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Arvind Kejriwal पर करोड़ों के ‘शीशमहल’ और शराब घोटाला के काले दाग, दिल्ली चुनाव में ये बड़े मुद्दे, जानिए ‘शीशमहल’ के बारे में सबकुछ

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आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज की ‘नौटंकी’ खुद ही उनकी पोल खोल रही है। वे जिस करोड़ों के शीशमहल का बचाव कर रहे हैं, वो उन अरविंद केजरीवाल की ‘लग्जरी चाहत’ की दैन है, जो आम आदमी का चौला ओढ़कर राजनीति में आए थे। दिल्ली का सीएम बनने से पहले केजरीवाल के इस तकिया कलाम के कितने ही वीडियो मीडिया में हैं- ‘मैं सरकारी गाड़ी नहीं लूंगा। सरकारी बंगला और वीवीआईपी सुविधाएं नहीं लूंगा।’ जनता ने उन्हें सीएम का ओहदा दिया और केजरीवाल ने जनता को धोखा दिया। उन्होंने सादगी की ढींगें हांकने के बाद किस अधिकार से जनता के पैसे ना सिर्फ करोड़ों का शीशमहल बनवाया, बल्कि अरबों के शराब घोटाले में जेल जाने के पहले कितनी ही लग्जरी रातें इस शीशमहल में बिताईं। ऐसे में संजय और सौरभ किस मुंह से करोड़ों के शीशमहल और अपने नेता का बचाव कर रहे हैं। आप की इस ‘गद्दारी’ की पोल भी जनता के सामने खुल चुकी है कि शीशमहल को निर्माण उस कोरोना काल में कराया गया, जबकि दिल्ली के लोग आक्सीजन की कमी से मर रहे थे। तब दिल्ली का आम आदमी का ढोंग करने वाला ‘मालिक’ बनकर दिल्ली की जनता के 45 करोड़ रुपए से अपने महल शीशमहल में फूंक रहा था।

