है। अब पूरी दुनिया में इसे एक मॉडल के तौर पर देखा जा रहा है।
मिशन इंद्रधनुष
25 दिसंबर 2014 को यह योजना बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के मकसद से लॉन्च की गई। मोदी सरकार नवजात शिशु और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दे रही है। मिशन इंद्रधनुष के तहत शिशुओं और माताओं का संपूर्ण टीकाकरण कर इस दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया गया है। इस योजना का उद्देश्य बच्चों में रोग-प्रतिरक्षण की प्रक्रिया को तेज गति देना है। देश के 528 जिलों में सवा तीन करोड़ से ज्यादा बच्चों और 84 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हुआ।
डायलिसिस कार्यक्रम
प्रधानमंत्री डायलिसिस कार्यक्रम गरीब और वंचित वर्ग के किडनी रोगियों के लिए मुफ्त डायलिसिस सेवाएं प्रदान करता है। इस कार्यक्रम के माध्यम से रियायती दरों पर सवा दो लाख मरीजों के लिए डायलिसिस के 22 लाख से ज्यादा सेशन किए गए। 500 से अधिक जिलों में यह कार्यक्रम चलाया गया है।
गैर संक्रामक रोगों पर पहल
गैर संक्रामक रोगों (NCD) जैसे कैंसर, मधुमेह और हृदय रोग की रोकथाम और नियंत्रण के कार्य को राष्ट्रीय कार्यक्रम के माध्यम से प्रबंधित किया जा रहा है। इसमें 356 जिला NCD क्लीनिक, 103 कार्डिएक केयर यूनिट, 71 डे केयर सेंटर और 1871 सीएचसी-एनसीडी क्लीनिक सामान्य एनसीडी के प्रबंधन के लिए हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत सरकार ने लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं देने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने स्वास्थ्य पर खर्च को जीडीपी का 2.5 फीसदी हिस्सा बनाने का भी लक्ष्य बनाया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रधानमंत्री मोदी की अत्यंत महत्वाकांक्षी योजना है, जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश के समस्त वर्गों का हित सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई है। इस योजना के लिए वर्ष 2017-18 के लिए 26,690 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
स्वास्थ्य मिशन के 4 घटक
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को कारगर बनाने के लिए सरकार ने इसे वर्गीकृत कर आसान बनाने का काम किया। इसके अंतर्गत 4 घटकों को शामिल किया गया, जो इस प्रकार हैं- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, शहरी स्वास्थ्य मिशन, तृतीयक देखभाल कार्यक्रम तथा स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा के लिए मानव संसाधन।
स्वास्थ्य एवं देखभाल केंद्र
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में इस नीति को भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की नींव के रूप में देखा गया है। इसके तहत करीब 5 लाख स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों के जरिए लोगों को उनके घर के आसपास आवश्यक दवाइयां और इलाज की सुविधाएं देने की परिकल्पना की गई है।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना
मोदी सरकार ने सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता के लिए सक्षम कर्मचारी और बेहतरीन बुनियादी ढांचे की दरकार को महसूस किया। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के माध्यम से मौजूदा सरकार इस क्षेत्र में छाये असंतुलन को दूर करने में जोर-शोर से जुट गई।
मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक
स्वास्थ्य सुरक्षा योजना में निचले से निचले तबके तक स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित करने का प्रयास है। इस योजना में देश के कमज़ोर इलाकों में मेडिकल शिक्षा, रिसर्च और क्लीनिकल केयर में सुधार लाने के साथ-साथ हेल्थकेयर की क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया। 70 मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक बनाए जाने पर भी काम शुरू किया गया।
कैंसर मरीजों को जल्द इलाज दिलाने की पहल
