दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंदू विरोधी आईएमए प्रमुख जयलाल की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उसने धर्म का बढ़ावा देने के लिए संस्था के मंच का इस्तेमाल नहीं करने के दिल्ली द्वारका कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। द्वारका कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि आईएमए अध्यक्ष जयलाल से उम्मीद की जाती है कि वो अपनी पद की गरिमा को बनाये रखेंगे और आईएमए जैसी संस्था के प्लेटफार्म का इस्तेमाल किसी धर्म को बढ़ावा देने में नहीं करेंगे। वे अपना ध्यान मेडिकल क्षेत्र की उन्नति और इससे जुड़े लोगो की भलाई में लगाएंगे। अदालत में एक शिकायत में उनके इंटरव्यू का हवाला देते हुए कहा गया था कि वो हिन्दू धर्म और आयुर्वेद चिकित्सा को नीचा दिखा रहे है और ईसाई धर्म को बढ़ावा दे रहे है। कोर्ट ने कहा था कि एक जिम्मेदार पद की अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति से ऐसी टिप्पणियों की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
IMA को ईसाई धर्मांतरण का केंद्र बनाना चाहते हैं जयलाल
बाबा रामदेव के साथ विवाद के बाद से आईएमए प्रमुख प्रमुख डॉक्टर जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल सुर्खियों में हैं। इस विवाद के बीच ही लोगों को पता चला कि इस संस्था की आड़ में जयलाल अस्पतालों को ईसाई धर्मांतरण का केंद्र बनाना चाहते हैं। वे अपने पद का इस्तेमाल ईसाई मिशनरी गतिविधियों के लिए भी करना चाहते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश के हेल्थ प्रोफेशनल्स के सबसे बड़े परिषद ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA)’ के अध्यक्ष डॉक्टर जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल कट्टर ईसाई हैं और मोदी सरकार और हिन्दू राष्ट्रवाद के प्रति अपनी खुन्नस जाहिर करते रहते हैं। वे चाहते हैं कि अस्पतालों का इस्तेमाल भी ईसाई धर्मांतरण के लिए हो। डॉक्टर जयलाल ने हाल ही में ‘Haggai इंटरनेशनल’ पर एक इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रवादी सरकार आधुनिक दवाओं को पश्चिमी बता कर उन्हें नष्ट करना चाहती है। वे अपने पद का इस्तेमाल ईसाई मिशनरी गतिविधियों के लिए भी करना चाहते हैं।
It is not enough to heal you physically, President IMA wants to give you the spiritual healing that his religion offers. Secular institutions are the place where your guards are down and hence the best place to do “Christian healing”. pic.twitter.com/Ne4UgOvBvm
— Amit Thadhani (@amitsurg) March 30, 2021
This is the immediately following paragraph. As per the President of the IMA, the fight against Ayurveda is actually fight against Hindutva and Sanskrit and fasting protest was inspired from Christian concept of suffering. pic.twitter.com/PXn8FP0lGt
— Amit Thadhani (@amitsurg) March 30, 2021
New President of the Indian Medical Association wants to use secular hospitals and medical colleges to convert medical students, doctors and patients to Christianity. https://t.co/oiVyNQlPwt pic.twitter.com/dnktIM3Ko0
— Amit Thadhani (@amitsurg) March 30, 2021
इसके साथ ही उन्होंने 30 मार्च, 2021 को कट्टर ईसाई पत्रिका Christianity Today को एक इटरव्यू दिया। यह पत्रिका भारत में ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार पर नजर रखती है। एक भारतीय ईसाई डॉक्टर, जो कोविड 19 में आशा की लहर देख रहा है (An Indian Christian Doctor Sees COVID-19’s Silver Linings) शीर्षक से प्रकाशित इस इंटरव्यू में जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल किस प्रकार आधुनिक चिकित्सा का प्रयोग ईसाइयत को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं, यह इस प्रकाश डालता है और किस प्रकार वह हिन्दुओं के प्रति अपनी घृणा के लिए आधुनिक चिकित्सा को ढाल बना रहे हैं। इसमें यह भी लिखा गया है कि कैसे महामारी ने चर्च को एक्शन में ला दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस महामारी ने सांसदों एवं विधायकों को भी नहीं छोड़ा है इसलिए लोगों को यह यकीन हुआ कि केवल “ग्रेस ऑफ गॉड ऑलमाइटी” ही उन्हें बचा सकता है।
Indian Medical Association, @IMAIndiaOrg doctors often mock Ayurveda as a pseudoscience may be out of competition or ignorance.