कोरोना में नियम-कानून को ताक पर रखकर पानी की तरह पैसा बहाया
आम आदमी के भेष में देश की सियासत को बदलने का ख्वाब दिखाकर गद्दी पर बैठने वाले केजरीवाल की हकीकत दिल्ली की जनता के सामने आ गई है। आम आदमी पार्टी ने ईमानदार राजनीति का सपना दिखाकर भ्रष्टाचार मिटाने का वादा किया, लेकिन खुद ही करोड़ों के शीशमहल और शराब घोटाले जैसे भ्रष्टाचार के दलदल में गोते लगाते रहे। आप नेताओं के कारनामे एक के बाद एक लोगों के सामने आने लगे। अरविंद केजरीवाल को लेकर एक के बाद एक खुलासे हुए। केजरीवाल ने अपने शीशमल के ‘सौंदर्यीकरण’ पर 45 करोड़ रुपये ऐसे समय में खर्च किए गए जब दिल्ली कोविड-19 से जूझ रही थी। कोरोना के कारण उस समय अधिकांश सार्वजनिक विकास कार्य ठप थे। उस समय केजरीवाल के ‘शीशमहल’ को बनाने के लिए नियम-कानून को ताक पर रखकर पानी की तरह पैसा बहाया गया। लाखों के पर्दे, महंगे कालीन और कमोड लगाने के साथ करोड़ों रुपये के विदेशी मार्बल लगाए गए।
‘दिल्ली के राजा बाबू’ Kejriwal का करोड़ों का शीशमहल
दिल्ली चुनाव से पहले पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल का शीशमहल फिर चर्चा में है। पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने ‘शीशमहल’ को लेकर केजरीवाल पर निशाना साधा तो आप बुरी तरह तिलमिला गई। अरबों के शराब घोटाले में जेल जाने से अभी तक उबर नहीं पाए केजरीवाल और आप के नेता इस खुलासे के बाद एक बार फिर बेपर्दा हो गए। दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के अशोक विहार में एक कार्यक्रम में इतना ही कहा, ‘मैं भी कोई शीशमहल बना सकता था, लेकिन मेरा सपना है कि देशवासियों को पक्का घर मिले। देश जानता है कि मोदी ने कभी अपने लिए घर नहीं बनाया।’ इसके अलावा बीजेपी की दिल्ली यूनिट ने अरविंद केजरीवाल को ‘दिल्ली का राजा बाबू’ दिखाते हुए एक पोस्टर जारी किया। पोस्टर पर लिखा- AAP Presents करोड़ों का शीशमहल। इससे पहले भी बीजेपी ने तीन और पोस्टर जारी कर केजरीवाल की असलियत की पोल खोली।दावा था सरकारी घर नहीं लूंगा, पर अपने लिए 7 स्टार रिसॉर्ट बना डाला
दिल्ली की जनता सीएम की कुर्सी आम आदमी की सौंपी थी। लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही अरविंद केजरीवाल ‘आम आदमी’ से खास बन गए। केजरीवाल ने अपने सरकारी बंगले के सौंदर्यीकरण पर करीब 45 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। यानी, बने-बनाए बंगले को चमकाने और उसे सुंदर बनाने के लिए इतने रुपए फूंक दिए गए। बंगले में आठ-आठ लाख रुपये तक का एक पर्दा लगाया गया इस तरह सभी पर्दों पर कुल एक करोड़ रुपए खर्च किए गए। बंगले में जो मार्बल लगा है, वह वियतनाम से मंगाया गया था। सुपीरियर क्लास के डियोर पर्ल मार्बल की कीमत एक करोड़ 15 लाख रुपए है। ‘ऑपरेशन शीशमहल’ में जब केजरीवाल के इस कारनामे का खुलासा हुआ तो दिल्ली की जनता का चौंकना स्वाभाविक था। इसपर अब बीजेपी ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें दिल्ली के सीएम हाउस का आलीशान इंटीरियर दिखाया गया। बीजेपी ने केजरीवाल पर तंज कसा, ‘वे कहते थे कि सरकारी घर नहीं लूंगा, लेकिन रहने के लिए 7 स्टार रिसॉर्ट बना डाला।’ आम आदमी पार्टी के सीएम केजरीवाल का घर अंदर से किसी वाइट हाउस से कम नहीं दिखता है। तस्वीरें देखकर आपकी आंखे खुली की खुली रह जाएंगी।

‘शीशमहल’ पर खर्च करने के लिए 45 करोड़ रुपए कहां से आए?
मई 2023 में पहली बार ‘शीशमहल’ का मामला सामने आया। जब दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने CBI डायरेक्टर प्रवीण सूद को चिट्ठी लिखकर सीएम हाउस रेनोवेशन मामले की जांच का काम सौंपा। सितंबर 2023 में CBI ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज की। इसमें आरोप लगाया गया था कि दिल्ली के पूर्व सीएम केजरीवाल ने कोविड काल के दौरान सीएम आवास पर लगभग 45 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। यह पैसा सरकारी खजाने से लिया गया। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने मांग की है कि केजरीवाल को दिल्ली के लोगों को बताना चाहिए कि उन्होंने किस अधिकार से अपने बंगले की सजावट पर करीब 45 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। ये वो समय था जब कोविड में जनता के विकास कार्य बंद थे।

शीशमहल पर फिजूलखर्ची करने के लिए तीन इंजीनियर सस्पेंड भी हुए
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगस्त 2024 में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने सीएम हाउस पर फिजूलखर्ची करने के लिए तीन इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया था। इस पर AAP सरकार की खूब जगहंसाई हुई थी। इससे पहले दिल्ली बीजेपी ने सरकारी रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि दिल्ली के सीएम हाउस के रेनोवेशन के लिए कुल 44.78 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। असल में इसके लिए 43.70 करोड़ रुपए जारी किए गए थे। इसमें इंटीरियर डिजाइन और डेकोरेशन पर ही 11.30 करोड़ रुपए खर्च किए गए। तब केजरीवाल के बंगले के लिए सितंबर 2020 से जून 2022 के बीच 6 किस्तों में पैसा जारी किया गया था।

