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कर संग्रह के मोर्चे पर एक अच्छी खबर, पहली तिमाही में प्रत्यक्ष कर में 109% और अप्रत्यक्ष कर में 70% की बढ़ोतरी

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मोदी राज में कोरोना महामारी के बावजूद मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में टैक्स कलेक्शन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष कर संग्रह में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 109.3 फीसदी और अप्रत्यक्ष कर में 70.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल से जून के मध्य प्रत्यक्ष कर संग्रह 2,46,519.82 करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष कर संग्रह 3,11,398 करोड़ रुपये रहा। पिछले वर्ष समान अवधि में प्रत्यक्ष कर के मद में 1,17,783 करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष कर के रूप में 1,82,862 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। सरकार के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में आरबीआइ से लांग टर्म सिक्युरिटीज खरीदने की कोई योजना नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के अनुसार गत वित्त वर्ष 2020-21 के राजकोषीय घाटे की पूर्ति के लिए बाजार से 10,48,788 करोड़ रुपये उधार लेने का संशोधित बजटीय अनुमान है। वहीं चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे की पूर्ति के लिए बाजार से 9,17,708 करोड़ रुपये उधार लेने का बजटीय अनुमान रखा गया है। संशोधित अनुमान के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष के लिए सरकार 2,25,000 करोड़ रुपये का शार्ट टर्म कर्ज, जो चालू वित्त वर्ष में सिर्फ 50,000 करोड़ रुपये तक जाने का अनुमान है।

आइए एक नजर डालते हैं देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर से किस प्रकार पटरी पर लौटने लगी है…

विदेशी मुद्रा भंडार ने बनाया एक और रिकॉर्ड, पहुंचा 612 अरब डॉलर के पार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। कोरोना संकट काल में भी मोदी सरकार की नीतियों के कारण विदेशी मुद्रा भंडार ने एक बार फिर रिकॉर्ड बनाया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 612 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर के पार पहुंच गया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 16 जुलाई को खत्म हफ्ते में 83.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 612.73 अरब डॉलर को पार कर गया। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार यह अबतक का सबसे ऊंचा स्तर है। इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा यानी विदेशी मुद्रा एसेट्स 46.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 568.784 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इसके साथ ही स्वर्ण भंडार 37.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 37.33 अरब डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने 5 जून, 2020 को खत्म हुए हफ्ते में पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार किया था। इसके पहले यह आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।

लगातार सातवें महीने निर्यात में तेजी, जून में 32.5 अरब डॉलर पर पहुंचा
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार पेट्रोलियम उत्पादों, रत्नों एवं आभूषणों, रसायनों, चमड़े और समुद्री वस्तुओं के निर्यात में अच्छी वृद्धि के कारण जून में देश का निर्यात 48.34 प्रतिशत बढ़कर 32.5 अरब डॉलर हो गया। लगातार सातवें महीने निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है। मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार जून 2020 में निर्यात 22 अरब डॉलर जबकि जून 2019 में 25 अरब डॉलर था। मई 2021 में निर्यात 32.27 अरब डॉलर था जबकि अप्रैल में यह 31 अरब डॉलर था। आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जून 2021 में देश का कुल निर्यात 147.64 अरब डॉलर होने का अनुमान है जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 50.24 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाता है।

जून के पहले सप्‍ताह में निर्यात में हुई 52 प्रतिशत की बढ़ोतरी
जून, 2021 के पहले हफ्ते में निर्यात कारोबार में अच्‍छी वृद्धि दर्ज की गई है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार रत्न-आभूषण, इंजीनियरिंग और पेट्रोलियम उत्पादों सहित विभिन्न क्षेत्रों में मांग के चलते देश का निर्यात जून के पहले सप्ताह के दौरान 52.39 प्रतिशत बढ़कर 7.71 अरब डॉलर हो गया। इंजीनियरिंग का निर्यात 59.7 प्रतिशत बढ़कर 74.11 करोड़ डॉलर, रत्न और आभूषण का निर्यात 96.38 प्रतिशत बढ़कर 29.78 करोड़ डॉलर और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात 69.53 प्रतिशत बढ़कर 53.06 करोड़ डॉलर हो गया। आंकड़ों के अनुसार इस दौरान अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और बांग्लादेश को निर्यात में काफी बढ़ोतरी हुई है।

