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हिंदू विरोधी गहलोत सरकार सोती रही और कन्हैया के आतंकी हत्यारों ने 8 जिलों में बनाए स्लीपर सेल: सोनियाजी, शांत राजस्थान में फैल रही हिंसा के लिए कुसूरवार को कब सजा मिलेगी?

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उदयपुर से तालिबानी मर्डर में इंटेलिजेंस एजेंसियों के फेल्योर को देखकर सहज ही जेहन में यह सवाल उपजता है कि क्या आलाकमान की जिम्मेदारी सिर्फ अपनी पसंद का मुख्यमंत्री लगाने भर की ही है ? प्रदेश को सांप्रदायिक हिंसा की आग के हवाले करने कि खतरनाक साजिश एक के बाद दूसरे जिलों में होने पर भी सरकार की कुंभकर्णी नींद न टूटे, तो सरकार के खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेदारी किसकी है ? कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछा ही जाना चाहिए कि करौली से लेकर उदयपुर तक घोर सरकारी विफलता के खिलाफ उन्होंने क्या एक्शन लिया ? जयपुर में एक बार फिर सीरियल ब्लास्ट करने की साजिश करने वालों के साथी रियाज मोहम्मद तक उनकी कांग्रेस सरकार और उसका सिस्टम पहले क्यों नहीं पहुंच पाया ? और शांत राजस्थान में लगातार फैल रही हिंसा के लिए कुसूरवारों को कब सजा मिलेगी ?आतंकियों के वीडियो वायरल किए तब कांग्रेस सरकार ने जाना कि खेल कितना खतरनाक
क्या यह इसी लापरवाह कार्यशैली और अकर्मण्यता का दुष्परिणाम नहीं है कि गहलोत सरकार में आतंकी. प्रदेश को दंगों के हवाले करने के लिए आठ जिलों में बेखौफ स्लीपर सेल बना चुके हैं और सरकार कान में तेल डालकर सो रही है !! अब जब स्लीपर सेल के दो ‘आतंकियों’ ने एक तरह से खुद वीडियो बनाकर ‘सरेंडर’ किया, जब जाकर सरकार को बता चला कि उसकी नाक के नीचे क्या हो रहा है ? इसके बाद भी राज्य की एजेंसियां फेल रहीं और नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने आकर आतंकियों के खतरनाक खेल का खुलासा किया। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की जांच में यह साफ हो चुका है कि दोनों आतंकियों के तार पाकिस्तान से जुड़े थे। यह दोनों दावत-ए-इस्लामी और आईएस के संगठन अलफूफा से काफी सालों से जुड़े हैं। कराची में ट्रेनिंग लेने के बाद ये पाकिस्तान के एक मौलाना के भी निरंतर संपर्क में थे।

एनआईए की जांच में खुलासा कि कन्हैया के मर्डर से भी है बड़ी प्लानिंग
राजस्थान के कश्मीर के नाम से प्रसिद्ध झीलों के शहर उदयपुर ही नहीं, बल्कि पूरे देश में तालीबानी मर्डर की ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई। आतंकियों ने जिस निर्दयता से इस कत्ल को अंजाम दिया, वह बताता है कि उनके दिल में पुलिस, कानून, सिस्टम और कांग्रेस किसी का भी खौफ नहीं है। राजस्थान सरकार तो वैसे भी कई बार तुष्टिकरण की राजनीति करने का प्रमाण दे चुकी है। इसलिए डरने की बजाए आतंकियों ने शांत राजस्थान को ही अपनी कर्मभूमि बना लिया। अब इंटेलिजेंस एजेंसियों की जांच में खुलासा हुआ है कि इनका मकसद केवल कन्हैयालाल का मर्डर करना नहीं था, बल्कि ये पाक में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर शांत राजस्थान को सांप्रदायिक हिंसा की आग के हवाले करना चाहते थे।

रियाज और गौस इस्लामिक स्टेट (आईएस) के रिमोट अलसूफा के लिए भी करते थे काम
राष्ट्रीय जांच एजेंसी को पूरी आशंका है कि ये स्लीपर सेल आईएसआईएस और अलसूफा के लिए बनाए जा रहे थे। कन्हैया का कातिल रियाज राजस्थान में आंतक फैलाने वाली बड़ी साजिश में शामिल है। रियाज के तार अलसूफा से भी जुड़े हैं। यह संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के रिमोट स्लीपर सेल के तौर पर काम करता है। रियाज पिछले कुछ साल से अलसूफा के लिए राजस्थान के आठ जिलों में स्लीपर सेल बनाए। चित्तौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा में पुलिस ने मार्च माह में जिन तीन आतंकियों को 12 किलो विस्फोटक के साथ गिरफ्तार किया था, वो आतंकी जयपुर और अन्य जगह पर सीरियल ब्लास्ट की साजिश रच रहे थे। इन्हीं आतंकियों में टोंक निवासी मुजीब भी था, जो जेल में बंद है। इसी मुजीब की मोहम्मद रियाज के साथ खास दोस्ती है। मुजीब लंबे समय से उदयपुर में गाइड का काम करता था। उसने ही रियाज और गौस की मदद से राजस्थान में अलसूफा का नेटवर्क खड़ा किया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