करोड़ों का ‘शीशमहल’ और शराब घोटाला दिल्ली चुनाव का बड़ा मुद्दा
पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि दिल्ली चुनाव में ‘शीशमहल’ बहुत बड़ा मुद्दा बन सकता है। दिल्ली चुनाव में शीशमहल के बड़ा मुद्दा बनने की सबसे बड़ी वजह है अरविंद केजरीवाल की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क। वे इमेज तो आम आदमी की बनाते हैं और लाइफ लग्जरी जीते हैं। दरअसल, 2013 में जब वे राजनीति में आए तो उन्होंने सरकारी कार या बंगला न लेने की शपथ ली थी। एक नई तरह की राजनीति शुरू करने का वादा किया था। इसके बाद उन पर शराब घोटाला और शीशमहल बनवाने के आरोप लगे हैं। यह सब इस चुनाव में उनकी राजनीतिक छवि को खासा नुकसान पहुंचा सकते हैं। क्योंकि किसी भी राजनेता की लाइफस्टाइल उसके समर्थकों के बीच बहुत महत्व रखती है। जनता के बीच केजरीवाल ने जो इमेज पेश की है, वो सादगी वाली है। जनता ने गले में मफलर और सादे कपड़े पहने हुए केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री चुना था। अब उनके घर में ‘सोने की टॉयलेट सीट’ बने होने के आरोप लगने लगे। फिर भी केजरीवाल ने इन आरोपों को झूठा साबित करने की कोशिश नहीं की। इससे जनता को और पक्का विश्वास हो गया।

इन दिनों ‘शीशमहल’ में कौन रहता है और केजरीवाल कहां रह रहे हैं?
अभी 6, फ्लैगशिप रोड स्थित इस शीशमहल में दिल्ली की सीएम आतिशी रह रही हैं। दरअसल, शराब घोटाले में जेल से वापस आने और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद केजरीवाल को 4 अक्टूबर 2024 को शीशमहल छोड़ना पड़ा। अब केजरीवाल AAP के राज्यसभा सांसद अशोक कुमार मित्तल के सरकारी आवास पर रह रहे हैं, जो 5, फिरोजशाह रोड पर है। दरअसल, दिल्ली विधानसभा में अन्य राज्यों की तरह विधायकों को रहने के लिए बंगले नहीं दिए जाते हैं। न ही केजरीवाल को पूर्व CM के तौर पर कोई बंगला दिया गया। इस्तीफे के बाद केजरीवाल के पास अपने पुश्तैनी, निजी या किराए के कोई मकान में रहने के ऑप्शन्स थे। इसके लिए उन्हें अलग से कोई भत्ता नहीं दिया गया, क्योंकि आवास भत्ता कुल प्रतिमाह दी जाने वाली राशि में शामिल होता है। दिसंबर 2013 में पहली बार दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने से पहले केजरीवाल गाजियाबाद के कौशांबी इलाके में रहते थे। मुख्यमंत्री के तौर पर वे मध्य दिल्ली के तिलक लेन स्थित घर में रहे। फरवरी 2015 में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिला तो वे उत्तरी दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में 6, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित आवास में रहने चले गए। केजरीवाल ने कोरोनाकाल में इसी आवास को शीशमहल में तब्दील करा दिया।

अब जरा पीछे कोरोना काल में चलें तो पता चलेगा कि  दिल्ली के लोग जब आक्सीजन की कमी से मर रहे थे, तब दिल्ली की जनता के 45 करोड़ रुपए से केजरीवाल ने अपने आवास को शीशमहल बनवाया। बंगले को चमकाने और उसे सुंदर बनाने के लिए करोड़ों  रुपए फूंक दिए गए। बंगले में जो मार्बल लगा है, वह वियतनाम से मंगाया गया था। सुपीरियर क्लास के डियोर पर्ल मार्बल की कीमत एक करोड़ 15 लाख रुपए है। तब टीवी चैनल ‘Times Now Navbharat’ ने ‘ऑपरेशन शीशमहल’ नामक शो में यह खुलासा किया था।

