प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में जुटी है। इसी क्रम में मोदी सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ (पीएम-जेवाई) की शुरुआत की थी, जिसने आज (23 सितंबर, 2021) तीन साल पूरा कर लिया। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर कहा कि यह योजना पिछले तीन सालों से गरीबों के इलाज में अहम भूमिका निभा रही हैं। दवाओं की लागत, उपचार सहित विभिन्न प्रकार के खर्च की चिंता से मुक्त करते हुए यह योजना गरीब को बेहतर इलाज सुनिश्चित कर रही है। इस योजना के तहत हर मिनट 14 लोगों को अस्पताल में दाखिला मिल रहा है। अब तक 2.19 करोड़ लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं।
इस योजना के तीन साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा, ‘पिछले वर्ष में स्वास्थ्य सेवा के महत्व को और भी स्पष्ट रूप से समझा गया है। यह हमारे नागरिकों के लिए उच्च गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिबद्धता है। आयुष्मान भारत पीएम-जय इस दृष्टि को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह योजना गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है।’
The importance of healthcare has been even more clearly understood in the year gone by.
It is our commitment to ensure top quality and affordable healthcare for our citizens. Ayushman Bharat PM-JAY is key to realising this vision. #3YearsofPMJAY https://t.co/NHKWgTYsY5
— Narendra Modi (@narendramodi) September 23, 2021
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के जीवन स्तर को सुधारने की है। आयुष्मान भारत योजना से करोड़ों लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध हुई है और निरंतर यह योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि यह योजना उन गरीबों का बेहतर इलाज सुनिश्चित कर रही है, जिन्हें महंगा इलाज और दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिससे 50 करोड़ लाभार्थी मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्राप्त कर सकते हैं।
सेवा और उत्कर्ष के 3 वर्ष!
PM @NarendraModi जी की सोच अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति का जीवन स्तर उंचा करने की रही है। आयुष्मान भारत योजना से करोड़ों लोगों को मुफ़्त इलाज की सुविधा उपलब्ध हुई है और निरंतर यह योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही है। #3YearsofPMJAY pic.twitter.com/3uQu2Gcmod
— Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) September 23, 2021
इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत से लेकर अब तक इसके सफल संचालन की दिशा में मोदी सरकार की तरफ से 26 हजार 316 करोड़ रुपये स्वीकृत किए जा चुके हैं। अब तक कुल 24 हजार सार्वजनिक व निजी अस्पतालों को इस योजना के तहत सूचीबद्ध किया जा चुका है और औसतन प्रतिदिन 22 अस्पतालों को सूचीबद्ध किया जा रहा है। इस योजना के तहत अब तक 16.5 करोड़ व्यक्तिगत लाभार्थियों को सत्यापित कर आयुष्मान कार्ड प्रदान किए गए है। वहीं, प्रति मिनट औसतन 105 कार्ड जारी किए जाते हैं।
यह योजना गरीबों के लिए काफी मददगार साबित हो रही है। पहले इलाज के लिए अग्रिम नकदी देने में गरीब अक्सर असमर्थ होते हैं। लेकिन इस योजना से गरीबों को राहत मिली है। इसके अंतर्गत 1600 से अधिक चिकित्सा प्रक्रियाओं को शामिल किया गया है। पहले परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण महिलाएं स्वास्थ्य सेवा से वंचित रह जाती थी। इस योजना ने अब असमानता को दूर कर दिया है। इस योजना की करीब 50 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। 141 स्वास्थ्य लाभ पैकेज विशेष रूप से महिलओं के लिए डिजाइन किए गए हैं। कोरोना महामारी के समय भी यह योजना सहायक रही। इसके तहत 20 लाख से अधिक कोविड-19 की जांच की गई। 7.25 लाख लाभार्थियों का इलाज किया गया, जिस पर 2,800 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 सितंबर, 2018 को झारखंड की राजधानी रांची में इस योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ़्त इलाज माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 10.74 करोड़ से भी अधिक गरीब और वंचित परिवारों (या लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों को) मुहैया कराना जो भारतीय आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं। मोदी सरकार इस जन आरोग्य योजना को और सुगम और सरल बनाने की कोशिश में जुटी है, ताकि अधिक-से-अधिक गरीब परिवार इसका लाभ उठा सकें। इसके लिए एक वेबसाइट mera.pmjay.gov.in और टोल फ्री नंबर 14555 और टोल फ्री नंबर 1800-111-565 जारी किया जा चुका है। इसकी मदद से कोई भी जान सकता है कि उसका परिवार लाभार्थियों में शामिल है या नहीं।