कोरोना काल में रिकॉर्ड ऊंचाई पर मार्केट
15 जुलाई को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी नई ऊंचाई पर पहुंच गए। शेयर बाजार में सेंसेक्स पहली बार 53100 और निफ्टी 15900 के ऊपर चढ़कर बंद हुआ। कारोबार बंद होने पर सेंसेक्स 254.80 अंकों की तेजी के साथ 53,158.85 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 70.25 अंकों की तेजी के साथ 15,924.20 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ। सेंसेक्स 22 जून को 53,000 के लेवल को पार कर नए शिखर पर पहुंचा था। इसके पहले 15 फरवरी को शेयर बाजार के बीएसई सेंसेक्स ने 52,000 के लेवल को पार कर रिकॉर्ड बनाया था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही सेंसेक्स ने जून 2014 में पहली बार 25 हजार के स्तर को छुआ था। मोदी राज में पिछले 6 साल में 25 हजार से 50 हजार तक के सफर तय कर सेंसेक्स दो गुना हो गया है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास रहता था।

रोज रिकॉर्ड तोड़ता शेयर बाजार इस बात का सबूत है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में जिस तरह देश आगे बढ़ रहा है, उससे तमाम क्षेत्रों की कंपनियों में विश्वास जगा है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे आर्थिक सुधारों के कदम उठाने के बाद कोरोना काल में भी आर्थिक जगत में मोदी सरकार की साख मजबूत हुई है, और कंपनियां, शेयर बाजार, आम लोग सभी सरकार की नीतियों पर भरोसा कर रहे हैं। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है।

एफपीआई ने जून में किया 13,269 करोड़ रुपये का निवेश
विदेशी निवेशकों ने कोरोना काल में भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा जताया है। मोदी सरकार बनने के बाद एफडीआई नीति में सुधार, निवेश के लिए बेहतर माहौल और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसे कदम उठाने का परिणाम है कि वे कोरोना काल में भी भारत में जमकर निवेश कर रहे हैं। कोरोना महामारी के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जून में अबतक भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 13,269 करोड़ रुपये डाले हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़े के अनुसार, एफपीआई ने 1 जून से 30 जून के बीच शेयरों में 17,215 करोड़ रुपए का निवेश किया और बांड बाजार से 3,946 करोड़ रुपए की निकासी की। इस तरह इस अवधि में उनकी ओर से कुल 13,269 रुपए का शुद्ध निवेश हुआ।

वैश्विक निवेशकों का पसंदीदा देश बना भारत, अप्रैल में 38 प्रतिशत बढ़ा एफडीआई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत नेतृत्व के कारण भारत कोरोना काल में भी निवेश के लिए वैश्विक निवेशकों का पसंदीदा देश बना हुआ है। अप्रैल, 2021 में देश में कुल 6.24 अरब डॉलर एफडीआई आया है, जो पिछले साल अप्रैल, 2020 के 4.53 अरब डॉलर की तुलना में 38 प्रतिशत ज्यादा है। इसके साथ ही अप्रैल, 2021 में 4.44 अरब डॉलर इक्विटी के जरिए एफडीआई आया है, जो अप्रैल 2020 के 2.77 अरब डॉलर की तुलना में 60 प्रतिशत ज्यादा है। अप्रैल, 2021 के दौरान सबसे ज्यादा एफडीआई मारिशस से 24 प्रतिशत, सिंगापुर की 21 और जापान से 11 प्रतिशत आया है।

मई में 8 कोर सेक्टर का उत्पादन 16.8 प्रतिशत बढ़ा
कोरोना संकट के कारण औद्योगिक गतिविधियों पर असर जरूर हुआ है, लेकिन भारतीय अर्थव्यस्था में रिकवरी की रफ्तार जोर पकड़ती जा रही है। इस साल मई में पिछले साल की तुलना में आठ कोर सेक्टर का उत्पादन 16.8 प्रतिशत बढ़ा है। आठ कोर सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्‍पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल है। औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में आठों कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़े के अनुसार इस साल मई में पिछले साल की तुलना में कोयला के उत्पादन में 6.9 प्रतिशत, प्राकृतिक गैस के उत्पादन में 20.1 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पाद में 15.3 प्रतिशत, इस्पात उत्पादन में 59.3 प्रतिशत, सीमेंट उत्पादन में 7.9 प्रतिशत और बिजली उत्पादन में 7.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