केजरीवाल के बंगले में 8 लाख का एक पर्दा, एक करोड़ के 23 पर्दों का ऑर्डर

मुख्यमंत्री केजरीवाल के बंगले में आठ-आठ लाख रुपए तक का एक पर्दा लगाया गया। सीएम आवास में लगे पर्दों पर कुल एक करोड़ रुपए खर्च हुए। कुल 23 पर्दों का ऑर्डर दिया गया था, जिनमें कुछ लगे और कुछ लगने बाकी हैं। शुरुआत में (2021-22 में) आठ पर्दे लगवाए गए थे, जिन पर 45 लाख खर्च हुए और दूसरे फेज में 15 पर्दों का ऑर्डर दिया गया और इनकी कीमत लगभग 51 लाख रुपए थी।

केजरीवाल के बंगले में लगाए गए ऑटोमेटिक पर्दे

केजरीवाल के बंगले में लगे पर्दे ऑटोमेटिक हैं यानी ये पर्दे रिमोट से खुलते हैं। टेलीविजन की तरह इन पर्दों को रिमोट से खोला जा सकता है और बंद किया जा सकता है। बाजार में इस तरह के पर्दे 25 से 35 हजार में मिल जाते हैं लेकिन केजरीवाल के बंगले में लगा पर्दा 5 से 8 लाख का है। ये वही केजरीवाल हैं जो कभी पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर में लगे एयरकंडीशनर का भी हिसाब मांगते थे।

कभी ये वादा किया था- सरकार आने पर 2 कमरे के घर में रहेंगे

बीजेपी नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि यह वही केजरीवाल हैं जो कहते थे कि सरकार आने पर 2 कमरे के घर में रहेंगे। उनके साथ सिक्युरिटी नहीं रहेगी और लग्जरी गाड़ी से नहीं चलेंगे और अब घर के रेनोवेशन पर 45 करोड़ खर्च कर दिए। उसे महल की शक्ल दे दी। एक-एक ईंट बोल रही है कि भ्रष्टाचार हुआ है। आज जब घर से वह निकलते हैं तब 28 गाड़ियों का काफिला चलता है। पंजाब पुलिस भी सिक्युरिटी में है। उनके पास 50 लाख से अधिक की कार है।

अरविंद केजरीवाल ने सत्ता में आने से पहले सरकारी सुविधा लेने के बारे में कई बयान दिए थे। उन्हीं की जुबानी सुनिए…

केजरीवाल ने कहा था- हम देते हैं शीला दीक्षित के घर के बिजली का बिल

केजरीवाल ने एक समय पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर में लगे एसी पर सवाल उठाया था और कहा था कि इसका बिजली का बिल आम आदमी की जेब से जाता है। केजरीवाल दोहरा मापदंड देखिए कि जब अपनी बारी आई तो 44 करोड़ बंगले पर खर्च कर दिए। केजरीवाल ने कहा था- शीला दीक्षित के घर की बिजली। 10-10 एसी लगे हुए हैं शीला दीक्षित के घर पे। उसकी बिजली का बिल कौन देता है। हम देते हैं उसकी बिजली का बिल। हम देते हैं शीला दीक्षित के घर के बिजली का बिल। दिल्ली सचिवालय पूरा का पूरा एयरकंडीशन है, ऊपर से नीचे तक। उनका टॉयलट भी एयरकंडीशन है। उस पूरे दिल्ली सचिवालय का बिल कौन देता है। हम देते हैं।

AAP से जो जीत कर आएगा, कोई बड़ा बंगला नहीं लेगा-केजरीवाल

अन्ना आंदोलन के बाद राजनीति में कदम रखने से पहले केजरीवाल ने कहा था- इस पार्टी से जो-जो नेता जीत के आएंगे, वो बड़े बंगले नहीं लेंगे। आपलोगों के बीच से कोई आदमी जीता तो आपलोगों के बीच ही रहेगा। अपने मकान में रहता रहेगा। जहां रह रहा था वहीं रहेगा। कोई बड़ा बंगला नहीं लेगा। आप ही की तरह जिएगा। उसकी कोई सिक्योरिटी नहीं होगी। इस पार्टी का आदमी कोई सिक्योरिटी नहीं लेगा। आप ही की तरह जीता रहेगा। आपके बीच से कोई एमएलए बनेगा या एमपी बनेगा। आप ही जाओगे वहां पर।