आइए जानते हैं, मोदी सरकार किस तरह ‘स्वस्थ भारत’ के सपने को साकार करने के लिए अथक प्रयास कर रही है…
2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘स्वस्थ भारत’ के सपने को साकार करने का संकल्प लिया। इस संकल्प को पूरा करने के लिए पिछले 7 सालों से मोदी सरकार अथक प्रयास कर रही है। मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाएं आज गरीब और असहाय लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है।
कोरोना काल में वरदान ई-संजीवनी सेवा
मोदी राज में चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक सुधार किया गया है। इसी क्रम में राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी ने 1.2 करोड़ से अधिक परामर्श पूरे कर लिए हैं। ई-संजीवनी से देश भर में प्रतिदिन लगभग 90,000 रोगियों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है। ई-संजीवनी राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा शहरी और ग्रामीण भारत में मौजूद डिजिटल स्वास्थ्य अंतर को समाप्त कर रही है। यह अस्पतालों पर बोझ को कम करते हुए जमीनी स्तर पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी को दूर करने का काम कर रही है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी दो माध्यम से सेवा मुहैया कराती है। ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी (डॉक्टर टू डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म) और ईसंजीवनीओपीडी (रोगी से डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म) मॉडल पर आधारित है जो लोगों को उनके घरों के पास आउट पेशेंट सेवाएं प्रदान करती है।
ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी (eSanjeevani AB-HWC)
ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी को नवंबर 2019 में शुरू किया गया था। इसने करीब 67 लाख परामर्श पूरे कर लिए हैं। इसे आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों पर लागू किया जा रहा है। आंध्र प्रदेश ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी सेवाओं को शुरू करने वाला पहला राज्य था। इसके लागू होने के बाद से, विभिन्न राज्यों में 2000 से अधिक हब और लगभग 28,000 स्पोक स्थापित किए गए हैं।
ईसंजीवनीओपीडी (eSanjeevaniOPD)
ईसंजीवनीओपीडी को 13 अप्रैल 2020 को पहले लॉकडाउन के दौरान शुरू किया गया था, जब सभी ओपीडी बंद थे। ईसंजीवनीओपीडी आउट पेशेंट स्वास्थ्य सेवाओं के इलाज मुहैया कराने का टेलीमेडिसिन मॉडल है। अब तक, ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से 51 लाख से अधिक रोगियों की सेवा की जा चुकी है। देश के मुख्य चिकित्सा संस्थान जैसे एम्स बठिंडा (पंजाब), बीबीनगर (तेलंगाना), कल्याणी (पश्चिम बंगाल), ऋषिकेश (उत्तराखंड), किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) आदि भी ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से आउट पेशेंट स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
मोदी राज में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में क्रांतिकारी सुधार, लोगों को मिल रही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर संभालते ही स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए प्रयास शुरू कर दिए। एम्स के निर्माण, मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में सीटें बढ़ाने,आयुष्मान भारत योजना, जनऔषधि केंद्र खोलने जैसे तमाम कदम उठाए। जब कोरोना की नई चुनौती आई, तो उसे लड़ने के लिए देश के पास वेंटिलेटर्स, पीपीई किट, मास्क और कई अन्य सुविधाओं की कमी थी। लेकिन मोदी सरकार ने चुनौती को अवसर में बदल दिया। इसका नतीजा है कि आज भारत न सिर्फ महामारी का मजबूती से सामना कर रहा है, बल्कि दूसरे देशों की भी मदद कर रहा है। आइए एक नजर डालते हैं किस तरह मोदी सरकार के सात सालों के प्रयास पिछले 70 सालों के प्रयासों पर भारी पड़ रहे हैं।
एम्स की संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी
