सनातन संस्कृति में यूं तो धार्मिक उत्सव और पर्व वर्षभर ही आते हैं, लेकिन पवित्र सावन माह से लेकर कार्तिक मास तक पर्वों की छटा ही अनौखी और मनोहारी होती है। श्रद्धा और आस्था का सैलाब मंदिरों और देवालयों में उमड़ता है। ऐसे समय में ही इंडिया गठबंधन की सोच वाले लेफ्ट लिबरल गैंग और उनके कांग्रेसी समर्थक हिंदुओं के विरोध पर उतारू हो जाते हैं। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के राज में जहां गणपति विसर्जन की शोभायात्रा पर पथराव करके माहौल को बिगाड़ने की कोशिशें हुईं। वहीं, हिमाचल प्रदेश में मुस्लिमपरस्ती में कांग्रेस सरकार ने सैकड़ों हिंदुओं पर ही लाठीचार्ज करवा दिया। शिमला के संजौली में हजारों की संख्या में हिंदू संगठनों से जुड़े प्रदर्शनकारी संजौली पहुंचे। सरकार के इशारे पर हिंदुओं को तितर-बितर करने के लिए शिमला पुलिस ने खूब लाठी चार्ज किया। वॉटर कैनन का भी इस्तेमाल किया गया। इस दौरान कई लोग घायल भी हो गए। इसी के विरोध में शिमला के व्यापारियों ने आधे दिन बाजार भी बंद रखा।कर्नाटक में गणपति विसर्जन जुलूस पर दरगाह के सामने पथराव
देशभर में गणेश चतुर्थी से शुरू हो गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। लेकिन कई जगह सनातन के विरोधियों को यह रास नहीं आ रहा है। इनकी नापाक हरकतें यहां तक हो गई हैं कि ये भगवान की शोभायात्रा, जुलुस पर पथराव करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। कर्नाटक के मांड्या के नागमंगला में बुधवार रात गणपति विसर्जन जुलूस पर कुछ कट्टरपंथियों ने पथराव कर दिया। रात करीब 8 बजे मैसूर रोड पर बनी दरगाह के सामने पहुंचने पर विसर्जन जुलूस पर लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। इससे कई लोग चोटिल भी हो गए। इसके बाद में हिंदुओं ने प्रदर्शन किया। इसके विरोध में इलाके की कुछ दुकानों और वहां खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी गई। पुलिस ने हिंदुओं की भीड़ लाठीचार्ज भी किया।
पिछले साल भी मैसूर रोड पर बनी दरगाह के सामने हुआ था हंगामा
कन्नड़ न्यूज चैनलों के मुताबिक प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जुलूस पर पत्थरों के अलावा तलवार, रॉड और जूस की बॉटल से भी हमला किया गया। इस घटना में कई लोगों के अलावा 15 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। हिंदू समुदाय ने कार्रवाई की मांग करते हुए गणेश प्रतिमा को थाने के सामने रोक दिया था। पिछले साल भी बदरिकोप्पल के मैसूर रोड पर बनी इसी दरगाह के सामने हंगामा हुआ था। पुलिस ने बाद में 52 लोगों को हिरासत में लिया है। इलाके में 3 दिन के लिए BNS की धारा 163 (CrPC में यह धारा 144 थी) लागू कर दी गई है। घटना के विरोध में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने गुरुवार को बंद का आह्वान किया। इधर कलेक्टर ने नागमंगला में गुरुवार को स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी घोषित कर दी है।अवैध मस्जिद निर्माण के बावजूद शिमला में अराजकता का तांडव
कर्नाटक की तरह हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार हिंदुओं के विरोध पर उतारू है। सरकार की तुष्टिकरण की नीति का यह आलम है कि अवैध मस्जिद के निर्माण का भी विरोध करने पर हिंदुओं पर लाठीचार्ज कराया जा रहा है। यही वजह है कि संजौली का मस्जिद विवाद सिर्फ हिमाचल तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि पूरे देश में छाया हुआ है। ये है कि अवैध निर्माण का मामला कल या आज का नहीं है, बल्कि कई साल पुराना है और शिमला नगर निगम की अदालत में लंबित है। साल 2010 से ये मामला नगर निगम कोर्ट में चल रहा है। ऐसी भी जानकारी है कि नगर निगम की कोर्ट में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर नोटिस भी जारी किया, लेकिन फिर भी चार से पांच मंजिल अवैध तरीके से यहां खड़ी कर दी गईं। जब मामला इतना पुराना है तो अब 14 साल पहले लगी आग कि चिंगारी अचानक अब कैसे भड़की और हिंदू संगठनों को सड़कों पर क्यों उतरना पड़ा, आइए समझते हैं।