इस कुर्सी के अंदर कुछ न कुछ समस्या है- केजरीवाल

अन्ना आंदोलन के समय केजरीवाल ने कहा था- इस कुर्सी के अंदर कुछ न कुछ समस्या है। जो इस कुर्सी के ऊपर बैठता है, वही गड़बड़ हो जाता है। तो कहीं ऐसा तो नहीं कि इस आंदोलन से जब विकल्प निकलेगा। और वो लोग जब कुर्सी पर जाकर बैठेंगे। कहीं वो न भ्रष्ट हो जाएं। कहीं वो न गड़बड़ करने लगें। ये भारी चिंता है हमलोगों के मन में।

गंदी राजनीति ने देश में भ्रष्टाचार फैलाया

देश की राजनीति बदलने आए केजरीवाल फिलहाल बंगले के पर्दे बदल रहे हैं। राजनीति को लेकर केजरीवाल ने कहा था- कई लोग कहते हैं राजनीति में नहीं आना चाहिए था। हमें लगता है इस देश की गंदी राजनीति ने इस देश को तोड़ा है। इस देश की गंदी राजनीति ने देश में भ्रष्टाचार फैलाया है। और अब इस देश को अच्छी राजनीति जोड़ेगी। इस देश को अच्छी राजनीति भ्रष्टाचार मुक्त करेगी।

 

2013 में शपथ पत्र बांटकर कहा था- मैं बड़ा बंगला नहीं लूंगा, सामान्य घर में रहूंगा

केजरीवाल ने 7 जून 2013 को शपथ पत्र बनवाया था। यह शपथ पत्र नई दिल्ली विधान सभा क्षेत्र में केजरीवाल ने अपने चुनाव से पहले बाटे थे। इसमें कहा गया था- मैं लालबत्ती की गाड़ी नहीं लूंगा। मैं अपने लिए, अन्य आवश्यक सुरक्षा नहीं लूंगा। सुरक्षा बल, नेताओं की सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि आम आदमी की सुरक्षा के लिए होना चाहिए नेता को आम आदमी से ज़्यादा सुरक्षा नहीं होनी चाहिए। मैं बड़ा बंगला नहीं लूंगा आम आदमी की तरह सामान्य घर में रहूंगा।

खुद को आम आदमी कहने वाले केजरीवाल और उनके करीबियों की अय्याशी देखिए कि चाय-समोसे से लेकर अन्य सुविधाओं के लिए सरकारी खजाने का किस तरह दुरुपयोग किया जा रहा है-

जेट पर सवाल उठाने वाले केजरीवाल खुद करते हैं प्राइवेट जेट की सवारी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब दिल्ली की सत्ता में आए थे तो उन्होंने दिल्ली की जनता से वादा किया था कि ना मैं बंगला लूंगा ना मैं गाड़ी लूंगा लेकिन 2022 में आरटीआई से जो जवाब सामने आया उसे स्पष्ट हो गया है कि वो जो कहते हैं वो करते नहीं। आरटीआई से अब यह साफ हो गया है कि केजरीवाल द्वारा गाड़ियों के ऊपर दिल्ली की जनता की गाढ़ी कमाई को पानी की तरह बहाया गया है। मुख्यमंत्री ने अब तक एक करोड़ 43 लाख 35 हजार 135 रुपये अपनी गाड़ियों में फूंके हैं। जबकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपनी गाड़ियों को खरीदने के लिए 44 लाख 29 हजार 515 रुपये खर्च किए हैं। ये तो हुई गाड़ियों की बात लेकिन अब केजरीवाल का स्तर ऊंचा हो गया है। अब वे प्राइवेट जेट से राज्यों का दौरा करते हैं। कभी प्राइवेट जेट पर सवाल उठाने वाले केजरीवाल जब प्राइवेट जेट से गुजरात में चुनाव प्रचार के पहुंचने लगे तो सवाल उठना लाजिमी था।

