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मुद्रा योजना: बिना गारंटी लोन लेकर देश के युवा संवार रहे अपनी तकदीर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को मुद्रा योजना के लाभार्थियों से नरेन्द्र मोदी ऐप के माध्यम से बातचीत की। इंटरैक्शन के दौरान इस स्कीम से जुड़ी कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातें सामने आईं जो अक्सर हमारी जानकारी में नहीं आतीं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना के बारे में कहा, ”मुद्रा योजना से न सिर्फ स्वरोजगार के मौके मिले हैं बल्कि इसने जॉब मल्टिप्लायर का काम काम किया है, औरों को भी रोजगार का अवसर दिया है। इस योजना की सबसे बड़ी खूबी यही है।”

दरअसल मुद्रा योजना से ना केवल स्वरोजगार के अवसर बने हैं,  बल्कि आज यह करोड़ों लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रही है।प्रधानमंत्री मोदी ने जिन लाभार्थियों से सीधा संवाद किया, उन्होंने सीधे संवाद के माध्यम से अपनी सक्सेस स्टोरी भी बताई। आइये हम भी सफलता की इन कहानियों पर एक दृष्टि डालते हैं।

असम के हृदय डेका ने बुलंद इरादों से बदला अपना भाग्य
कुछ कर लूं, कुछ कमा लूं और कुछ दूसरे को दे दूं…  असम में रंगिया के रहने वाले हृदय डेका की यही तमन्ना थी। मुद्रा लोन ने इनकी ये तमन्ना पूरी कर दी। 2015 से पहले एक छोटी सी मिठाई की दुकान चलाने वाले हृदय डेका ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 50 हजार का मुद्रा लोन लिया और अपनी दुकान ‘डेका स्वीट’ को विस्तार दिया। थोड़ी कमाई हुई तो पहले पूरा लोन चुका दिया और वर्ष 2017 में उन्होंने बैंक से 5 लाख का फिर लोन ले लिया। आज उनकी दुकान में सात लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है और उनकी दुकान के रसगुल्लों की मांग में भी जबरदस्त वृद्धि हुई है।

कर्नाटक के मंजूनाथ ने सरकारी नौकरी से बेहतर अपने व्यवसाय को माना
सरकारी कर्मचारी पिता के पुत्र मंजूनाथ ने अपना व्यवसाय करने का इरादा बनाया और बैंक पहुंच गए। पहले उन्होंने एचडीएफसी बैंक से 50 हजार का लोन मांगा, लेकिन बैंक ने कहा कि आपको 2 लाख का लोन बिना गारंटी के देंगे। इसपर मंजूनाथ को थोड़ा आश्चर्य हुआ, लेकिन बैंक वालों ने उन्हें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के बारे में बताया। उन्होंने इरादा बदला और मुद्रा योजना से 5 लाख का लोन ले लिया। मंजूनाथ ने एक साल के भीतर न सिर्फ कर्ज चुका दिया, बल्कि आठ लाख का दूसरा लोन भी ले लिया। आज वे यह बताने में गौरव महसूस करते हैं कि हनुमंत, सचिन, पिंटू और बसु को उन्होंने रोजगार दिया है। इसके साथ ही उन्होंने फुटवेयर और मोबाइल सेल्स एंड सर्विस का काम करने वाले अपने दो साथियों को भी मुद्रा लोन दिलवाया है।

जम्मू के गोविंद ने अपने पिता के व्यवसाय को दिया विस्तार
ग्रेजुएशन करने के बाद गोविंद ने अपने पिता के व्यवसाय को बढ़ाने का निर्णय लिया। उनके इस फैसले में मददगार साबित हुई मुद्रा योजना। उन्होंने बैंक वालों के मार्गदर्शन से मुद्रा योजना के तहत 10 लाख का लोन लिया। इसके बाद फ्रूट्स और ड्राइफ्रूट्स के कारोबार का विस्तार दिया और होलसेल के साथ रिटेल आउटलेट भी खोल लिया। अच्छी बात ये रही कि लोन के लिए उन्हें न तो कोई मॉरगेज करना पड़ा और न ही कोई गारंटी देनी पड़ी। बैंक ने उनपर विश्वास किया तो उन्होंने भी बैंक का भरोसा नहीं तोड़ा और समय से किस्त चुका रहे हैं। आज उनकी दुकान में पांच लोग पैकिंग करते हैं, एक होम डिलिवरी करते हैं, दो दुकान के भीतर हैं और एक व्यक्ति ने उनका अकाउंट संभाल रखा है।