तुष्टिकरण में हिंदुओं पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन के प्रयोग से कई हुए घायल
पिछले महीने यानी कि अगस्त माह की बात है। संजौली के मल्याणा क्षेत्र में एक दुकान पर काम करने वाले 37 वर्ष के विक्रम सिंह के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की थी। मारपीट करने वाले कुछ लोगों में मुस्लिम थे। मामला इतना बढ़ गया कि आरोपियों ने विक्रम सिंह पर डंडे और रॉड से वार किया। इसके बाद पीड़ित बुरी तरह जख्मी हो गया। इसके बाद ऐसी सूचना सामने आई कि ये आरोपी वारदात को अंजाम देने के बाद उसी अवैध मस्जिद में आकर छिप गए। बस फिर क्या था, इस मामले ने देखते ही देखते तूल पकड़ लिया और फिर 14 साल पुराने अवैध निर्माण मामले की परतें खुलती गईं। शिमला के संजौली में हजारों की संख्या में हिंदू संगठनों से जुड़े प्रदर्शनकारी ने विरोध जताया। कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण की नीति के चलते शिमला पुलिस ने लोगों पर लाठी चार्ज किया। वॉटर कैनन का भी इस्तेमाल किया गया। इस दौरान कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए।शिमला एसपी और अवैध मस्जिद के खिलाफ कार्रवाई की मांग
इसी के विरोध में शिमला के व्यापारियों ने सुबह 10.00 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक बाजार बंद रखा। शिमला व्यापार मंडल ने शेर-ए-पंजाब चौक से सीटीओ चौक तक विरोध मार्च निकाला। इस दौरान व्यापारियों ने राज्य की कांग्रेस सरकार और शिमला जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। इसके अलावा शिमला पुलिस अधीक्षक और शिमला पुलिस के खिलाफ भी नारेबाजी की गई। स्थानीय व्यापारी शिमला पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी की बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही जल्द से जल्द संजौली में बनी मस्जिद में हुए अवैध निर्माण पर भी जल्द कार्रवाई की मांग की है। सीटीओ चौक पर पहुंचकर व्यापारियों और स्थानीय लोगों ने हनुमान चालीसा का भी पाठ किया।
शिमला के व्यापारियों और हिंदू संगठनों ने पढ़ी हनुमान चालीसा
मामला सियासत कर ही नहीं रहा, बल्कि दो धर्मों की लड़ाई में भी तब्दील हो गया। संजौली मस्जिद अवैध निर्माण का मामला इतना गर्मा गया कि हिंदू संगठनों का प्रदर्शन लगातार जारी है। चौड़ा मैदान से लेकर संजौली तक हजारों की संख्या में हिंदू संगठनों के लोगों ने अवैध रूप से बनी मस्जिद को तोड़ने की मांग की। देव भूमि क्षत्रिय संगठन की ओर से हिंदू संगठनों को संजौली चलो का एक आह्वान किया गया। यहीं नहीं, हिंदू संगठन के सदस्यों ने हनुमान चालीसा पढ़ा और हिंदू देवी-देवताओं के नारे भी लगाए। एक समय चौड़ा मैदान हर हर महादेव, राधे राधे से लेकर जय श्रीराम के नारों से गूंजता रहा।
मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर सियासी हलचल
मंत्री ही बोले- मस्जिद पूरी तरह अवैध
मस्जिद के अवैध निर्माण का मामला हिमाचल विधानसभा में भी गूंजा। यहां तक कि सुक्खू सरकार के मंत्री और कुसुंपटी के कांग्रेस विधायक अनिरूद्व सिंह ने पूरी मस्जिद को ही अवैध बता दिया। इस दौरान उन्होंने लव जिहाद का मुद्दा तो उठाया ही, साथ ही शिमला में रोहिंग्यों के होने का भी जिक्र कर दिया।
मोहब्बत की दुकान में नफरत ही नफरत-ओवेसी
संजौली मस्जिद विवाद को लेकर विधानसभा में कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह के बयान पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के ‘मोहब्बत की दुकान’ के नारे को लेकर तंज कसते हुए कहा कि हिमाचल कांग्रेस की मोहब्बत की दुकान में नफरत ही नफरत है।
विक्रमादित्य बोले- गिराई जाएगी मस्जिद
पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने एएनआई से एक बातचीत में कहा कि यदि कोर्ट मस्जिद को अवैध बताती है तो उसे गिराया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मामला न्यायालय में है। यदि यह अवैध पाई जाती है तो निश्चित तौर पर उसे कानून की प्रक्रिया के तहत तोड़ा जाएगा। हालांकि, ये म्यूनिसिपल कमिश्नर के आदेश के बाद ही किया जा सकता है।