पंजाब CM के गुजरात दौरे से सरकारी खजाने पर 44.85 लाख का बोझ

पंजाब सीएम भगवंत मान का गुजरात दौरा सरकारी खजाने पर भारी पड़ा है। मान ने गुजरात के लिए प्राइवेट एयरक्राफ्ट हायर किया था। जिसके बदले सिविल एविएशन विभाग ने 44.85 लाख का बिल भेजा। बठिंडा के RTI एक्टिविस्ट हरमिलाप ग्रेवाल ने यह जानकारी मांगी थी। कांग्रेस ने मान सरकार से पूछा कि क्या यही वह बदलाव और इंकलाब है?, जिसका वादा उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान किया था। सीएम भगवंत मान 1 से 3 अप्रैल 2022 को गुजरात दौरे पर गए थे। जहां दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल भी उनके साथ थे। दोनों ने दिसंबर में होने वाले गुजरात चुनाव के लिए पार्टी कैंपेन की शुरूआत की थी। आम आदमी पार्टी के चुनाव कैंपेन में पंजाब के टैक्स पेयर के 45 लाख रुपए बर्बाद कर दिए गए। क्या इसके लिए किसी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा?

केजरीवाल के लिए कार खरीदने पर 1.43 करोड़ हुए खर्च

आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 2014 में दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक अपनी गाड़ियों की खरीद पर कुल एक करोड़ 43 लाख 35 हजार 145 रुपये खर्च कर चुके हैं। इस पूरी जानकारी का खुलासा विवेक पूनिया द्वारा 30 मई को आरटीआई के माध्यम से पूछे गए सवाल के बाद दिल्ली सरकार के अधिकारी भास्कर प्रियदर्शिनी के द्वारा दिया गया है। मुख्यमंत्री के द्वारा अब तक कुल 4 बार अपनी गाड़ियों को बदला जा चुका है।

केजरीवाल की नौटंकी, चेहरा सादगी का मिजाज रजवाड़ों सा

केजरीवाल ने सरकार की वर्षगांठ मनाने के लिए 11-12 फरवरी, 2016 को अपने आवास पर दावत दी। एक थाली का खर्च 12, 000 रुपये था। नियमों के मुताबिक दावतों में खाने का खर्च 2, 500 रुपये प्रति थाली से अधिक नहीं हो सकता है। लेकिन नियमों की अनदेखी कर ताज होटल से मंगवाए गए भोजन में 11.4 लाख रुपये का खर्च आया था।

चाय-समोसों पर चट कर गए करोड़ों, जनता के पैसे से मुफ्त इलाज

ईमानदार केजरीवाल सरकार की सच्चाई देखिये कि फरवरी 2015 से अगस्त 2016 के बीच केजरीवाल के कार्यालय में 1.20 करोड़ रुपये के समोसे और चाय का खर्च दिखाया गया। आरटीआई के जरिए इस बात की सूचना सार्वजनिक हुई तो पता चला कि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के सचिवालय स्थित कार्यालय में 8.6 लाख और कैंप आफिस में 6.5 लाख रुपये का चाय और स्नैक्स में खर्च किए गए। दिल्ली में बड़े-बड़े अस्पतालों को छोड़ केजरीवाल बेंगलुरू के जिंदल नेचुरोपैथी केंद्र इलाज करवाने जाते हैं। जब से वे दिल्ली के सीएम बने हैं तब से दो बार दिल्ली में वे इलाज करवाने जा चुके हैं। 2016 में तो उनका परिवार भी उनके साथ गया था। इस दौरान वे 17,000 रुपये प्रतिदिन वाले कमरे में रहे। इसका खर्च भी दिल्ली सरकार ने ही वहन किया।

ठेंगे पर पब्लिक, सिसोदिया को तो मस्ती पसंद है !