This?is what IMA’s president Dr. @jayalal10 has to offer as scientific solution for Corona ? pic.twitter.com/PRxUVhZE9E
— Shantanu Gupta (@shantanug_) May 24, 2021
डॉ जयलाल की ट्विटर प्रोफाइल देखकर आप समझ जाएंगे कि वे लगातार प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित बीजेपी नेताओं पर निशाना साधते हुए अपनी विचारधारा और मंशा को उजागर करने वाली खबरें, कार्टून और हैशटैग शेयर, रिट्वीट या लाइक करते रहते हैं।
आईएमए प्रमुख डॉ. जयलाल अक्सर मोदी विरोधी पोस्ट और कार्टून साझा करते हैं। ईसाई डॉक्टर बाबा रामदेव और उनकी कंपनी को महामारी की शुरुआत के बाद से परेशान कर रहे हैं। उनको ‘झोलाछाप डॉक्टर’ कहने से लेकर आयुर्वेद को पूरी तरह बदनाम करने के काम में लगे हुए हैं।
उन्होंने आयुष मंत्रालय पर भी लगातार हमले किए हैं और उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति देने वाले केंद्र के खिलाफ विरोध अभियान शुरू किया था।
जयलाल ने सरकार की आलोचना के लिए किसानों के विरोध को भी समर्थन दिया।
इतना ही नहीं आईएमए का कहना है कि पतंजलि आयुर्वेद के प्रमोटर बाबा रामदेव जनता को डर दिखा कर उससे एक तरह की फिरौती वसूल रहे हैं और वैज्ञानिकों दवाओं को बदनाम कर के अपना व्यापार बढ़ा रहे हैं, जो कि एक अक्षम्य अपराध है। वैसै बाबा रामदेव तो खुद कहते रहे हैं कि वो व्यापारी हैं और व्यापार तो दुनिया के किसी भी कोने में एक कानून सम्मत कार्य है। लेकिन आईएमए खुद कई तरीकों से रुपए कमाने में लगा हुआ है। कोई सरकारी या सरकार पोषित संस्था नहीं होने पर भी आईएमए प्राइवेट कंपनियों के प्रोडक्ट्स को इस तरह सर्टिफिकेट देने का काम करता है जैसे कोई नियामत संस्था हो।
IMA doctor/medical organisation hai ya dalali ka adda????
Please verify, ye sahi hai kya! ? pic.twitter.com/eWppGR3qkw
— Dilip Jain | दिलीप जैन ?? (@dilipjain1979) May 26, 2021
आईएमए एक तरह से प्राइवेट कंपनियों के प्रोडक्ट्स को सर्टिफिकेट देकर उसका प्रचार करता है, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से ऐसा नहीं कहता। आईएमए किसी भी प्रोडक्ट को स्वास्थ्य के लिए ठीक होने का सर्टिफिकेट भी बांटता है, लेकिन वह ये नहीं बताता कि इसके लिए उसे कितने पैसे मिलते हैं।
यह डॉक्टरों की संस्था होने का दावा करने वाला आईएमए ‘एंटी-माइक्रोबियल LED बल्ब’ के साथ तेल, पेंट और आरओ वॉटर प्यूरीफायर को भी सर्टिफिकेट देता है।
सवाल उठता है कि आखिर यह सब आईएमए किस हैसियत से करता है।