PMI सर्विस सूचकांक में जबरदस्त सुधार
भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना संकट से अब बाहर निकल चुकी है। देश के सर्विस सेक्टर में जबरदस्त सुधार दिखाई दे रहा है। भारत में सेवा संबंधी गतिविधियों में फरवरी महीने में एक साल की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। एक मासिक सर्वेक्षण के मुताबिक फरवरी में सर्विस सेक्टर का PMI Index 55.3 अंक रहा, जो जनवरी में 52.8 अंक था। फरवरी में सूचकांक लगातार पांचवें महीने 50 से ऊपर रहा। इसी बीच भारत के प्राइवेट सेक्टर के आउटपुट में फरवरी में पिछले चार महीने में सबसे ज्यादा तेज गति से वृद्धि दर्ज की गई। कम्पोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स फरवरी में 57.3 पर पहुंच गया, जो जनवरी में 55.8 पर था। इसमें मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर दोनों से जुड़े आंकड़े शामिल होते हैं।

जीएसटी कलेक्शन लगातार पांचवें महीने एक लाख करोड़ के पार
वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी कलेक्शन फरवरी में लगातार पांचवें महीने एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया। फरवरी में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1.13 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। फरवरी में 1,13,143 करोड़ रुपये के सकल जीएसटी राजस्व की वसूली हुई, जिसमें सीजीएसटी 21,092 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 27,273 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 55,253 करोड़ रुपये, 9,525 करोड़ रुपए की उपकर राशि शामिल है। यह सालाना आधार पर सात प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है। जीएसटी राजस्व लगातार पांचवी बार एक लाख करोड़ को पार किया और महामारी के बावजूद फरवरी के महीने में राजस्व संग्रह लगातार तीसरी बार 1.1 लाख करोड़ को पार कर गया।

आइए देखते हैं देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर विभिन्न रेटिंग एजेंसियों का क्या कहना है…

एनसीएईआर का अनुमान- 8.4 से 10.1 प्रतिशत तक रह सकती है जीडीपी ग्रोथ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी काल में भी पटरी पर बनी हुई है। मोदी सरकार की नीतियों की वजह से अर्थव्यवस्था इस संकट काल में भी काफी मजबूत है। आर्थिक थिंक टैंक नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) को उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्तीय वर्ष में 8.4 से 10.1 प्रतिशथ की वृद्धि हासिल कर सकती है। एनसीएईआर ने अर्थव्यवस्था की तिमाही समीक्षा जारी करते हुए आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मजबूत वित्तीय समर्थन पर जोर दिया। एनसीएईआर ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 11.5 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जबकि पूरे वित्तीय वर्ष में 8.4 से 10.1 प्रतिशत की वृद्धि होगी।

एशियाई देशों में भारत की विकास दर सबसे बेहतर रहने की संभावना
 कोरोना महामारी और तमाम विपरीत परिस्थियों के बावजूद मोदी सरकार की नीतियों के चलते देश की इकोनॉमी वृद्धि कर रही है। मोदी राज में एशियाई देशों में भारत की विकास दर सबसे बेहतर रहने की संभावना है। जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने कहा है कि साल 2021 में देश की विकास दर 12.8 प्रतिशत हो सकती है। नोमुरा की भारत और एशिया पूर्व जापान एमडी और मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा है कि हमने भारतीय बाजार में एक महत्वपूर्ण रैली देखी है। अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार सोनल वर्मा ने कहा कि हमें लगता है कि भारत की वृद्धि इस वर्ष एशिया के अन्य देशों को पीछे छोड़ देगी और हम कैलेंडर वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 12.8 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।

इक्रा का अनुमान- 8.5 प्रतिशत रह सकती है जीडीपी ग्रोथ
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा है कि कोरोना के घटते मामले और लॉकडाउन में ढील से वित्त वर्ष 2021-22 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रह सकती है। इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि हमारा अनुमान है कि देश की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 8.5 प्रतिशत रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर टीकाकरण अभियान में तेजी आती है, तो तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। इससे जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत तक जा सकती है। इक्रा ने कहा कि इस साल मानसून सामान्य रहने के साथ खाद्यान्न उत्पादन बेहतर रहने की उम्मीद है।

संयुक्त राष्ट्र ने 2022 के लिए जताया 10.1 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान
संयुक्त राष्ट्र ने साल 2021 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया है। यूएन ने इसमें जनवरी के अपने अनुमान से 0.2 फीसद की बढ़ोत्तरी की है। इसके साथ ही यूएन ने साल 2022 में भारत की जीडीपी ग्रोथ का पूर्वानुमान 10.1 प्रतिशत लगाया है। यूएन ने वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रोस्पेक्ट्स रिपोर्ट में कहा है कि कई देशों में बढ़ते कोरोना संक्रमण और टीकाकरण में कमी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था की रिकवरी पर असर पड़ा है।