कैंसर के मरीजों को जल्द से जल्द इलाज मिल सके, इसके लिए मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर के अनुभव और विशेषज्ञता की मदद लेकर सरकार वाराणसी, चंडीगढ़, गुवाहाटी और विशाखापट्टम में कैंसर सेंटर खोलने की योजना पर काम कर रही है। 2014 में मोदी सरकार बनने के समय देश में कैंसर सेंटरों की संख्या 36 थी जो पहले तीन साल में 108 हो गई।
देश में चिकित्सा उपकरण बनाने पर जोर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इस बात पर जोर है कि चिकित्सा उपकरणों के मामले में भारत आत्मनिर्भर बने। भारत अपनी आवश्यकता का 70 फीसदी उपकरण विदेशों से आयात करता है। मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों से इस स्थिति को बदलने की तैयारी है।
बजट में वेलनेस सेंटर को मंजूरी
मोदी सरकार के 2018-19 के बजट में वेलनेस सेंटर पर जोर भी है। हेल्थ वेलनेस सेंटर बनाने के लिए 1200 करोड़ रुपये के फंड का प्रावधान किया गया है। सरकार का प्रयास है कि देश की हर बड़ी पंचायत में हेल्थ वेलनेस सेंटर बने।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान
इसके अंतर्गत सरकार डॉक्टरों से मुफ्त में इलाज करने का अनुरोध करती है। सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जनवरी 2018 तक 1 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच की जा चुकी है।
मातृत्व अवकाश अब 26 हफ्ते का
मोदी सरकार कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते का कर चुकी है। इससे महिलाओं को प्रसूति के लिए अवकाश लेने की सुविधा तो मिल ही रही है। अवकाश की अवधि में माताओं को बच्चे की अच्छी तरह से परवरिश करने का अवसर भी मिल रहा है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
मां और शिशु का उचित पोषण हो, इसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सुनिश्चित किया गया है। इसके अंतर्गत गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
राष्ट्रीय पोषण मिशन
इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस परराष्ट्रीय पोषण अभियान की शुरुआत की गई। इसका उद्देश्य है बच्चों और माताओं को सही पोषण देना। इस मिशन को करीब 9 हजार करोड़ रुपये की राशि के साथ शुरू किया गया है। बच्चों को तंदुरुस्त रखने के उद्देश्य के साथ ही इस मिशन के अंतर्गत आवश्यक पोषण और प्रशिक्षण, खासकर माताओं की ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है।
जन औषधि केंद्र
अपनी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए जनसामान्य को जरूरत की दवाइयां सस्ती कीमत पर मिल सकें, इसी दिशा में उठाया गया यह एक बड़ा कदम है। जन औषधि केंद्रों का संचालन केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय की निगरानी में हो रहा है। देश भर में 3000 से अधिक जन-औषधि केंद्र खोले गए, जहां 800 से ज्यादा दवाइयां कम कीमत पर उपलब्ध कराई जा रही हैं।
हार्ट स्टेंट की कीमतें अब बेहद कम
हृदय रोगियों के लिए हार्ट स्टेंट की कीमत 85 प्रतिशत तक कम हो गई है। दवा लगे स्टेंट (DES) की कीमत अब करीब 28 हजार रुपये पड़ती है। देश में 95 प्रतिशत दिल के मरीजों के लिए DES का ही इस्तेमाल होता है।
Knee implants की कीमतें भी बेहद कम
मोदी सरकार ने हार्ट स्टेंट के साथ ही Knee implants की कीमतों को भी नियंत्रित करने का काम किया है। सरकार के प्रयासों से इसके दाम में 50 से 70 प्रतिशत तक की गिरावट आई है।
दीनदयान अमृत योजना
इस योजना की शुरुआत जीवन रक्षक दवाएं कम कीमत पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई। इसके तहत 5200 से अधिक लाइफ सेविंग ब्रांडेड दवाइयों और सर्जिकल इम्प्लांट्स पर 60% से 90% तक की छूट दी जा रही है।
2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य
संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, जबकि भारत ने अपने लिए इस लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टीबी मुक्त भारत अभियान की नई रणनीति योजना को लॉन्च कर चुके हैं। पहले तीन वर्षों में इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।
गंभीर बीमारियों की दवाएं सस्ती
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने हार्ट और किडनी की गंभीर बीमारियों से जुड़ी दवाओं को सस्ता करने का निर्देश दिया। केंद्र सरकार ने इन बीमारियों से जुड़ी दवाओं समेत कुल 12 तरह की दवाओं पर 10 प्रतिशत से अधिक मुनाफा कमाने पर रोक लगा रखी है। इस फैसले से ये दवाएं 54 प्रतिशत सस्ती हुई हैं।