30 लोगों के साथ कराची में ट्रेनिंग, ‘बदला लो, या चूड़ियां पहन लो’
इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक साल 2014 में रियाज और गौस मोहम्मद 30 लोगों के साथ पाकिस्तान के कराची गए। उनके साथ उदयपुर के वसीम अख्तरी और अख्तर राजा भी थे. यहां उन्हें आतंकी संगठनों ने ट्रेनिंग दी। रियाज और गौस मोहम्मद फंडिंग के लिए 2014 और 2019 में सऊदी अरब और 2017-18 में नेपाल गए थे। सऊदी अरब में वे सलमान और अबू इब्राहिम के लगातार सम्पर्क में थे। अरब देशों से मिली फंडिंग से दोनों ने पहले गरीब और बेरोजगार युवाओं की मदद की और उन्हें विश्वास में ले लिया। व्हाट्सअप ग्रुप बनाए. ग्रुप में ब्रेनवॉश के लिए भड़काने वाले वीडियो डालते। रियाज युवाओं को दूसरे धर्म के लोगों पर हमला करने के लिए उकसाता। उनसे कहता- बदला लो या चूड़ियां पहन लो।

सोनियाजी,  हिंसा का तांडव करौली के शुरू होकर उदयपुर तक कैसे पहुंच गया?
सोनिया गांधी जी, लाख टके का सवाल यही है कि इतने दिनों से इतना सारा गड़बड़झाला होने के बावजूद राज्य की एजेंसियां आंख-कान बंद किये क्यों बैठी रहीं? इस अक्षम कार्यशैली के लिए सरकार के जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई अब तक क्यों नहीं हुई ? यदि ये एक्टिव रहतीं तो राजस्थान के एक के बाद एक शहरों में सांप्रदायिक हिंसा के चलते हालात नहीं होते। राजस्थान में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।  पिछले कुछ माह में  राज्य के 5 जिलों में सांप्रदायिक घटनाएं हो चुकी हैं। करौली के शुरू हुआ हिंसा का तांडव अलवर, जोधपुर, भीलवाड़ा के बाद अब हनुमानगढ़ तक जा पहुंचा। गहलोत सरकार है कि इनको रोकने के बजाए यह मानने के लिए ही तैयार नहीं है कि राज्य में कई जगह सांप्रदायिक हिंसा, आगजनी, पत्थरबाजी, चाकूबाजी आदि की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन सीएम अशोक गहलोत की नजर में यह सिर्फ ‘छुट-पुट’ झड़प हैं। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर राजस्थान में शहर दर शहर सांप्रदायिक हिंसा का जहर क्यों फैल रहा है? क्योंकर यहां उत्तर प्रदेश की तरह दंगाइयों में कानून-व्यवस्था का भय नहीं है ? और न ही सरकार को इस तरह का जंगलराज होने पर भी आलाकमान से कार्रवाई का कोई भय है।

 

 

 

 

 

 

 

 

करौली : हिंदू नव संवत्सर पर बाइक रैली पर पथराव, आगजनी और हिंसा
हिंदू नव संवत्सर के अवसर पर 2 अप्रैल को करौली में हिंसा हुई थी जब कुछ लोगों ने एक बाइक रैली पर पथराव कर दिया। इसके वीडियो वायरल हुए कि लोगों ने कैसे घरों के ऊपर पहले ही साजिशन पत्थर जमा किए हुए थे। कई वाहनों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था। हिंसा में 35 से अधिक लोग घायल हुए थे। बिगड़ते हालात को देखते हुए शहर में पहले धारा 144, कर्फ्यू और फिर इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी। मामले में पुलिस ने वीडियो फुटेज, कॉल, लोकेशन आदि के आधार पर अब तक लगभग 144 आरोपियों को चिंहित किया था।

जोधपुर : पुलिस को जालोरी गेट पर बिजी कर दंगाइयों से शहर में आतंक मचाया
जोधपुर की ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट में जो सच सामने आया वो सिर्फ हैरान करने वाला नहीं, होश उड़ाने वाला था। दंगाइयों ने पहले से प्लान कर रखा था कि पुलिस मौके पर पहुंचे तो क्या करना है। यही वजह थी कि भारी पुलिस फोर्स होने के बावजूद पुलिस को हालात को कंट्रोल करने में कई घंटे लग गए। जालोरी गेट चौराहे पर जब सैकड़ों की तादाद में लोग प्रदर्शन कर रहे थे तो पुलिस के कई बड़े अफसरों सहित 200 से ज्यादा का अमला भीड़ को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था। पुलिस लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ रही थी। दंगाइयों को इसी मौके का इंतजार था। पुलिस जालोरी गेट चौराहे पर बिजी थी और दंगाई शहर के भीतरी इलाकों की तरफ निकल गए। दंगाइयों ने कबूतरों का चौक, सोनारो का बास, ईदगाह मस्जिद, जालोरी गेट, शनिचरजी का थान, ईशाकिया आदि मोहल्लें में 3-4 घंटे तक जमकर आतंक मचाया।

