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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप से बीएसएफ जवान की सजा हुई वापस

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जन सामान्य के लिए कितने फिक्रमंद और संवेदनशील हैं, इसकी झलक एक बार फिर देखने को मिली है। बीएसएफ के एक जवान को 7 दिन की सैलरी काटने की सजा दी गई। जवान की गलती इतनी थी कि उसने परेड की रिपोर्ट देते वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लिखने के दौरान श्री या माननीय नहीं लगाया था। इसको कमांडिंग अफसर ने अनुशासनहीनता माना और उस पर कार्रवाई की।

प्रतीकात्म तस्वीर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस घटना की जानकारी हुई। सजा के पीछे के कारण को जानने के बाद उन्होंने तुरंत बीएसएफ के डीजी से बात की और सजा वापस लेने को कहा। इसके साथ ही पीएम मोदी ने बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कमांडेंट अनूप लाल भगत को भविष्य में ऐसा नहीं करने की सलाह दी है। बीएसएफ के भी कुछ अधिकारियों ने भी माना कि इस तरह की घटनाओं को बातचीत के आधार पर भी सुलझाया जा सकता है।

क्या थी घटना
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में अपने डेली रुटीन के बाद, बीएसएफ के जवान संजीव कुमार ने 21 फरवरी, 2018 को रिपोर्ट देते हुए ‘मोदी कार्यक्रम’ शब्द का प्रयोग किया। प्रधानमंत्री के नाम के आगे श्री या माननीय नहीं लगाने पर कमांडिंग अफसर कमांडर अनूप लाल भगत नाराज हो गए और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया। बीएसएफ एक्ट की धारा 40 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए जवान का 7 दिन का वेटन काट लिया गया।

एक जवान के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इतने संवेदनशील हैं कि त्वरित रूप से उन्होंने बीएसएफ के डीजी से बात की। हालांकि यह कोई पहली घटना नहीं है। वह अक्सर जन सामान्य के प्रति अपनी भावनाओं का प्रकट करते रहे हैं। 

भीड़ के बीच में दिव्यांग युवक से हाथ मिलाकर हालचाल जाना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संवेदनशील व्यक्ति हैं। प्रधानमंत्री की मानवीय संवेदना गुजरात चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के दिन 14 दिसंबर, 2017 को भी दिखाई दी। पीएम मोदी मतदान करने के बाद पोलिंग बूथ से बाहर आए और लोगों का अभिवादन स्वीकार करने के लिए आगे बढ़ रहे थे। तब पोलिंग बूथ के आस-पास हजारों लोगों की भीड़ थी। भीड़ में जब प्रधानमंत्री मोदी लोगों का अभिवादन कर रहे थे। अचानक भीड़ में वह दिव्यांग युवक को देखकर रुक गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने उस दिव्यांग युवक का हाल-चाल पूछा था। इससे पहले प्रधानमंत्री जब काफिले से उतरे तो उन्होंने सुरक्षा घेरा तोड़कर भीड़ में खड़े बड़े भाई सोमाभाई मोदी के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद भी लिया था।

रैली में हमशक्ल के रूप में मौजूद बच्चे को मंच पर बुलाकर किया सम्मान
गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान 30 नवंबर, 2017 को पीएम मोदी नवासारी में जनसभा को संबोधित करने आए थे। इस बीच उनकी नजर एक पांच साल के बच्चे पर गई जो बिल्कुल उनके गेट अप में उन्हें सुनने पिता के साथ आया था। पीएम ने बच्चे को मंच पर बुलाकर दुलार किया। पांच साल के उस बच्चे का नाम राजबीर घामेचा है और वह कैंसर से पीड़ित है। कैंसर पीड़ित बच्चा पीएम का बड़ा प्रशंसक है और उसका सपना प्रधानमंत्री से हाथ मिलाने का था। पीएम को जैसे ही पता लगा कि बच्चे को कैंसर है तो उन्होंने बच्चे से उसका हालचाल पूछा और ढेर सारी बातें भी की। उन्होंने राजबीर से हाथ उठाकर जनता का अभिवादन करने को भी कहा। प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के बाद बच्चे ने कहा कि उसका सपना पूरा हो गया है, अब मोदी मेरे बेस्ट फ्रेंड हैं।