कोलकाता की ककाली घोष के सपनों को मुद्रा लोन ने दी नई उड़ान
कोलकाता की रहने वाली ककाली घोष ने अपने पिताजी के मन में आशंका होने के बावजूद एक एंटरप्रेन्योर बनने का निर्णय लिया। इनके इस काम में बैंक ने सहयोग किया और मुद्रा लोन से इन्हें बड़ा सपोर्ट मिल गया। लेबोरेट्री ग्लासवेयर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चलाने वाली ककाली घोष को मुद्रा योजना के तहत 5-6 दिन में ही 10 लाख रुपये का लोन मिल गया। आज उनके इस बिजनेस से कई लोग जुड़े हुए हैं। उनकी चाहत है कि मुद्रा योजना में रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोडक्ट्स के लिए भी फंडिंग हो तो उनके जैसे बिजनेस करने वालों के लिए और फायदे की बात होगी साथ ही और अधिक रोजगार का सृजन होगा।

हिमाचल के निगम सिंह को अपने पैरों पर खड़े होने की है खुशी
कहते हैं जहां चाह, वहां राह! हिमाचल के निगम सिंह ने इस बात को साबित कर दिया है। दरअसल हिमाचल प्रदेश में आलू-टमाटर की खेती खूब होती है, लेकिन ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कतों के कारण काफी नुकसान हो जाता है। निगम सिंह ने इसका सॉल्यूशन खोजा और इसके लिए नई तकनीक के सामानों की दुकान लगा दी। पांच महीने पहले मुद्रा लोन के लिए अप्लाई किया और 10 लाख का लोन बिना किसी भ्रष्टाचार के मिल गया। वे कहते हैं कि मुझे खुशी है कि मैं अपने पैरों पर खड़ा हूं और कुछ लोगों को रोजगार भी दे रहा हूं।

नासिक के हरि ठाकुर ने मुद्रा लोन से बदली अपनी किस्मत
मुजफ्फरपुर के निवासी हरि ठाकुर 30 वर्ष से नासिक में रहते हैं। एक दुकान में काम करते थे, लेकिन 2016 में मुद्रा लोन लिया और अपनी दुकान खोल ली। हरि ठाकुर ने खुद स्वीकार किया कि लोन लेने से पहले उनकी स्थिति बेहद खराब थी, लेकिन बैंक ने उन्हें बिना गारंटी के ही लोन दिया। कर्मठता से किस्मत बदली तो आज वे अपने साथ तीन अन्य लोगों को भी रोजगार का अवसर उपलब्ध करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे समय पर बैंक के पैसे वापस कर रहे हैं। उनकी इस बात परर प्रधानमंत्री मोदी ने भी प्रसन्नता जताई और कहा, ”बड़े लोग देश का पैसा लेकर भागते हैं, गरीब आदमी नहीं। हमारे देश की ताकत, हमारे देश के गरीब हैं।”

हुनर की राह हुई आसान, ईमानदारी को मिला प्रोत्साहन
मुद्रा योजना ने जहां लोगों को सशक्त करने का काम किया है, वहीं गरीबों को साहूकारों से छुटकारा दिलाया है। इस योजना के तहत अब तक 12 करोड़ लोगों को छह लाख करोड़ का लोन दिया गया है। इनमें 75 प्रतिशत लोन युवाओं और महिलाओं को दिए गए हैं।  तथ्य यह भी है कि 12 करोड़ लोन लेने वालों में 9.3 करोड़ यानि 74 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस योजना के लाभार्थियों में 28 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिन्होंने पहली बार कोई कारोबार शुरू किया है। इसके साथ ही यह बात भी सामने आई है कि 55 प्रतिशत कर्ज एससी-एसटी-ओबीसी समुदाय के लोगों को दिए गए हैं।

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