नागौर: जोधपुर की तपिश ठंडी होने से पहले ही दो गुटों ने मचाया बवाल
जोधपुर में ईद के दिन हुई हिंसा का मामले की तपिश अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि अब राज्य के नागौर से बवाल की खबर सामने आ रही है। यहां दो गुट आपस में ही भिड़ गए, बताया जा रहा है कि नागौर में ईद मनाने को लेकर कहासुनी के बाद दो पक्ष आपस में भिड़ गए । मामूली कहासुनी से शुरू हुआ विवाद इतना बढ़ा कि दोनों गुट आपस में लड़ने मरने-मारने पर उतारू हो गए। नागौर स्थित किदवई कॉलोनी में मुस्लिम समुदाय के दो पक्षों में किसी बात को लेकर विवाद छिड़ गया, और दोनों पक्ष के लोगों के बीच कहासुनी शुरू हो गई और देखते ही देखते दोनों पक्षों के लोग उग्र हो गए और एक दूसरे पर पथराव शुरू कर दिया। दोनों ओर से जमकर पत्थर चलाए गए वहीं उपद्रवियों ने कुछ बाइकें तोड़ दी इस पत्थरबाजी में आधा दर्जन लोगों के घायल होने की खबर सामने आ रही है।

भीलवाड़ा: एक दर्जन से ज्यादा नकाबपोशों ने मारपीट करके बाइक जलाईं
राजस्थान में जोधपुर-नागौर के बाद अब भीलवाड़ा सुलग रहा है। यहां सांगानेर में बुधवार रात को यहां दो युवकों के साथ एक दर्जन से ज्यादा नकाबपोशों ने मारपीट करके उनकी बाइक जला दी। इसके बाद लोगों ने हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर घायलों को अस्‍पताल ले जाने का विरोध किया। हालांकि, पुलिस-प्रशासन की समझाइश के बाद घायलों को जिला अस्‍पताल में भर्ती करा दिया गया। घायलों को इलाज के लिए ले जाने के बाद भी शहर में तनाव कम नहीं हुआ। हालात को देखते हुए सांगानेर इलाके में 33 थानों के 150 से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया है।

हनुमानगढ़ : यहां चोरी और सीनाजोरी, लड़कियों को छेड़ने से रोका तो वीएचपी नेता पर हमला
राजस्थान में हालात इतने बिगड़ गए हैं कि गत 11 मई को हनुमानगढ़ में बेखौफ लोगो ने विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय नेता पर हमला कर दिया। इसके बाद माहौल गर्मा गया। हमले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सड़क को जाम कर दिया था। दरअसल, विश्व हिंदू परिषद नेता सतवीर सहारण से एक महिला ने शिकायत की थी कि मंदिर के पास कुछ लड़के बैठते हैं और छेड़छाड़ करते हैं। इसी के बाद पूरा विवाद शुरू हुआ था। आक्रोशित लोगों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मामले में दो लोग पुलिस की गिरफ्त में आए हैं। शहर में शांति बहाल रखने के लिए पुलिस को फ्लैग मार्च करना पड़ा।सीएम के ‘घर’ में हिंसा महज संयोग नहीं, बल्कि पूरी तरह से सुनियोजित थी
राजस्थान में अजीब हालात इसलिए भी बने हुए हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहीं भी हिंसा या दंगों की बात स्वीकार ही नहीं रहे हैं। हिंसा के वीडियो वायरल होने के बावजूद उनके लिए यह छुट-पुट घटनाएं हैं। दूसरी ओर पड़ताल में यह शीशे की तरह साफ हो गया है कि जोधपुर में हिंसा महज एक इतेफाक नहीं था कि ईद, अक्षय तृतीया के दिन ही जोधपुर में दंगे भड़क उठे। सामान्यत: घरों और दुकानों में न मिलने वाली तेजाब की बोतलें, उस दिन दर्जनों दंगाइयों के हाथों में थीं। एक गली से शुरू हुआ उपद्रव देखते-देखते ही जोधपुर के कई इलाकों में पहुंच गया। सब कुछ पहले से प्लांड था और जिस तरह से घटनाएं घटी, ये भी तय है कि ये प्लानिंग काफी समय से की जा रही थी।

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