‘मन की बात’ ने बदला दीक्षा का जीवन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम ‘मन की बात’ के दौरान छात्रों से की गई अपील किस तरह से किसी की जिंदगी बदल सकती है, उसका उदाहरण है बुलंदशहर की 11वीं कक्षा की छात्रा दीक्षा। दीक्षा ने 10वीं में 81.16 प्रतिशत अंक हासिल कर अपने स्कूल में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। दीक्षा ने इस उपलब्धि का सारा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया। 

दीक्षा का कहना है कि वह ऐसा इसलिए कर पाई क्योंकि पीएम मोदी ने एक बार ‘मन की बात’ में कहा था कि परीक्षा को उत्सव की तरह मनाएं। पीएम मोदी की बातों को मानकर तनाव दूर करने के लिए दीक्षा ने संगीत का सहारा लिया। उनकी बातों को अमल में लाकर वह परीक्षा के मानसिक तनाव से उबर सकीं और 10वीं बोर्ड की परीक्षा में सफलता प्राप्त की।

प्रधानमंत्री से मिला हर पत्र का जवाब 
दीक्षा ने परीक्षा पास करने के बाद पीएम मोदी को एक पत्र लिखा, जिसके जवाब में प्रधानमंत्री ने उन्हें बधाई देते हुए ‘मन की बात’ सुनने के लिए धन्यवाद दिया। आईपीएस अधिकारी बनने की चाह रखने वाली दीक्षा इससे पहले भी 6 बार प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख चुकी हैं। हर बार उन्हें प्रधानमंत्री की तरफ से जवाब जरूर मिला है, जिससे वो काफी उत्साहित हैं। दीक्षा की इस उपलब्धि से स्कूल के शिक्षक और उनके अभिभावक भी काफी गदगद हैं। 

पीएम के संबोधन में अपना नाम सुनकर गौरवांवित हुआ रोशन  
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 नवंबर को कुल्लू-मनाली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए भीड़ में शामिल रोशन ठाकुर का नाम लिया, तब उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा। रोशन ने कभी सोचा भी नहीं था कि प्रधानमंत्री जनता के सामने भीड़ में इस तरह से अभिनंदन करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने रैली में अपने पैराग्लाइडिंग के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि वह पहले पैराग्लाइडिंग सीखने सोलांग घाटी आते थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में पैराग्लाइडिंग सीखाने वाले वाले रोशन ठाकुर का भी नाम लिया। संयोग से रोशन ठाकुर उस समय रैली में आए हुए थे। प्रधानमंत्री के संबोधन में अपना नाम सुनकर रोशन काफी भावुक हो गए। उन्होंने कहा है कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री को उनका नाम याद है। 

पीएम को पत्र लिखने के बाद दर्ज हुआ चोरी का केस
पूर्वी दिल्ली के गीता कॉलोनी थाना के झील खुरंजा में रहने वाले सुरेंद्र कुमार ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में बेटी के ब्याह के लिए संजोकर रखी संपत्ति चोरी होने की पीड़ा बयां की। भारतीय डाक सेवा से रिटायर डाकिया सुरेंद्र कुमार ने पत्र में लिखा कि उन्होंने बेटी की शादी के लिए जिंदगीभर की कमाई से बचाकर कुछ गहने खरीदे थे। 23 अगस्त 2016 को पत्‍‌नी की असमय मौत हो गई, इसलिए बेटी का हाथ पीला नहीं कर सके। वह पत्‍‌नी की मौत के सदमे से उबर भी नहीं पाए थे कि 9 अगस्त 2017 को चोरों ने पूरा घर साफ कर दिया। वह थाने के चक्कर लगाते रहे, लेकिन पुलिस ने मामला तक दर्ज नहीं किया। अब प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के बाद एफआईआर दर्ज कर ली गई है। 