एम्स अपनी क्वालिटी और सस्ते इलाज के लिए जाने जाते हैं। जब मरीज सब जगह इलाज कराने के बाद थक चुका होता है तो एम्स पहुंचता है। उसे एम्स पर पूरा भरोसा होता है कि यहां बेहतर इलाज मिलेगा और बीमारी दूर होगी। लेकिन देश का दुर्भाग्य था कि दशकों तक एम्स के निर्माण पर ध्यान नहीं दिया गया। 1956 में दिल्ली में एम्स का निर्माण किया गया था। इसके बाद वाजपेयी सरकार में इसके निर्माण की दिशा में पहल की गई। 2014 तक देश में 6 एम्स थे। मोदी सरकार ने एम्स के निर्माण पर ध्यान दिया और 15 एम्स बनाने की मंजूरी दी। इस तरह निर्माणाधीन और सेवारत एम्स की कुल संख्या बढ़ कर 21 तक पहुंच गई।
मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 48 प्रतिशत की छलांग
भारत डॉक्टर-पेशेंट रेशो के मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मापदंडों से काफी पीछे है। इस गैप को पाटने और लोगों को आसानी से इलाज की सुविधा उपलब्ध हो सके इसके लिए मोदी सरकार ने मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। हैरानी की बात है कि 2014 में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 381 थी। मोदी सरकार आने के बाद इसमें 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2020 में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर 565 तक पहुंच गई। नये मेडिकल कॉलेज खुलने से देश में मेडिकल की सीटों में बढ़ोतरी हुई।
स्वास्थ्य को लेकर मोदी सरकार का 4 Pillar पर फोकस
पूर्व की सरकारों के विपरीत मौजूदा मोदी सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र को वर्गों में बंटकर देखने के बजाय समग्र रूप से देख रही है। मोदी सरकार स्वस्थ्य भारत की दिशा में चौतरफा रणनीति पर काम कर रही है। स्वास्थ्य संबंधी वास्तविक जरूरतों को समझते हुए हेल्थ सेक्टर से जुड़े अभियानों में स्वच्छता मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, उपभोक्ता मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी शामिल किया गया। इन सब मंत्रालयों को मिलाकर चार Pillars पर फोकस किया जा रहा है जिनसे लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
- Preventive Health – इसके तहत स्वच्छता, योग और टीकाकरण को बढ़ावा देने वाले अभियान शामिल हैं जिनसे बीमारियों को दूर रखा जा सके।
- Affordable Healthcare – इसके अंतर्गत जनसामान्य के लिए सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
- Supply side interventions – इसमें उन कदमों पर जोर है जिनसे किसी दुर्गम क्षेत्र में भी ना तो डॉक्टरों और ना ही अस्पतालों की कमी हो।
- Mission mode intervention – इसमें माता और शिशु की समुचित देखभाल पर बल दिया जा रहा है।
इन चार Pillars के आधार पर ही मोदी सरकार ने हेल्थकेयर से जुड़ी अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाया है।
कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई
कोरोना महामारी से निपटने के लिए मेडिकल उपकरण से लेकर दवाइओं, वेंटिलेटर से लेकर वैक्सीन, वैज्ञानिक अनुसंधान से लेकर निगरानी संरचना, डॉक्टरों से लेकर महामारी विज्ञानियों सब पर फोकस किया गया है। ताकि वर्तमान और भविष्य में देश किसी स्वास्थ्य आपदा से निपटने में बेहतर रूप से तैयार हो। जिस तरह मोदी सरकार टीकाकरण अभियान में रिकॉर्ड तोड़ उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। उसको देखते हुए आज पूरा विश्व भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की मजबूती और दृढ़ता की खुलकर प्रशंसा कर रहा है। कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र ने अपने अनुभव और योग्यता को दिखाया है।
तेज़ी से टीकाकरण में भारत दुनिया में सबसे आगे
भारत इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चला रहा है। वैक्सीनेशन अभियान में भारत नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। देश भर में चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 83 करोड़ से अधिक कोरोना टीके लगाए गए हैं।
‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ के जरिए अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति
जब देश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने लगे, तो अस्पतालों पर कोरोना मरीजों के बढ़ते दबाव और ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए मोदी सरकार ने 9 सेक्टरों को छोड़कर अन्य उद्योगों को ऑक्सीजन की सप्लाई बंद करने और ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ चलाने का बड़ा फैसला किया। रेलवे मंत्रालय ने राज्यों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ के जरिए लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) और ऑक्सीजन सिलेंडरों की आपूर्ति की और मरीजों की जान बचाने का काम किया।