एडीबी ने जताया 11 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 11 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। ‘एशियन डेवलपमेंट आउटलुक 2021’ में एडीबी ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था के इस वित्त वर्ष में एक मजबूत वैक्सीन ड्राइव के बीच 11 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने कहा कि एशिया में विकास हो रहा है, लेकिन कोविड 19 के बढ़ते प्रकोप से इस रिकवरी को खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अर्थव्यवस्थाएं परिवर्तन पर हैं। यह देखना होगा कि के समय उनके वैक्सीन रोलआउट की गति और वैश्विक रिकवरी से उन्हें कितना फायदा हो रहा है।

चीन से 4 प्रतिशत ज्यादा रहेगी विकास दर- IMF
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा है कि साल 2021 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 12.5 प्रतिशत रह सकती है। आईएमएफ ने कहा है कि यह वृद्धि दर चीन से 4 प्रतिशत ज्यादा होगी। आईएमएफ ने अपने सालाना वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा कि 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8 प्रतिशत की गिरावट आई, लेकिन इस साल वृद्धि दर 12.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो काफी बेहतर है। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि चीन की वृद्धि दर 2021 में 8.6 प्रतिशत और 2022 में 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

विश्व बैंक ने जीडीपी ग्रोथ अनुमान 5.4 से बढ़ाकर किया 10.1 प्रतिशत
अर्थव्यवस्था में मौजूदा सुधार को देखते हुए विश्व बैंक ने भी अपने अनुमानों में संशोधन किया है। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 4.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 10.1 प्रतिशत कर दिया है। इस अनुमान के पीछे निजी उपभोग में वृद्धि एवं निवेश को कारण बताया गया है। इससे पहले जनवरी में विश्व बैंक ने ही भारत की जीडीपी वृद्धि दर को 5.4 प्रतिशत बताया था।

अर्थव्यवस्था 2021 में करेगी 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज- मूडीज
मूडीज एनालिटिक्स ने अनुमान लगाया है कि देश की अर्थव्यवस्था 2021 में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी। मूडीज एनालिटिक्स ने कहा है कि दिसंबर, 2020 को समाप्त तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत रही है। यह प्रदर्शन उम्मीद से कहीं बेहतर है। मूडीज ने कहा कि हमारा अनुमान है कि 2021 के कैलेंडर साल में जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर 12 प्रतिशत रहेगी। मूडीज ने कहा कि मौद्रिक और राजकोषीय नीतियां वृद्धि के अनुकूल रहेंगी। मूडीज ने कहा कि अंकुशों में ढील के बद देश और विदेश की मांग सुधरी है। इससे हालिया महीनों में विनिर्माण उत्पादन बढ़ा है।

अगले साल चीन को पीछे छोड़ देगा भारत- आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य’ पर जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत अगले साल चीन को पीछे छोड़ देगा। आईएमएफ ने कहा कि कोरोना के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट का अंदेशा है, लेकिन अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था लंबी छलांग लगाने में सक्षम होगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.8 प्रतिशत की जोरदार बढ़त दर्ज हो सकती है और यह चीन को पीछे छोड़ते हुए सबसे तेजी से बढ़ने वाली उभरती अर्थव्यवस्था का दर्जा फिर से हासिल कर लेगी। चीन के 2021 में 8.2 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने का अनुमान है।

आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।

2021-22 में 9.5 प्रतिशत रह सकती है विकास दर-फिच
रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 9.5 प्रतिशत रह सकती है। फिच रेटिंग्स ने हालांकि कोरोना संकट के कारण चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था के पांच प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान जताया है। लेकिन फिच ने कहा कि कोरोना संकट के बाद देश की जीडीपी वृद्धि दर के वापस पटरी पर लौटने की उम्मीद है। इसके अगले साल 9.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की उम्मीद है।

स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने जताया भारत पर भरोसा
रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने (S&P) ने भारत की सॉवरिन रेटिंग को BBB माइनस पर बरकरार रखा है। S&P ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास जताते हुए आउटलुक को स्थिर रखा है। स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फिलहाल ग्रोथ रेट पर दबाव है, लेकिन अगले साल 2021 से इसमें सुधार दिखने को मिलेगा। फिच ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विकास दर का 8.5 प्रतिशत रह सकती है।

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