बच्ची की शिकायत पर बदला राजघाट पर तैनात पूरा स्टाफ
इसके पहले सातवीं क्लास की एक बच्ची की शिकायत पर दिल्ली में राजघाट पर तैनात पूरे स्टाफ को बदल दिया गया। पंजाब में पटियाला के सनौर की रहने वाली हश्मिता अपने परिवार के साथ नई दिल्ली में महात्मा गांधी की समाधि पर गई थी। समाधि से पहले जूते रखने के लिए काउंटर बने हुए हैं। यहां जूते रखने के लिए एक रुपये का शुल्क लिया जाता है। यहां हश्मिता ने देखा कि काउंटर पर तैनात कर्मचारी विदेशी पर्यटकों से एक सौ रुपये तक वसूल रहे हैं। 13 साल की हश्मिता को यह बात अच्छी नहीं लगी। इस बारे में उसने अपने माता-पिता से भी बात की। हश्मिता को लगा कि इससे विदेशियों के सामने देश की छवि खराब होगी।

घर लौटने के बाद हश्मिता ने इस बारे में प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी लिखकर शिकायत की। उसके पास पीएम मोदी का पूरा पता नहीं था, इसीलिए चिट्ठी पर सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नई दिल्ली लिखा। इतना भर लिखने पर भी पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंच गया और इस पर तुरंत कार्रवाई की गई। हश्मिता की शिकायत के बाद राजघाट पर तैनात सभी स्टाफ को बदल दिया गया। इसके साथ ही सीसीटीवी कैमरे भी लगा दिए गए। हश्मिता ने सोचा भी नहीं था कि महज एक चिट्ठी लिखने भर से पीएम मोदी इतनी जल्दी कार्रवाई करेंगे।

अनाथ बच्चों की मदद
नोटबंदी के दौरान पुराने नोट बदलने की समयसीमा खत्म होने के बाद कोटा के दो अनाथ बच्चों सूरज और सलोनी बंजारा को अपने घर से 96,500 रुपए के पुराने नोट मिले थे। हिंदु्स्तान टाइम्स अखबार की खबर के मुताबिक समय सीमा खत्म हो जाने के कारण रिजर्व बैंक ने इन नोटों को बदलने से इनकार कर दिया। इसके बाद अनाथ आश्रम मधु स्मृति संस्थान के संचालकों ने पीएमओ को पत्र लिखकर इन बच्चों की परेशानी बताई।

फोटो- एचटी

इन बच्चों की खुशियों का तब कोई ठिकाना ना रहा जब पीएमओ की ओर से एक चिट्ठी मधु स्मृति संस्थान पहुंची। इस चिट्ठी में पीएम मोदी ने बच्चों को तोहफे के रूप में प्रधानमंत्री विवेकाधीन कोष से 50 हजार की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। इसके साथ ही कहा गया है कि पीएम सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत दोनों बच्चों का बीमा किया जाएगा। पांच साल तक बीमा प्रीमियम का भुगतान प्रधानमंत्री विवेकाधीन कोष से ही होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने पत्र में लिखा कि आप दोनों की समस्याओं के समाधान के लिए मंजूर राशि और बीमा प्रीमियम राशि पर्याप्त नहीं हो सकती है लेकिन मुझे यकीन है कि इस तरह की मदद से आपकी समस्याएं कुछ हद तक कम तो जरूर हो जाएंगी।

सूरज और सलोनी की मां पूजा बंजारा दिहाड़ी मजदूर थी। साल 2013 में उसकी हत्या के बाद अनाथ हुए सूरज और सलोनी कोटा में मधु स्मृति संस्थान में रह रहे हैं। जहां काउंसलिंग के दौरान दोनों ने अपने पुश्तैनी घर की जानकारी दी। बाल कल्याण समिति के निर्देश पर पुलिस की तलाशी में बच्चों के पुश्तैनी घर से 96 हजार 500 रुपए मिले थे।

कैंसर मरीज की मदद
कैंसर की इलाज के लिए दर-दर भटक रहे एक गरीब ड्राइवर अवतार सिंह की पुकार सुन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन लाख रुपये की आर्थिक मदद को मंजूरी दी। हिमाचल प्रदेश के अवतार सिंह को मुंह का कैंसर है। कैंसर के कारण 38 साल के अवतार की पिछले वर्ष नौकरी भी चली गई थी। इलाज के लिए डॉक्टर ने उससे तीन लाख रुपये की व्यवस्था करने को कहा था। तीन लाख रुपये के नाम पर उसे लग रहा था वह अब और नहीं जी पाएगा।