11 अगस्त से 16 अगस्त, 2015 के बीच मनीष सिसोदिया ब्राजील की यात्रा पर गए। प्रोटोकॉल तोड़ अर्जेंटिना में इग्वाजू फॉल देखने चले गए। इसमें सरकार को 29 लाख रुपयों का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ा। बिजनेस क्लास में सफर करने वाला ये आम आदमी सितंबर, 2015 में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया भी गए। जून 2016 में बर्लिन की भी यात्रा की। 2016 में जब दिल्ली में डेंगू का कहर था तो राज्य के डिप्टी सीएम फिनलैंड में मौज-मस्ती कर रहे थे। उपराज्यपाल की डांट पड़ी तो वापस आए।

बिजली बिल में लाखों गुल, दावत में उड़े लाखों

साल 2017 में एक आरटीआई के जरिये यह भी पता चला कि 19 मार्च 2015 से 4 सितंबर 2016 के बीच मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास स्थान का बिल 2.23 लाख रुपये था। लेकिन बिजली बिल बचाने की नसीहत देने वाले मंत्री सत्येंद्र जैन के घर 3.95 लाख रुपये का बिजली बिल आया। केजरीवाल ने सरकार की वर्षगांठ मनाने के लिए 11-12 फरवरी, 2016 को अपने आवास पर दावत दी। एक थाली का खर्च 12, 000 रुपये था। नियमों के मुताबिक दावतों में खाने का खर्च 2, 500 रुपये प्रति थाली से अधिक नहीं हो सकता है। लेकिन नियमों की अनदेखी कर ताज होटल से मंगवाए गए भोजन में 11.4 लाख रुपये का खर्च आया था।

अपने ही रिश्तेदार को बनाया ओएसडी, साढ़ू को दिया ठेका

केजरीवाल ने अपने रिश्तेदार डॉ. निकुंज अग्रवाल की नियुक्ति वेकेंसी न होने के बावजूद की गई। पहले तो हस्तलिखित मंगवाए और इसी अवैध आवेदन के आधार पर उन्हें सीनियर रेजिडेंट बनवा दिया। इस नियुक्ति में सीबीसी गाइडलाइन्स और मेडिकल एथिक कोड की धज्जियां उड़ाई गईं। इसके एक महीने बाद सितंबर 2015 में उन्हें दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का ओएसडी बना दिया। अग्रवाल ने दिल्ली सरकार द्वारा फंड किए गए अंतरराष्ट्रीय टूर भी किए है। ऐसा इसलिए हुआ कि निकुंज अग्रवाल केजरीवाल की पत्नी की बहन के दामाद हैं। केजरीवाल के अपने साढ़ू सुरेंद्र कुमार बंसल पर आरोप है कि उन्होंने पीडब्लूडी विभाग की मिलीभगत से कई ठेके लिए। इस मामले में तो पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने भी कहा, ‘‘हम भी लाचार है क्योंकि सुरेंद्र कुमार बंसल (दिल्ली के मुख्यमंत्री के ब्रदर-इन-लॉ) ने पूरे विभाग को लूटा है और यह एक खुला रहस्य है और बंसल के जरिए गैर कानूनी तरीके से कमाया गया पैसा पंजाब और गोवा के चुनाव में खर्च किया गया है।’’

सुविधाएं देने को बना दिए संसदीय सचिव

13 मार्च, 2015 को आप सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया। ये जानते हुए कि यह लाभ का पद है, उन्होंने ये कदम उठाया। दरअसल उनकी मंशा अपने सभी साथियों को प्रसन्न रखना था। उनका इरादा अपने विधायकों को गाड़ी, ऑफिस और अन्य सरकारी सुविधाओं से लैस करना था, ताकि उनके ये भ्रष्ट साथी ऐश कर सकें। लेकिन कोर्ट में चुनौती मिली तो इनकी हेकड़ी गुम हो गई। हालांकि केजरीवाल सरकार ने ऐसा कानून भी बनाने की कोशिश कि जिससे संसदीय सचिव का पद संवैधानिक हो जाए। लेकिन हाई कोर्ट के आदेश से मजबूर होकर ये फैसला निरस्त करना पड़ा।

आम आदमी पार्टी के सीएम केजरीवाल का घर अंदर से किसी वाइट हाउस से कम नहीं दिखता है। ये वीडियो देखकर आपकी आंखे खुली की खुली रह जाएंगी।

देखिए वीडियो-1 रिमोट से खुलने वाला दरवाजा

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

देखिए वीडियो-2 अपने आप खुलने वाला ऑटोमेटिक डोर

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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