जनस्वास्थ्य के मामलों से कई मंत्रालय जोड़े गए
आम लोगों को स्वास्थ्य की समुचित सुविधाएं दी जा सकें, इसलिए अपनी योजनाओं से मोदी सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ कई और मंत्रालयों को जोड़ने का काम किया। सरकार ने अपनी मुहिम में स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ-साथ उपभोक्ता मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, पेय जल और स्वच्छता मंत्रालय को भी साथ-साथ रखा। इसका मकसद है सरकार की हर योजना की सफलता सुनिश्चित करना।
साफ अक्षर और मरीज की भाषा में हो दवाई का नुस्खा
केंद्र सरकार के आदेश पर भारतीय चिकित्सा परिषद (पेशेवर आचरण, शिष्टाचार और नीति ) विनियम में बदलाव किया गया है। सभी डॉक्टरों को आदेश दिया गया कि उनके द्वारा पठनीय और यथासंभव अंग्रेजी के बड़े अक्षरों में जेनरिक नाम से औषधियों का नाम लिखा जाना चाहिए। साथ ही डॉक्टरों से यह भी कहा गया कि दवाओं का नुस्खा एवं प्रयोग मरीजों को सरल भाषा में बताने की कोशिश हो।
डॉक्टरों और सुविधाओं की सप्लाई के लिए कदम
ग्रामीण भारत में डॉक्टरों की जो कमी महसूस की जा रही है उसे दूर करने के लिए सरकार ने मेडिकल की सीटें बढ़ाई हैं। आज देश में 85 हजार से ज्यादा अंडरग्रैजुएट और 46 हजार से ज्यादा पोस्ट ग्रैजुएट सीटें हैं। मोदी सरकार के सत्तासीन होने के समय 52 हजार अंडरग्रैजुएट और 30 हजार पोस्ट ग्रैजुएट सीटें थीं।
तीन संसदीय सीटों पर एक मेडिकल कॉलेज की योजना
मोदी सरकार की कोशिश है कि उन क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर मेडिकल कॉलेज खोले जाएं, जहां इसकी सर्वाधिक जरूरत है। इसी क्रम में कैबिनेट ने पिछली फरवरी में 24 मेडिकल कॉलेज खोले जाने को अपनी मंजूरी दी। सरकार की इस पहल से एमबीबीएस की 10 हजार जबकि पीजी की आठ हजार अतिरिक्त सीटें बढ़ेंगी।
पाठ्यक्रम के बाद ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देना अनिवार्य
ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में भी अच्छे डॉक्टर उपलब्ध हों, इसके लिए केंद्र सरकार के अनुमोदन पर भारतीय चिकित्सा परिषद ने चिकित्सा शिक्षा नियमों में कुछ सुधार किए। अब स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त करने वाले सभी चिकित्सकों को अनिवार्य रूप से दो साल दुर्गम क्षेत्रों में सेवा देनी होती है।
दुर्गम क्षेत्र में सेवा देने वाले डॉक्टरों को मिलेगी वरीयता
भारतीय चिकित्सा परिषद ने चिकित्सा शिक्षा नियमों में बदलाव करके स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत सीटें सरकारी सेवारत ऐसे चिकित्सा अधिकारियों के लिए आरक्षित कर दी हैं, जिन्होंने कम से कम 3 वर्ष की सेवा दुर्गम क्षेत्रों में की हो। वहीं, स्नातकोत्तर मेडिकल पाठ्यक्रमों में नामांकन कराने के लिए प्रवेश परीक्षा में दुर्गम क्षेत्रों में सेवा के लिए प्रति वर्ष के लिए 10 प्रतिशत अंक का वेटेज दिया जाएगा।
मलेरिया मुक्त भारत
मोदी सरकार ने जुलाई 2017 में देश से मलेरिया को खत्म करने के लिए National Strategic Plan for Malaria Elimination 2017-22 लॉन्च किया। पूर्वोत्तर भारत में लक्ष्य हासिल करने के बाद अब महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों पर जोर है। 2016 में सरकार ने National Framework for Malaria Elimination 2016-2030 जारी किया था।
स्वस्थ भारत मोबाइल एप
मोदी सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं को टेक्नोलॉजी से जोड़ने पर लगातार जोर रहा है। देश भर में मोबाइल फोन की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर स्वस्थ भारत मोबाइल एप्लीकेशन को लॉन्च किया गया। इससे लोग स्वस्थ जीवन शैली, बीमारी की स्थिति, लक्षण और इलाज के विकल्पों के बारे में जल्द जानकारियां हासिल कर पा रहे हैं।
घर बैठे अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट
मोदी सरकार ने देश के सरकारी अस्पतालों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम (ORS) शुरू किया। इसके तहत आधार के जरिये अस्पतालों में अप्वाइंटमेंट लिए जा रहे हैं।