इस बारे में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के एक बीजेपी नेता ने स्थानीय सांसद शांता कुमार से बात की। शांता कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी। 31 मार्च को लिखे इस पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री से आर्थिक मदद का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने उनके इस अनुरोध को स्वीकार कर तीन लाख रुपये की आर्थिक मदद को मंजूरी दे दी। पीएमओ से मदद मिलने के बाद खुश ड्राइवर अवतार सिंह का कहना है कि उनके लिए तो प्रधानमंत्री मोदी साक्षात भगवान के अवतार है।

बेटे के इलाज के लिए भटक रही मां की गुहार सुनी बेटे के इलाज के लिए दर-दर भटक कर गुहार लगाने वाली एक मां की पुकार सुन ली गई। ऋषिकेश के सर्वहारानगर काले की ढाल की निवासी संतोष रस्तोगी अपने 20 साल के बेटे विशाल के इलाज के लिए कई जगह गुहार लगा चुकी थी। एमएलए, एमपी सहित मुख्यमंत्री के दरबार में भी हाजिरी लगा चुकी थी लेकिन कुछ नहीं हुआ। हर जगह से निराशा ही हाथ लगी। थक-हारकर संतोष रस्तोगी ने अपने एक रिश्तेदार के मोबाइल फोन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी फरियाद भेजी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसपर तुरंत संज्ञान लेते हुए कार्यवाही के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ऋषिकेश के एसडीएम को फोन करके महिला संतोष रस्तोगी का पता लगाने और मदद करने को कहा गया। पीएमओ ने एसडीएम को तुरंत महिला के बेटे के इलाज की व्यवस्था कराने को कहा।

संतोष ठेला लगाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करती है। उसका बेटा पिछले तीन साल से बीमार है। तीन बार ऑपरेशन हो चुका है। इलाज पर साढ़े चार लाख रुपए से ज्यादा का खर्च आ चुका है। आर्थिक तंगी के कारण आगे इलाज कराना मुश्किल हो गया था। ऐसे में पीएमओ के संज्ञान लेने से संतोष रस्तोगी को एक नई उम्मीद जगी। पीएमओ से अधिकारियों को मिले निर्देश से संतोष अब काफी खुश है और उसे यकीन होने लगा है कि अब उसके दुख दूर हो जाएंगे।

बिहार के रामशंकर को मिली पीएमओ से मदद
दिल्ली से सटे गुरुग्राम में रहने वाले बिहार के रामशंकर यादव को भी पीएमओ से मदद मिली है। रामशंकर यादव को दिल्ली से बिहार के मधुबनी जाना था। रेल टिकट के लिए गुरुग्राम से दिल्ली जाते वक्त मेट्रो रेल में रामशंकर ठगी के शिकार बन गए। दिल्ली मेट्रो में बातचीत के दौरान तीन लोगों ने कंफर्म रेल टिकट दिलाने के नाम पर उससे 2,200 रुपए छीन लिए गए और डेबिट कार्ड से 6,000 रुपए निकाल लिए गए। इसके साथ ही रामशंकर से बैग भी छीन लिया गया जिसमें उसके ओरिजल सर्टिफिकेट थे।

21 साल के रामशंकर यादव धोखाधड़ी के इस मामले में केस दर्ज करना चाहते थे। गुरुग्राम के एक और दिल्ली के तीन पुलिस स्टेशन से उसे लौटा दिया गया। थक हारकर उसने पीएमओ को पत्र लिखा। जिसके बाद गुरुग्राम मेट्रो पुलिस स्टेशन से रामशंकर के पास फोन आया कि आप आकर शिकायत दर्ज करा दीजिए। पीएमओ के दखल के बाद गुरुग्राम मेट्रो पुलिस स्टेशन ने धारा 406 और 420 के तहत मामला दर्ज कर लिया।

विवेक के जीवन को मिला मोदी का सहारा
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के पलासी क्षेत्र के रहने वाले विवेक विश्वास का कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में इलाज चल रहा था लेकिन सरकारी अस्पताल के उपचार की सुस्त चाल के चलते, विवेक के घरवालों ने प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने का फैसला किया, पर ज्यादा खर्च देखकर विवेक के परिवार वाले घबरा गए और उन्होंने माकपा सांसद ऋतब्रत बनर्जी से मदद की गुहार लगाई। राज्यसभा सांसद ऋतब्रत ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया। पीएम मोदी ने विवेक के इलाज के लिए 2.90 लाख रूपये के मदद की मंजूरी दे दी।