हेल्थ सेक्टर के बजट में लगभग ढाई गुना वृद्धि
मोदी सरकार के बजट 2021 में स्वास्थ्य सेक्टर के लिए आवंटन में अच्छी-खासी वृद्धि की गई, जिसका हर किसी ने तारीफ की। मोदी सरकार ने आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में स्वास्थ्य सेक्टर के लिए 2.2 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया। इस तरह स्वास्थ्य सेक्टर के लिए बजट को दोगुना से अधिक कर दिया गया। कोविड के खिलाफ वैक्सीनेशन के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव सकारात्मक कदम है। ‘क्रिटिकल केयर ब्लॉक’ बनाने की घोषणा एक अभिनव पहल सरीखी है। यदि यह अमल में आई तो विभिन्न हादसों में गंभीर रूप से घायल और गंभीर बीमारियों से पीड़ित ज्यादा से ज्यादा मरीजों की जान बचाई जा सकेगी।
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के शुभारंभ की घोषणा की। इसके तहत सभी नागरिकों को स्वास्थ्य पहचान पत्र दिए जाएंगे। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन प्रत्येक भारतीय नागरिक को देश भर में स्वास्थ्य सेवा में परेशानी मुक्त पहुंच के लिए एक अनूठा स्वास्थ्य खाता रखने में सक्षम करेगा। इस एकमात्र स्वास्थ्य पहचान पत्र में प्रत्येक जांच, प्रत्येक बीमारी, डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाइयां, रिपोर्ट और संबंधित सूचनाएं रहेंगी। पूरी तरह से प्रौद्योगिकी आधारित इस पहल से स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति आने की उम्मीद है।
मेडिकल डिवाइस की कीमत पर लगी लगाम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार लगातार चिकित्सा सुविधाओं को सस्ता और सुलभ बनाने के प्रयासों में लगी है। मोदी सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए 1 अप्रैल, 2020 से सिरिंज, डिजिटल थर्मामीटर, स्टेंट डायलिसिस मशीन जैसी तमाम मेडिकल डिवाइस को ड्रग्स की श्रेणी में ला दिया। इसका मतलब यह है कि इनकी गुणवत्ता और कीमत पर सरकार उसी तरह से नियंत्रण कर सकेगी जैसा कि दवाओं के मामले में होता है। मोदी सरकार ने इन मेडिकल मशीनरी की कीमतों पर अंकुश के लिहाज से सरकार ने यह कदम उठाया। यानि अब स्टेंट से लेकर डिजिटल थर्मामीटर तक तमाम मेडिकल डिवाइस सस्ते मिलने लगे हैं और इनकी कीमतों में मनमानी बढ़त पर लगाम लगी है।
स्वच्छ भारत अभियान से बढ़ी स्वच्छता कवरेज
स्वच्छता अभियान लोगों के बीच इस संदेश को देने में सफल रहा है कि गंदगी अपने साथ बीमारियां लेकर आती है, जबकि स्वच्छता रोगों को दूर भगाती है। देश के अधिकतर गांव खुले में शौच से मुक्त घोषित किए जा चुके हैं।
योग बना जन आंदोलन
मोदी सरकार ने अपने पहले ही वर्ष में यह बता दिया कि उसकी चिंता देश ही नहीं, विश्व जगत के स्वास्थ्य को लेकर है। आयुष मंत्रालय के सक्रिय होने से योग आज दुनिया भर में एक जन आंदोलन बन रहा है। खुद को तनावमुक्त और सेहतमंद रखने के लिए देश में योग करने वालों की संख्या पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है। इतना ही नहीं योग की ट्रेनिंग से जुड़े रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।
मिशन इंद्रधनुष से संपूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य
देश के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि यदि टीके से किसी रोग का इलाज संभव है तो किसी भी बच्चे को टीके का अभाव नहीं होना चाहिए। 25 दिसंबर 2014 को शुरू की गई मिशन इंद्रधनुष योजना के तहत 13 सितंबर, 2021 तक 3.86 करोड़ बच्चों को टीका लगाया जा चुका है। इस योजना को बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के मकसद से लॉन्च किया गया था। इसके तहत बच्चों के लिए सात बीमारियों- डिप्थीरिया, काली खांसी, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस बी से लड़ने के लिए वैक्सीनेशन की व्यवस्था है। इस कार्यक्रम के जरिए मोदी सरकार ने दो वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे और उन गर्भवती माताओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखा जो टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत यह सुविधा नहीं पा सके।
बजट में वेलनेस सेंटर को मंजूरी
मोदी सरकार देश की हर बड़ी पंचायत में हेल्थ वेलनेस सेंटर खोलने का प्रयास कर रही है। वेलनेंस सेंटर में इलाज के साथ-साथ जांच की सुविधा भी होगी। इतना ही नहीं इस पर भी काम चल रहा है कि जिला अस्पताल में मरीजों को जो दवाएं लिखी जाती हैं वे उन्हें अपने घर के पास के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में उपलब्ध हों।