सारा की पढ़ाई को मिला मोदी का साथ
कर्नाटक की बी.बी.सारा, जो अपनी एमबीए की पढ़ाई को आगे जारी रखना चाहती थी लेकिन आर्थिक हालात ठीक नहीं होने की वजह से वो ऐसा नहीं कर पा रही थी। कर्नाटक के मंड्या की शूगर टाउन की रहने वाली सारा ने बैंक से एजूकेशन लोन के लिए एप्लाई कर दिया। सारा को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए ये लोन बहुत जरूरी था लेकिन बैंक देर पर देर किया जा रहा था और सारा को पढ़ाई छूटने का खतरा सता रहा था। थक हारकर सारा ने अपने पिता अब्दुल इल्यास के साथ मिलकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी परेशानी से अवगत कराया। प्रधानमंत्री कार्यालय से तुरंत पत्र का जवाब आया कि 10 दिन के अंदर आपको लोन मिल जाएगा, और वैसा ही हुआ 10 दिन से पहले ही बैंक वालों ने सारा को लोन दे दिया।

बचाई जा सकी आठ साल की बच्ची की जान 
पिछले दिनों प्रधानमंत्री के कारण असम की आठ साल की बच्ची की जान बचाई जा सकी। बच्ची की हालत काफी गंभीर थी। वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थी और उसे इलाज के लिए जल्द से जल्द दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में शिफ्ट करना था। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय वाराणसी में थे। बच्ची के परिजन ने मदद के लिए दिल्ली पुलिस और प्रधानमंत्री को ट्वीट किया। ट्वीटर पर इस बारे में जानकारी मिलने पर उन्होंने तुरंत प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से ट्रैफिक फ्री पैसेज देने का आदेश दिया। इसके बाद पीएमओ ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर बच्ची के एंबुलेंस के लिए फ्री पैसेज तैयार कर लिया। जिससे बच्ची समय से पहले अस्पताल पहुंच सकी। 13 किलोमीटर का रास्ता सिर्फ 14 मिनट में तय कर बच्ची को अस्पताल में भर्ती करा लिया गया। बताया जा रहा है कि बच्ची को जिस वेंटिलेटर के साथ दिल्ली लाया गया था, अस्पताल पहुंचते वक्त उस बैटरी की क्षमता सिर्फ सात मिनट बची थी। साफ है थोड़ा समय और लगता तो बच्ची की जान को खतरा हो सकता था।

पार्थ के सारथी बने मोदी
डीजेनरेटिव ब्रेन नामक बीमारी से पीड़ित 12 साल के पार्थ के पिता अपने बच्चे की इलाज में अपनी पूरी जमा-पूंजी खर्च चुके थे, लेकिन फिर भी पार्थ को सही इलाज नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में हर जगह हार मान चुके पार्थ के पिता को एक ही उपाय नजर आया और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखा। श्री मोदी ने पत्र पढ़कर तुरंत स्वास्थ्य मंत्री को पार्थ के इलाज की उचित व्यवस्था कराने को कहा। 

रोहित के लिए संकटमोचक बने पीएम
ऐसे समय में जब 14 साल के रोहित के परिवार को मदद की सख्त जरूरत थी, प्रधानमंत्री ने महज एक खबर का संज्ञान लेकर उन्हें ये मदद पहुंचाई। हिंदुस्तान टाइम्स अखबार में खबर आने पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एम्स में रोहित का इलाज कर रहे डॉक्टर से बात की। जिसके तुरंत बाद 13 फरवरी को रोहित के इलाज और पोर्टेबल वेंटिलेटर खरीदने के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपए जारी कर दिए गए। प्रधानमंत्री से मदद पाकर रोहित का परिवार बेहद खुश है।

डोरिस को दी आर्थिक मदद, डॉक्टरों से भी की बातचीत
दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले की डोरिस फ्रांसिस को प्रधानमंत्री कार्यालय से तीन लाख रुपए की मदद मिली। सामाजिक कार्यकर्ता डोरिस लंबे समय से नेशनल हाइवे 24 पर ट्रैफिक संभालती हैं। वह जहां ट्रैफिक संभालती हैं, वहीं उनकी 17 साल की बेटी का सड़क हादसे में निधन हो गया था। वह इन दिनों कैंसर से जूझ रहीं हैं।dorris-francis

हार्ट सर्जरी के लिए की नाबालिग को मदद
हार्ट की गंभीर समस्या से जूझ रहे 16 वर्षीय नाबालिग ने प्रधानमंत्री से आर्थिक मदद मांगी। मदद मांगने के बाद वह चंडीगढ़ में एक चोरी के केस में पकड़ा गया। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाबालिग के इलाज के लिए 50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी।

तैयबा का सहारा बने ‘मोदी अंकल’
आगरा की तैयबा का परिवार तो निराश हो चला था। महज 12 साल की उम्र में तैयबा के दिल का एक वॉल्व खराब हो गया। इलाज बेहद खर्चीला था। ऐसे में तैयबा ने पीएम को चिट्ठी लिखी और नतीजा दुनिया के सामने है। तैयबा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा कि वह जन्म से ही दिल की बीमारी से पीड़ित है और उसके मजदूर पिता के पास 15 से 20 लाख रुपये नहीं कि इलाज करा सकें। तैयबा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उन्हें पीएमओ से जवाबी चिट्ठी मिली। उसी खत में दिल्ली सरकार को निर्देश भी दिया गया था कि खर्च की परवाह किए बिना तैयबा का उचित इलाज करवाया जाए। दिल्ली सरकार ने भी इस पत्र पर कार्रवाई करते हुए गुरु तेग बहादुर अस्पताल को तैयबा के इलाज का निर्देश दिया और इलाज शुरू हो गया।

सांसद की अनुशंसा पर कैंसर पीड़ित की मदद
पटना के बीएम दास रोड निवासी सुमित रंजन सिन्हा को कैंसर इलाज के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपए दिए गए। राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा की अनुशंसा पर पीएम नरेंद्र मोदी ने सहायता राशि को स्वीकृति दी। पीएम ने सुमित को एक शुभकामना संदेश भी भेजा, जिसमें उनके रोगमुक्त होने की कामना की।

इसके अलावा सांसद की अनुशंसा पर कुर्जी के सना अर्फी को कैंसर के इलाज के लिए तीन लाख रुपए जबकि दिल्ली के प्रमोद जैन को भी पीएम राहत कोष से गंभीर बीमारी के इलाज के लिए 50 हजार रुपए दिए।

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नन्ही परी रिद्धि को 3 लाख की मदद
बुलंदशहर की कैंसर पीड़ित नन्ही बच्ची रिद्धि को प्रधानमंत्री ने 3 लाख रुपए की मदद दी है। बुलंदशहर के हाजीपुर गांव के रहने वाले रिद्धि के पिता प्रयमेंद्र दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे, लेकिन अपनी इकलौती बेटी को कैंसर से निजात दिलाने के संघर्ष में उनकी नौकरी चली गई। लाखों रुपए की जमापूंजी और गांव का खेतीबाड़ी बेचकर प्रयमेंद्र ने अपनी बेटी का इलाज कराया। दिल्ली के धर्मशिला अस्पताल में रिद्धि की 5 बार कीमियोथैरेपी हुई और फिर बोनमैरो ट्रांसप्लांट हुआ। लेकिन महज दो महीने बाद जांच में पता चला कि रिद्धि का कैंसर फिर से लौट आया है। अपने रिश्तेदार, दोस्तों से उधार लेकर रिद्धि के इलाज में लगा चुके प्रयमेंद्र की पीएम नरेंद्र मोदी ने 3 लाख रुपए से मदद की।