जन औषधि केंद्र में सस्ती दवाएं
अपनी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए जनसामान्य को जरूरत की दवाइयां सस्ती कीमत पर मिल सके इसी दिशा में उठाया गया यह एक बड़ा कदम है। जन औषधि केंद्रों का संचालन केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय की निगरानी में हो रहा है। 13 सितंबर,2021 तक देश में 8,201 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। रसायन और उवर्रक मंत्रालय के अनुसार सरकार की देश भर में जनऔषधि केंद्रों यानि पीएमबीजेके की संख्या बढ़ाकर 10,500 करने की योजना है। मंत्रालय के मुताबिक संख्या में ये बढ़त मार्च 2025 तक पूरा करने की योजना है।
सुरक्षित मातृत्व से जुड़ी अनेक पहल
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान – इसके अंतर्गत सरकार डॉक्टरों से मुफ्त में इलाज करने का अनुरोध करती है। सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच की जाती है।
मातृत्व अवकाश अब 26 हफ्ते का – मोदी सरकार कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते का कर चुकी है। इससे महिलाओं को प्रसूति के लिए अवकाश लेने की सुविधा तो मिल ही रही है, अवकाश की अवधि में माताओं को बच्चे की अच्छी तरह से परवरिश करने का अवसर भी मिल रहा है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना – मां और शिशु का उचित पोषण हो, इसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सुनिश्चित किया गया है। इसके अंतर्गत गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य
संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, जबकि भारत ने अपने लिए इस लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टीबी मुक्त भारत अभियान की नई रणनीति योजना को लॉन्च कर चुके हैं। पहले तीन वर्षों में इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
मलेरिया मुक्त भारत की योजना
मोदी सरकार ने जुलाई 2017 में देश से मलेरिया को खत्म करने के लिए National Strategic Plan for Malaria Elimination 2017-22 लॉन्च किया। पूर्वोत्तर भारत में लक्ष्य हासिल करने के बाद अब महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों पर जोर है। 2016 में सरकार ने National Framework for Malaria Elimination 2016-2030 जारी किया था।
घर बैठे अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट
अस्पताल में किसी मरीज को दिखाने ले जाने पर लंबी-लंबी लाइनों से कैसे जूझना पड़ता है, यह हर किसी को पता है। ऐसे में कई बार मरीजों की हालत और भी गंभीर हो जाती है। मरीजों और उनके परिजनों की इसी परेशानी को महसूस करते हुए मोदी सरकार ने देश के सरकारी अस्पतालों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम (ORS) शुरू किया। इसके तहत आधार के जरिए अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट लिए जा रहे हैं। अब तक लाखों मरीज ई-हॉस्पिटल अप्वॉइंटमेंट्स ले चुके हैं।
फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में नेशनल स्पोर्ट्स डे पर फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत की। इस मौके प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि था कि फिटनेस हमारे जीवन का अभिन्न अंग रहा है, लेकिन इधर फिटनेस को लेकर हमारी सोसाइटी में उदासीनता आ गई है। पहले लोग 10-12 किलोमीटर पैदल चल लिया करते थे, लेकिन जैसे ही आधुनिक साधन आए, लोगों की फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई, टेक्नोलॉजी हावी हो गई है। बहुत सारे लोग हैं जो अपनी फिटनेस पर ध्यान ही नहीं देते, कुछ लोग और भी विशेष हैं, कुछ चीजें फैशन स्टेटमेंट हो जाती हैं। कई लोग खुद ज्यादा खाते हैं लेकिन डाइटिंग पर भाषण देते रहते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसी बीमारी से निजात पाने के लिए फिटनेस हमारे जीवन का सहज हिस्सा रहा है व्यायाम से ही स्वास्थ्य, लंबी आयु और सुख की प्राप्ति होती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि निरोग होना सबसे बड़े भाग्य की बात है। स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं। लेकिन बीतते समय के साथ अब सुनने को मिलता है कि स्वार्थ से सब कुछ सिद्ध होता है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर से स्वार्थ भाव को छोड़कर स्वास्थ्य भाव को पाना है।