वाराणसी के कैंसर पीड़िता को मिली नयी जिन्दगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक महिला अपनी बेटी का इलाज कराने की गुहार लगाई। इस महिला की बेटी की दोनों किडनियां भी खराब है। प्रधानमंत्री ने पीड़िता को वाराणसी के रविंद्रपुरी स्थित दफ्तर में मुलाकात की। यह दफ्तर उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों की समस्याएं इकट्ठा करने के लिए ही बनाया गया था। मोदी से मिलकर आईं कल्याणी मिश्रा ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री से अपनी बेटी का इलाज कराने की गुहार लगाई। प्रधानमंत्री ने तुरंत ही प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारियों का नंबर लगाया और उन्हें कहा कि मुझे पहली प्राथमिकता देते हुए मेरी सहायता की जाए। 

छह साल की वैशाली की हुई ओपन हार्ट सर्जरी
vaishaliमोदी सरकार की तत्परता का अनुभव पुणे की सात साल की वैशाली यादव नाम की छोटी बच्ची ने लिया। वह पुणे में हडपसर के पास भेकराई नगर में रहती है। पहली कक्षा में पढ़ने वाली वैशाली के दिल में होल होने की वजह से वो हमेशा बीमार रहती थी। डॉक्टर सर्जरी अनिवार्य बताया। बच्ची के चाचा मजदूरी करते है। बहादुर बेटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर अपने मन की बात बताई। खत मिलने पर पीएमओ ऑफिस से पुणे के कलेक्टर को वैशाली की मदद करने कहा गया और पुणे के रुबी हॉल क्लिनिक में वैशाली की ओपन हार्ट सर्जरी भी पूरी हो गई। वो अपने घर पर सुरक्षित है। वैशाली के घरवालों के लिए यही अच्छे दिन है।

प्रधानमंत्री मोदी को किया ट्वीट, सुलझ गई समस्या
कर्नाटक में कोप्पल गांव के एक किसान विजय कुमार यातनल्ली ने एक ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी और उनकी समस्या सुलझ गई। किसान विजय के खेत में खड़ा बिजली का खंभा बारिश के कारण झुक गया था। बिजली खंभा के झुक जाने के कारण विजय को खेत में हल चलाने में और पटवन में काफी परेशानी होती थी। विजय ने इस बारे में गुलबर्ग इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (GESCOM) से कई बार शिकायत की, लेकिन परेशानी का कोई हल नहीं निकाला गया। परेशान होकर विजय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर दिया। प्रधानमंत्री को ट्वीट किए जाने के बाद 24 घंटे के भीतर बिजली खंभे को खेत से हटा दिया गया।

PMO की पहल पर 11 साल बाद बिजली बहाल
पीएमओ की पहल पर ही उत्तर प्रदेश के एटा के भिड़इया गांव में 11 साल बाद नये सिरे से विद्युतीकरण का काम शुरू करवाया गया। एक छात्रा ने पीएमओ की वेबसाइट पर शिकायत कर ये जानकारी दी थी कि 2005 में आंधी में तार टूटने के बाद प्रशासन और शासन में से कोई भी गांव में बिजली बहाली की सुध नहीं ले रहा। पीएमओ के संज्ञान लेते ही विद्युत निगम के अफसरों की नींद खुली और 15 दिन के अंदर बजट आवंटित होने के साथ गांव में दोबारा बिजली बहाल करवाई गई।

गरीब की बेटी की शादी में मदद की पहल
पीएमओ ने तो आर्थिक तंगी से जूझ रहे शख्स के सामने बेटी की शादी को लेकर आ रही मुसीबत में भी आगे आने का काम किया है। वाराणसी में सारनाथ के सारंग तालाब निवासी जितेंद्र साहू को बेटी की शादी के लिए पीएमओ की पहल पर पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग से 50 हजार रुपये का चेक दिलवाया गया। बेटी की शादी के निमंत्रण कार्ड के साथ जितेंद्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आर्थिक मदद के लिए एक पत्र लिखा था जिसके बाद पीएमओ ने जिलाधिकारी को खत लिखकर मदद मुहैया कराने का निर्देश दिया था। ये सब कुछ विरले उदाहरण हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को औरों से बिल्कुल अलग करते हैं। उन्होंने पीएमओ को कार्यकुशलता के साथ ढाला है तो इसके केंद्र में भी आम जनता है। भारत में आज सचमुच आम जनता की सरकार है, ये समझने के लिए इससे बड़ी आदर्श मिसाल क्या हो सकती है।

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